RE: Maa Bete ki Sex Kahani मिस्टर & मिसेस पटेल
अपडेट 52
पण्डितजी उनके एक आदमी को कुछ बोले और वह आदमी हमारे पास आगया. और मेरे पास आतेहि वह वहां बैठके वहां रखा हुआ एक डिब्बा खोला और एक मेटल के कॉइन से डिब्बे से थोड़ा सिन्दूर उठाके मेरे हाथ में थमा दिया. मैं बस शादी की आखरी रस्म पूरी करके माँ को अपनी पत्नी के रूप में पूरी तरह ग्रहण करने जारहा हु. मैं नानी को देखा , वह बस आँखों में ख़ुशी लेकर एक इशारा कि. और में पण्डितजी का मंत्र उच्चारण के बीच ही वह सिन्दूर धीरे धीरे माँ के सर के पास ले गया. फिर वह लेडी माँ के सर के घूँघट को थोड़ा हटाकर, मांग से सोने का बिंदी साइड करके मुझे हेल्प करने लगी. फिर मेंने मेरा एक हाथ माँ के सर के पीछे छु क़र, दूसरे हाथ से उनकी मांग में सिन्दूर भर दिया. मेरा एक हाथ उनको छूकर रखा है, उसमे से पता चला सिन्दूर डालते टाइम माँ थोड़ा काँप उठि और में भी अंदर से एक कम्पन मेहसुस करने लगा. अब हम शास्त्र सम्मति से पति पत्नी बन गये हमारा एक नया रिश्ता जुड़ गया. आज से हम दोनों माँ बेटा नहीं रहे. पति पत्नी के पवित्र बंधन में बंध गये माँ के गले में मंगलसूत्र और मांग में सिन्दूर के साथ उनका एक अलग रूप निकल के आया. साथ ही साथ वह अब इतनी प्यारी और खूबसूरत लगने लगी की में यह कभी कल्पना नहीं किया था. मैं बस अगले सात जनम तक इस खूबसूरत और प्यारी लड़की को, मेरी माँ को अपनी पत्नी के रूप में पाना चाहता हु. शादी की रस्म पूरी हो गयी. और तब सात मैरिड लेडी माँ के पास आकर उनके कान में फिस्फीसाके गुड विशेस देणे लगी. माँ का चेहरा ख़ुशी से झलक उठ रहा है. माँ तभी भी अपनी नज़र उठायी नहि. पण्डितजीने अब हम दूल्हा दुल्हन को उठके अपने अपने बढो को प्रणाम करके अशीर्वाद लेने को कहा. मैं माँ के साथ ताल मिलाके धीरे धीरे उठा और एक साथ नानाजी के पास आकर उनका पैर छुआ. वह बस उनके दोनों हाथ मेरे और माँ के सर पर रख के हमे अशीर्वाद देणे लगे. फिर हम नानी के पास जाकर उनके पैर छुये. नानीजी हमे अशीर्वाद दी और हम खड़े होतेहि हम दोनों को वह एक साथ गले में मिला लिये. नाना नानी के आँख थोड़ा गिला हो रहा था. जैसे की उनका लड़की शादी करके दूसरे एक घर पर, अपने पति के घर पे जा रही है. पर अब तो माँ का माइका और ससुराल एक ही है. हमने पण्डितजी को प्रणाम किया और वहां के बाकि सबसे शुभकामनायें और गुड विशेस ग्रहण करते रहे
.दूसरे एक हॉल में रिसोर्ट वालों ने शादी में प्रेजेंट सब का लंच का इन्तेज़ाम करके रखा है. हम सब वहां गये. सब लोग बुफे सिस्टम से लंच करने लगे. में, माँ और नाना नानी एक टेबल पे बैठे. मैनेजर साहब हमारे लंच का देखभाल कर रहे है. हमारे टेबल पे दोनों आदमी लंच सर्व करने लगे. नाना और नानी का अलग अलग प्लेट है पर मेरी और माँ की एक ही प्लेट है. शादी के रस्म के अनुसार नये नये शादी शुदा दूल्हा दुल्हन को पहला खाना एक ही प्लेट में शेयर करके खाना है. सो में और माँ आस पास चेयर में नज़्दीक बैठे है. वह अभी भी सीधे तरीके से मुझे नहीं देख रही है. एक दो बार हमारी चुपके से नज़र मिल चुकी है. अब उनके अंदर भी एक शर्म है और मेरे अंदर भी. वह हम दोनों मेहसुस कर रहे थे. इसलिए हम एक दूसरे को स्ट्रैट नज़र मिलाके देख नहीं पा रहे है. पर उनको इस नयी दुल्हन के रूप में देखने के लिए मेरा मन हर पल उनकी तरफ जा रहा है. हम एक ही प्लेट से पहले एक दूसरे को खिलाने के बाद, धीरे धीरे हम खाने लगे. हमारा हाथ प्लेट के ऊपर टच हो रहा है. हमारे कंधे एक दूसरे से टकरा रहे है. एक दूसरे के शरीर की गर्मी आस पास रहकर भी केवल हम दोनों ही मेहसुस कर रहे है. उससे मेरा पूरा बदन माँ की तरह बीच बीच में ख़ुशी और एक्ससिटेमेंट के वजह से काँप रहा है. सब के बीच बैठे बैठे भी में केवल मेरी दुल्हन रुपी माँ को , जो अब मेरी धरम पत्नी भी है, उनको देखे जा रहा था और मन ही मन में उनको एकांत में मेरी बाँहों में पाने के वक़्त का इंतज़ार करने लगा
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