RE: Maa Bete ki Sex Kahani मिस्टर & मिसेस पटेल
आज संडे का दिन था पर आज सबसे ज़ादा बिजी दिन था सुबह घर से निकले थे और आधा दिन पूरा बाहर गुजार के जब घर लौटा, तब लंच टाइम ओवर हो चुका था इसलिए आज का खाना भी लेट हुआ. माँ और नानी पहले खा लिया था मैं और नानाजी खाने बैठे तो नानी पास में बैठके देखभाल करने लगी लेकिन माँ ही खाना परोस रही थी. कल रात डिनर टेबल पे भी ऐसा हुआ था माँ अब सब के सामने सहज होकर सब कुछ कर रही है. लेकिन सब के सामने मुझे एक भी बार नज़र उठाके डायरेक्टली देख नहीं रही है. एक्चुअली इस बार घर पर में और माँ दोनों ही एक अजीब सिचुएशन में पड़ गये. हम फ़ोन पे तो बहुत सारी बातें करते है. हमारे आनेवाले फ्यूचर को लेके दोनों एकसाथ सोच ने भी लग गये. हम एक दूसरे के पास सहज होगये थे. पर लॉन्ग डिस्टेंस में जितना कम्फर्टेबले थे, आमने सामने वैसा हो नहीं रहा था स्पेशली नाना नानी की प्रेजेंट मे. हम छुप छुप के दोनों प्रेमिओं की तरह मिलजुल गए थे फ़ोन पे. पर उनलोगों के सामने वैसा होने में एक शर्म आया. लास्ट टाइम से अचानक ऐसा बदल उनलोगों का नज़र में जरूर आयेगा. सो माँ और में दोनों ही शायद अलग अलग ऐसा ही सोचा. इस लिए वह मेरे सामने तो आरही है पर मेरे से नज़र घुमाके रखी है. या तो वह मेरे सामने नाना नानी से बात कर रही है, नहीं तो नज़र हटाके कुछ काम कर रही है. पर जब नाना नानी दूसरी तरफ बिजी है तब वह मुझे छुप के देखति है. फिर नज़र मिलने के कुछ टाइम बाद शर्मा के झुका लेती है. उनके नरम गुलाबी पतले होठो पे मुस्कान मुझे पागल कर देती है. उनको मेरे सामने ऐसा चलते फिरते, बातें करत, हस्ते हुए देखके मेरे छाती में हरपल एक हल्का सिरसिरानी अनुभुति होता है. मेरा पेनिस मेरे अंडरवियर के अंदर सख्त होकर रह रहा है. मैं यह चीज़ बहुत ध्यान से छुपा रहा हुँ. मैं ऐसे तो थका था और साथ में आज नानाजी के साथ अहमेदाबाद जाके शादी की शेरवानी पसंद करके मेज़रमेंट वगेरा देके आया. फिर जेवेलरी दुकान में मेरी ऊँगली का नाप दिया अंगूठी बनाने के लिये. फिर हमने दो बड़े ट्रेवल बैग ख़रीदे. फिर और कुछ इधर उधर का घर का सामान ख़रीदते ख़रीदते लेट हो गया था हम टैक्सी से सब सामान लेके घर आगया. इतने सब के वजह से जब खाना खाके में थोड़ा आराम करने के लिए लेट गया तो तब पता नहीं कब नीद आगई. और शाम को नानी जी मुझे जगाया तो में फ़टाफ़ट उठके रेडी होकर निकल पडा. निकलते वक़्त माँ ड्राइंग रूम में डोर पे खड़ी थी. मैं नाना नानी से बीदा लेके एक बार कुछ पलों के लिए माँ की तरफ देखा. उनकी आँखों में हरबार माँ का प्यार और ममता देख के जाता था, इस बार वह नहीं था इस बार ऐसा लगा की पति जब पत्नी को छोड़के दूर जात है, तब पत्नी के नम आँखों में जो प्यार और दर्द रहता है, जिसके जरिये वह अपनी दिल की सारी बातें बिना कहके बता देती है, वह नज़र से मुझे देख रही थी. और मेरा मन भारी हो गया.
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