RE: Maa Bete ki Sex Kahani मिस्टर & मिसेस पटेल
उस रात में आँखे बंध करके माँ के किये हुए बिस्तर में सो सो के उनका स्पर्श महसुस कर रहा था. लग रहा था जैसे वह मेरे एकदम पास, एक दम करीब है. बस कुछ दिन का फासला है. फिर वह सुन्दर, नरम, प्यारी औरत, हर रात मेरी बाँहों में रहेगी और में उनको बहुत प्यार करुन्गा. मैं उनको कभी कुछ भी दुःख महसुस करने नहीं दूंगा. हमेशा उनका मुस्कुराता हुआ चेहरा देखने चाहता हु. मैं एक अच्चे पति का धर्म निभाते हुए दुनिया की हर ख़ुशी उनके सामने लाकर दुंगा. उनके तन मन को हमेशा आनंद से रखुंगा. मैं इन सब बातों से गरम होगया था. फिर भी मन ही मन कसम खाइ की आज से मेरे तन मन की हर ख़ुशी भी उनके साथ ही शेयर करुन्गा. सो उस रात में मस्टरबैट करके अकेले वह सुख लेना नहीं चाह रहा था. मैं सब कुछ बस उनके साथ ही करना चाहता हु. और में हमारी सुहागरात में उनको परिपूर्ण संतुष्टि देना चाहता हु.
ओर मेरे आँख में नीद कब आके मुझे एक ख़ुशी के सागर में बहाके लेके गइ, वह मुझे पता नहीं चला.
नेक्स्ट डे रात १० बाजे मेरी नीद टुटी. मैं ऑफिस के कपडे में ही हु अभी तक्. नीद टुटने के बाद सो सो के कुछ टाइम में कन्फ्यूज्ड था. समझ नहीं आ रहा था में कहाँ हु और अब क्या है--मॉर्निंग या रात!! और ऐसे कैसे हो गया!! प्रारंभिक विचलन कट ने के बाद में होश में आया.रात को देर नीद आने के कारन सुबह उठने में लेट हो गया. मोबाइल की रिंगिंग से नीद तूट गयी. ऑफिस का एक सीनियर कलीग का फोन. वह कुछ अर्जेंट काम के लिए कल छुट्टी ले रहा है. इसलिए वह कल साइट पे जा नहीं पाएँगे, सो मुझे जाने के लिए कहा. मैं जैसे ही उनको कन्फर्म किया वह मुझे थैंक्स बोले. और दो चार इधर उधर का बात करके फ़ोन कट दिए. मैं फ़टाफ़ट बिस्तर से निकल के बाथरूम जाके फ्रेश होने लगा. मेरे अंदर ऑफिस की बातें चल रही थी. जब में मिरर के सामने खड़े होके दाँत ब्रश कर रहा था तब खुद को मिरर में देख रहा था. अचानक दिमाग में आया, अरे में शादी कर रहा हु और चुप चाप शादी करके जब बीवी लेके एमपी पहुँचेंगे तब तो ऑफिस में सब को पता चलेगा. तब सब को कैसे सामना करूँगा? फिर सोचा की ठीक है जब होगा तब देखा जाएगा. पर इन सब बातों से ज़ादा मेरे दिमाग में कल रात के बारे में याद आया. कल मुझे माँ मिली थी वह भी एकांत मे. मुझे उनको बहुत कुछ बताना था बहुत कुछ पूछना भी था पर वह जब सामने आइ, में सब कुछ भूल गया. दिन भर कितना कुछ सोचके रखा था पर उनके सामने आके कुछ नहीं हो पाया. मैं एक अद्भुत फीलिंग्स में आजाता हु और सब गड़बड़ कर देता हुँ. मैं समझ गया की मेरे मन के एकदम अंदर जो एक अंतयुद्ध पिछले तीन-चार दिन से चल रहा है , यह उसी का फल है. हा....यह बात सही है की एक लड़की के लिए एक लड़के के मन में जैसा प्यार होता है, उनके लिए मेरे मन में वह प्यार है. पर जिनको बचपन से माँ के रूप में देखता आरहा हु, अब उनको बीवी के रूप में देखना पडेगा. पुराना रिश्ता भूल कर अब नए रिश्ते में कदम रखना है. जब वह सामने नहीं है, तब मन यह सब मान के चलता है. पर अब जब वह सामने आगयी तब पता चला की मुझे वास्तव दुनिया में उनके साथ वह नया रिश्ता अपनाने के लिए मेरे अंदर की बहुत सारी भावनाएं और संकोच को दूर करना पड़ेगा. मैं मन को जोर देने लगा. आज वापस जाने से पहले उनसे और एक मुलाकात होती तो दिल को थोड़ा सुकून मिलता पर में यह भी जानता हु की इसका चान्सेस बहुत ही कम है.
मैं जब ड्राइंग रूम में आया , वहां नाना नानी के साथ माँ कुछ बात कर रही थी. सब की बॉडी लैंगवेज से समझ आ रहा है की कोई सीरियस बात नही, ऐसे ही बात चित कर रहे है. पर जैसे ही में ड्राइंग रूम में एंट्री लिया वह आँख उठाके एकबार मुझे देख लिया और जल्दी से शर्मा के फिर से नानी के तरफ देख के कुछ बोली और तुरंत वहां से जाने लगी. और किचन के तरफ के डोर से निकल गयी. मैं समझ गया माँ भी मेरे जैसे सिचुएशन में है. शायद उनका भी मन चाह रहा होगा की वह मुझसे मिले , बातें करे, पर उनकी अंदर की भावनाएं और संकोच वह सब करने में रोक लगा रहा है. उनको भी मेरी तरह खुद से जूझना पड़ रहा होगा. अब तक जो उनका बेटा था अपना खुन था जिसको बचपन से पाल पोस के एक नौजवान लड़का बनाया, जिसको माँ की ममता , प्यार और स्नेह देकर बड़ा किया है, उस नौजवान लड़के को अब उनके पति के रूप में मान ना पडेगा. उसको पति का अधिकार देना पडेगा. अपना तन मन उसको सोंप ना पडेगा. एक नये पवित्र रिश्ते में उससे जुड़ना पडेगा. लेकिन उनको देख के यह पता चलता है की वह भी जरूर यह सब सोच और संकोच से निकलने की कोशिश कर रही है. क्यूँ की उनकी नज़र में, उनके चलन में, और उनके इशारे में साफ़ साफ़ पता चलता है की वह अब एक माँ की तरह नही, एक अकेली दुखी औरत की तरह नही, वल्कि वह खुद को एक लड़की के तरह महसुस कर रही है. जिस की अभी शादी होनेवाली है और वह अपने होनेवाले पति से शर्मा रही है.
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