non veg kahani एक नया संसार
11-24-2019, 12:54 PM,
RE: non veg kahani एक नया संसार
इधर विराज एण्ड पार्टी की ट्रेन अपने निर्धारित समय से कुछ ही समय की देरी से आख़िर मुम्बई पहुॅच ही गई थी। सब लोग ट्रेन से बाहर आए और फिर प्लेटफार्म से बाहर की तरफ निकल गए। विराज ने मुम्बई पहुॅचने से पहले ही जगदीश ओबराय को फोन कर दिया था। इस लिए जैसे ही ये लोग स्टेशन से बाहर आए वैसे ही जगदीश ओबराय बाहर मिल गया। उसके साथ एक कार और थी। सब लोग कार मे बैठ कर घर के लिए निकल गए।

रास्ते में जगदीश अंकल ने मुझे बताया कि उन्होंने माॅ से बात कर ली है। पहले तो माॅ मेरी वापसी की बात सुन कर नाराज़ हुईं। मगर जगदीश अंकल ने उन्हें सारी बात तरीके से बताई और ये यकीन दिलाया कि मुझे कुछ नहीं होगा तब जाकर वो राज़ी हुई थी। लेकिन उन्होंने ये भी कहा कि वो एक बार मुझे देखना चाहती हैं। अतः अब मैं इन लोगों के साथ ही घर तक जा रहा था। वरना मेरा प्लान ये था कि मैं यहाॅ से वापस उसी ट्रेन से लौट जाता।

मुम्बई से वापसी के लिए इसी ट्रेन को लगभग कुछ घण्टे बाद जाना था इस लिए मैं बड़े आराम से गर जाकर माॅ से मिल सकता था। ख़ैर, कुछ ही समय बाद हम सब घर पहुॅच गए। घर पर सब एक दूसरे से मिले। करुणा चाची जब माॅ से मिली तो बहुत रो रही थी और बार बार माॅ से माफ़ियाॅ माॅग रही थी। माॅ ने उन्हें अपने सीने से लगा लिया था। करुणा चाची को वो हमेशा अपनी छोटी बहन की तरह मानती थी और प्यार करती थी। आशा दीदी और उनकी माॅ से भी मेल मिलाप हुआ। मिलने मिलाने में ही काफी समय ब्यतीत हो गया था।

मैं अपने कमरे में जाकर फ्रेश हो गया था। आदित्य भी फ्रेश हो गया था। उसे मेरे साथ ही वापस गाॅव जाना था। निधी भी सबसे मिली। करुणा चाची ने उसे ढेर सारा प्यार व स्नेह दिया था। दिव्या और शगुन को माॅ ने अपने सीने से ही छुपकाया हुआ था। अभय चाचा खुश थे कि उनके बीवी बच्चे सही सलामत यहाॅ आ गए थे। अब उन्हें उनके लिए कोई फिक्र नहीं थी। शायद यही वजह थी कि वो खुद भी मेरे साथ चलने की बात करने लगे थे। उनका कहना था कि वो खुद भी इस जंग में हिस्सा लेंगे और अपने बड़े भाई से इस सबका बदला लेंगे। मगर मैने और जगदीश अंकल ने उन्हें समझा बुझा कर मना कर दिया था।

मैने एक बात महसूस की थी कि निधी का बिहैवियर मेरे प्रति कुछ अलग ही था। इसके पहले वह हमेशा मेरे पषास में ही रहने की कोशिश करती थी जबकि अब वो मुझसे दूर दूर ही रह रही थी। यहाॅ तक कि मेरी तरफ देख भी नहीं थी वो। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि वो ऐसा क्यों कर रही थी। मैने एक दो बार खुद उससे बात करने की कोशिश की मगर वो किसी न किसी बहाने से मेरे पास से चली ही जाती थी। मुझे उसके इस रूखे ब्यवहार से तक़लीफ़ भी हो रही थी। वो मेरी जान थी, मैं उसकी बेरुखी पल भर के लिए भी सह नहीं सकता था मगर सबके सामने भला मैं उससे इस बारे कैसे बात कर सकता था? मेरे पास वक्त नहीं था, इस लिए मैने मन में सोच लिया था कि सब कुछ ठीक करने के बाद मैं उससे बात करूॅगा और उसकी किसी भी प्रकार की नाराज़गी को दूर करूॅगा।

मैं माॅ से मिला तो माॅ मेरी वापसी की बात से भावुक हो गईं। उन्हें पता था कि मैं वापस किस लिए जा रहा हूॅ इस लिए वो मुझे बार बार अपना ख़याल रखने के लिए कह रही थी। ख़ैर मैने उन्हें आश्वस्त कराया कि मैं खुद का ख़याल करूॅगा और मुझे कुछ नहीं होगा।

चलने से पहले मैने सबसे आशीर्वाद लिया और फिर आदित्य के साथ वापसी के लिए चल दिया। मेरे साथ जगदीश अंकल भी थे। पवन और आशा दीदी मुझे अपना ख़याल रखने का कहा और खुशी खुशी मुझे विदा किया। हलाॅकि मैं जानता था कि वो अंदर से मेरे जाने से दुखी हैं। उन्हें मेरी फिक्र थी। अभय चाचा ने मुझे सम्हल कर रहने को कहा। करुणा चाची ने मुझे प्यार दिया और विजयी होने का आशीर्वाद दिया। मैं दिव्या और शगुन को प्यार व स्नेह देकर निधी की तरफ देखा तो वो कहीं नज़र न आई। मैं समझ गया कि वो मुझसे मिलना नहीं चाहती है। इस बात से मुझे तक़लीफ़ तो हुई किन्तु फिर मैंने उस तक़लीफ़ को जज़्ब किया और जगदीश अंकल के साथ कार में बैठ कर वापस रेलवे स्टेशन की तरफ चल दिया।

रेलवे स्टेशन पहुॅच कर मैं और आदित्य कार से उतरे। जगदीश अंकल ने मुझे एक पैकिट दिया और कहा कि मैं उसे अपने बैग में चुपचाप डाल लूॅ। मैने ऐसा ही किया। उसके बाद जगदीश अंकल से मेरी कुछ ज़रूरी बातें हुईं और फिर मैं और आदित्य प्लेटफार्म की तरफ बढ़ गए। ट्रेन वापसी के लिए बस चलने ही वाली थी। हम दोनो ट्रेन में अपनी अपनी शीट पर बैठ गए। मैने मोबाइल से रितू दीदी को फोन किया और उन्हें बताया कि सब लोगों को मैने सुरक्षित पहुॅचा दिया है और अब मैं वापस आ रहा हूॅ। रितू दीदी इस बात से खुश हो गईं। फिर उन्होंने मुझे अख़बार में छपी ख़बर के बारे में बताया और पूॅछा कि ये सब क्या है तो मैने कहा कि मिल कर बताऊॅगा।

रितू दीदी से बात करने के बाद मैं आदित्य से बातें करने लगा। तभी मेरी नज़र एक ऐसे चेहरे पर पड़ी जिसे देख कर मैं चौंक पड़ा और हैरान भी हुआ। मेरे मन में सवाल उठा कि क्या उसने मुझे देख लिया होगा????? मैने अपनी पैंट की जेब से रुमाल निकाल कर अपने मुख पर बाॅध लिया और फिर आराम से आदित्य से बातें करने लगा। किन्तु मेरी नज़र बार बार उस चेहरे पर चली ही जाती थी। जिस चेहरे पर मैं एक अजीब सी उदासी देख रहा था।
Reply


Messages In This Thread
RE: non veg kahani एक नया संसार - by sexstories - 11-24-2019, 12:54 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,542,147 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 549,080 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,249,842 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 944,883 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,678,056 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,101,011 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,985,584 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,169,916 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,074,621 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 288,888 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 7 Guest(s)