RE: Gandi Sex kahani भरोसे की कसौटी
इसी तरह वह एक के बाद एक कई खुलासे करते गई और हैरत से मेरी आँखें चौड़ी होते गई, साथ ही दिमाग में नई सोच पैदा हो गई कि इसे इतना कुछ कैसे पता??
अगले २० मिनट तक लगातार बोलने के बाद वह चुप हुई ... मुझे शांत देख कर पूछी,
“कुछ पूछना है तुम्हें?”
“हाँ... फिलहाल बस एक ही सवाल.. तुम्हें इतना सब कुछ कैसे पता.. कौन हो तुम.. क्या करती हो? सीबीआई हो? सीआईडी? एनआईए? या रॉ??”
“हाहा.. नहीं.. मैं इन सब में से कुछ भी नहीं हूँ.... और असल में क्या हूँ..ये तुम्हें धीरे धीरे पता लग ही जाएगा.. अभी जो सबसे ज़रूरी है वह यह कि क्या तुम ऐसे लोगों का पर्दाफाश करने में मेरी मदद करोगे?”
मैं थोड़ा सोचते हुए बोला,
“मम्म.. पर तुम तो वैसे ही बहुत एक्सपर्ट हो... तुम्हें मेरी सहायता क्यों चाहिए?”
“क्योंकि मैं जो भी करुँगी या कर पाऊँगी वो सब कुछ पीठ पीछे होगा... मुझे कोई ऐसा चाहिए जो डायरेक्ट इन सबमें इन्वोल्व हो सके.....”
“तुम्हारा मतलब जो इन लोगों के साथ उठना बैठना कर सके...?? इनके साथ रह सके..?? अरे यार.. तुम तो मुझे मरवाने पर तूली हो..”
“पहले पूरी बात सुनो अभय... मैंने क्या अभी तक ऐसा कुछ किया है जिससे तुम या तुम्हारे परिवार वालों को किसी भी तरह की कोई दिक्कत या किसी तरह का कोई खतरा दिखा या आया हो ??” बहुत स्पष्टता और दृढ़ता के साथ बोली मोना |
“नहीं...” छोटा सा उत्तर दिया मैंने भी |
“तो फिर पूरा भरोसा रखो मुझ पर ...” उसने अपना हाथ मेरे हाथ पर रखते हुए कहा |
मैं क्या करता... बैचलर बंदा .. तुरंत पिघल गया |
“ठीक है.. मैं तैयार हूँ | बताओ.. क्या करना होगा मुझे?” ऐसा कहते हुए एक लम्बी सांस ली मैंने |
“गुड.. तो सुनो.. मैं... और मेरे साथ जो और जितने भी हैं... वो सभी अगले कुछ दिनों तक तुम्हें कई चीज़ों में ट्रेनिंग देंगे... तुम्हे बस इतना करना है की बगैर किसी सवाल के, वो लोग जो और जैसा सीखाएँगे तुम्हें ... तुम बस वैसे ही सीखते रहना | नो वर्ड्स... ओके?” अपने होंठों पर ऊँगली रखते हुए बोली |
मुझे उसका यह अंदाज़ बड़ा पसंद आया | डांटते हुए कुछ समझाना..!
“तो फिर चलो, आज की हमारी यह भेंट यहीं समाप्त होती है .. ओके? दो दिन बाद से तुम्हारी ट्रेनिंग शुरू होगी | कब और कहाँ आना होगा तुम्हें,
ये हम तुम्हें अपने तरीके से बता देंगे... अब, जाने से पहले... एनी क्वेश्चन?”
“नहीं, कोई क्वेश्चन तो नहीं... पर एक छोटी सी शर्त है... |”
“कैसी शर्त?”
“मैं जब से ट्रेनिंग के लिए आऊँ... जहाँ भी आना पड़े.... आप वहाँ ज़रूर होंगी... दरअसल क्या है कि, कुछ अजनबियों के बीच एक जाना पहचाना चेहरे अगर मौजूद हो... तो काम का मज़ा दुगना आता है.. और..... ”
“और.....?”
“और मन भी लगा रहता है |” मैं झेंपते हुए बोला |
सुनकर वो कहकहा लगा कर हँस पड़ी | हँसते हुए बोली,
“मुझे कहीं न कहीं आपकी किसी ऐसी बात बोलने की उम्मीद थी.... खैर, कोई बात नहीं... मैं ज़रूर रहूँगी.. दरअसल क्या है है कि, जिस इंसान पर भरोसा कर रही हूँ... उस भरोसे की कसौटी पर वह कितना खरा उतरता है .. यह ज़रूर देखना चाहूँगी.. इससे मेरा समय भी कटेगा और....”
“और.......?”
“आपको सही सही गाइड करने का भी मौका मिलेगा |” नज़रें नीचे पेपर्स की ओर करते हुए एक शरारत सी कातिलाना मुस्कान लिए बोली |
दोनों उठे.. और बाहर निकले... अभी कुछ कदम आगे चले ही थे कि, सीढ़ियों के पास अचानक से वह फ़िसली.. नीचे गिरने ही वाली थी कि.. मैंने लपक कर उसका हाथ पकड़ लिया... और ज़ोर से अपनी तरफ़ खींचा.. वह लगभग मेरे बहुत करीब आ गई.. सट ही गयी होती अगर बीच में अपनी दायीं हथेली न लायी होती | हम दोनों एक दूसरे को देखते रहे कुछ मिनटो के लिए... एक दूसरे के आँखों में.. शायद कुछ देर और देखते रहते... की तभी एक छोटा सा पत्थर नीचे सीढ़ियों पर लुड़का.. आवाज़ से हम दोनों की तन्द्रा टूटी.. होश में आये जैसे.. अलग होकर दोनों ने एक दूसरे को गुड बाय कहा |
उसने इशारे से मुझे दूसरे तरफ़ की सीढ़ियों से जाने को कहा ... | और खुद पलट कर दूसरी तरफ़ के एक दरवाज़े के पीछे हो गई | मैं नीचे उतर आया था | एक ऑटो वाला पहले से खड़ा था | साथ में एक आदमी भी | मुझे उसी से जाने को कहा | मैंने कुछ कहा या सोचा नहीं ... ऑटो में बैठ गया | मेरे बैठते ही ऑटो चल पड़ा |
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ट्रेनिंग शुरू हुई | काफ़ी सख्त ट्रेनिंग थी | रत्ती भर की भी गलती होने से काफ़ी डांटा जाता | पर मन मार कर सीखना तो था ही | इसके अलावा और तो कोई चारा भी नहीं था |
समय गुज़रता रहा | मोना हर दिन आती | मेरा हौसला बढ़ाती | ट्रेनिंग भी दिन ब दिन और टफ होता गया |
पर पूरे धैर्य और हौसले से मैं लगा रहा ट्रेनिंग पर |
चार महीने लगे ...
ट्रेनिंग खत्म होने में.... |
इन चार महीने में कई दफ़े ऐसे हुए जब मैं और मोना बहुत क्लोज आते आते रह गये | और हों भी क्यों न.. साथ में लंच, बातें, यहाँ तक की कई बार डिनर भी हमने साथ ही किया |
एक दूसरे के बारे में काफ़ी कुछ जाना भी हमने; जैसे की .... परिवार में कौन कौन हैं, पढ़ाई कहाँ तक हुई है, आगे की क्या योजना है... इत्यादि...| उसके बारे में जो पता चला, वह ये है कि उसके माँ बाप का उसके बचपन में ही देहांत हो गया था | वह अपने एक रिश्तेदार के यहाँ रह कर पली बढ़ी .. जब बढ़ी हुई तब उसे पता चला कि उसके माँ बाप की मृत्यु किसी दुर्घटना या बीमारी के वजह से नहीं बल्कि उनकी हत्या हुई थी | और उन्ही हत्यारों की खोज में वो इंडियन सीक्रेट सर्विसेस के कांटेक्ट में आई और बाद में अपनी खुद की टीम बना कर देश और समाज को गंदे लोगों के गिरफ़्त से छुड़ाने के काम में लग गई | और इसी क्रम में उसका मुझसे भेंट हुआ और अपने विश्वस्त सूत्रों से मेरे बारे में पता लगा ली |
हम दोनों इतने घुल मिल गये थे कि मैंने अपनी चाची से भी उसे मिलवा दिया था | चाची को शायद मेरा किसी हमउम्र लड़की से मेल मिलाप होना अच्छा नहीं लगा हो पर वह मेरे लिए खुश भी बहुत हुई | मोना भी बाद में चाची की तारीफ़ करने से खुद को रोक नहीं पाई और कहा था की चाची में अब भी आज की कमसीन लड़कियों को मात देने का पूरा दम है |
ट्रेनिंग ख़त्म होने के कुछ ही दिनों बाद मोना के माध्यम से खबर मिली कि शहर में पिछले काफ़ी दिनों से ड्रग्स और अवैध हथियारों की खरीद फ़रोख्त बहुत बढ़ गई है और ऐसे अवैध धंधे करने वाले अक्सर शहर के मशहूर ; पर साथ ही उतना ही बदनाम, “कैसियो बार” में जमा होते हैं ..
इस बार में बार के साथ साथ कैसिनो की भी सुविधा उपलब्ध है और शौक़ीन लोग कैसिनो में वक़्त बीताने ज़रूर आते हैं | कुछ सिर्फ़ ऐय्याशी और पैसे उड़ाने के लिए तो कुछ अपनी किस्मत आज़माकर अमीर होने के लिए |
“अभय, अब असल मैदान में उतरने का वक़्त आ गया है | ” मोना ने चिंतित पर दृढ़ स्वर में कहा |
“पता है मोना... अं..” चिंता में डूबा, सिगरेट के कश लेता हुआ दूर कहीं देखता हुआ मैं बोला |
“किस सोच में डूबे हो?” मेरी ओर देखते हुए पूछी मोना |
“आगे की योजना के बारे में ... हालाँकि तुम सब समझा चुकी हो... फिर भी....”
“फिर भी क्या अभय...??” इस बार मोना के होंठ के साथ स्वर भी कंपकंपाए |
“योजना के सफल होने के अधिकतम सम्भावना के बारे में सोच रहा था |”
“ऐसा क्यों... क्या तुम्हें मेरी योजना पर भरोसा नहीं?” सशंकित लहजे में मोना ने पूछा |
“ऐसी बात नहीं है मोना... दरअसल, मेरी यह आदत ही है की जब तक काम पूरा न हो जाए ... मैं उस काम के बारे में सोचना बंद नहीं करता... यों समझो की सोचना बंद नहीं कर पाता |”
“ह्म्म्म... सच कहूं तो मैं भी ऐसा ही कुछ मन ही मन कर रही थी |”
“वो क्या?”
“मेरी बस एक ही चिंता है अभय...” मोना का गला थोड़ा भर्राया |
“वह क्या?”
एक लम्बी सांस छोड़ कर दूर क्षितिज की ओर देखते हुए, मेरे कंधे पर सर टिकाते हुए बोली,
“मैं तुम्हे खोना नहीं चाहती अभय... ” हलकी रुलाई फूट ही पड़ी आखिर उसकी |
उसे चुप कराने की व्यर्थ कोशिश करता हुआ मैं बोला,
“हम दोनों को कुछ नहीं होगा मोना.. रिलेक्स... माना की हम जिस रास्ते पर आगे बढ़ रहे है वहां खतरा ही खतरा है पर उस रास्ते पर चलना तो आखिर है ही हमें... अब जब कदम आगे बढ़ा ही दिया तो फिर सोच कर क्या फ़ायदा?”
मोना कुछ नहीं बोली... बस मेरे कंधे से अपना सिर टिकाए रही... चुप...निस्तब्द... खुद को रोने से रोकने की कोशिश करते हुई...
उसे दिलासा तो मैंने दे दिया पर मैं खुद आशंकाओं से घिरा हुआ था ....
और सबसे बड़ी चिंता मुझे मोना को ले कर भी थी ...
पता नहीं आखिर मैं कुछ दिनों से उस पर भरोसा नहीं कर पा रहा हूँ... हालाँकि ऐसा होने की कोई पुख्ता वजह नहीं है पर ... फिर भी... मैं इस बात को कतई नज़रअंदाज़ नहीं कर सकता कि ये लड़की लोमड़ी से भी ज़्यादा तेज़ दिमाग वाली है ...
कुछ तो ऐसा है जो मुझे नज़र नहीं आ रहा.. समझ नहीं आ रहा ...
बट आई ऍम श्यौर .... एवरीथिंग इज नॉट राईट...
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