RE: Gandi kahani कविता भार्गव की अजीब दास्ताँ
राहुल : देखो, तुम्हे गलत फेमी हो गयी हैं! रेनू ऐसा नहीं करसकती! उसे पास पहले से ही बहुत है!
ज्योति : अरे इस नाइटी में जो बात हैं! वोह कुछ अलग ही हैं जान!
राहुल : (उसकी गैल को चुमके) हाँ जान! कैसे मैं भला भूल सकती हूँ! यह तो सुहागरात में तुम्हे गिफ्ट की थी मैंने
ज्योति : (मदहोश होती हुई)) उम्म्म! हैं और मुझे अपने सामने नंगा करके पहनवाया था आपने! बेशर्म कहीं के!
राहुल : उम्म्म्म (फिर गालों को एक एक करके चूमता हुआ) हां जान! और सच कहूँ तो आज भी तुम्हे नंगा देखने का जी कर रहा हैं!
ज्योति : नालायक कुत्ते हो तुम!
राहुल का लुंड ऐसे गली गग गलोच शब्द से उठने लगा l ज्योति की मुँह से ऐसी शब्द उसे उकसाया करता था l
राहुल : उफ्फ्फ्फ़ ज्योति बेबी! ऐसे शब्द का इस्तेमाल मत किया करो यार! मुझे कुछ कुछ होने लगता हैं
ज्योति (बड़ी ऐडा के साथ) ओहो! तो तुम उत्तेजित हो जाते हो ऐसे शब्द से! मेरे हरामी पतिदेव कहीं के (होंठों को कान्त के) छोड़ू पतिदेव प्यारे!
ज्योति : और कुछ सुन्ना हैं?
पर हाल तो राहुल का यह था के वोह पूरा नंगा होके बस कच्चा पहने अपने लंड को मसलने में व्यस्त था
ज्योति को कुछ शरदः सूझी एक कातिलाना मुस्कान लिए वोह मीठी मीठी टार्चर देने लगी अपनी पति को l
ज्योति : बीटा!!! ऐसे नहीं करते मेरा बच्चा! सुसु की जगह हाथ नही देते!!!!
बस! और क्या होना था! राहुल का लुंड ऐसा खड़ा हुआ के बैठने का नाम ही नहीं, मानो और ज़ोर से कच्चे में मसलने लगा बेचारा ज्योति अपनी पति की बेचैनी देखके खिलखिलाने लगी l
दोनों को रोलप्ले में बहुत पहले से ही मज़ा आते थे l लेकिन बीटा शब्द सुनके राहुल कुछ ज़्यादा ही उत्तेजित हो रहा था
ज्योति :अले...ले बीटा! ऐसा नहीं करते! मां नाराज हो जाएगी!
राहुल से रहा नहीं गया और सीधे अपने बीवी पर टूट पारा! ज्योति भी पागलों की तरह साथ दे रही थी अपने पति के और बिस्तर के स्प्रिंग यूँही हिलते गए l
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एक दिन यूँ आया के रेखा और कविता एक पिकनिक मनाने का प्लान करते हैं क्योंकि अजय और राहुल के प्रमोशन साथ साथ होजाते हैं l दोनों माँ और बीवियां एक साथ खुश होक फूले नहीं समां पाते हैं और पिकनिक के लिए सब राज़ी हो जाते हैं l
मनीषा : मम्मीजी! इस बार गोवा तो बनता हैं!
कविता : अरे न बाबा! वहां का माहौल मुझे मालूम है कैसा होगा! नहीं नहीं! कहीं और चलेंगे!
अजय : उम्म्म्म अच्छा ठीक हैं खंडाला कैसा रहेगा?
मनीषा : क्या??? खंडाला??? उफ़ पागल कहींके, यह भी कोई जगह है?
कविता : वाह बेटा! तूने तो मेरे मुँह की बात छीन ली! आखिर खंडाला वोह जगह हैं जहां मैं और तेरे पप्पा हनीमून मनाने गए थे l
यह कहके कविता की चेहरा लाल हो जाता हैं और जिस्म में कुछ हलचल होने लगती हैं l लेकिन खंडाला के नाम से खुश भी बहुत हो गयी थी l उसका चेहरा खिल उठा l माँ के भाव देखके अजय भी खुश हो गया, अब तो जल्द से जल्द रेखा और राहुल को भी राज़ी करना था उसे l
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