RE: Antarvasna चुदने को बेताब पड़ोसन
मैं भी देर ना करते हुए उनकी टांगों के बीच में आ गया और अपना लण्ड उनकी चूत में लगाने लगा। मेरा लौड़ा बार-बार चूत के छेद से फिसल रहा था।
उन्होंने लण्ड हाथ से पकड़कर चूत के मुहाने पर रखा और कहा- “अब धक्का लगाओ...”
मैंने एक जोर का धक्का लगाया तो उनके मुँह से एक चीख निकल गई। मैंने तुरंत अपने होंठ उनके होठों पर रख दिए और थोड़ी देर वैसे ही पड़ा रहा और उनकी चूचियां मसलने लगा। थोड़ी देर बाद मैंने होंठ हटाए और पूछा- “चिल्लाई क्यों?"
भाभी बोली- “तुम्हारे भैया ने मुझे अपने काम के चक्कर में तीन महीनों से नहीं चोदा है और तुम्हारा उनसे लम्बा और मोटा है। इसलिए दो बच्चों की माँ होने पर भी तुमने मेरी चीख निकाल दी..."
मैं- बोलो, अब क्या करना है?
भाभी- अब धीरे-धीरे धक्के लगाओ।
थोड़ी देर में मुझे भी और भाभी को भी मजा आने लगा। मैंने स्पीड बढ़ा दी।
भाभी- “आह्ह... आह... ओह... ओह... आह... और जोर से राज आह्ह... और जोर से ओह्ह... मैं कब से तड़फ रही थी राज। आज मेरी सारी प्यास बुझा दो राज... बहुत मजा आ रहा है... राज, फाड़ दो मेरी चूत आज
ओह... बहुत सताया है इसने मुझे... आज इसकी सारी गर्मी निकाल दो राज। चोदो... और जोर से आह्ह... आहह..." उनके चूतड़ों का उछल-उछलकर लण्ड को निगलना देखते ही बनता था।
मैं- मेरा भी वही हाल था भाभी। जब से तुम्हें देखा है, रोज तुम्हारे नाम की मुठ मारता था।
भाभी- “अब कभी मत मारना। जब भी मन करे, मुझे बता देना। पर अभी और जोर से राज... रगड़ दो मुझे...
आहह...”
छत पर हमारी तेज-तेज आवाजें गूजने लगीं। पर सर्दी की रात होने के कारण डर नहीं था और हम दोनों एकदूसरे को रौंदने लगे। मैं पूरी ताकत से धक्के लगा रहा था और भाभी नीचे से गाण्ड उठा-उठाकर मेरा पूरा साथ दे रही थी।
थोड़ी देर बाद भाभी अकड़ते हुए बोली- “मेरा होने वाला है। तुम जरा जल्दी करो...”
कुछ धक्कों के बाद मैंने भी कहा- “मेरा भी निकलने वाला है...”
भाभी बोली- अन्दर मत गिराना। मेरे मुँह में गिराओ। मैं तुम्हारी जवानी का रस पीना चाहती हूँ।
मैंने फटाफट अपना हथियार निकालकर उनके मुँह में डाल दिया। लौड़े से दो-चार धक्के उनके मुँह में मारने के बाद लण्ड ने पिचकारी छोड़ दी। भाभी ने मेरा सारा रस निचोड़ लिया और लण्ड को चाटकर अच्छे से साफ भी कर दिया।
हम दोनों बहुत थक गए थे।
थोड़ी देर सुस्ताने के बाद भाभी बोली- “राज, तुमने मुझे आज बहुत मजा दिया। इसके लिए मैं कब से तड़प रही थी। मेरे पति जब भी आते हैं थक-हारकर सो जाते हैं और मेरी तरफ देखते भी नहीं। मेरी 18 साल में शादी हो गई थी और जल्दी ही दो बच्चे भी हो गए। पर अभी तो मैं पूरी जवानी में आई हैं। उन्हें मेरी कोई फिक्र ही नहीं है। राज तुम इसी तरह मेरा साथ देना...”
मैं- ठीक है भाभी, चलो एक राउण्ड और हो जाए। अभी मन नहीं भरा।
भाभी- अरे नहीं, अभी और नहीं, अब तो मैं सिर्फ तुम्हारी हूँ। अभी तो खेल शुरू हुआ है, सब्र रखो, सब्र का फल मीठा होता है।
मैंने हँसते हुए कहा- “हाँ... वो तो मैंने चख कर देख लिया। बहुत मीठा था। हाहाहा...”
भाभी- चलो अब जल्दी नीचे चलो। कहीं बच्चे जाग ना जाएं। नहीं तो बहुत गड़बड़ हो जाएगी। बाकी कल का पक्का वादा।
मैं- अच्छा चलो एक चुम्मा तो दे दो।
भाभी ने जल्दी से होठों पर एक चुम्मा दिया। मैंने तुरंत उनके मम्में दबा दिए। भाभी ने एक प्यारी सी 'आह' निकाली और कल मिलने का वादा करके अपने कमरे में भाग गईं।
भाभी को मैंने लगातार छः माह तक खूब चोदा।।
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