RE: Indian Porn Kahani शरीफ़ या कमीना
मम्मी का मूड अब कुछ-कुछ सही होने लगा था और पापा उनको समझाते हुए बोले।
पापा: मालती अब इस सब बातों पर ज्यादा ध्यान मत दो भई। बेटी की शादी हो जाने के बाद बेटी को उसके दामाद के हिसाब से
रंग जाने का मौका दो। अब अगर दीपू को ऐसी ही तनु पसंद है तो हम क्यों आपत्ति होनी चाहिए। अब तो दोनों एक-दूसरे के
साथ खुश रहें, बस यही हमारी इच्छा होनी चाहिए।
मम्मी: हाँ, आप ठीक कह रहे हैं... फ़िर भी, क्या ऐसी फ़ोटो उसको इस तरह हमारे पास भेजनी चाहिए? समधी-समधिन जी के
पास भी यही सब फ़ोटो भेजा होगा उन्होंने तो, सोच कर देखो...? फ़िर उस घर में एक कुँवारी बेटी भी है, बब्ली...।
पापा: यह बात भी ठीक है.... पर छोड़ो न उस घर की बात, वहाँ क्या भेजें या ना भेजें यह सब दीपू का काम है, न कि मेरी तनु
का। बब्ली उनलोगों की जवाबदेही है, न कि हमारी।
मम्मी को बब्ली का जिक्र आने के साथ थोडा बेहतर लगा, क्योंकि तब उनको लगा कि उनका समधियाना उनसे ज्यादा पेशोपेश में पड़ा होगा, अगर वो लोग भी यही सब फ़ोटो देख रहे होंगे। हरेक को अपने दुःख कम लगने लगता है अगर सामने वाला का दुःख अपने दुःख से बड़ा दिखे। हालाँकि मुझे कोई फ़र्क नहीं पड रहा था, मुझे पता था कि तनु हो या बब्ली.... दोनों को अब ऐसी फ़ोटो से कोई खास फ़र्क नहीं पडने वाला। वो दोनों ही लड़कियाँ हम तीनों लडकों के साथ चुदाई कर चुकी हैं और वो भी बेहिचक, एक-दूसरे की उपस्थिति में। वैसे मेरे बोलने को कुछ था नहीं अपने मम्मी-पापा के बीच में, सो मैं चुपचाप चाय की चुस्की लेता रहा और सोचता रहा कि विडियो में क्या सब है। थोडी देर में चाय खत्म होने के बाद मम्मी कप वगैरह समेट यह कह कर चली गई कि अब मैं नास्ता बनाने जा रही हूँ. आप दोनों नहा-धो कर तैयार हो जाइए। उनके जाने के बाद मैंने पापा के साथ एक रिस्क लिया।
मैं: पापा... तनु जो दो विडियो भेजी है, वो भी डाऊनलोड हो गया है। देखना है क्या?
पापा: हाँ... हाँ... क्यों नहीं? अभी ही चला लो, मम्मी भी अब किचेन में ही है। कहीं कुछ ऐसा-वैसा देख लेगी अगर विडियो में तो
फ़िर से हंगामा खडा कर देगी।
मैं: अब क्या ऐसा-वैसा.... तनु समझदार है, जो भेजी होगी, देख-समझ कर भेजी होगी।
यह कहते हुए मैंने पहली क्लीप चला दी। यह क्लीप उनके बीच वाले रिसार्ट की थी। लोग घूम-टहल रहे थे, रंग-बिरंगी तितलियाँ... उससे भी ज्यादा रंग-बिरंगी बिकनी में खिलखिलाती। उनके साथी उन्हें कहीं गोद में ले कर चुम रहे थे तो कहीं उनकी मालिश कर रहे थे, कुछ अधनंगे तो कुछ पूरे नंगे। मुझे थोडा असहज लग रहा था कि मैं यह सब पापा के साथ देख रहा हूँ और पापा को भी शायद, तभी वो बोले।
पापा: वैसे अगर कहा जाए तो तनु को यह सब ऐसा नहीं भेजना चाहिए था। थोड़ा ओवर है.... नहीं?
मैं: जी पापा..... पर शायद माहौल का असर हो...
पापा: हाँ.... हो सकता है। वैसे भी जैसा देश, वैसा भेष। अब जब सब यहाँ ऐसे हीं है तो बेचारी साड़ी थोडे ना पहनेगी बीच पर।
मैं: जी पापा। वैसे तनु ने जो भी फ़ोटो भेजा है, इतना ख्याल रखा है कि उसका कोई भी प्राईवेट पार्ट किसी फ़ोटो में ना दिखा जरा
भी, वर्ना यहाँ का माहौल तो दिख ही रहा है कि कैसा है। (तब विडियो में एक जोडा की चुदाई दिखी, पर जरा सा पाँच-सात
सेकेन्ड के लिए।)
पापा: हाँ.... फ़िर भी बाकी के लिए नहीं पर, लास्ट फ़ोटो तो... यार-दोस्तों के लिए ठीक है, पर अपने माँ-बाप-भाई को भेजने
लायक नहीं था। वो थोड़ा ज्यादा ही खुला हुआ था और कुछ सोचने के लिए बाकी ही नहीं था।
मैं: अच्छा छोडिए, अब जो भेज दी... सो भेज दी। हनीमून पर गये हैं तो यही सब न करेंगे वहाँ।
पापा: बदमाश...... तनु तुम्हारी छोटी बहन है।
उन्होंने "छोटी" पर जोर देकर कहा था और मैंने भी उसी फ़्लो में कह दिया।
मैं: अगर "बडी" बहन होती तब यह सब भेजना उसका ठीक हो जाता?
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