RE: Indian Porn Kahani शरीफ़ या कमीना
चाची आगे बोली, "असल दर्द तो होता है बच्चा पैदा करने में। इसीलिए कह रही हूँ कि दो-तीन साल जम कर भीतर लेना खूब मन से, जिससे कि तुम्हारी छेद आराम से खुल सके और तब बच्चे पैदा करने के बारे में सोचना" तनु अब बोली, "हाँ चाची सच में, कैसे कोई बच्चा इत्ती छोटी सी छेद से बाहर आ जाता है पेट में से..."। चाची की अब शरारती आवाज आई, "छोटी सी.... बन्नो इस छेद को इत्ती कमजोर मत समझो। एक बार जहाँ लेटी मर्द के नीचे... कि तुम भी अगले दिन दो-दो गधों का भीतर डलवा लोगी। देखी हो कभी गधे का?" तनु की आवाज ने मुहे चौका दिया, "हाँ... स्कूल के पास ही धोबी सब का घर है, वहाँ देखी हूँ। चाची कित्ता बडा हो जाता है और मोटा सा। एकदम जमीन तक जैसे सटने लगता है जब बाहर निकलता है।" चाची अब चहकी, "वाह रे मेरी बन्नो... तू तो बडी छुपी रुस्तम निकली। आने दो दीदी को, सब बताती हूँ कि आपकी लाडली बेटी स्कूल जाने के बजाए पास के धोबी-घाट पर गधे का लटका हुआ औजार देखती है आजकल। अच्छा हुआ कि उसकी शादी तय कर दी, नहीं तो पता नहीं कब किसी गधे को अपने ऊपर चढा लेती..."। दोनों की हँसी एकबार फ़िर से कमरे में गुँज गयी। मैंने अब हिम्मत करके बाहर झाँका तो देखा कि चाची तनु की नाईटी ऊपर उठा कर उसके पीठ पर तेल मल रही है। तनु भी नाईटी को ऊपर पकड कर आगे झुकी हुई सी है। मुझे आज पहली बार अपनी जवान बहन की नंगी पीठ, कमर और गोल-गोल चुतड़ों का दीदार हुआ। मैं अब अपनी नजर बाहर के दृश्य पर टिकाये हुए था का पता मुझे उसके बदन का सामने का हिस्सा भी नंगा दिख जाए। मेरा लन्ड अब पूरी तरह से मेरे पैन्ट के भीतर फ़नफ़नाया हुआ था और मुझे पता था कि जल्द ही उसमें विस्फ़ोट हो जाएगा। पर उस समय मुझे निराशा ही हाथ लगी। सामने में शायद तेल मालिश पहले ही हो चुका था। बस उसकी दाहिने चुची की गुलाबी निप्पल की एक झलक मुझे मिल पाई और तनु ने नाईटी नीचे गिरा कर कहा, "अच्छा चाची, अब जरा नहा कर आती हूँ फ़िर बात करते हैं"। चाची अब बोली, "ठीक है... देख लो अब तुम मेरी, दो बच्चों को पैदा करने के बाद कैसी खुल गयी है... कहते हुए उन्होंने अपनी साड़ी ऊपर कमर तक उठा दी और सामने कुर्सी पर बैठ कर अपने जाँघों को फ़ैला दिया। चाची की चूत थोडा काली जैसी दिखी, मोटे-मोटे होठ और बाहर की तरफ़ हल्का सा लटका हुआ भीतरी होठ। एकदम साफ़, चिकनी चूत थी और जब वो अपने हाथ से अपनी चूत खोली को पूरा तीन इंच का छेद नजर आया और भीतर का गुलाबी हिस्सा पनिआया हुआ अब चमक रहा था।"। तनु बोली, "मेरी भी किसी दिन ऐसी ही हो जाएगी, है न चाची?" चाची बोली, "अरे तुम औपरेशन से बच्चे पैदा करना, काहे को फ़ोकट में दर्द भी सहोगी और बूर का भोंसड़ा बनवाओगी। लडकी की चूत जितना कसा रहे उसका मर्द उसको उतना ही प्यार करता है।" तनु अब तक पूरा खुल गयी थी चाची से सो वो बोली, "उसका मर्द ही क्यों... बाकि सब मर्द भी तो प्यार करते है"। चाची अब उसके पीठ पर एक प्यार भरी धौल जमाते हुए बोली, "अच्छा जी.... फ़िर तो तुम चढ़वाना अब अपने सब आशिक को अपने ऊपर... बस बच्चे अपने भतार का ही पैदा करना, कोई हरामी मत पैदा कर देना.... ऐसे भी दुनिया में हरामी लोग बहुत ज्यादा हो गये हैं अब"। तनु अब सही में शर्मा गयी जब चाची अपने रंग में आयी और फ़िर अपना कपडा ले कर बाथरूम की तरफ़ भाग गयी और चाची भी सीढ़ी से छत की तरफ़ चली गयी।
मैं अब जल्दी से किचेन के बाहर निकल कर अपने कमरे में भागा और अगले ही पल मेरा लन्ड मेरे हाथ में था। मैं अब अपनी बहन की नंगी चुतड और उसके गाँड़ का छेद देख चुका था। आज तक मैं जिस बदन की कल्पना करके मूटः मारता रहा था, अब उसके साक्षात नंगे के बाद पता चला कि वह बदन कल्पना से ज्यादा सेक्सी है। मैं तनु के बदन और उसके और चाची के बात-चीत को याद करते हुए अपने बहन के नाम की मूठ मारने लगा था। उस दिन सब होश गुम हो गया था और मेरा लन्ड मेरे हाथ में ही उछल-उछल कर पिचकारी छोडने लगा, और मेरी नजर सामने दीवार पर लगी तनु की फ़ोटो पर गडी हुई थी। वो तो मुझे झडने के बाद याद आया कि आज तो मुझे चाची की खुली हुई चूत भी दिखी है, नशीली सी पनिआयी हुई.... और मुझे उस चूत की कल्पना में झड़ना चाहिए था, पर तनु की जवानी का नशा शायद कुछ ज्यादा ही चढ गया था मुझ पर। अब मैं बब्लू से भी ज्यादा अपने बहन की सुहागरात को देखने के लिए बेचैन हो गया था। मुहे अब पता था कि मेरी बहन आज तक कोरी कच्ची कली है जो सही तरीके से अपने बूर में ऊँगली भी नहीं की है ज्यादा। मेरे दिमाग में उसके मुँह से निकलने वाली उस चीख की बात घूमने लगी थी जो उसके मुँह से तब निकलने वाली थी जब वो पहली बार अपने सुहागरात को चुदवाते हुए निकालने वाली थी। मुझे पता था कि तनु कैसी डरपोक है। मैं कमरे से बाहर आया, घर पर मम्मी-पापा भी आ गये थे बाजार से गहने आ गये थे और सब लोग अब एक ही कमरे में बैठ कर सब चीजों को देख रहे थे। तनु तुरंत की नहाई हुई तरो-ताजा दिख रही थी।
ब्युटी-पार्लर से आने के बाद अब सच में उसका रूप निखर गया था। उस पर भी अब जवानी का नशा आ गया था, और एक नई दुल्हन के दिल की हुदहुदी ने उसके बदन पर एक अलग सी सेक्सी चमक ला दी थी। एक नयी चीज जो मैंने नोटिस की वो यह कि आज तनु पहली बार एक टी-शर्ट पहनी थी एक स्कर्ट के साथ। चाची, मम्मी और पापा के साथ हम भाई-बहन भी गहनों को देख रहे थे और तभी माँ ने एक पैकेट निकाला और तनु को देते हुए कहा, "लो यह रख लो तीन सेट है, एक शादी वाले दिन पहन लेना और दो को साथ में ले जाना अपने ससुराल"। पापा जी भी अपने जेब से एक रसीद निकाले और तनु को देते हुए बोले, "हाँ बेटी लो यह रख लो, और अपने कमरे में जाकर साइज देख लो, अगर पसन्द ना हो तो आज शाम को आठ बजे के बाद जाकर बदल लेना, दुकान नौ बजे तक हुली रहती है.. दुकानवाले को कहा हुआ भी है।" मैंने बिना कुछ सोचे उत्सुकता वश पूछा, "क्या है मम्मी उसमें?" मेरी मम्मी ने चट से मुझे डाँटा, "सब तुम्हें जानने की क्या जरुरत है?" मैं सकपका गया और बोला, "अब वापस करने आठ बजे तो तनु जाएगी नहीं, मुझे ही जाना होगा ना... फ़िर मैंने पूछ ही लिया तो क्या गलत हो गया?", मेरा मूड खराब हो गया था। तभी चाची ने बात संभाली और तनु के हाथ से पैकेट लेकर भीतर से तीनों डब्बे निकाल कर मुझे दिखाते हुए कहा, "अरे राज बेटा, यह तनु के लिए अंडर्गारमेन्ट का सेट है, तुम क्या करोगे यह सब देख कर।" अब शर्माने की बारी मेरी थी और तनु की नजर भी इस तरह से उसके अंदरूनी कपड़ों की चर्चा पर झुक गयी थी। चाची ने डिब्बों को उलट-पलट कर देखा और कहा, "साइज तो ठीक लग रहा है M है तो" फ़िर तनु को देते हुए बोली, "लो तनु देख लो, अगर बदलना हो तो आज ही बदल लेना कल दिन भर पूजा-वगैरह में समय लगेगा और तुमको अब आज के बाद फ़िर बाहर नहीं जाना है, इसीलिए आज ही पार्लर भेजी थी।" तनु शर्माते हुए डिब्बों को अपने हाथ में लेकर चाची से बोली, "आप भी आइए न चाची।" मेरी माँ ने भी चाची को इशारा किया और दोनों अब तनु के कमरे की तरफ़ चल पड़ी। मम्मी ने अब मुझे कहा, "अब बेटा तुम यह सब समेटो और आलमारी में बन्द करके चाभी पापा को दे दो।"
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