RE: Maa Sex Kahani चुदासी माँ और गान्डू भाई
माँ मेरा मतलब समझ गई और बिस्तर पर आ गई। माँ ने मेरी छाती के दोनों ओर अपने घुटने टेक लिए और घुटनों को जितना फैला सकती थी फैला ली। मैंने भी अपने घुटने मोड़ लिए और पीछे माँ के पीठ टिकने के लिए उनका सपोर्ट बना दिया। माँ ने उनपर अपनी पीठ टिका दी और चूत मेरी ओर आगे सरकाते हुए अपने दोनों । हाथों से जितना चिदोर सकती थी उतनी चिदोर दी। माँ की चूत का लाल छेद पूरा फैला हुआ मुझे आमंत्रण दे रहा था। माँ की चूत से विदेशी सेंट की मीठी खुश्बू आ रही थी।
राधा- “लो मेरे साजन तेरी सेवा में मेरा सबसे खाश और प्राइवेट अंग पेश है, इसे ठीक से अंदर तक देखो। भीतर झाँक के देखो, इसकी ललाई देखो, इसकी चिकनाहट देखो। अपनी रानी की इस सबसे प्यारी डिश का चटखारे लेलेकर स्वाद लो...” माँ ने खनकती और थरथरती आवाज में कहा।
मैं पागल हो उठा। मैंने अपने दोनों होंठ लगभग माँ की खुली चूत के छेद में ठूस दिए। माँ के लसलसे छेद में मैंने 2-3 बार अपने होंठ घुमाए और फिर जीभ निकालकर माँ की चूत की अंदरूनी दीवारों पर फिराने लगा। माँ की चूत का अंदरूनी भाग लसलसा और हल्का नमकीन था।
चूत की नेचुरल खुश्बू विदेशी सेंट से मिली हुई बहुत ही मादक थी। मैं माँ की चूत पर मुँह दबाकर चूत को बेतहाशा चाटे जा रहा था। मेरी जीभ की नोक किसी कड़ी गुठलीनुमा चीज से टकरा रही थी। जब भी मैं उसपर जीभ फिराता माँ के शरीर में कंपन अनुभव होता। तभी माँ ने उठकर ठीक मेरे चेहरे पर आसन जमा लिया और जोर-जोर से मेरे चेहरे पर अपनी चूत दबाने लगी। मैंने माँ के फूले चूतड़ों पर अपनी मुठियां कस ली और माँ की चूत में गहराई तक जीभ घुसाकर मेरी मस्त माँ की चूत का स्वाद लेने लगा।
थोड़ी देर बाद मैं बिस्तर से खड़ा हो गया और एक-एक करके अपने कपड़े खोलने लगा। कुछ ही पल में मैं भी माँ की तरह पूरा जन्मजात नंगा था। माँ बिस्तर पर बैठी थी। मेरा 11 इंच का लण्ड लोहे की रोड की तरह तनकर खड़ा था। बड़ा सा गुलाबी रंग का सुपाड़ा एकदम चिकना था। मैंने एक पैर माँ के बगल में बिस्तर पर रखा और अपना लण्ड हाथ से पकड़कर माँ के चेहरे से टकराने लगा। माँ ने हाथ बढ़ाकर मेरे लण्ड को मुट्ठी में ले लिया, लण्ड के सुपाड़े को माँ अपने होंठों पर फिराने लगी, दूसरे हाथ से मेरे अंडकोषों को मसल रही थी।
राधा- “वाह... क्या शानदार शाही लण्ड है। ऐसे लण्ड पर तो मैं बलि बलि जाऊँ। आज से तो मैं तेरे लण्ड की कनीज हो गई। अब और मत तड़पाओ, इस मस्ताने लण्ड से मेरी प्यासी चूत की प्यास बुझा दो। इस लण्ड को मेरी चूत में पूरा उतार दो मेरे साजन, मेरी योनि का अपने विशाल लण्ड से मंथन करो। अपनी तड़पती माँ की जवानी को खुलकर भौगो। अपने लिंग के रस से मेरी योनि को सींच दो। आओ मेरे प्यारे आओ। मेरे ऊपर आ जाओ और मेरी खुशी-खुशी लो। मैं तुम्हें देने के लिए बहुत आतुर हूँ...” माँ तड़प-तड़प कह रही थी।
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