RE: Maa Sex Kahani चुदासी माँ और गान्डू भाई
राधा- “तुम हुए और कौन हुआ और सुहाग होने का पूरा अधिकार जमा तो रहे हो। मन तो सदा से ही तुमको दिया हुआ था। धन की कोई बात ही नहीं, जो मेरा था वो सदा ही तुम्हारा था। जो तन बचा था उसको भी मुझे अपनी सुहागन बनाकर अधिकारी बन गये। इतने से मन नहीं भरा तो और कुछ भी चाहिए क्या?” माँ ने शरारत भरे अंदाज में कहा।
विजय- “अभी तो शुरुआत हुई है। देखती जाओ आज मैं तुझे कैसा निर्मल आनंद देता हूँ। मुझे पता है की पिछले 15 साल से तुम तड़प रही थी। तुम्हारी जवानी और तमन्नाएं सोई पड़ी थीं, लेकिन अब वे पूरी तरह सा जाग गई हैं। तुम्हारी जवानी का कुँवा जो सूख चुका था वापस लबालब भर गया है। अब उस जवानी के कुँवें से मैं । मेरी प्यास खुलकर बुझाऊँगा। समझ रही हो ना मैं किस कुँवें की बात कर रहा हूँ..” अब मैं तो बेशर्मी पर उतार गया पर देखना चाहता था की माँ इस बेशर्मी में कहाँ तक साथ निभाती है?
राधा- “सब समझती हूँ। तुम मेरी दोनों टाँगों के बीच में उभरे हुए टील्ले के बीचो-बीच खुदे कॅवें की बात कर रहे हो। लेकिन ध्यान रखना उस कॅवें के चारों ओर फिसलन भरी खाई भी है, और आजकल वहाँ झाड़ झंखाड़ भी। बहुत उगा हुआ है, कहीं उलझ कर कुँवें में मत गिर जाना। दूसरी बात कुँवा बहुत गहरा है, पानी तक पहुँचना आसान नहीं..."
माँ की यह बात सुनकर एक बार तो मैं हकबका गया की यह तो शेर पर पूरी सवा शेर निकली। पर मन ही मन बहुत खुश था। मैंने सोचा भी नहीं था की सब कुछ इतनी जल्दी इतने मनचाहे ढंग से हो जाएगा। मैं आनंद के सातवें आसमान पर था।
विजय- “ऐसे कॅवें का पानी तो मैं जरूर पियूँगा। चिंता मत करो मेरे पास लंबा मोटा और मजबूत रस्सा है और बड़ा सा टाप भी है, तेरे कॅवें का सारा पानी खींच लेगा। ठीक से समझ रही हो ना?” मैंने कहा।
राधा- “तुम मेरी दोनों टाँगों के बीच वाले कुँवें में अपनी दोनों टाँगों के बीच में लटके मोटे और लंबे रस्से के। आगे अंडे जैसा टोपा बाँधकर उतारोगे और मेरे कुँवें को उस टोपे से ठीक से झकझोर के मेरे कुँवें के रसीले पानी से अपनी प्यास बुझाओगे..." माँ ने नहले पर दहला मारा।।
विजय- “हाय मेरी राधा रानी उसे डंडा नहीं लण्ड बोलो। पूरा 11 इंच लंबा और 4 इंच मोटा है। एकदम सिंगापुरी केले जैसा। एक बार देखोगी तो मस्त हो जाओगी..” यह कहकर मैंने माँ के होंठों को वापस मुँह में ले लिया और माँ के मुँह में अपनी लंबी जुबान डाल दी। यह चुंबन काफी लंबा चला।
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