RE: Maa Sex Kahani चुदासी माँ और गान्डू भाई
विजय- “मजा आ गया ना? देखा, अशोक कुमार जैसा बुड्ढा रेखा जैसी जवान लड़की को कैसे अपनी गर्लफ्रेंड बनाता है। माँ तुम भी मेरी गर्लफ्रेंड बन जाओ...”
राधा- “तुम मेरा बायफ्रेंड बन जाओ तो मैं अपने आप तुम्हारी गर्लफ्रेंड हो गई..”
विजय- “यह हुई ना बात। अब मजा आएगा...” यह कहकर मैंने माँ को अपनी बाँहों में जकड़ लिया और उसके
गाल को चूसते हुए पप्पी ले ली।
माँ- “लो हामी भरने की देर थी और तुम शुरू हो गये। मैं तो बस उस रेखा जैसी ही तुम्हारी गर्लफ्रेंड बनूंगी...”
विजय- “पर माँ सोचो कहाँ उसका अशोक कुमार जैसा 70 साल का बुड्ढा बायफ्रेंड और कहाँ तुम्हारा 28 साल का गबरू जवान मस्त बायफ्रेंड। उसके निर्मल आनंद लेने में और मेरे निर्मल आनंद लेने में कुछ तो फर्क होगा ना? पर असली बात है निर्मल आनंद लेना। ऐसा स्वच्छ और निसंकोच आनंद जो दोनों को बराबर मिले..” मेरी बात सुनकर माँ मंद-मंद मुश्कुरा रही थी और मैं माँ के मुश्कुराते होंठों पर अंगुली फेरने लगा।
राधा- “पिक्चर की यह निर्मल आनंद वाली बात तूने अच्छी पकड़ी। तो अब माँ को अपनी गर्लफ्रेंड बनाकर तू उससे निर्मल आनंद लेगा। पर ध्यान रखना मैं पिक्चर जैसे निर्मल आनंद की बात कर रही हूँ..”
विजय- “अब तो तुम मेरी गर्लफ्रेंड बन गई हो तो कल चलें उस पार्क की सैर करने, जहाँ लोग अपनी गर्लफ्रेंड केसाथ निर्मल आनंद लेते हैं...” मैंने माँ की आँखों में देखते शरारत भरे अंदाज में कहा।
माँ- “ना बाबा नहीं लेना मुझे ऐसा निर्मल आनंद? बेशर्म लोग कहीं के छिप-छिपी ही करनी है तो घर में जाकर करे, वहाँ पार्क में सबके सामने। तुम मुझे माडर्न बनाने के चक्कर में धीरे-धीरे पीछे ला रहे हो। पहले तो विधवा से मुझे वापस सुहागन साबित कर दिया। अब सुहागन से गर्ल यानी की कुंवारी लड़की बना दिया। आगे जहाँ से आई वहीं वापस मत भेज देना..."
विजय- “अरे माँ नहीं। तुम चाहोगी तो अब हम यहाँ से वापस आगे की ओर बढ़ने लगेंगे। विधवा से वापस सुहागन बनने में सोच नेगेटिव रहती है, जबकी कुंवारी लड़की जब सुहागन बनती है तो उसकी सोच पाजिटिव होती है...” मैंने माँ को इशारों-इशारों में संकेत दे दिया की मैं तुम्हें अपनी सुहागन बनाना चाहता हूँ।
राधा- “तो इसका मतलब की अब गर्लफ्रेंड का किस्सा खतम और वापस सुहागन माँ चाहिए तुम्हें?”
विजय- “हाँ, अब से तुम बिल्कुल एक सुहागन की तरह सज-धज के रहो, शृंगार करो, मन से सारी नेगेटिव बातें निकाल दो और एक गर्ल की तरह बेबाक बेफिकार जिंदगी जियो और निर्मल आनंद लो..” यह कहकर मैंने माँ के गाल का चुम्मा ले लिया।
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