RE: Maa Sex Kahani चुदासी माँ और गान्डू भाई
मैं मेरे रूम के किंग साइज डबलबेड पर टाँगें पसारे बैठा हुआ था और मेरा मक्खन सा चिकना छोटा भाई अजय मेरे बगल में ही मेरी ओर मुँह किए घुटने मोड़कर बैठा हुआ था। आज मैं अपने लड़कियों जैसे मक्खन से चिकने भाई की गाण्ड मारने की पूरी तैयारी के साथ था। मैं रात वाली घटना की मुझे जानकारी है, इसका संकेत अजय को पहले बिल्कुल भी नहीं दूंगा। मुझे यह तो पता चल ही गया था की मेरा छोटा भाई गाण्ड मरवाने का शौकीन है। इसलिए मैं उससे बहुत खुलकर बिना किसी झिझक के पेश आऊँगा।
विजय ने बात शुरू की- “मुन्ना देख, शहर में आते ही माँ कैसे निखरने लगी है। गाँव में रहकर माँ ने अपनी पूरी जवानी यूँ ही गॅवा दी। ना तो उसे पति का ही सुख मिला और ना ही सजने सँवारने का। पिछले 15 साल से । बिस्तर पकड़े हुए पापा की सेवा का फर्ज निभाते-निभाते माँ ने ऐसे ही जीवन को अपनी नियती मान लिया है।
तूने सुनी ना उसकी बातें; कह रही थी की 46 साल में ही उसके सजने सँवरने के दिन लद गये। हमारे स्टोर में। 60-60 साल की बूढ़ियां पाउडर लिपस्टिक पोतकर तंग स्कर्ट में आती है। तूने देखी ना?"
अजय- “भैया, धीरे-धीरे माँ भी शहर के रंग में रंगती जा रही है...”
विजय- “मुन्ना, माँ बहुत ही शौकीन मिजाज की और रंगीन तबीयत की औरत है। पर गाँव के दकियानूसी वातावरण में रहकर थोड़ी झिझक रही है। पर अब तुम देखना, माँ की सारी झिझक मिटाकर उसे मैं एकदम शहरी रंग में रंगकर पूरी माडर्न बना दूंगा। बिना माडर्न बने माँ जैसी शौकीन तबीयत की औरत भला अपने शौक कैसे पूरे करेगी?” यह कहते-कहते मैं अजय के बिल्कुल करीब आ गया और अजय की पीठ सहलाने लगा।
अजय- “हाँ.. भैया, पहनने ओढ़ने की तो माँ शुरू से ही शौकीन रही है। यहाँ शहर में आकर तो माँ दिनों दिन निखरती ही जा रही है। आजकल तो विलायती क्रीम पाउडर लगाकर माँ का चेहरा दमकने लगा है...”
मैं अजय की पीठ सहलाते-सहलाते हाथ को नीचे ले जाने लगा और अपनी हथेली मस्त भाई के फूले हुए चूतड़ों पर रख दी। चूतड़ों पर हल्के-हल्के 3-4 थपकी दी। मेरा 11” का हलब्बी लौड़ा मेरे तंग ब्रीफ में कसा पूरा तन गया था। ब्रीफ के आगे एक बड़ा सा उभार बन गया था जिसमें फूले हुए लण्ड का आकार साफ पता चल रहा था। अजय के चूतड़ों पर मेरी थापी पड़ते ही उसकी गाण्ड में एक सिहरन सी हुई। उसने कनखियों से मेरे ब्रीफ की तरफ देखा और फौरन वहाँ से नजरें हटाकर सीधा देखने लगा।
तभी विजय ने कहा- “तू तो अब पूरा बड़ा हो गया है। अब पहले जैसा मेरा गुड्डे सा प्यारा-प्यारा मुन्ना नहीं । रहा, जिसे मैं गोद में बिठाकर उसके गोरे-गोरे मक्खन से फूले गालों की पुच्चियां लेता था। क्यों मुन्ना अब तो तू पूरा बड़ा और जवान हो गया है ना? अब तो तू मेरी गोदी में भी नहीं बैठेगा। पर मेरे लिए तो अभी भी तुम वही गुड्डे सा मखमल सा गुदगुदा प्यारा-प्यारा मुन्ना है जिसे अभी भी अपनी गोद में बैठाकर खूब प्यार करने का मन करता है। क्यों मैं ठीक कह रहा हूँ ना? क्या भैया की गोद में बैठेगा?”
अजय- “भैया आपसे बड़ा तो मैं कभी भी नहीं हो सकता। आपके लिए तो मैं अभी भी पहले वाला वही मुन्ना हूँ। पर भैया आप ही बताओ क्या अभी भी मैं इतना छोटा हूँ की आप मुझे अपनी गोद में बैठाकर खिलाएं?”
विजय- “हाँ... तेरी यह बात तो सच है, अब तू पहले वाला गुड्डे सा मुन्ना तो नहीं रहा है, जिसे तेरे बड़े भैया अपनी गोद में बैठाकर तेरे गोरे-गोरे फूले-फूले गालों का चुम्मा लें। देखो तेरे में क्या मस्त जवानी चढ़ रही है। और दिन प्रति दिन चिकना और जवान होता जा रहा है। अरे तुझे पता नहीं चल रहा है की तू इतना मस्त हो। गया है, जिसे देखकर वहाँ गाँव की लड़कियां और औरतें आहें भरती होगी, और तेरे साथ सोने के लिए उनका जी मचलता होगा। लड़कियों की तो छोड़ तेरी चढ़ती जवानी देखकर तो तेरे भैया में भी मस्ती चढ़ती जा रही है। अब देखो तेरे भैया भी तुझे अपनी गोद में बैठाकर तेरे से प्यार करना चाहते हैं...”
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