RE: Desi Sex Story रिश्तो पर कालिख
उधर नीरा के रूम में...
दीक्षा--सॉरी नीरा मुझे पता है तुम किस बात पर नाराज़ हो गयी...
नीरा--दी में आपसे नाराज़ हो ही नही सकती हूँ लेकिन आपका इस तरह अपने अंडर आर्म्स को शो करना मुझे अच्छा नही लगा...
दीक्षा--हाँ यार नीरा मुझ से ग़लती हो गयी है पता नही भैया मेरे बारे में क्या सोचेंगे...
नीरा--वो कुछ नही सोचेंगे अगर उन्होने तुम्हारी अंडर आर्म्स की तरफ देख भी लिया होगा तो वो अपनी नज़रे हटा चुके होंगे वहाँ से...आप इस बात से परेशान मत रहो और सुबह में आपको रिमूवर दूँगी जिस से आप अपने हेर रिमूव कर लेना...
दीक्षा--हाँ यार मुझे देना मैने आज तक रिमूवर यूज़ नही किया...में भी स्लीवलेस पहनना चाहती हूँ लेकिन इन बालो की वजह से शर्म आती थी...
नीरा--कोई बात नही...में कल आपको रिमूवर दे दूँगी और रूही दीदी की कुछ स्लीवलेशस ड्रेसस भी...अब आप आराम कर लो थोड़ी देर....क्योकि मुझे अभी वापस जाना है भैया के पास कुछ ज़रूरी बात करने...
दीक्षा--ऐसी क्या बात आ गयी...जो तुम्हे इस समय ही करनी है...
नीरा--कुछ बाते समय नही देखा करती...उन्हे जितना जल्दी हो सके कर लेना चाहिए..वो कहावत तो आपने सुनी ही होगी...काल करे सो आज कर... आज करे सो अब...पल में प्रलय होवेगी..... जदे करेगा कद.....
और इसी के साथ हम लोग मुस्कुरा कर एक दूसरे से गले मिलते है और गुड नाइट बोलकर सोने लगते है...लेकिन नीरा को आज नही सोना था....वो बस सही समय का इंतजार कर रही थी .......
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रात के 1.30 बज रहे थे...तभी मेरे दरवाजे पर दस्तक होती है....
में अपनी ड्रिंक ले चुका था और बस खाना खाकर उठने ही वाला था...मैने उठ कर दरवाजा खोला तो सामने नीरा खड़ी थी अपने चिरपरिचित अंदाज में...
वो अपनो आँखे बड़ी बड़ी करके बस मुझे देखे ही जा रही थी....
में--तू सोई नही अभी तक...
नीरा--जब तक ये बात में आपसे कर ना लूँ, तब तक ना में सो सकती हूँ ना में कुछ खा सकती हूँ...
मैने आज शाम से कुछ भी नही खाया है...सिर्फ़ आपको वो बात कहनी थी इसलिए
में--तू पागल तो नही हो गयी है....खाना क्यो नही खाया तूने...
नीरा...खाने को गोली मारो और सबसे पहले आप मेरी कसम खाओ और जो भी में बात बोलूँगी वो आप मानोगे...
में--ठीक है लेकिन मेरी एक शर्त है, तू अपनी बात ख़तम होने के बाद मेरे हाथो से खाना खाएगी उसके बाद में तुझे जवाब दूँगा....और तुझ से सवाल भी पूछूँगा
नीरा--ठीक है अब कसम खाओ मेरी...
में--तेरी कसम नीरा जो तू कहेगी में वो मानूँगा...तेरी कसम.....बस अब बोल क्या बात है.
नीरा ने अपनी आँखे अब बंद कर ली थी और अपनी दिल की बढ़ती हुई धड़कानों पर काबू करने की कोशिश करते हुए कहती है....
नीरा--भैया आप मुझ से शादी कर लो....में आपसे अपनी जान से भी ज़्यादा प्यार करती हूँ...में आपके बिना एक पल भी नही रह सकती....मुझे बचा लो भैया मुझ से शादी कर लो...मेने अपनी हर साँस आपके नाम कर दी है....मुझ से शादी कर लो भैया मुझ से शादी कर लो.....
नीरा अपनी पूरी बात एक ही साँस में कह जाती है और में लगातार उसकी इन बातो को अपने सीने मे चुभता हुआ महसूस कर रहा था...
ऐसा लग रहा था जैसे मेरे कानो में किसी ने पिघला हुआ सीसा उडेल दिया हो. ....
वो अब लगातार मेरी तरफ़ देखे जा रही थी अपने जवाब के इंतजार में....
में--अब किचन में से खाना ले आ उसके बाद तेरी हर बात का जवाब भी दूँगा और सवाल भी करूँगा...
नीरा उठ कर अपने लिए खाना ले आई ....और में उसकी आँखो में देखता हुआ उसे खाना खिला रहा था....उसकी आँखे आँसुओ से भर गयी थी ना जाने कौनसा बाँध बना रखा था नीरा ने अपनी आँखो में जो उसके आँसुओ को बहने से रोक रहा था...
में नीरा की बात में ही उलझा हुआ था कि आख़िर उसने ऐसा क्यों कहा...वो मेरी बहन है कैसे उसके मन में मेरे लिए ये ग़लत ख्याल आ गये...कुछ समझ नही आ रहा था में फस चुका था आख़िर कसम जो खाई थी मैने...
जिसे में अपनी जान से भी ज़्यादा चाहता था उसने मुझे एक दौराहे पर ला कर पटक दिया....अगर में कसम तोड़ता हूँ तो कसम के साथ उसका दिल भी टूट जाएगा...और अगर में ये कसम मान लेता हूँ तो मेरी आत्मा मर जाएगी...दोनो ही सुरतों में मेरा ही हाल बुरा होना तैय है....
खाना ख़तम हो चुका था और मेरा हाथ बिना नीवाले के ही नीरा के मुँह के सामने था और नीरा की आँखो का वो बाँध कब का टूट चुका था वो लगातार रोए जा रही थी....और में अपनी सोच के समंदर में डूबे जा रहा था...डूबे जा रहा था...गहरा और गहरा...
नीरा--भैया.....भैया....प्ल्ज़ कुछ बोलो भैया...भैय्ाआअ
उसने मेरे हाथ को अपने हाथ में लेकर जोरदार झटका दिया जिस से में समुंदर की गहराई से वापस लौट आया...
में--क.क क्या हुआअ...
नीरा-- कहाँ खो गये थे...
मैने उसे कोई जवाब नही दिया और उठ कर हाथ धोने चला गया...
में हाथ धोकर आते ही उस से पूछ बैठा..
में--तो तुझे मुझ से शादी करनी है... और अब मैने कसम खा ली है तो इसका मतलब दुनिया की कोई ताक़त तेरी और मेरी शादी को नही रोक सकती....लेकिन तू मुझे एक बात बता तेरे मन में ये शादी का ख्याल आया कहाँ से ...मैने हमेशा तुझ से और रूही से एक डिस्टेन्स मेन्न्टेन रखा है...तू सोच आज पापा की आत्मा कितनी दुखी हुई होगी...उनके अपने ही बच्चे आपस में शादी कर रहे है...उनको मरे हुए दिन ही कितने हुए है....और तेरा ये सवाल...
नीरा--आप भी तो भाभी से शादी कर के उन्हे खुश रखना चाहते हो ना....लेकिन वो भी तो आपको भाई मानती है...फिर कैसे आप उन से शादी के लिए रेडी होगये...और कौन्से पापा की बात कर रहे हो आप...वो बाप जिसकी वजह से आप पैदा हुए या वो बाप जिसने आपकी हर सुख सुविधा का ध्यान रखा है.....
में--ये क्या बकवास कर रही है नीरा...होश में रह कर मुझ से बात कर....पापा के बारे में एक शब्द भी में सुनना पसंद नही करूँगा....
नीरा--मेरी आपसे शादी करने की सबसे बड़ी. वजह. मेरे प्यार के बाद आप का बाप ही है......में बस इन भेड़ियो से आपको बचा कर रखना चाहती हूँ...
में--नीराअ .....इस से पहले मेरा हाथ तुझ पर उठ जाए...में ये भूल जाउ तू मेरी बहन है...तू यहाँ से चली जा
वरना आज तक तूने मेरा प्यार देखा है...मेरा गुस्सा तुझे जला देगा नीरा मान जा....मैने बोला ना तुझ से शादी करूँगा में...फिर क्यो पापा. का नाम ले ले कर उनको इन सब बातो का दोषी बना रही है...
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