RE: Kamvasna दोहरी ज़िंदगी
सुरिंदर की बात मुझे समझ नहीं आयी कि दोनों कैसे एक साथ मुझे चोद सकते हैं। पिछले तीन-चार दिनों में इंटरनेट पे जो मैंने कुछ-एक ब्लू-फिल्में और गंदी तसवीरें देखी थी तो उनके हिसाब से तो मुझे लगा शायद अनिल मेरे मुँह में लंड डाल कर चुसवायेगा। लेकिन जब मुझे उसके हाथ पीछे अपने चूतड़ों पे महसूस हुए और फिर अगले ही लम्हे उसके लंड का सुपाड़ा अपनी गाँड के छेद पे महसूस हुआ तो मेरी साँसें हलक़ में ही अटक गयीं। "हाय अल्लाह! ये कैसे मुमकिन है!" मैं तो ख्वाब में भी इस तरह की चुदाई का तसव्वुर नहीं कर सकती थी।
इससे पहले कि मैं कुछ रद्दे-अमल कर पाती, अनि़ळ ने एक ही धक्के में बेहद बेरहमी से आठ-नौ इंच लंबा अपना तमाम बे-ख़तना लौड़ा मेरी गाँड में अंदर तक पेल दिया। कुछ देर पहले संजय के लौड़े से चुदने के बाद मेरी गाँड खुल तो गयी थी लेकिन अनिल ने जिस बेरहमी से अपना लंड एक बार में पेला और फिर चूत में भी सुरिंदर का मोटा लौड़ा मौजूद होने के वजह से मैं दर्द के मारे ज़ोर से चींख पड़ी, "नहींईईंईंईंईं अऽऽनिलऽऽऽ.... रुक जाओ ओ ओ ओ ओ.... मर गयीईईई...! एक दफ़ा फिर मेरी आँखों में आँसू आ गये। मेरे दोनों स्टूडेंट मिलकर मेरी चूत और गाँड एक साथ चोदने लगे और मैं सुबकती हुई कराहने और चींखने लगी। चारों लड़के कुछ-कुछ तबसीरे कर रहे थे।
गनिमत है कि इस दफ़ा दो-तीन मिनट में ही दर्द का एहसास कम होना शुरू हो गया। मैं सिसकते हुए बोली, "हाय अल्लाह़! तुम लड़कों का दिमाग खराब हो गया क्या... आहहह.... ऊम्म्म ये क्या कर रहे हो... ऐसे भी कोई करता है क्या... ऊँहहह!" इस दोहरी चुदाई में मुझे अजीब सा मज़ा आने लगा था। एक लंड पीछे खिसकता तो दूसरा लंड अंदर फिसलता। गाँड और चूत के दर्मियान की झिल्ली पे मुझे उन दोनों लड़कों के लौड़े आपस में रगड़ते हुए महसूस हो रहे थे। दोनो लड़के वहशियाना जुनून में अपने लौड़े मेरे दोनों छेदों में बेहद तालमेल के साथ चोद रहे थे। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे कि मेरी चूत और गाँड एक हो गयी थीं जिसमें दो अज़ीम लौड़े एक साथ अंदर-बाहर चोद रहे थे। मेरे जिस्म के रोम-रोम में हवस के शोले भड़क रहे थे और बिजली का करंट दौड़ता हुआ महसूस हो रहा था। मेरी मस्ती भरी कराहें उस छोटे से कमरे में गूँजने लगी। ज़िंदगी में मैंने कभी इस कदर लुत्फ़ महसूस नहीं किया था। मेरी चूत ने इस दौरान तीन-चार दफ़ा पानी छोड़ा और फिर दोनों लड़कों ने भी तकरीबन साथ-साथ ही मेरी चूत और गाँड में अपनी-अपनी मनी भर दी।
उसके बाद एक दफ़ा फिर चारों ने अपने-अपने लौड़े मुझसे चुसवाये। उस वक़्त शराब के सुरूर और जिस्मानी लुत्फ़ और सुकून की कैफ़ियत में मैंने अपनी चूत और गाँड में से निकले उनके बेहद नाजिस लौड़े भी खूब शौक़ से मज़े ले कर चूसे। इस दफ़ा चारों ने अपना-अपना रस मेरे मुँह में और चेहरे पर इखराज़ किया।
तब तक शाम हो चुकी थी और मैं बेखुद सी होकर ऊँची ऐड़ी के सैंडल पहने बिल्कुल नंगी घास के ढेर पे लेटी थी। मैं उनके लौड़ों के रस से भर चुकी थी। लिहाजा अब मुझसे सुबह वाली पर्फ़्यूम की खुशबू नहीं बल्कि शराब और उनके लौड़ों के रस की मस्तानी सी महक आ रही थी। मैं उठ कर अपनी सलवार और कमीज़ की जानिब जाने लगी तो थकान और नशे में ठीक से चल भी नहीं पा रही थी।
"अरे तब्बू मैडम... इतना ज़ोर मत दो... कमर लचक जायेगी... इस हालत में घर कैसे जाओगी... आओ पहले नहला दें तुम्हें!" एक लड़का बोला और मुझे नंगी को ही गोद में उठा के कमरे के बाहर पानी की मोटर के सामने पानी से भरी हौज़ में फेंक दिया। मुझे सैंडल उतारने का मौका भी नहीं दिया उन्होंने। सूरज डूबने से अंधेरा होने लगा था लेकिन आसमान में हल्की सी लाली अभी भी थी। फिर चारों लड़के खुद भी हौज़ में मेरे साथ कूद गये और हम पाँचों दस-पंद्रह मिनट एक दूसरे के साथ छेड़छाड़ करते हुए पानी में नहाते रहे।
जब हम हौद में से नहा कर निकले तो थकान और नशा भी पहले से कम महसूस हो रहा था। चारों लड़कों ने अपने साथ-साथ मेरा जिस्म भी एक तौलिये से पौंछा। उन्होंने खुद अपने कपड़े तो पहन लिये लेकिन मुझे उन्होंने कपड़े पहनने नहीं दिये। मैं खुले खेत में ऊँची पेंसिल हील की सैंडल पहने बिल्कुल नंगी खड़ी थी और हैरत की बात है मुझे ज़रा सी भी शरम महसूस नहीं हो रही थी।
अपने कपड़े पहनने के बाद उनमें से एक लड़का मुझे चूमते हुए बोला, "चलो तबस़्सुम मैडम... अब तुम्हें घर छोड़ दें!" फिर उसने मुझे नंगी को ही गोद में उठा लिया और टाटा सफ़ारी में ले गया। मैंने देखा कि एक लड़का मेरा पर्स और सारे कपड़े इकट्ठे करके ले आया। सब कार में बैठ गये और मेरे घर की जानिब चल पड़े। करीब आधे घंटे का ही रास्ता था। रास्ते में चारों लड़कों ने बारी-बारी अपनी सीट और ड्राइवर बदल-बदल के मुझे खूब चूमा और मसला। मेरी शर्म-ओ-हया तो बिल्कुल काफ़ूर हो ही चुकी थी और मैं सरगर्मी से उनका पूरा साथ दे रही थी और मज़े ले रही थी। उनमें से कोई मेरे गुदाज़ रसीले मम्मों का ज्यादा दिवाना था तो कोई मेरी हसीन गाँड को ज्यादा तवज्जो दे रहा था। एक दिलचस्प बात ये थी कि ऊँची पेन्सिल हील की सैंडल में मेरे खूबसूरत पैरों पे चारों लड़के फ़िदा थे और चारों ने मेरे सैंडलों और पैरों को काफ़ी चूमा चाटा। इस दौरान थोड़ी सी शराब जो बोतल में बाकी रह गयी थी वो भी उन्होंने बातों-बातों में मुझे ही पिला दी।
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