RE: Kamvasna दोहरी ज़िंदगी
उन्होंने इसरार किया तो मुझे भी लगा कि वो सही ही तो कह रहे हैं और मैं ज़रा झिझकते हुए पीने लगी। ये देख कर वो खुशी से तालियाँ और सीटियाँ बजाने लगे तो मेरे चेहरे पे भी मुस्कुराहट आ गयी। उसके बाद उन्होंने मुझे खड़ा किया और फिर एक लड़के ने पीछे से मुझे कंधे से पकड़ कर और एक ने आगे से टाँगों से पकड़ कर उठा लिया और सूखी घास पे लिटा दिया। उनमें से सबसे बड़ा लड़का कुल्दीप मेरे ऊपर झुक कर मेर गालों पर, होंठों पर और गर्दन पर सब जगह चूमने लगा। उसका लंड बीच-बीच में मेरी चूत को छू जाता तो मुझे बिजली का झटका सा लगता और मैं सिसक जाती। फिर कुल्दीप गर्दन उठा कर अपने दोस्तों से बोला, "देख क्या रहे हो... आओ मिलकर तब़्बू मैडम की नशीली जवानी को शराब में मिलाकर पियेंगे...!"
उसके बाद बाकी तीनों भी मेरे करीब आ गये। एक लड़के ने मुझे कंधे से पकड़ कर बिठा दिया औरे मेरी दोनों तरफ़ अपनी टाँगें खोलकर मेरे पीछे बैठ गया। उसका लौड़ा मेरी कमर में चुभ रहा था। इतने में दो लड़के मेरे एक-एक पैर पे झुक गये और बोतल से थोड़ी-थोड़ी व्हिस्की मेरे सैंडल और पैरों पे उड़ेल कर उन्हें चाटने और चूमने लगे। उन लड़कों को इस तरह अपने सैंडल के तलवे, हील और स्ट्रेप्स के बीच में से मेरे पैर शराब में भिगो कर चाटते देख मेरे जिस्म में अजीब सी मस्ती भरी लहरें उठने लगी। इसी तरह मेरे जिस्म को शराब में भिगोते हुए वो दोनों आहिस्ता-आहिस्ता मेरी टाँगों को चूमते और चाटते हुए मेरी रानों की जानिब बढ़ने लगे। मेरी बगल में बैठा लड़का मेरे मम्मों पे अपने गिलास में से शराब उड़ेल-उड़ेल कर चाट रहा था और मेरे पीछे वाला मेरी गर्दन और कमर पे व्हिस्की उड़ेल कर चाट रहा था। इसी तरह कुछ देर वो चारों मेरे हुस्न को शराब में भिगो कर चूमते और चाटते रहे।
इतने में सुरिंदर बोला, "बस यार अब नहीं रुका जाता मुझसे... मैं तो अब तब्बू मैडम की चूत मारुँगा!" ये सुनके संज़य बोला, "गाड़ी मेरी... ये खेत मेरे बाप का तो पहले मैं चोदुँगा तब़्बु मैडम को!" इतने में कुल्दिफ बोला, "ओये इसको सुह़ाना और फात़िमा की हेल्प से इसे फंसाने का प्लैन मेरा था और बस में भी मैंने ही सबसे ज्यादा खतरा उठा कर तब़स्सुम मैडम की गाँड में उंगली करी थी तो इसकी चूत में मैं ही सबसे पहले अपना लौड़ा पेलुँगा!"
मुझे सबसे पहले चोदने के लिये उन लड़कों को इस तरह बहस करते देख मुझे बेहद अच्छा लगा और अपने हुस्न पे फ़ख्र सा महसूस हुआ। खैर कुळदीप ही एक बार फिर मुझे लिटा कर मेरे ऊपर आ गया और बाकी तीनों एक तरफ़ हो गये। कुल्दीप ही सबसे लम्बा-चौड़ा था और उसका लंड भी उनमें से सबसे बड़ा था। कुलद़ीप मेरे ऊपर झुक कर मेरे होठों पर अपने होंठ रख कर चूमने लगा। मैं भी उससे लिपट गयी और उसके होंठ और ज़ुबान चूसने लगी। मेरी कमर और चूतड़ों पर सूखा चारा रगड़ खा रहा था पर मेरे अंदर की हवस की आग मुझे इसका एहसास भी नहीं होने दे रही थी।
मेरे होंठों को चूमने के बाद कुल्दीप ने मेरे मम्मे भींच-भींच कर चूसे और चाटे। फिर से वो पास पड़ी बोतल उठा कर फिर से मेरे पेट और नाफ़ पे व्हिस्की उड़ेल कर उन्हें चाटने लगा। उसके बाद उसने दोनों हाथों से मेरे घुटने पकड़ कर मेरी टाँगें खोल दीं। जब वो मेरी चूत पे शराब डाल कर मेरी चूत चाटने लगा तो मैं मस्ती में पागल सी हो गयी। मेरे मरहूम शोहर ने भी कभी मेरी चूत को नहीं चाटा था। ये मेरे लिये बिल्कुल नया तजुर्बा था और मैं जोर-जोर से सिसकने लगी और उसके बाल अपनी मुठ्ठियों में जकड़ कर उसका चेहरा अपनी रानों में भींचने लगी। मेरा पेट अकड़ने लगा और चूत में फुव्वारे फूट पड़े। फिर उसने मेरी टाँगों के बीच में बैठ कर अपने अकड़े हुए सख्त लौड़े को मेरी चूत पे रख दिया तो मैं जोर से सिसक उठी "ऊँऊँम्फफ!"
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"ओये कंडोम नहीं डालेगा क्या?" एक लड़के ने पूछा तो कुल्दीप बोला, "साला कंडोम लाया ही कौन है... पता थोड़ी था कि ये छिनाल त़ब्बू इतनी आसानी से आज ही चुदवाने के लिये तैयार होके दौड़ी चली आयेगी हमारे साथ!"
"कोई बात नहीं यार... इसे घर छोड़ते हुए रास्ते में केमिस्ट से आई-पिल दिलवा देंगे!" संज़य ने कहा।
"चल रंडी साली... कुत्तिया तब़स्सुम़ मैडम... तुझे स्वर्ग की सैर कराता हूँ!" कहते हुए कुलद़ीप ने अपना बे-खतना लौड़ा मेरी चूत में डालना शुरू किया। मेरी चूत तो महीनों से चुदी नहीं थी और उससे पहले भी चुदी थी तो अपने मरहूम शौहर के लंड से जो लंबाई और मोटाई दोनों में कुल्दीप के लंड से आधे से भी कम था। इसलिये कुल्दीप को मेरी बेहद भीगी हुई चूत में भी अपना लंड दाखिल करने के लिये काफी ज़ोर लगाना पड़ रह था। दर्द के मारे मेरी ज़ोर से चींख निकल गयी तो उसने फौरन अपने होंठों से मेरे होंठों को सी दिया और ज़ोर से अपना पूरा लौड़ा मेरी चूत में आगे ढकेलने लगा। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे किसी से ने गरम-गरम लोहे की मोटी सलाख मेरी चूत में घुसेड़ दी हो। मैं अपना सिर भी नहीं हिला पा रही थी और उसके जिस्म के नीचे कुचली पड़ी हुई दर्द से छटपटा रही थी और वो था कि मेरी चूत फाड़ने पर अमादा था। इतना दर्द तो मुझे अपनी सुहागरात में अपने शौहर से पहली दफ़ा चुदवाने में भी नहीं हुआ था।
उसका लंड मेरी चूत में फंस-फंस कर जा रहा था तो उसने मेरे होंठों से अपने होंठ हटा लिये और मेरी कमर में अपनी बाँहें डाल कर जकड़ते हुए ज़ोर से अपनी तरफ़ खींचते हुए अपना लौड़ा मेरी चूत में घुसाने लगा। मेरी टाँगें छटपटा रही थीं और मैं अपनी मुठियों में सूखी घास भींचे हुए बे-तहाशा चींखने लगी, "आआआईईईई.... हाय.... अल्लाह के लिये छोड़ दो... प्लीज़... ऊऊऊँईईई कुऽऽलदीऽऽप बहोत बड़ाऽऽ है तेरा...!"
"और चिल्ला साली रंडी... और चिल्ला... तुझे कहा था ना कि आज तेरी चूत फाड़ देंगे... साली तब़्बू क्लॉस में बहुत मारती है ना!" वो बोला।
"प्लीज़ मुझे छोड़ो... आआआअहहह ईईईई! नहीं प्लीज़..." मैं गिड़गिड़ायी तो चारों हंसने लगे। "अभी बोल रही है छोड़ दो... पर जब दर्द चला जायेगा और मज़ा आने लगेगा तो डियर तब्बू मैडम... तुम ही बार-बार कहोगी कि मुझे चोद दो!" एक लड़का बोला।
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