Kamvasna दोहरी ज़िंदगी
10-11-2019, 01:14 PM,
#7
RE: Kamvasna दोहरी ज़िंदगी
इतने में संजय शराब की बोतल लेकर आ गया। आगे बैठा दूसरा लड़का बोला, "यार गिलास तो हैं नहीं कार में... खेत पे जा के ही दो-दो पैग खींचेंगे!"

ये सुनकर मेरी बगल में बैठा एक लड़का हंसते हुए बोला, "यार तब़्बु मैम को क्यो इंतज़ार करवा रहे हो... लाओ इन्हें तो बोतल से ही पिला दें थोड़ी... तो खेत पे पहुँचने तक इसकी शरम तो खुल जाये...!"

ये सुनकर मैं इंकार करते हुए बोली, "नहीं.. नहीं... मैं शराब नहीं पीती... तुम चारों को पीनी हो तो पियो... मैं नहीं पियुँगी!"

"अरे तब्बू मैम... पी कर तो देखो... जब थोड़ा नशा होगा तो चुदाई में खूब मज़ा आयेगा....!" मेरे बगल में बैठा एक लड़का बोतल खोलते हुए बोला और मेरे होंठों से लगाने लगा तो मैंने मुँह फेरते हुए फिर इंकार किया, "नहीं... मुझे नहीं पीनी... पहले कभी नही पी मैंने...!"

"अरे रंडी तब़्बू साली... पहले नहीं पी तो आज पी ले... अपने स्टूडेंट्स के साथ चुदाने भी तो पहली बार आयी है कि नहीं... या फिर और दूसरे स्टूडेंट्स से चुदवाया है पहले!" उनमें से एक लड़का बोला और सब हंसने लगे। "थोड़ी सी पी लो तबस़्सुम़ मैम... कुछ नहीं होगा... हम चारों के नाम के दो-दो घूँट भर लो बस... फिर अच्छी नहीं लगे तो और ज़ोर नहीं देंगे!" आगे ड्राइविंग सीट से संजय बोला।

वो लोग मानने वाले तो थे नहीं और जब फिर से उस लड़के ने बोतल मेरे मुँह से लगा दी तो पता नही क्यों मैंने और मुज़ाहमत नहीं की और एक बड़ा सा घूँट भर के हलक के नीचे उतार लिया। मेरे हलक और पेट में इस क़दर जलन हुई कि मेरा दम घुटने लगा और मैं खाँसने लगी। मेरी बगल में बैठा एक लड़का मेरी कमर सहलाते हुए बोला, "बस बस त़ब्बू मैडम जी... अभी ठीक हो जायेगा... पहली बार पी रही हो ना इसलिये...!"

फिर कुछ ही लम्हों में मेरी साँसें नॉर्मल हो गयीं और जलन भी खतम हो गयी तो उन्होंने ये कहते हुए फिर बोतल मेरे मुँह से लगा दी कि इस बार मुझे अच्छी लगेगी और तकलीफ भी नहीं होगी। जब मैंने दूसरा घूँट पिया तो उतनी जलन नहीं हुई और ऐसे ही उन्होंने इसरार करते हुए ज़बरदस्ती आठ-दस घूँट पिला दिये। कुछ ही देर में मुझे बेहद खुशनुमा सुरूर महसूस होने लगा और मैं उन लड़कों के बीच में बैठी हुई झूमने लगी।

इतने में उस लड़के का खेत आ गया जो ज्यादा दूर नहीं था। बारिश तो पहले ही बंद हो चुकी थी लेकिन काले बादल अभी भी छाये हुए थे। काले बादलों के बीच में से सूरज की हल्की गुलाबी सी रोशनी क़ायनात को रंगीन बना रही थी। उनके खेत में पानी की मोटर के साथ एक छोटा सा कमरा था। उसके बाहर तीन-चार मजदूर बैठे थे। आगे वाले एक लड़के ने गाड़ी से उतरते ही उनसे कहा, "ओये! आज तुम सबकी छुट्टी है... तुम सब घर जाओ अभी!"

"जी बाबू जी!" ऐसा बोल कर वो सब मजदूर जाने के लिये उठे। इतने में गाड़ी के पीछे वाली सीट का दरवाजा खोल कर एक लड़का मुझे गोद में उठाये बाहर निकला। अरे ये तो वो आपके स्कूल वाली मास्टरनी है ना! वो शुगर मिल वाले खुर्शीद साहब की लौंडी? इसको चोदने लगे हो बाबू.... आपने तो राम कसम हमारा दिल खुश कर दिया! ऐसी मक्खन जैसी चिकनी गोरी कहाँ मिलेगी और वो भी अपनी ही मास्टरनी! जियो बाबू जियो! और खूब जम कर चोदना! रंडी बना देना आज साली को! और तू घबरा मत मास्टरनी हम किसी से नहीं कहेंगे कि तू इस मोटर पर किनसे चुदी है!" एक मजदूर बोला।

"अच्छा अच्छा... अब तुम जल्दी जाओ यहाँ से!" एक लड़का बोला।

"जाते हैं बाबू जी! पर एक तकलीफ़ होगी आपको! मोटर पर जो चारपायी है ना वो टूट गयी थी इसलिये बनने के लिये गयी हुई है... आपको इसे अंदर कमरे में जो सूखे चारे का ढेर पड़ा है उसी पर चोदना पड़ेगा!" वो मजदूर जाता-जाता बोला।

उस एक लम्हे के लिये मुझे एहसास हुआ कि आज मैं कितनी बिगड़ गयी हूँ और मुझे अपने पर थोड़ी सी शरम भी आयी और थोड़ी घबराहट भी महसूस हुई। लेकिन अगले ही लम्हे चार-चार जवान लड़कों से एक ही साथ खेत में सूखे चारे के ढेर पर चुदने के खयाल से मेरी हवस और ज़्यादा बढ़ गयी। इतने में वो लड़का मुझे गोद से नीचे उतार चुका था। मैं खुद ही मोटर के साथ बने कमरे की जानिब झूमती हुई चलने लगी। एक तो मैंने ऊँची पेन्सिल हील के सैंडल पहने हुए थे और फिर शराब का सुरूर भी था तो ज़ाहिर है मेरे कदम ज़रा लड़खड़ा से रहे थे। कमरे के दरवाजे के पास पहुँच कर मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो चारों लड़के मेरी जानिब देख कर हंस पड़े।

"बड़ी जल्दी है भई हमारी तब़स्सुम़ मैडम को चुदने की आज तो... फिर शुरू हो जाये!" एक ने कहा और सभी हंस पड़े।

"हाँ-हाँ जल्दी चलो!" दूसरा बोला।

"अरे पहले तब्बू मैम से तो पूछ लो के हम से चुदना है कि नहीं!" तीसरा बोला।

"क्यों त़बस्सूम मैडम चुदोगी हमसे?" एक ने सवाल किया।

अब तक शराब के सुरूर में मैं बिल्कुल बेशरम हो चुकी थी। मैंने मुस्कुराते हुए अपने टीचर वाले कड़क अंदाज़ में कहा, "तो अब क्या ये भी दो-दो थप्पड़ मार के तुम नालायकों को समझाना पड़ेगा...!"
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