Desi Porn Kahani अनोखा सफर
09-20-2019, 01:48 PM,
#2
RE: Desi Porn Kahani अनोखा सफर
पिंजरे में पड़े पड़े रात और फिर सुबह हो गयी पर कोई मेरी तरफ नहीं आया भूख के मारे मेरा बुरा हाल हो गया था पर मैंने भी यहीं रहकर आगे के बारे में सोचने की ठानी ।
काफी इंतज़ार के बाद कल के दोनों आदिवासी फिर लौटे और मुझे लेके एक जगह पर पहुचे जहाँ पे पहले से ही कुछ लोग मौजूद थे उसमे से एक देखने में कबीले का सरदार तथा बाकी सब कबीले केअन्य महत्वपूर्ण व्यक्ति लग रहे थे । मेरे वहां पहुचते ही सब मुझे घूर घूर के देखने लगे मेरे शरीर पर कपडे नहीं थे मेरे शरीर पर कोई टैटू भी नहीं था तथा मेरे बाल भी आर्मी कट छोटे छोटे थे उन्हें ये सब अजीब लगा। उनमे से एक बुजुर्ग व्यक्ति जिसकी लंबी सफ़ेद दाढ़ी थी संस्कृत में बोलना शुरू किया उसने पूछा
सफ़ेद दाढ़ी मेरा नाम चरक है तुम्हारा क्यानाम है वत्स?
मैंने भी टूटी फूटी संस्कृत में जवाब दिया "मेरा नाम अक्षय है "
मेरे मुंह से संस्कृत सुनके वे चौंके पर चरक ने पूछना चालू रखा "तुम किस कबीले से हो ?"
मैंने जवाब दिया "मैं किसी कबीले से नहीं भारतीय सेना से हु ।"
सेना का नाम सुनते ही सरदार आग बबूला हो गया उसने चिल्लाते हुए सैनिको को मुझे मारने का आदेश सुना दिया वो दोनों आदिवासी सैनिक जो मुझे लेके आये थे मेरी तरफ लपके तभी चरक ने आदेश देके उन्हें रोका। चरक ने सरदार से कहा "महाराज ये युद्ध नहीं है आप किसी सैनिक को बिना युद्ध के किसी सैनिक को मारने का हुक्म नहीं दे सकते ये कबीलो के तय नियमो के खिलाफ है"
सरदार ने कहा "ये सैनिक गुप्तचर है इसे मृत्युदंड मिलना ही चाइये मंत्री चरक"
चरक " फिर महाराज आप इससे शस्त्र युद्ध में चुनौती दे सकते है "
सरदार चरक की बात सुनके खुश हो गया और मेरी तरफ कुटिल मुस्कान से देखते हुए बोला " सैनिक मैं तुम्हे शस्त्र युद्ध की चुनौती देता हूं बोलो स्वीकार है "
अब सैनिक होने के नाते मेरे सामने कोई चारा नहीं था मैंने भी कहा " स्वीकार है"
सरदार बोला " तो फिर आज साँझ ये शास्त्र युद्ध होगा सभा खत्म होती है "

खैर सरदार के जाने के बाद आदिवासी सैनिको ने मुझे वापस उसी लकड़ी के पिजरे में बंद कर दिया मैं भी शाम का इंतज़ार करने लगा ।
शाम को मुझे फिर ले जाके एक अखाड़े नुमा जगह खड़ा कर दियागया जिसके चारों तरफ ऊँचे मुंडेर बने हुए थे जहाँ पर काबिले के सभी स्त्री पुरुष बच्चे इकठ्ठा हुए थे । कुछ देर बाद केबीले का सरदार भी अखाड़े में पहुच गया उसके आते ही सारे काबिले वाले जोर जोर से वज्राराज वज्राराज का नारा लगाने लगे । कुछ देर बाद चरक भी अखाड़े में अनेको शस्त्र के साथ प्रवेश करते है और कहते है
"आज शाम हम सब यहाँ शस्त्र युद्ध के लिए उपस्थित हुए है जो की सैनिक अक्षय और हमारे महाराज वज्राराज के बीच किसी एक की मृत्यु तक लड़ा जायेगा "
मृत्यु तक की बात सुन कर अब मुझे सरदार की कुटिल मुस्कान की याद आ गयी की वो मुझे इस तरीके सें मुझे ख़त्मकरने का सोच रहा था। खैर अब मेरा ध्यान बस इस शस्त्र युद्ध पर था । चरक ने फिर हमसे कहा "अब आप दोनों युद्ध के लिए एक शस्त्र चुनेंगे बस शर्त ये है कि दोनों अलग अलग शस्त्र चुनेंगे तो पहले महाराज आप चुने "
सरदार ने एक छोटी तलवार चुनी मैंने आर्मी की ट्रेनिंग में चक्कू से लड़ाई सीखी थी तो मैंने एक चक्कू चुना ।
हम दोनों को अखाड़े मे छोड़ कर चरक ने युद्ध शुरू करने का आव्हान किया।
सबसे पहले सरदार ने युद्ध की पहल की वो दौड़ते हुए मेरी तरफ लपका और तेज़ी से मेरी गर्दन पर तलवार का प्रहार किया वो तो आर्मी की ट्रैनिंग का नतीजा था कि मैं तेजी से अपने बचाव के लिए बैठ गया और मेरी गर्दन बच गयी लेकिन मुझे ये समझ में आ गया कि इस युद्ध में मैं सरदार का तब तक कुछ नहीं कर पाउँगा जब तक सरदार मेरे नजदीक न आये इसी लिए मैं भी सरदारको मुझ पर और वार करने का मौका देने लगा। सरदार देखने में तो मोटा था पर काफी फुर्तीला था वो मेरे ऊपर एक और वार करने के लिए कूदा मैंने पहले की तरह अपने बचाव में खुद को तलवार के काट से दूर किया पर इस बार सरदार ने मेरे बचाव भांप लिया उसने तुरंत फुर्ती से घूम कर वार किया और तलवार मेरा पेट में घाव करते हुए निकल गयी । वार के कारण मुझे ऐसा लगा की मेरी साँस ही रुक गयी हो मैं पैरो के बल गिर पड़ा और अपनी साँस बटोरने लगा इसी बीच सरदार ने मौका पाके मेरी पीठ पर एक वार कर दिया इस बार घाव और गहरा था मेरा शरीर तेजी से लहू छोड़ रहा था और मेरा साथ भी ।
मुझे अब अपना अंत नज़र आ रहा था खैर कहते है जब आदमी के जीवन की लौ बुझने को जोति है तो अंतिम बार खूब जोर से फड़फड़ाती है । मेरे जीवन की लौ ने भी लगता है आखरी साहस किया सरदार मेरा काम तमाम करने के लिए आगे बढ़ा मैं भी लपककर आगे बढ़ा औरउसके वार को बचाते हुए झुकते हुए उसकी पैर की एड़ी की नस काट दी जिसके कारण भारी भरकम सरदार अपने पैरों पे गिर पड़ा मौका देख मैंने भी चाकू सरदार की गर्दन में घोंप दिया जो की शायद उसकी जीवन लीला समाप्त करने के लिए काफी था । सरदार का बोझिल शरीर जमीन पर गिर गया।
अचानक सारे अखाड़े में सन्नटा छा गया मैंने देखा की सारे लोग अचानक अपने घुटनों पे हो कर सर झुकाने लगे । मेरा शरीर मेरे घावों से रिस्ते खून के कारण शिथिल पद रहा था अचानक मेरी बोझिल आँखों ने देखा की एक लड़का मेरी तरफ एक हथोड़े जैसा हथियार लेके दौड़ रहा है । पास आके उसने मेरे सर के ऊपर प्रहार किया जिसे बचाने के लिए मैंने अपनी कुहनी में हथौडे का प्रहार ले लिया पर उस चोट की असहनीय पीड़ा ने मेरे होश गायब कर दिए और मेरी आँखों के सामने अँधेरा छा गया ।
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