RE: Hindi Sex Kahaniya अनौखी दुनियाँ चूत लंड की
"कल भी इसी टाइम आजाना कल मैं तुम्हारी चूत को ताकतवर बनाऊंगा दीदी सिखाने वाली है की चूत को कैसे स्ट्रांग बनाते हैं"
"ये चूत क्या होती है ?" उसने भोले होने का नाटक करते हुए कहा
"पता नहीं पर दीदी बोली की लण्ड की दोस्त होती है"
"पिंकी कंहाँ रह गयी तू नीचे आ रही है या मैं ऊपर आऊँ?" पिंकी की मम्मी ने चीखते हुए कहा।
डर के मारे पिंकी बिना कुछ बोले ही नीचे चली गयी । राहुल का तम्बूरा अभी भी पूरी तरह सालमी दे रहा था । पर राहुल को तो इसमे कुछ गलत लगा नहीं इसलिए उसने निक्कर पहनी और वो भी घर आ गया । घर में अभी सभी टीवी देख रहे थे वो चुप चाप सीढ़ियों के नीचे बने अपने तहखाने में घुस गया । दो बच्चों के हो जाने पर रमा और राकेश ने सीढ़ियों के नीचे लकड़ी के फट्टे लगवा के एक केबिन सा बनवा दिया था । राहुल को इसी तह खाने में छोटी सी मंजी पर सोना पड़ता था । वो अपनी मंजी पर लेट गया और लेटते ही सो गया । पर उसका लण्ड अभी अभी भी तना हुआ था और छत को सलामी दे रहा था ।
टीवी प्रोग्राम खत्म होने के बाद रमा को याद आया की रात के बर्तन तो अभी गंदे ही पड़े हैं और राहुल कहीं नज़र नहीं आ रहा ।
"देखो जी यह राहुल दिन ब दिन बिगड़ता जा रहा है , आज ट्यूशन से पूरा आधा घंटा लेट आया और अब बर्तन न धोने पड़े इसलिए सो गया,क्या ज़रुरत है इस पर इतना खर्चा करने की मैं तो कहती हूँ ट्यूशन और स्कूल से हटवा के दूकान ले जाया करो" रमा अपने पति से बोली ।
"रमा सभी को पता है हमने उसे गोद लिया अब तोडा भी पैसा न खर्च किया तो लोग ताने मारेगें और अक्षर पढ़ जायेगा तो हमारे ही काम आएगा " राकेश ने रमा को समझाते हुए कहा ।
"बड़ी दूर की सोचते हो "
"सोचना पड़ता है ...बनिया हूँ कभी घाटे का सौदा नहीं करूँगा...जाके उठा लो"
"हाँ यही करुँगी और क्या"
रमा जब राहुल को उठाने गयी तो उसकी पहली ही नजर राहुल के तने हुए लण्ड पर पड़ी ,उसे लगा की राहुल ने पक्का कोई बोतल निक्कर में छुपा ली होगी उसे गुस्सा आ गया और उसने निक्कर को नीचे खींचा उसके मुँह से चीख निकलते निकलते रह गयी । एक सातवीं क्लास के लड़के का इतना बड़ा लण्ड । ऐसे मतवाले लण्ड को देख वो भी खुद को रोक न सकी और हाथ आगे बड़ा उसने लण्ड को पकड़ लिया । गरम-२ और सुडोल लण्ड को छूते ही उसके पुरे बदन में आग लगा दी ,वैसे भी उसे रोज राकेश की लुल्ली लेनी पड़ती थी ,राकेश तो 4-5 मिनट में झड़ जाता और संतुष्ट होके सो जाता पर रमा की जवानी तड़पती रहती उसका एक मन तो हुआ की कपडे खोले और चढ़ जाए इस 10 इंच के लौड़े पर और भुजा ले अपनी आग । पर घर में सभी थे तो उसने खुद को रोक लिया उसके मन में एक तरकीब आई उसने इस राज़ को राज़ ही रखने की सोची ताकि मौका मिलते ही वो अपनी आग भुझा सके । उसे लग रहा जैसे आज तक वो इस खजाने को जानभूझ कर लुटा रही थी । पर इस खजाने को पाने के लिए राहुल को वश में करना जरूरी था .उसने राहुल को नहीं जगाया और रसोई में जाकर सारा काम खुद कर लिया ।पर उसके पूरे बदन में आग लगी हुई थी उसकी चूत एक दम दार लण्ड के तड़प रही थी ।काम करके रमा बेडरूम में पहुंची तो मोटे थुलथुले राकेश को देख के उसका मन बैठ गया पर वो बेचारी करती क्या उसकी फ़ुद्दी इस टाइम जल रही थी उसे एक लण्ड चाहिए था ,रमा को पता था राकेश तो चुदाई करेगा नहीं बोलेगा थका हुआ हूँ , इसलिए उसने दिमाग से काम लिया उसने जल्दी से नाइटी अलमारी के पीछे फ़ेंक दी और कपडे उतार के नगी घूमने लगी कमरे में वैसे रमा थी पूरी चुदकड़ 36डी के ये बड़े बड़े मोमे और 37इंच की गाँड किसी भी मर्द को उत्तेजित करने के लिए काफी थे ऊपर आज की टीवी एक्ट्रेस स्वेता तिवारी जैसी शकल परन्तु राकेश पर तो जैसे इनका कोई असर ही नहीं हो रहा था ।
"क्या हुआ नंगी क्यों घूम रही हो"
"अजी नाइटी नहीं मिल रही...आप मदद कर दो न" रमा ने अपने होंठो को काटते हुए कहा
"भाई नहीं मिल रही तो नंगी ही सो जाओ वैसे भी यंहां कौन आने वाला है ? मुझे तो ज़ोरों की नींद आ रही है मुझे मत तंग करो"
'कैसा चक्का है ये' रमा ने मन में सोचा । और नंगी ही राकेश के पास लेट गयी उसने पीठ राकेश की तरफ मोड़ ली और जान बूझकर अपनी गांड उसके लण्ड पर रगड़ने लगी इस आस में की शायद पत्थर पिघल जाये पर पत्थर तो पत्थर होता है राकेश ने उसे एक तरफ झटक दिया और बेड के कोने में होके सो गया । रमा बेचारी आग में तड़पती रही , रमा को "गुरूजी" की याद आ गयी एक गुरु जी थे जो दिन में दसियों औरतों को संतान प्राप्ति करवाते थे और एक राकेश था जिससे अपनी बीवी की भी चुदाई नहीं होती थी । गुरु जी पर राकेश की माँ की असीम आस्था थी ,मरते मरते भी बोल गयी थी की चाहे कुछ भी हो जाये गुरु जी की बात मत टालना जैसा वो कहें वैसा ही करना और रमा को गुरु जी के पास जरूर ले जाना दर्शनों के लिए तब राहुल कोई एक साल का था ,माँ के मरने के कोई 3 महीने बाद गुरु जी चंडीगड़ आये और पास की पहाड़ियों पर अपने आश्रम में टहरे तो संतान प्राप्ति के लिए राकेश रमा को गुरूजी के आश्रम में ले गया था ।रमा को अच्छे से वो दिन याद था उसने नीले रंग की शिफॉन की साडी पहन रखी थी ।किसी परी जैसी लग रही थी । पर गुरु जी के आश्रम पर जब उसने उनकी सेविकाएं देखी थी तो उसे लगा की जैसे वो अप्सराएं हो एक से एक सुन्दर । राकेश उसे सुबह के 5 बजे ही आश्रम ले आया था ताकि भीड़ न हो पर इतनी सुबह भी उनका नंबर बीसवां था । रमा डर रही थी की कहीं गुरु जी ये न कह दें कि वो कभी माँ नहीं बन सकती । कोई 7 बजे उनका नंबर लगा ,सेविका उन्हें गुरु जी के कमरे तक ले गयी और दरवाजे से अंदर जाने का इशारा किया तथा उनके अंदर जाते ही उसने दरवाजा बाहर से बंद कर दिया । गुरु जी 50 वर्ष के रहे होंगे पर चेहरे पर ऐसा तेज था की 40 से अधिक नहीं लगते थे , गोरा अंग्रेजों जैसा रंग बेहद कसरती बंदन ,पहलवानों सी मजबूत बाहें रमा ने अंदाजा लगाया की कम से कम गुरु जी का कद साढ़े 6 फुट तो होगा । न जाने क्यों उसके मन में एक विचार कौंध गया 6.5 फुट और मैं 5 फुट और वी सिहर उठी ।।। गुरु जी एक ऊँचे आसन पर विराजमान थे रमा को देखते ही बोले बेटी रमा अहिल्या से भी सुन्दर हो , रमा का तो जैसे शर्म से गढ़ ही गयी । फिर बिना कुछ पूछे राकेश से तुम्हारी माता जी गुज़र गयीं "अहह बड़ी भक्त थीं वो मेरी " गुरूजी ने एक आह भरते हुए कहा ।
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