RE: Hindi Adult Kahani कामाग्नि
बाकी सब भी उठ कर जल्दी से तैयार हो गए और नाश्ता करके समीर का सामान ले कर नीचे आ गए और सामान कार में रख भी दिया। सोनिया ने नेहा को आगे वाली सीट पर बैठने को कहा और खुद पीछे समीर के साथ बैठ गई। स्टेशन पहुँचने में कम से कम आधा घंटा लगने वाला था। सोनिया ने होजरी के सॉफ्ट कपड़े की मिनी ड्रेस पहनी थी, जो घुटनों से थोड़ा ऊपर तक ही थी। उसे एक लम्बा टाइट टी-शर्ट भी कहा जाए तो शायद गलत नहीं होगा। उसने अन्दर ब्रा, पैंटी कुछ भी नहीं पहना था।
सोनिया- सच कहूँ तो मेरा एक आखिरी बार समीर से चुदवाने का मन था; अब पता नहीं कब मिलना होगा। सुबह सब लोग बिजी थे और टाइम कम था इसलिए घर में तो मुश्किल था। तभी मैंने सोचा कि कार में इतना टाइम फालतू बरबाद होगा तो क्यों ना कार में जाते जाते ही चुदवा लूं।
नेहा- आपकी प्लानिंग की तो मैं फेन हूँ भाभी, ड्रेस भी एक दम चुन कर पहनी है इस काम के लिए।
सोनिया- अभी तो देखती जा, मैंने और क्या क्या प्लानिंग की है।
इतना कहते हुए सोनिया ने समीर के पेंट की ज़िप खोल कर अपने भाई का लंड निकाल लिया और बाजू में बैठे बैठे झुक कर चूसने लगी। थोड़ी ही देर में समीर का लंड खड़ा हो गया। सोनिया ने समीर को सीट के बिलकुल बीच में बैठने को कहा और खुद उसकी गोद में बैठ पर अपने भाई के लंड को अपनी चूत में डाल लिया। सोनिया खुद राजन और नेहा की सीट के पिछले हिस्से पर अपने कंधे टिका कर उनका सहारा लेते हुए पीछे अपनी कमर उछाल उछाल कर अपने भाई के लंड पर घुड़सवारी करने लगी।
समीर भी मौका देख कर सोनिया के स्तनों को ड्रेस के ऊपर से ही सहला देता था। जब कभी खाली रास्ता आता तो ड्रेस के अन्दर भी हाथ डाल कर उसके उरोजों को मसल देता।
राजन और नेहा भी दोनों को प्रोत्साहित करते जा रहे थे।
नेहा- चोद ले भेनचोद! अच्छे से चोद ले अपनी बहन को… फिर पता नहीं कब चोदने को मिले।
नेहा की इस बात से समीर को जोश आ गया और वो नीचे से भी जोर जोर से धक्के मारने लगा। काफी देर तक ऐसे ही, खुली सड़क पर चलती कार में दिन दिहाड़े, भाई बहन की चुदाई चलती रही; फिर आखिर समीर अपनी बहन की चूत में झड़ गया।
स्टेशन अब पास ही था, तो सोनिया वैसे ही अपने भाई का लंड चूत में लिए बैठे रही। स्टेशन पहुँचने तक समीर का लंड भी इतना ढीला नहीं हुआ था। उसका वीर्य अब भी सोनिया की चूत में ही था।
कार के पार्क होने के बाद सबसे पहले सोनिया ने अपना पर्स खोला और उसमें से एक टेम्पॅान निकला और लंड से उठ कर तुरंत टेम्पॅान अपनी चूत में डाल लिया ताकि वीर्य बाहर ना निकल पाए।
नेहा- क्या बात है भाभी! सही कहा था आपने पूरी तयारी के साथ आई हो। चूत का रस बाहर ना निकले, इसलिए ढक्कन लगा लिया।
सोनिया- हाँ… और ढक्कन की डोरी नीचे ना लटके इसलिए ये सी-स्ट्रिंग (जी-स्ट्रिंग का आधुनिक रूप) भी लाई हूँ। कार में बैठे बैठे पेंटी पहनने में दिक्कत होती है इसलिए… सी-स्ट्रिंग रॉक्स!
सोनिया ने सी-स्ट्रिंग को अपनी चूत पर फिट किया और ड्रेस को नीचे खिसका कर बाहर आ गई।
सब सामान ले कर ट्रेन की तरफ चल पड़े। राजन प्लेटफार्म टिकेट ले आया और समीर का सामान भी ट्रेन में रखवा दिया। समीर भले ही बहनचोद मादरचोद हो गया था, लेकिन वो संस्कार जो बचपन से उसे मिले थे, वो तो अपने आप ही काम करने लगते हैं। समीर अपने जीजा जी के पैर छूने लगा तो राजन ने उसे पकड़ कर गले से लगा लिया।
राजन- अब तो हम यार हो गए हैं यार, आज के बाद दुनिया के लिए मैं तेरा जीजा रहूँगा लेकिन तू मुझे अपना दोस्त ही समझना। ठीक है?
उसके बाद समीर सोनिया के पैर छूने के लिए झुकता उसके पहले ही सोनिया ने उसे अपने पास खींच लिया। सोनिया का एक हाथ समीर को कमर से पकड़ कर उसे सोनिया के बदन से चिपका रहा था और दूसरे से उसने समीर के सर को पीछे से अपनी ओर दबाते हुए उसके होंठों से होंठ जोड़ दिए।
दोनों की आँखें बंद हो गईं।
हमारे देश में ऐसे नज़ारे रेलवे स्टेशन पर कम ही देखने को मिलते हैं लेकिन फिर भी, जो भी उन्हें देख रहा था, उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि वो भाई बहन हैं। शायद लोगों ने यही सोचा हो कि कोई अपनी बीवी को मायके छोड़ कर वापस जा रहा है।
दोनों इस लम्हे को अपनी यादों में कुछ ऐसे संजो लेना चाहते थे कि जब भी एक दूजे की याद आये तो साथ में इस चुम्बन का मुलायम अहसास अपने आप ही होंठों पर तैर जाए। राजन और नेहा भी इस रोमांटिक दृश्य को अपलक देख रहे थे। अगर ये कोई बॉलीवुड की फिल्म होती, तो ज़रूर बैकग्राउंड में फिल्म का टाइटल म्यूजिक चल रहा होता और कैमरा इन दोनों के के चारों ओर घूम रहा होता।
आखिर ट्रेन ने लम्बा हॉर्न मारा और दोनों को अलग होना पड़ा, समीर ने जल्दी से नेहा को भी गले लगाया और एक छोटी सी चुम्मी उसके होंठों पर भी जड़ कर वो अपनी कोच के दरवाज़े पर चढ़ गया।
ट्रेन धीरे धीरे चलने लगी और ये समीर हाथ हिलाते हुए सब से विदा लेने लगा। सोनिया, नेहा और राजन भी हाथ हिला कर उसे विदा करते रहे जब तक वो आँखों से ओझल नहीं हो गया। समीर चला गया था लेकिन नेहा और सोनिया की आँखों में एक नमी छोड़ गया था।
दोस्तो, जैसा मैंने आपको कहा था, यह शृंखला अब यहीं समाप्त होती है।
आपको ये भाई बहन की की कहानी कैसी लगी ये मुझे ज़रूर बताएं।
समाप्त
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