RE: Hindi Adult Kahani कामाग्नि
नींद तो दोनों को देर रात तक नहीं आई लेकिन फिर कोई बात भी नहीं हुई। अगली सुबह सब ऐसे रहा जैसे रात को कुछ हुआ ही नहीं। जय और शीतल नाश्ता करके वापस शहर चले गए।
आगे भी कई बार विराज ने जय को बुलाया लेकिन फिर शीतल उसके साथ नहीं गई। जय की वजह से विराज को अपने जीवन में काम-वासना की कोई कमी महसूस नहीं हो पाई। यूँ तो शालू भी विराज का लंड चूस कर झड़ा सकती थी और झड़ाती भी थी लेकिन अभी वो लोट-पोट होकर उत्तेजना वाली मस्ती करने की स्थिति में नहीं थी तो ये सब विराज जय के साथ कर लेता था। यूं ही दिन बीत गए और शालू ने एक स्वस्थ लड़के को जन्म दिया जिसका नाम आगे चल कर राजन रखा गया।
राजन के जन्म पर तो शीतल को जय के साथ गाँव जाना ही था और वैसे भी जिस कारण से तो उसके साथ जाने से कतराती थी वो अब था नहीं। शालू अभी इस अवस्था में नहीं थी कि शीतल के साथ कोई शरारत कर सके। वैसे शीतल को शालू पसंद थी। उसी की सलाह का नतीजा था कि पिछले कई दिनों से जय-शीतल के सम्बन्ध बहुत रंगीन हुए जा रहे थे। लेकिन शीतल के संस्कार उसे अपने पति के अलावा किसी और के साथ कामानंद की अनुभूति करने से रोकते थे और इसीलिए वो शालू से ज्यादा नजदीकी रखने में झिझक रही थी।
जो भी हो, शीतल ने आते ही शालू की मदद करना शुरू कर दिया ताकि वो आराम कर सके और अपने बच्चे का ध्यान रख सके। विराज, जय और जय के बाबा खेती-बाड़ी की बातों में लगे रहे। रात को हमेशा की तरह विराज और जय खेत पर दारू पार्टी और मस्ती करने चले गए। आज विराज बहुत खुश था उसके घर में बेटा जो हुआ था, लेकिन नशे का थोडा सुरूर चढ़ने के बाद विराज ने जय को एक और खुशखबरी सुनाई।
विराज- यार! इतने दिन तूने मेरा बहुत साथ दिया। बहुत मज़े करे अपन ने यहाँ मिल के।
जय- दोस्त ही दोस्त के काम आता है यार।
विराज- हम्म… लेकिन तू मेरा खास दोस्त है… तो तेरे लिए एक और खुशखबरी है।
जय- क्या?
विराज- मैं शालू के साथ मज़े नहीं कर पा रहा था तब उसी ने मुझे बोला था तुझे बुलाने को। वो ये भी बोली थी कि अगर तू मेरे साथ मस्ती करेगा तो वो भी टाइम आने पर हमारी मस्ती में साथ देगी।
जय- वो साथ तो दे ही रही है ना… पता होते हुए भी हमको यहाँ आने देती है। मेरी बीवी को भी वासना की ऐसी पट्टी पढ़ाई है कि कुछ महीनों से तो मेरी जिंदगी रंगीन हो गई है।
विराज- अरे नहीं यार… तुझे चढ़ गई है… तू समझ नहीं रहा है।
जय- समझ रहा हूँ यार। पिछली बार शीतल एक रात भाभी के साथ रुकी थी और उन्होंने जाने क्या पट्टी पढ़ाई कि जो औरत पहले ठीक से चुदवाती भी नहीं थी वो अब खुद ही मुझे चोद देती है।
विराज- अरे यार मैं बोल रहा हूँ कि शालू भी अब हम दोनों को एक साथ चोद देगी!
जय- क्या? हम दोनों को? मतलब…
विराज- मतलब ये कि मेरी भाभी तैयार हो ना हो… तेरी भाभी तैयार है अपन दोनों से साथ में चुदवाने के लिए। तो अब अगली बार जब तू आएगा तो अपन साथ मिल उसके साथ मज़े करेंगे।
जय- ऐसा है तो यार, एक खुशखबरी मेरे पास भी है।
विराज- क्या? बता भाई बता… आज तो दिन ही ख़ुशी का है।
जय- देख वो मेरी दूकान पर मैंने जो टीवी कूलर बेचना शुरू किया था ना तो टीवी कंपनी ने टारगेट दिया था। पूरा करने वाले डीलर को यूरोप में दो लोगों के लिए 5 दिन घुमाने का इनाम था। तो मैंने तो टारगेट से ज्यादा टीवी बेच डाले। तो अब जल्दी ही यूरोप जाने का प्रोग्राम है।
विराज- मुबारक हो भाई। लेकिन, इसका मेरी वाली खुशखबरी से क्या वास्ता।
जय- वास्ता ये है कि मैंने अभी तुझे बताया ना कि भाभी की संगती में रह के शीतल ढंग से चुदाई करना सीख गई। इसलिए मुझे उम्मीद है कि वहां विदेशी लोगों का खुलापन देखेगी तो शायद वो भी हमारी मस्ती में शामिल होने को राजी हो जाए। मैंने सुना है वहां किसी किसी बीच पर नंगे घूमना आम बात है।
विराज- ऐसा है क्या? फिर तो घुमा ला। तब तक शालू की चूत भी थोड़ी टाइट हो जाएगी। फिर दोनों भाई मिल के साथ में भाभीचोद बनेंगे।
इस बात पर दोनों बहुत हँसे।
नशे का सुरूर और वासना अब सर चढ़ चुका था। दोनों जल्दी ही नंगे हो गए और एक दूसरे की बीवी को कैसे चोदेंगे ये बातें करते करते मस्ती करने लगे। ऐसे तो दोनों एक दूसरे की पत्नी के बारे इज्ज़त से ही बात करते थे लेकिन आज नशे में उनको शायद लग रहा था कि उनकी कल्पना सच हो ही जाएगी। आगे क्या होने वाला था ये तो समय को ही पता था।
दोस्तो, मेरी वासना भरी कहानी आपको कैसी लग रही है,
|