RE: Hindi Adult Kahani कामाग्नि
विराज- अब यार गुस्सा तो मैं पहले ही था सब लोगों के ताने सुन सुन के लेकिन तुम्हारी खूबसूरती देख के आधा गुस्सा ख़त्म हो गया और बाकी यह देख कर कि तुम कुँवारी ही हो। बाकी जो भी किया हो तुमने वो खुल के बता दो मैं गुस्सा नहीं करूँगा।
शालू- देखिये, हमारे बाबा बहुत शौकीन किस्म के हैं। जब हम जवान होना शुरू हुए तभी से हमको समझ आने लगा था कि उनके कई औरतों के साथ सम्बन्ध थे। कई बार हम खुद उन्हें घर में काम करने वाली औरतों के साथ छेड़खानी करते हुए देख चुके थे।
विराज- हाँ ये तो सही है। उनके भी कई किस्से सुने हैं मैंने, लेकिन फर्क ये है कि समाज में जब लोग उनके किस्से सुनाते हैं तो ऐसे सुनाते हैं जैसे उन्होंने कोई बड़ा तीर मारा हो।
शालू- हाँ, वो मर्द हैं ना, ऐसा तो होगा ही। फिर एक दिन हमको उनके कमरे में एक छिपी हुई अलमारी मिली उसमें वैसी वाली किताबों का खज़ाना था। हमने छिप छिप कर पढ़ना शुरू किया और हमको बड़ी गुदगुदी होती थी ये सब सोच कर। हमारा भी मन करता था कि हम ये सब करके देखें। फिर हमें लगा कि जैसे बाबा घर में काम करने वाली औरतों के साथ चोरी छिपे मज़े करते है ऐसे ही क्यों ना हम भी किसी काम वाले को अपना रौब दिखा के वो सब करने को कहें जो उन किताबों में लिखा था और जिसके फोटो भी छपे थे।
विराज- फिर?
शालू- फिर हमने वही किया। एक हमारी ही उम्र का कामदार था, हट्टा-कट्टा गठीले बदन वाला। हमने उसको अकेले में बुलाया और डरा धमका के उसको नंगा होने के लिए कहा। उस दिन पहली बार हमने लंड छू कर देखा था। फिर अक्सर हम मौका देख कर उसको घर के किसी कोने में बुलाते और उसका लंड चूसते थे। हमको जैसे फोटो में दिखाया था वैसे उसका पूरा लंड अपने मुंह में लेना था।
विराज- ओह्ह तभी इतना मस्त लंड चूस लेती हो… लेकिन अपवाह तो कुछ और सुनी थी। तुम्हारा भाई…
शालू- वही बता रही हूँ। एक दिन घर के सब लोग दूसरे गाँव शादी में गए थे। मेरा जाने का मन नहीं था इसलिए मुझे भैया के साथ घर छोड़ गए थे। दोपहर को भैया जब खले की तरफ गए तो मैंने वो कामदार को बुलाया। उस दिन मैं सब कुछ कर लेना चाहती थी। हम दोनों कपड़े उतार के नंगे हुए ही थे कि भैया वापस आ गए।
वो खले की चाभी घर पर ही भूल गए थे। जैसे ही उन्होंने हमको इस हालत में देखा, उन्होंने उस कामदार को बहुत पीटा और लात मार के बाहर निकाल दिया। फिर बाद में भैया ने समझाया कि ऐसे लोगों के साथ ये सब करने से बदनामी हो सकती है और वो तो बाहर जा कर लोगों को शान से बताएगा कि उसने तुम्हारे साथ क्या किया। नाम तो हमारा ही ख़राब होगा ना। मुझे उनकी बात समझ आ गई इसीलिए मेरी चूत अब तक अनछुई है। बाद में उसी कामदार ने ये सब बातें मेरे बारे में फैलाई थी।
विराज- खैर अब इतना तो मैं भी कर चुका हूँ। मुझे ये सुन कर बुरा ज़रूर लगा कि तुमने एक काम वाले का लंड चूसा लेकिन ठीक है ये सोच कर तसल्ली कर लूँगा कि इसी बहाने तुम इतना अच्छा लंड चूसना सीख गईं। वैसे मैं और मेरा लंगोटिया यार जय भी एक दूसरे का लंड चूसते हैं।
शालू- हाय राम! आप वैसे तो नहीं हो ना जिनको लड़के पसंद होते हैं?
विराज- हा हा हा… अरे नहीं! वो तो बचपन में हमने एक दूसरे की मुठ मारना साथ ही सीखा था। अभी शाम को उसके साथ यही बात हो रही थी। मैंने कहा साथ मुठ मारते थे तो चल साथ चूत भी चोदेंगे तो वो बोला अगर दोनों की बीवियों को मंज़ूर होगा तो ही करेंगे नहीं तो नहीं। बोलो क्या बोलती हो?
शालू- मैंने तो अपने आप को आपके नाम कर दिया है। आप बोलोगे कि कुएँ में कूद जाओ तो मैं कूद जाउंगी। लेकिन उनकी पत्नी ने हाँ कर दी है क्या?
विराज- नहीं बाबा! उसकी तो अभी शादी भी नहीं हुई।
शालू- देखिये, मैं तो आपको किसी भी बात के लिए मना नहीं करुँगी; लेकिन आप मुझे ऐसे किसी से भी चुदवाओगे क्या?
विराज- नहीं यार, वो तो मैंने गुस्से में कह दिया था। वैसे भी जय के साथ मेरा सब सांझा है इसलिए बोल दिया था। नहीं तो कोई और तुमको आँख उठा के देख भी लेगा तो आँख फोड़ दूंगा साले की।
शालू- अरे, मेरे भाई की आँख क्यों फोड़ोगे। अब वही तो तुम्हारा साला है ना!
शालू के इस मजाक पर दोनों खिलखिला कर हंस पड़े। यूँ ही बातों बातों में आधी रात गुज़र गई और आखिर दोनों चैन की नींद सो गए।
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