RE: Chudai Kahani मेरी कमसिन जवानी की आग
अब तो मुझे अपनी चुत में उंगली करवाने की आदत सी हो चली थी इसलिए मैं बिना पेंटी के ही सिर्फ स्कर्ट पहन कर ही पढ़ने बैठ जाती थी और मौका मिलते ही अपनी स्कर्ट उठा कर सर को चुत का नजारा दिखा देती थी.
एक दिन सर ने मुझसे बोला- संध्या, तुम्हारे साथ उस दिन अधूरा रह गया था, मुझे पूरा करना है.मैं शरमा गई तो सर बोले- जानती हो क्या अधूरा रह गया था?मैं बोली- नहीं सर..
तो वो बहुत ही धीरे से बोले कि तुम्हें चोदना बाकी है, जब मैं तुम्हारी चूत में अपना लंड डाल कर जमके धक्के मारकर अन्दर बाहर चुदाई करता, तब तुम्हें बहुत ज्यादा मजा आता और तुम जन्नत की सैर कर आती.कमलेश सर एक बड़ी बात बोल गए जो मेरे दिमाग में बैठ गई.
सर बोले- संध्या, जब भी मौका मिले और कोई भी लड़का या मर्द तुमसे तुम्हारी चूत मांगे तो तुम उसे अपनी चूत देकर चुदाई ज़रूर करवा लेना, उससे तुरंत चुदवा लेना, बहुत बहुत मजा आएगा.
यह बात मेरे दिमाग में घूमने लगी और अब मैं जब भी अब अकेली होती तो सर ने जो सेक्स कहानियों की बुक दी थी, उनको जरूर पढ़ती और मैगजीन के नंगे चित्र देखती. फिर ना जाने मुझे क्या हो जाता कि मेरी पैंटी से पानी बहने लगता. मेरी पैंटी गीली हो जाती.
अब यह लगने लगा था कि किसी तरह मुझे अन्दर अपनी चूत में लंड डलवाना चाहिए. सब कहानियों में वही वही बात रहती थी. मेरे मन में वही सब सोच-सोचकर कई बार मेरी पैंटी गीली हो जाती थी. इसी तरह से एक साल बीत गया.
तभी मेरी बड़ी बहन का बेटा पीयूष पांच दिन के लिए आया. वो मुझसे सिर्फ एक साल छोटा था पर मेरे साथ ही खेलता, कभी पढ़ता हम दोनों ज्यादा वक्त साथ ही रहते.
एक दिन मैं और पीयूष गुड्डा गुड्डी की शादी वाला खेल खेल रहे थे, हालांकि अब हम दोनों अब इस खेल की उम्र से कहीं आगे बढ़ चुके थे, लेकिन तब भी हम दोनों को ही इस खेल को खेलने में मजा आता था. तभी एकदम से मेरे दिमाग में आया जो मैंने सेक्स कहानी में सुहागरात में चुदाई की कहानी पढ़ी थी, उसी का मजा लेती हूँ.
मैं पीयूष से बोली- चल अब इनकी सुहागरात करवाते हैं.उसने बोला- संध्या मौसी, अब इस खेल को आगे आप ही बताओ, मुझे इतना तक ही पता है.मैं बोली- बस इन दोनों के कपड़े उतार कर नंगी लिटा देना है, फिर दुल्हा-दुल्हन एक साथ सोएंगे और दोनों एक दूसरे को मिलकर चोदेंगे.
तभी पीयूष ने पूछा- संध्या मौसी, आप यह बताओ कि यह होगा कैसे? ये दोनों कैसे यह करेंगे?तब मैं बोली- पीयूष, चलो मैं तुम्हें सब सिखा देती हूं. पीयूष तुम मेरे दूल्हा बन जाओ, मैं तुम्हारी दुल्हन बन जाती हूं. बताओ अगर तुम्हें यह मंजूर हो मैं तुम्हें सब बता देती हूं.तभी पीयूष बोला- चलो जो ठीक लगे वही करो और मुझे सब बताओ.मैं खुश हो गई और बोली- जरा 5 मिनट रुक, मैं सज धज कर दुल्हन बन जाऊं, फिर सुहागरात का खेल खेलेंगे.
मैंने मम्मी की एक अच्छी सी साड़ी निकाली और उन्हीं का ब्लाउज और पेटीकोट, मेकअप का सामान निकाल कर मेकअप करने लगी.
इतने में पीयूष सामने आ गया और बोला- मौसी तुम बहुत सुंदर लगने लगी हो.मैं बोली- अब मुझे मौसी मत बोल, मैं तेरी बीवी संध्या बन गई हूं, तो सिर्फ मुझे संध्या ही बोल.पीयूष ने पहली बार मुझे संध्या कहकर बुलाया कि संध्या तुम बहुत मस्त लग रही हो.
शायद पीयूष भी कुछ जानता था. मैं बोली कि अरे तुम तो बहुत बड़े खिलाड़ी निकले.. मैंने सोचा था कि तुम बहुत छोटे हो. फिर भी चलो आज मैंने तुम्हें अपना पति बना लिया.
फिर मैं उसी के सामने अपने एक एक कपड़े उतारने लगी. जैसे ही मैंने अपना टॉप उतारा तो पीयूष मेरे सामने खड़ा हो गया और बोला- संध्या तुम पूरी हीरोइन लगती हो, मैंने टीवी में भी इतनी मस्त लड़की नहीं देखी है. जब मेरा दोस्त अपने मोबाइल में जब मुझे नंगी नंगी लड़कियां दिखाता है, तब बहुत अलग लगने लगता है.. लेकिन वो नंगी लड़कियां भी तुमसे मस्त नहीं लगतीं.
मैंने कहा- टीवी मतलब क्या हुआ.. क्या तुम ब्लू-फिल्म की बात कर रहे हो?उसने बोला- हां संध्या ब्लू फिल्म में लड़का लड़की दोनों मिलकर सेक्स करते हैं. कई बार तो एक लड़की को एक से अधिक 3 या 4 मर्द मिलकर उसकी चुदाई करते हैं. मैं जब मोबाइल में यह सब देखता हूं, तो मुझे बहुत मजा आता है और मेरा लंड खड़ा हो जाता है. आज तुम्हें यह बता दूं कि मैं उस समय सिर्फ तुम्हें ही सोचता हूं, अपने आप ही दिमाग में तुम आ जाती हो, सच में तुम उनसे भी सुंदर और सेक्सी लगती हो. मैं और मेरा दोस्त दोनों यही सब मेरे दोस्त के मोबाइल में देखते रहते हैं.
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