Chudai Kahani मेरी कमसिन जवानी की आग
09-05-2019, 01:48 PM,
#16
RE: Chudai Kahani मेरी कमसिन जवानी की आग
मेरी टीचर ने मुझे पढ़ाई के बहाने से सेक्स कहानियों की किताब देकर पढ़वाई और फिर मुझे अपनी वासना का खिलौना बनाना चाहा, मेरे मुँह में अपना लन्ड चुसवाया, फिर मैंने खुद गुड्डे गुड़िया की शादी का खेल खेलने के बहाने से अपनी दीदी के बेटे, उसके दोस्त और अपनी मौसी के लड़के से अपनी कामुकता का इलाज करवाने का सोचा, पर मेरे पड़ोस के एक चाचा और उनके दो दोस्तों ने मुझे देख लिया था. फिर उन तीनों ने मुझे खूब चोदा. ये सब मेरी इस कहानी का हिस्सा है.
आज मैं अपने जीवन की पहली फिजिकल रिलेशन को आरएसएस के माध्यम से लिखकर कहानी के रूप में बताने की कोशिश कर रही हूं. अगर लिखने में कोई भी गलती हो जाए तो माफ़ कर देना.
यह कोई सिर्फ कहानी नहीं है, मुझे मेरी मम्मी की कसम, इसका एक एक शब्द सही है. बस नाम बदल रही हूं,जिन्होंने किया उनका नाम ही बदला है, पर फिर भी सब कुछ सच ही है.
मेरा नाम संध्या है, मैं सतना से बीस किलोमीटर दूर रामपुर के पास तपा कस्बे की रहने वाली हूं, मेरे पापा मम्मी बहुत गरीब हैं. पापा कमाने के लिए मुंबई काम करने चले जाते हैं और आठ दस महीने बाद ही फिर वापिस आते हैं. मेरी परवरिश मम्मी ने की है. पापा के न रहने का फायदा पापा के दोस्त उठाते थे, साथ में और भी कुछ लोग थे, वे सब मम्मी की मदद करने के बहाने मेरे घर आते-जाते रहे हैं. मम्मी भी सभी से मदद मांग लेती थीं, मम्मी पैसों को बहुत मानती हैं.. मतलब लालच तो सब में होता है, पर मम्मी में थोड़ा ज्यादा ही लालच है.

उस समय मैं स्कूल की छात्रा थी, एक बार फेल हो चुकी थी, मेरे घर में पढ़ाई का कोई माहौल नहीं था. मेरे पापा के बहुत अच्छे दोस्त, जो मेरे स्कूल में टीचर भी हैं. मैं उन्हें कमलेश चाचा पहले कहती थी, अब उन्हें कमलेश सर बोलने लगी हूं. वो मम्मी को पसंद करते थे. मम्मी भी उन्हें पसंद करती थीं. इस बहाने वो मुझे पढ़ाने लगे. मैं अभी हर चीज हर बात से अनजान थी.
एक दिन मैं तखत के ऊपर बैठी थी और सर नीचे कुर्सी पर थे. मुझे पता नहीं चला कि मैं कैसे बैठी हूं, उन्हें मेरी स्कर्ट के फैलाव से मेरी पैंटी की वो फूली जगह दिख रही थी.
वो लगातार वहीं देखते रहे, वही दिन था जब उनकी नियत बदल गई थी. मैंने अपनी बैठने की पोजीशन बदलना चाही तो उन्होंने मुझसे कहा कि ऐसे ही बैठी रहो संध्या.. कोई कीड़ा अन्दर है.मैं डर गई तो सर बोले- डरो नहीं मैं हूँ न.यह कहते हुए सर ने अपना हाथ मेरी जांघों में डाल कर दोनों टांगों के बीच पैंटी के ऊपर फूली जगह पर रख दिया. मैं सोची कि सर कीड़ा ही पकड़ रहे हैं.
उस समय तक मैं कुछ ज्यादा नहीं जानती थी. पुसी का उपयोग सू-सू करने में होता है, बस मुझे यही पता था. पर जब सर वहां पर हाथ रख कर दबाया तो गुदगुदी सी हुई और फिर वे वहीं हाथ रखे रहे.
मैं बोली- कीड़ा मिला सर?तो बोले- हां पर निकल नहीं रहा.. संध्या तुम चिंता मत करो, अब काटेगा नहीं.मैं बोली- ओके सर पर मुझे गुदगुदी हो रही है.तभी सर बोले- सच संध्या.मैं बोली- जी सर..
तभी उन्होंने अपनी उंगली से मेरी फूली जगह, जिसके अन्दर पुसी या चूत होती है. उसके बीच की रेखा पर उंगली डालने लगे.मैं ‘उंहहह..’ बोली तो सर बोले- क्या हुआ?मैं बोली- कुछ नहीं सर..
सर उसी रेखा में पैंटी के ऊपर से उंगली चलाने लगे, मेरी आंखें बंद होने लगीं. वो मेरा पहला अनुभव था, मुझे कुछ नहीं पता था. मैं यही सोच रही थी कि सर कीड़ा पकड़ रहे हैं. पर ऐसा मन जरूर हुआ कि सर मेरे वहीं उंगली से वैसे ही कीड़े को ढूंढते रहे.
इतने में मम्मी आ गईं और सर ने हाथ हटा लिया. मैं बोली- सर मिला क्या?सर ने मुझे चुप रहने का इशारा किया. मैं चुप हो गई.मम्मी बोलीं- क्या मिला?कमलेश सर झूठ बोले कि एक आंसर बुक में देख रहा था, वही संध्या ने पूछा है.मम्मी बोलीं- ठीक है.
कमलेश सर मम्मी के जाने के बाद बोले- जहां कीड़ा ढूंढ रहा था, उस जगह की बहुत इम्पोर्टेन्स है, इसकी भी बुक्स आती है, मैं कल ले आऊंगा. बस उसे अकेले में पढ़ना और कुछ फोटो वाली पत्रिका ला दूंगा. तुमको ‌पूरी नॉलेज हो जाएगी. फिर तुम इस सब्जेक्ट में कभी फेल नहीं होगी.मैं बोली- ठीक है सर. ये सब्जेक्ट बहुत कठिन तो नहीं है?सर बोले- अच्छे से पढ़ लोगी तो कभी दिक्कत नहीं आएगी.. इससे इंटरेस्टिंग कोई सब्जेक्ट ही नहीं लगेगा, संध्या ये बहुत मजेदार है.मैं बोली- ठीक है सर.. आप बुक लाना, मैं पढ़ लूंगी.
कमलेश सर दूसरे दिन दो पतली पतली बुक लाए और एक मैग्जीन मुझे देकर बोले- इसे अकेले में पढ़ना और समझना, फिर फोटो देखना, जो समझ ना आये मुझसे पूछ लेना. बस संध्या इतना ध्यान रखना कि ये बुक कोई देखे ना और न मैगजीन भी.मैं बोली- ओके सर.मैंने उस दिन सलवार पहनी थी तो सर ने ये भी कहा कि जब मुझसे टयूशन पढ़ा करो तो हमेशा स्कर्ट पहन कर बैठा करो.. उससे पढ़ाई अच्छी तरह से होती है.मैं बोली- ओके
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