RE: Chudai Kahani मेरी कमसिन जवानी की आग
मैंने बहुत अच्छे से मेकअप किया, आज मैंने रेड कलर की स्कर्ट और ऊपर व्हाइट टॉप पहना नीचे मैंने ब्रा नहीं पहनी, सिर्फ पैंटी पहनी और जल्दी सवेरे 9:00 बजे मम्मी से झूठ बोलकर बहाना बनाकर मैं सतना गई, सतीश जीजा अपनी बाइक लिए खड़े मिले, हम मकान मालिक के घर पहुंच गए.
ऊपर जैसे जाकर नाक किया मकान मालिक निकला, मुझे देख कर ऊपर से नीचे तक घूरने लगा और बोला- वाह संध्या, क्या मस्त हो, सच में बहुत मस्त माल हो!और गेट खोला.मैं बोली- अंदर तब आऊंगी जब यह सतीश जीजा भी अंदर रहेंगे. वरना मैं यहीं से वापिस चली जाऊंगी, मैं अंदर नहीं आऊंगी.तो वो बोले- कोई बात नहीं, जब तुम्हें प्रॉब्लम नहीं तो सतीश आ जा, तू भी अंदर रहना कोई दिक्कत नहीं.
और सतीश जीजा और मैं अंदर चले गए.
अंदर जाते ही मकान मालिक ने रूम बंद कर दिया अंदर से, और अपने कमरे पर ले गया जहां डबल बेड लगा हुआ था.मैंने देखा कि बहुत अच्छा बेडरूम था, मकान मालिक बोला- सतीश ड्रिंक करेगा?तो सतीश जीजा बोले- नहीं आप कर लो!
उसने एक दारू का बोतल निकाली और मेरे सामने आधी ग्लास से ज्यादा भर के पी ली.मैं डर रही थी, घबरा रही थी, मैं कुछ नहीं बोली, वो मेरे पास ग्लास लेकर आए, बोले- संध्या तू भी पिएगी, आज पी ले तुझे बहुत मजा आएगा!मैं बोली- नहीं, मैं नहीं पीती, ना कभी पियूंगी!तो उसने तुरंत जल्दी जल्दी दो ग्लास दारु पी और सीधे आकर मुझे अपनी बाहों में भर लिया, मेरे सामने खड़े होकर मेरे होठों पर अपने होंठ रख दिए. बहुत गर्म थे उनके होंठ… मेरा दिल जोर से धड़क उठा.
जैसे ही मेरे चूमने लगे, उनके मुंह से हल्की हल्की दारू की महक आ रही थी, मैं बोली- महक आती है आपके मुंह से वाइन की!तो बोले- अभी बहुत मजा आएगा तुझे!और फिर उन्होंने मेरे स्कर्ट को ऊपर किया और नीचे बैठ गए, मकान मालिक बोले- बहुत मस्त माल है तू संध्या, तुझे कैसे छोड़ता, तू आ गई वरना मैं तेरे घर आ ही जाता.मैं कुछ नहीं बोली.
तभी मेरे पेंटी के ऊपर से ही जहां मेरी चूत थी, वहां चूम लिया और बोले- क्या मस्त खुशबू है तेरी चूत की, बहुत गजब की आइटम है तू!और पेंटी के ऊपर से ही जहां मेरी चूत है उस फूली हुई जगह पर अपनी नाक रगड़ने लगे.मुझे गुदगुदी सी होने लगी और अजीब सी सुरसुराहट चूत में महसूस हुई.
वहीं सामने सतीश जीजा खड़े सब देख रहे थे.
मकान मालिक ने खड़े होकर मुझे गले से लगा लिया, बोले- संध्या, तुम्हारे होंठ बहुत रसीले हैं, जी करता है कि इन्हें चूसता रहूं!और यह कहते हुए मेरे होठों को चूसने लगे. साथ में मेरा टॉप ऊपर करके मेरी नाभि में अपनी उंगली चलाने लगे, उनके छूने का तरीका कुछ इस तरह का था कि मैं थोड़ी ही देर में अलग सा महसूस करने लगी और मेरे बदन में टूटन होने लगी, पर मैं फिर भी मकान मालिक को बोली- प्लीज मैं आपसे बहुत छोटी हूं, आपने कहा था तो मैं आ गई लेकिन अब मुझे जाने दीजिए, मुझे मत कुछ करिए, बहुत डर लग रहा है.
तो उन्होंने कहा- उस दिन जब सतीश लन्ड घुसा रहा था तब तो तुम टांगें ऊपर करके बहुत उछल रही थी, पर अब क्या हुआ?मैं बोली- एक बात कहूं, मैं आज यह आपसे नहीं करवाना चाहती, मुझे जाने दो!और मैंने हाथ जोड़ लिये.
तब मकान मालिक बोले- संध्या, एक काम कर, मुझे सिर्फ पंद्रह मिनट दे दे, 15 मिनट बाद तुम यहां से चली जाना! ठीक है?पता नहीं क्यों… मैं खुश भी हुई, और सच बोलूं तो अंदर से मन में लगा कि लगता है अब यह नहीं चोदेंगे मुझे!पर मैं खुश होकर बोली- थैंक यू अंकल!
मकान मालिक बोले- लेकिन इन 15 मिनट में कुछ भी जो मैं करूं वो करने से तू मुझे रोकेगी नहीं!मैं बोली- फिर क्या मतलब? आप 15 मिनट के अंदर ही अंदर डाल कर सब कर लेंगे!मकान मालिक बोले- मैं तुम्हारे अंदर नहीं डालूंगा, बाकी सब सब कुछ करूंगा, डालने के अलावा. पन्द्रह मिनट तक तुम कोई ड्रामा नहीं करोगी.मैंने सोचा थोड़ा… फिर बोली- ठीक है, उसके बाद तो मुझे जाने दोगे?मकान मालिक बोले- बिल्कुल चली जाना!मैंने कहा- ठीक है तो फिर!
अब मकान मालिक मेरे सामने आए और सीधे मेरी स्कर्ट को पकड़ा ऊपर उठाया फिर ना जाने क्या उनके दिमाग में आया सीधे खींच कर नीचे उतार दिया, मैं उनके सामने ऊपर टॉप में जो मेरी नाभि के नीचे तक थी, नीचे सिर्फ पैंटी में मुझे खुद शर्म आने लगी.इस बार मकान मालिक बिल्कुल सामने खड़े हो गए और बोले- संध्या, तुम पूरी कयामत हो. तुम्हारे जैसी मैंने परफेक्ट फिगर की लड़की आज तक नहीं देखी. तुम यह देखो!
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