RE: vasna story अंजाने में बहन ने ही चुदवाया पूरा परिवार
अम्मी के बाहर निकलते ही मैंने दरवाजा बंद किया और बाजी के रूम की तरफ चल दिया। बाजी के रूम का दरवाजा खोलते ही मुझे एक हल्का सा झटका लगा, क्योंकी बाजी उस वक़्त नहाकर निकली ही थी, और एक तौलिया बाजी ने अपने आगे लपेट रखा था, जिसे देखते ही मेरा लण्ड ट्राउजर में खड़ा हो गया।
बाजी भी मुझे रूम में आता हुआ देख चुकी थी। लेकिन बाजी ने बड़े आराम से मेरी तरफ देखा और बोली- “भाई क्या बात है? और इस तरह मुझे क्यों घूर रहे हो? जाओ यहाँ से मैं चेंज कर लूँ..."
मैं एक बार फिर बाजी को ऊपर से नीचे तक देखता हुआ बाजी के रूम से बाहर निकल गया, और हाल में आकर बैठ गया और बाजी का इंतेजार करने लगा।
बाजी थोड़ी देर के बाद ही अपने रूम से बाहर आ गई और बोली- “हाँ भाई, क्या बात है, मेरे रूम में नाक किए बिना क्यों आ गये थे तुम?”
मैंने बाजी की तरफ देखा तो देखता ही रहा गया। क्योंकी बाजी ने ऐसे कपड़े घर में कभी नहीं पहने थे मेरे सामने। मैने बोला- “वो बाजी, अम्मी तो मार्केट चली गई हैं और मुझे भूख लग रही थी। इसलिए आपको बुलाने गया था कि आप मुझे नाश्ता बना दें...”
बाजी मुझे घूरते हुये किचेन की तरफ चल दी और बोली- “जरा किचेन में भी देख लेते कि तुम्हारा नाश्ता अम्मी तैयार करके गई हैं..." जब बाजी किचेन की तरफ जा रही थी तो मेरी नजर बाजी की गाण्ड पे ही गड़ी हुई थी, जो कि टाइट पाजामे में से साफ नजर आ रही थी, और बाजी की गाण्ड की हर हरकत पे मेरी सांस तेज होती जा रही थी।
किचेन के पास जाकर बाजी अचानक मुड़ी और मेरी तरफ देखा, तो मुझे अपनी गाण्ड की तरफ घूरता पाकर बाजी ने मुझे बनावटी गुस्से से घूरा और किचेन में जा घुसी। फिर मेरे लिए तैयार नाश्ता लाकर मेरे सामने रख दिया और बोली- “नाश्ता खतम करके मेरे रूम में आ जाओ, मुझे तुमसे बात करना है...”
मैं समझ गया कि बाजी क्या बात करना चाहती हैं? लेकिन मैंने अंजान बनते हुये कहा- “क्या बात करनी है। बाजी अभी कर लो ना?"
बाजी ने कहा- “जो मैं बोल रही हूँ वो सुनो, और नाश्ता करके मेरे रूम में आ जाओ। वरना बाद में नहीं बोलना कि पहले तुमसे बात क्यों ना की?”
मैंने हाँ में सिर हिला दिया और बोला- “अच्छा बाबा आ जाऊँगा, सिर क्यों खा रही हो?” और नाश्ते में लग गया।
बाजी अपने पैर पटकटे हुये वहाँ से अपने रूम की तरफ जाने लगी।
मैंने कहा- “बाजी जरा मेरे लिए चाय भी बना दें प्लीज़्ज़..."
बाजी ने गुस्से से मेरी तरफ देखा और बोली- “वो बाद में बनाऊँगी, अभी मेरे रूम में आओ बात करनी है...”
मैंने भी अब बाजी को और तंग नहीं किया और नाश्ता खतम करके बाजी के रूम में चला गया, जहाँ बाजी । अपने बेड पे उल्टी लेटी कोई डाइजेस्ट देख रही थी। जिस तरह बाजी लेटी हुई थी, मेरी नियत खराब करने के लिए वो नजारा ही काफी था। मैं दरवाजे पे खड़ा बाजी की तरफ देखता रहा और फिर अपने लण्ड को हल्का सा मसलकर थोड़ा खांसा।
बाजी ने गर्दन घुमाकर मेरी तरफ देखा और फिर उठकर बैठ गई और बोली- आओ बैठो।
मैं बाजी के पास जाकर बैठ गया तो बाजी मेरी आँखों में झांकते हुये बोली- “देखो सन्नी, जो मैं तुमसे पूछूगी सच-सच बताना, वरना फिर अम्मी खुद तुमसे पूछेगी...”
मैंने बाजी की आँखों में देखते हुये कहा- “बाजी आपको मुझ पे यकीन होना चाहिए के में आपसे झूठ नहीं बोलूंगा। आप जो पूछना चाहती हैं पूछिये, मैं सच ही बताऊँगा...”
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