Ashleel Kahani रंडी खाना
08-30-2019, 12:55 PM,
#50
RE: Ashleel Kahani रंडी खाना
अंदर का नजारा गर्म हो रहा था …
ठाकुर काजल के ऊपर चढ़े हुए पूरे ताकत से उसके गालो को खा रहा था ,उसके मोटे होठो ने काजल के नरम गालो को पूरी तरह से भिगो ही दिया था,उसके गाल लाल पड़ गए थे वो थोड़ा रुककर फिर से काजल के होठो तक आया,
“हम्म्म्म “
काजल ने एक पल की देरी किये बिना ही उसके होठो को अपने होठो में भर लिया और उसे चूसने लगी ,काजल के लाल नरम रसीले होठो का स्वाद ठाकुर पूरे तन्मयता से ले रहा था ,दोनो के थूक से मिली आवाज हमारे कानो में पड़ रही थी ,
काजल का उज्ज्वल शरीर ठाकुर के काले शरीर में धंसा जा रहा था ,
जैसे ही दोनो का चुम्मन टूटा दोनो ने एक दूसरे की आंखों में देखा दोनो ही मुस्कुरा रहे थे ..
“तो अब गिफ्ट खोलने की इजाजत है “
ठाकुर का लहजा बड़ा ही शांत था
“आपकी ही हु …”
काजल ने मादकता से कहा ,जैसे मेरे दिल में जलन भर गया वही मेरे लिंग में खून ..


काजल की बात सुनकर ही ऐसा लगा जैसे की मेरा लिंग किसी लोहे की रॉड सा हो गया हो और वो तनाव बर्दास्त नही हो रहा था ,मैं नशे में था फिर भी वो शब्द मेरे कानो में गूंज रहा था ..
मैंने अपने कमर को थोड़ा आगे धक्का दिया मुझे नरम नरम गद्देदार चीज मिली जिससे मेरे लिंग को शांति मिली ,
“आउच भइया ये क्या कर रहे हो “
पूर्वी ने पीछे मुड़ते हुए मुझसे कहा ,लेकिन उसकी आंखे वैसी नही रह गई थी ,उसकी सांसे थोड़ी फूली हुई थी ,वो मुझे गुस्से से नही नाराजगी से देख रही थी ..
“सॉरी बहन “मैं इतना ही बोल पाया क्योकिं मेरी सांसे भी फूली हुई थी
मैं नशे में जरूर था लेकिन इतना नही की अपनी प्यारी बहन को ना पहचान सकू
मैंने अपना लिंग थोड़ा पीछे खिंचा ,मुझसे सहन तो नही हो रहा था क्योकि सामने नरम गद्दा था जिसमे मैं आसानी से अपना लिंग रगड़ सकता था लेकिन वो गद्दा मेरी खुद की बहन का था ,और उस बहन का जिससे मैं बेहद प्यार करता था ..
मैं खुद को सम्हालकर अंदर देखने लगा ,ठाकुर उस गिफ्ट से ब्रा बाहर निकाल कर हिला रहा था वो उसे चूम रहा था जैसे फुटबॉल का वर्डकप हो…
उसके आंखों में खुसी नाच रही थी हो भी क्यो ना मन मांगी मुराद जो साले को मिल रही थी ,
वो काजल के पास आया और हाथ पीछे लेजाकर उसकी ब्रा को खोलने लगा ,देखते ही देखते काजल के बड़े और भारी स्तन नंगे होकर झूम गए ,वो कुछ देर तक एक टक उसे ही देखता रहा जैसे कोई आकर्षण उसे आकर्षित कर रहा हो वो उनकी ओर खिंचा जा रहा था ..
उसने अपने होठो से निप्पल को भर लिया और जोरो से चूसने लगा ,
“आह ठाकुर जी “
काजल की मादक आवाज निकली और वो सिसकियां लेने लगी लेकिन थोड़ी ही देर में उसने हमारी खिड़की की ओर देखा उसके होठो में एक कमीनी सी मुस्कान थी ,हम दोनो की ही आंखे मिली जैसे उसे पता था की मेरी आंखे कहा पर है ,
उसकी आंखे मुझे घूर रही थी और हाथ ठाकुर के सर पर था ,उसका मुह मजे में खुला हुआ था जिससे हल्की हल्की सिसकियां निकल रही थी ,
ये दृश्य मेरे लिए सहन से बाहर हो रहा था मैं उत्तेजना के ऐसे शिखर में था की मुझे लगा जैसे मैं अब झर जाऊंगा लेकिन मैंने अभी तक अपने लिंग को हाथ भी नही लगाया था और ना ही किसी और चीज से रगड़ा था शायद इसी लिए मैं अभी तक बना हुआ था ..
लेकिन आगे मेरी बहन थी मैं दारू के नशे में उसके साथ कुछ गलत तो नही कर सकता था लेकिन अब मुझे एक और भी नशा चढ़ चुका था ,हवस का नशा …
मैं डरते हुए अपने कमर को आगे किया मेरे लिंग ने उसके गड्ढे पर एक रगड़ खाई और
“आह “मुझे इतना सुकून मिला ,इस बार पूर्वी ने कोई विरोध नही किया लेकिन मैं बस एक ही रगड़ के बाद ही रुक गया था ,

इधर ठाकुर काजल के निप्पल्स को किसी बच्चे जैसे चूसे जा रहा था लग रहा था जैसे कोई बच्चा बहुत भूखा हो और उसे मा के वक्षो से दूध मिल गया हो ,काजल भी उसके बालो को सहला कर उसे अपने वक्षो का रस पिला रही थी ,लेकिन उसकी नजर अब भी मेरी तरफ ही थी ,
ठाकुर कभी कभी उसके निप्पल्स को काट भी लेता था तब काजल की आंखे बंद हो जाती थी और वो एक सिसकी लेकर ज्यादा मुस्कुरा का मुझे देखती थी ,
उसकी हर मुस्कान से मैं पागल हो जाता था और कमर को यदा कदा हिला ही देता था ,पूर्वी कोई शोर तो नही कर रही थी लेकिन एक बार उसने भी अपने गड्ढे को मेरे लिंग में रगड़ दिया था ,
वो भी जवान थी और नई नई जवानी तो और भी खतरनाक होती है उसे सम्हालना और भी मुश्किल होता है ,पूर्वी की भी हालत कुछ ऐसी थी ,वो खिड़की से नजर ही नही हटा पा रही थी…
इधर
“आउच बदमाश हो आप “
ठाकुर ने काजल के निप्पल को जोरो से काट लिया था जिससे काजल का पूरा ध्यान उधर ही चला गया
“हा हा हा “ठाकुर अपनी बत्तीसी दिखा कर हँसने लगा
और धीरे धीरे चूमता हूं नीचे को बढ़ता गया ,शायद वो भूल ही गया था की उसे क्या पहनाना है ..
नीचे आकर वो काजल के पेट में रुका और अपनी जीभ से उसकी नाभि को भिगोने लगा ..
काजल फिर से मचलने लगी थी लेकिन गुदगुदी में
“नही नही ना गुदगुदी हो रही है “दोनो ही हंसे जा रहे थे .
ठाकुर फिर नीचे आया और काजल की पेंटी के आस पास के जांघो को चूमने लगा ,वो फिर से मदहोश हो गया था और थूक से उसकी जनघो को भिगो रहा था ,
“आह आह आह “
काजल की आंखे बंद होने लगी थी वो बस सिसकियां ले रही थी और उसका सर पकड़े हुए अपनी पेंटी के बीचों बीच फसी हुई योनि में उसका सर सरकने की कोशिस कर रही थी लेकिन ठाकुर अभी भी उसके जांघो में बिजी था ..
वो सरकता हूं उसके योनि के करीब आया जो की रस की धार से पूरी तरह से भीग चुका था,
उसने हल्के से पेंटी के सिरे को सरकाया ,और गोर से देखने लगा ,
वो साला काला सा,शैतान सा इंसान मेरी नाजुक कली के कोमल गुलाबी योनि को निहार रहा था ,काजल उसके रिएक्शन पर हल्के हल्के मुस्कुराने लगी और फिर से मेरी ओर देखी ..
उसके चहरे में किसी विजेता सी मुस्कान खिल गई थी ,वो मुझे ऐसे देख रही थी जैसे कहना चाह रही थी की देखो मुझे चाहने वाले कितने है ,


मैं मचल सा गया और इस बार मेरे लिंग ने कोई भी झटका नही मारा ,
अंदर ठाकुर ने अपनी जीभ काजल की योनि में लगा दी और उसका रस पूरी तनमयता से पीने लगा,काजल की योनि रस से इतनी भर चुकी थी की वो उसे चुहक रहा था और इसकी आवाज हमारे कानो तक भी पड़ रही थी,
इस बार मैं थोडा पीछे हुआ था लकिन पूर्वी ने अपने कमर को थोड़ा पीछे कर मेरे लिंग पर ठिका ही दिया ,वो भी लय से अपनी कमर हिला रही थी ,मेरा अकड़ा हुआ लिंग उसके गड्ढे में समा कर और भी विकराल रूप ले रहा था मैं भी मजे के गर्त में जा रहा था …
वँहा काजल अपनी कमर उचका कर अपनी योनि को ठाकुर से चुस्वा रही थी और यंहा मेरी प्यारी बहन अपनी कमर हिलाकर मेरे लिंग को अपने चूतड़ों में रगड़ने की कोशिस कर रही थी ….
सभी जगह बस हवस का साया फैला हुआ था और रिस्तो की मर्यादा तार तार हो रही थी …..


ऐसे मर्यादा की फिक्र भी किसे थी ,मैं नशे में था और बाकी तीनो भी हवस के नशे में डूबे हुए थे ,मेरा हाथ आगे जाकर पूर्वी के कमर को पकड़ लिया,और वो मुझे सट गई,
अब मेरे हाथ पूर्वी के बदन पर बेफिक्र से चलने लगे,हमारी निगाहे खिड़की के अंदर थी जैसे वँहा काजल नही मैं और पूर्वी ही थे ,हम उस दृश्य में पूरे मगन हो चुके थे ,
उधर काजल के शरीर के आखरी कपड़े को भी निकाला जा चुका था और वो गहरी गहरी सांसे ले रही थी ,मैं देख रहा था की ठाकुर का अकड़ा हुआ लिंग फुंकार मार रहा था ,वो काजल की गीली योनि को बड़े ही लालची नजर से देख रहा था ,वो भूल ही चुका था की उसे पेंटी पहननी थी लेकिन अब वो बात ही नही कर रहे थे ,वो काजल के ऊपर आ गया था दोनो ही नंगे जिस्म एक दूसरे में मिल गए थे दोनो पसीने से नहाए हुए थे और एक दूसरे में गुथे जा रहे थे,एक दुख सी गोरी और दूसरा कोयले सा काला असल में ये दृश्य बेहद ही कामुक लग रहा था,,
ठाकुर अपने हाथो के सहारे थोड़ा ऊपर हुआ अभी अभी उसने काजल के होठो से रह को निचोड़ा था वो अपना हाथ नीचे ले गया ,
मेरी दिल की धड़कने ही रुक सी गई थी मुझे पता था की वो क्या करने वाला है,वही शायद पूर्वी की भी सांसे रुक चुकी थी ,4 जन हम वँहा थे लेकिन इस एक पल के लिए कोई भी सांसे नही ले रहा था ,सभी की सांसे अटकी हुई थी ,वो आखिरी दूरी जो उनके बीच में थी वो भी खत्म होने को थी,ठाकुर अपने लिंग को काजल की योनि में चला रहा था और एक भारी हुंकार के साथ उसने धीरे से उसे काजल के योनि में समा दिया ,
“आआहहहहहह “एक गहरी सिसकी काजल के मुह से निकली पूरा लिंग उसके अंदर था और मैंने अपने हाथो से जोरो से पूर्वी के योनि को दबा दिया
“ आआहहहहहह भइया “दोनो लडकिया पागल सी हो चुकी थी और दोनो ही पुरुष दीवाने ..
ठाकुर ने पहला झटका दिया और काजल के ऊपर आकर उसके होठो को चूसने लगा दोनो पागलो की तरह एक दूसरे को किस कर रहे थे ,वही मैने भी पूर्वी का चहरा पकड़ लिया और उसकी योनि को अपने हाथो के मसलता हुआ उसके होठो को अपने होठो में मिला कर चूसने लगा …
“ओह आह आह आह “दूसरी बार काजल को ठाकुर ने जोर जोर से कुछ धक्के दिए
मैं पूर्वी के पूछे जोरो से अपने लिंग को रगड़ रहा था और उसके होठो को खा रहा था ,मेरा हाथ उसके सलवार के नाड़े पर पहुच चुका था मैं उसे खोल दिया सलवार अब उसके पैरो के नीचे आ गिरा था मेरा हाथ फिर के उसके योनि पर गया ,इस बार उसकी पेंटी के उपर से ही मैं उसके योनि को मसल रहा था वो पूरी तरह से गीली हो चुकी थी ,
उधर काजल की सिसकियां और ठाकुर के हुंकार बढ़ते ही जा रहे थे ,दोनो ही अपने पूरे वेग में थे और मगन थे ,ठाकुर का सर काजल के कंधे पर ठिका हुआ था वो अपने कमर को जोरो से हिला रहा था ,काजल थोड़ी शांत हुई ,लेकिन उसके मुह से आह ऊह की आवाज लगातार आ रही थी वो अपने सर को मेरी ओर करके मुस्कुराने लगी ..
मैं उसकी मुस्कुराहट देखकर और भी जल गया और पूर्वी के पेंटी को मानो फाड़ता हूं उतारने लगा ,
“रुको भइया ‘
मैंने एक नही सुनी और अपने लिंग को निकाल कर उसकी योनि में दे मारा “
वो जोरो से चीखी लेकिन मैंने अपने हाथो से उसका मुह बंद कर दिया था..
खुन की एक धार उसके जांघो से निकल कर नीचे जमीन में गिरने लगी मैं बेदर्दी के साथ 3-4 धक्के ही मारे थे ,की वो जोरो से रोने लगी थी लेकिन उसका रोना भी मेरे हाथो में दब जा रहा था उसके आंखों से निकलते हुए आंसू को देखकर जैसे मैं तुरंत ही होश में आया ,
मैं अंदर निगाह डाली ,अंदर ठाकुर काजल पर कूदे जा रहा था और काजल उसके बालो को सहला रही थी ,फच फच की आवाजो से पूरा कमरा गूंज रहा था ,
लेकिन मैं पूर्वी की हालत देखकर बुरी तरह से चौक गया ,मेरे ढीले पड़ते ही वो जमीन में रोते हुए बैठ गई मैं उसकी हालत देख कर समझ चुका था की मैंने ये क्या कर दिया था ,मैंने जल्दी से खुद को सम्हाला …
अब मेरी आंखों में भी आंसू छलक गए
अंदर एक एक जोर की चीख सुनाई दी ये आनद के अतिरेक की चीख थी ,ठाकुर दहाड़ रहा था और उसका लिंग हवा में लहरा रहा था उसके लिंग से नीकला हुआ गढ़ा वीर्य अभी काजल के योनि के हिस्से से लेकर पेट तथा उसके स्तनों तक फैल चुका था ,थोड़ा सा वीर्य काजल के चहरे में भी चमक रहा था ,...
मैं जल्दी से पूर्वी के कपड़े को ठीक किया और वँहा से नीकल गया,सब कुछ तो ठीक था लेकिन मेरी एक गलती ने मुझे मेरी बहन के नजरो में ही गिरा दिया ,और उसके ही नही मुझे अपनी ही नजरो में गिरा दिया था ……..


सन्नाटा किसे कहते है ………???????
अतीत की गलतियों को सुधारा नही जा सकता ,ग्लानि में किसी माफी की जगह भी नही होती ,
और दर्द चुभन की कोई सीमा नही होती ,
कार में सन्नाटा फैला हुआ था और मैं ग्लानि से भरा हुआ था ,गाड़ी चलाते हुए बाजू में बैठी पूर्वी को सुबकते हुए देखता हुआ भी मैं कुछ नही कह पा रहा था क्योकि अतीत को बदला नही जा सकता जो हो गया वो हो गया ….
मैं चुप था लेकिन शांत नही था ,
मन में अजीब सवाल उठ रहे थे जिसका उत्तर मेरे पास नही था ,मेरी आंखों में आंसू तो नही थे लेकिन सीने में इतनी हिम्मत भी नही थी की मैं पूर्वी से सर उठा कर बात कर सकू ..
“मैं आपके साथ आयी ही क्यो …”
पूर्वी ने रोते हुए कहा ,वो फूल सी बच्ची सिकुड़े हुए बैठी थी ..
मैं उसे देखने की हिम्मत ही नही जुटा पा रहा था…
गाड़ी घर तक आ चुकी थी लेकिन अब भी मैं चुप ही था पूर्वी भी चुप ही थी …
वो सीधे बिना कुछ बोले ही अपने कमरे में चली गई ,
“अरे भइया पूर्वी को क्या हो गया और आप लोग कहा गए थे “
निशा की बातो का मैं क्या जबाव देता ,मैं नजर गड़ाए ही रखा मेरा नशा ना जाने कहा काफूर हो चुका था ,
मैं बिना कोई जवाब दिए ही सीधे अपने कमरे में चला गया ,मैं आंखे बंद किये हुए बीते बातो को याद कर रहा था ,मेरे सामने बार बार पूर्वी का चहरा झूम जाता था ,मैं अपना सर झटकता लेकिन फिर से वो चहरा दिमाग में भर जाता था…
उसकी साफ मासूम आंखे मुझे दिखाई दे रही थी,जो आंसुओ से भरी हुई थी ,वो उसका सिसकना और उसका वो दर्द मैं महसूस कर पा रहा था …
ना जाने कितना समय बीत चुका था की निशा कमरे में आयी उसकी आंखे लाल थी ,उसे देखते ही मेरा सर झुक गया …
चटाक ….
एक झन्नाटेदार थप्पड़ मेरे गालो में पड़ा वो रूह तक ही सिहर गया था ,
मेरा चहरा लाल था और माथे में पसीने की बूंदे तैरने लगी ,मैंने निशा को इतने गुस्से में कभी नही देखा था…
“मुझे शर्म आ रही है आपको भाई कहते हुए “निशा की आवाज लड़खड़ा रही थी
मैं कुछ भी कहने की हालत में नही था ,और कहता भी तो क्या कहता ??
मैं अब भी वही बैठा रहा जब निशा ने जोर से दरवाजा बंद किया और कमरे से निकल गई ..
मेरे आंखों में पानी आने शुरू हो चुके थे ,
ना जाने कब तक मैं ऐसे ही बैठा रहा मुझे दरवाजा खुलने का आवाज आया ,वो काजल थी जो हाल में निशा से कुछ बात कर रही थी ,थोड़ी देर में ही काजल अंदर आयी ,
मैं अब भी अपने बिस्तर में सिमटा हुआ बैठा था,मैंने काजल को देखा वो मुझे गुस्से से घूर रही थी ..
मैं ज्यादा देर तक उससे आंखे ही नही मिला पाया ,
वो बिना कुछ बोले ही बाथरूम में चली गई और आते ही दूसरी तरफ मुह कर सो गई …
मैं किसी गुनहगार की तरह बस बैठा हुआ अपने की विचारों में खोया हुआ था ना जाने कितना समय बीत चुका था और ना जाने कब मुझे नींद आ गई थी ……
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RE: Ashleel Kahani रंडी खाना - by sexstories - 08-30-2019, 12:55 PM

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