RE: Ashleel Kahani रंडी खाना
फिर से मेरी नजर उस लड़की की ओर गई ,उस शख्स का लिंग अब उसके मुह में था और वो उसे पूरे जोश में चूस रही थी वही उसके योनि में एक लिंग उसके अंदर घुसकर सवारी करने लगा था बाकी के लोग भी नंगे हो चुके थे और उसके जिस्म से खेल रहे थे…...अब पूरे कमरे में सिर्फ हम दोनो के ही जिस्म में कपड़ा बचा हुआ था ...मैने हाथो को पीछे ले जाकर शबनम के गाउन का चैन खोल दिया और उसके गाउन को उसके कंधों से नीचे तक सरका दिया उसकी तनी हुई ब्रा मेरे सामने आ गई थी जिसमे से उसके मादक भरे हुए चुचे झांकने लगे थे,मैं आने हाथो से उसे दबाने लगा,शबनम भी मेरे सर को पकड़े हुए अपने होठो में घुसा रही थी ,हम दोनो या तो एक दूसरे के होठो को चूस रहे थे या फिर एक दूसरे के चहरे को गीला कर रहे थे,आग बढ़ने लगी थी ,हमारे अंदर भी और कमरे में मौजूद लोगो के अंदर भी ,लोग जिसे मन करे उसे पकड़ कर अपना लिंग उनके मुह में या योनि में डाल रहे थे,,एक दो लोगो ने तो लड़कियों के पिछवाड़े में भी लिंग घुसा रखा था,,फिर भी कुछ लडकिया ऐसी थी जो अब भी खाली थी और अपने बारी का इंतजार कर रही थी,दो बाल्टियों में पैसे बटोरे जा चुके थे,और सभी ओर बस हवस ही हवस दिखाई दे रही थी ,लड़कियों की चीखने की आवाज से लेकर हल्की हल्की सिसकियों तक ,और मर्दो के गरजने से लेकर फच फच की आवाजो से पूरा कमरा गूंजने लगा था,
मैं भी अपने पूरे शबाब में था एक तरफ काजल का चहरा मेरे दिमाग में घूम रहा था तो दूसरी तरफ शबनम का कोमल जिस्म मेरे हाथो में था,
शबनम भी मेरे कपड़ो को उतारने लगी थी ,और मैंने उसके गाउन को निकाल कर ही फेक दिया ,शबनम ने मुझे रोका और एक लड़की को इशारा किया ,दो लडकिया पास में सटे हुए कमरे में जाकर गड्ढे निकालने लगी,यंहा तो सभी लोग फर्श में ही शुरू हो गए थे,लेकिन इससे किसी को चोट भी आ सकती थी वो गड्ढे लगाने लगी,मैं फिर से शबनम को पकड़ने को हुआ लेकिन उसे मुझे झडक दिया ..
“पहले गड्ढे लगा देते है,”मेरा दिमाग तो खराब हुआ लेकिन मैं जल्दी से उस कमरे की ओर भगा ,लोग अपने काम क्रिया में व्यस्त थे हम उन्हें बिना डिस्टर्ब किये ही गड्ढे लगा देते और वो फिर उसने आ जाते,10 मिनट में ही सभी मोटे मोटे गद्दों के ऊपर थे सभी गड्ढे एक दूसरे से जुड़कर एक बड़ा सा एरिया तैयार कर दिया था,जंहा जो चाहे वो जिसे चाहे उसके ऊपर चढ़ रहा हटा,मैं भी शबनम को उस गड्ढे में पटक दिया ,हम और उसे चूमने लगा,गड्ढे निकालने वाली 2 लड़कियों ने भी हमे जॉइन कर लिया था,शायद उनसे भी सहन नही हो रहा था,एक मेरे लेट गई और मेरे पीठ को चूमने लगी , दूसरी मेरे बाजू में आ गई थी ..
शबनम मेरे नीचे थी और एक लड़की मेरे ऊपर ये मेरे लिए किसी जन्नत से कम नही था,मैंने जल्दी से ही शबनम के बाकी के कपड़े खोल दिए जबकि लडकिया मेरे कपड़े खोलने में लगी हुई थी ,अब हम दोनो भी नंगे थे …….
पूरे कमरे में किसी के भी जिस्म में कोई कपड़ा नही बचा था,आज मुझे समझ आया था की इसका महत्व क्या है,इसका महत्व था की हम सभी बिल्कुल ही आजाद महसूस कर रहे थे,और सेक्स से भरे हुए हमारे अंदर किसी भी सही गलत की भावना का जन्म नही हो रहा था,हम बस डूबने को आतुर थे,सभी के सभी ……
अब यंहा कोई कस्टमर या कोई काल गर्ल नही रह गई थी ,रह गए थे तो जिस्म ,,,महिला और पुरुषो के जिस्म जो की एक दूसरे में डूब जाने को आतुर थे…
सभी इडेन्टिफिकिशन खत्म हो चुके थे,सभी की आंखे भारी थी और बिना कुछ सोचे समझे बस जो मिला उसे फील कर रहे थे ,एक आदमी ने शबनम को अपनी ओर खिंच लिया और मैं धीरे से मेरे बाजू में सोई हुई लड़की के ऊपर चला गया ,मेरा लिंग शबनम के योनि में धसा लेकिन उसके चहरे के पास किसी दूसरे मर्द का चहरा था,वो उसके होठो में अपने होठो को भरे हुए सिसक रही थी जबकि मैं बाजू में सोई हुई लड़की के ऊपर चढ़ा हुआ उसके होठो को चूम रहा था ,मैं शबनम के ऊपर तिरछा हो गया था,मेरे पैर कही और थे और मेरी कमर बस शबनम के ऊपर थी मैं उसे जोरो से धक्के मार रहा था जबकि मेरा पूरा धड़ उस लड़की के ऊपर था……
थोड़ी देर में ही हम खिसकते हुए एक दूसरे से चिपकने लगे थे,सभी मर्द और लडकिया एक दूसरे में गुथे जा रहे थे,ना जाने मेरे ऊपर कौन था ना जाने मेरे नीचे कौन था,ना जाने मेरा लिंग किसके योनि में या मुह में जा रहा था,ना जाने मेरा मुह किसके मुह और योनि में जा रहा था,समझ कुछ भी नही आ रहा था,पूरे 20 कस्टमर ,15 लडकिया ,मैं और शबनम सभी एक साथ हो चुके थे और एक दूसरे के ऊपर थे ,मुह जंहा जाने लगता चाटने लगते और लिंग जंहा घुस जाता हिलाने लगते,वही हाल सबका था वही हाल मेरा था,वही हाल लड़कियों का भी था…………
ये खेल कब तक चला मुझे पता नही लेकिन आखिरी हालत बेहोशी ही थी ……..
जब मेरी आंखे खुली तो कुछ आवाजे मुझे सुनाई दे रही थी ,किसी की सिसकियों की ,मैं उठा कुछ लोग उठ चुके थे और अपना नया कारनामा शुरू कर दिया था,कुछ लोग अभी भी बेसुध ही पड़े थे,,,
आज एक लड़की ने मुझे बहुत आकर्षित किया था वो थी पोलो डांस करने वाली लड़की,मैंने देखा की उसने सिर्फ मुझे ही नही बाकियों को भी आकर्षित किया था,क्योकि अभी भी कुछ लोग उसे कुतिया बनाये हुए उसके पीछे से उसे पेल रहे थे और एक शख्स उसके मुह में पेले जा रहा था,बाकी लोग अपनी बारी के इंतजार में थे…...मुझे फिर के काजल की याद आ गई ,अगर वो यंहा होती तो शायद सभी लोग उसके पीछे ही दीवाने हो जाते,उन सभी लोगो में मैंने एक को पहचान लिया ,ये गुलाबचंद था,हमारा पहला कस्टमर..उसकी भी नजर मुझसे मिली वो अभी उसके मुख का चोदन कर रहा था...उसने एक बड़ी सी मुस्कान मुझे दी ,मैं भी बदले में मुस्कुराया..
शबनम कही दिखाई नही दे रही थी ,मैं फ्रेश होने के लिए एक पैक लगा कर ऊपर वाले कमरे में आ गया,,,बिस्तर में शबनम पसरी हुई थी और उसने कपड़े भी पहने हुए थे,घड़ी देखा तो अभी 2 ही बजे थे मतलब की ये रात भर चलने वाला था,मैं उसके ही बाजू में आकर सो गया,लेकिन नीद ना जाने कहा जा चुकी थी मेरे दिमाग में बस उस औरत की तस्वीर ही घूमे जा रही थी,मैं बेचैन होकर फिर से नीचे चला गया,अभी तक लोग थककर उसे छोड़ चुके थे ,वो मुझे देखते ही मेरे पास आ गई ,
“विकास जी ये लोग फिर के उठ गए तो फिर के मेरे पीछे लग जाएंगे,प्लीज् किसी सेफ जगह पर ले जाइये ,मैं बहुत ही थक चुकी हु”
पहले तो मैं उसके मुह से अपना नाम सुनकर ही दंग रह गया,फिर मुझे याद आया की मैं होटल का मैनेजर हु,और ये पार्टी मैंने ही ऑर्गेनाइज की है,उसे मेरा नाम पता हो तो कोई भी आश्चर्य की बात नही थी,मैंने उसे अपने साथ चलने को कहा,मैं अब अपने पुराने ड्रेश में था और वो पूरी तरह के निर्वस्त्र…
उसने एक सिगरेट का पैकेट उठाया और मेरे साथ ही ऐसे ही चल पड़ी,उसका चहरा बता रहा था की वो बहुत ही थकी हुई है,मैन एक विस्की की बोलत भी अपने साथ रख ली...मैं इस फार्महाउस में कई बार आ चुका था और यंहा के बारे में सब पता था,मैं उसे सबकी नजर से बचाकर ऊपर ले गया,लेकिन उस कमरे में नही जंहा शबनम सोई हुई थी..ये कमरा अधिकतर कपूर साहब अपने खास गेस्ट के लिए यूज़ करते थे,कमरा शानदार था,मैंने उसे बैठा कर उसके लिए एक टेबल लाया ,वो मुझे आश्चर्य से देखने लगी जैसे पूछ रही हो की इसका मैं क्या करू…मैंने उसे याद दिलाया की उसने कोई भी कपड़ा नही पहना हुआ है...वो मुस्कुराने लगी ..
“अब किससे क्या छुपाऊ “वो खिलखिलाकर हँसी मैं भी मुस्कुरा दिया लेकिन उसने मेरा मान रखने के लिए ही सही उसे लपेट लिया था,मैं उसके लिए और अपने लिए ड्रिंक्स बनाकर ले आया ,
“तुम्हे पहले होटल में नही देखा है,,,”
“हा ये काम मैं पार्ट टाइम में करती हु,कभी कभी जब पैसे की जरूरत हो ,या मस्ती का मूड बन जाए “उसने थोड़े मादक अंदाज में कहा ..
“ओह तो आज इनमें से क्या था”मैं भी उससे खुलना चाहता था क्योकि पसंद तो वो मुझे भी बहुत ही आयी थी..
“ह्म्म्म दोनो ही ..असल में जब शबनम ने मुझे प्लान के बारे में बताया था तो मुझे लगा की अच्छे पैसे भी मिल जाएंगे और मजा भी आएगा,लेकिन मुझे क्या पता था की सभी लोग मुझपर ही टूट पड़ेंगे “
वो फिर से खिलखिलाने लगी...किसी प्रोफेशनल प्रॉस्टिट्यूट के साथ ये मेरा पहला मौका था,ऐसे शबनम और काजल भी ये किया करते थे लेकिन वो बहुत ही अलग थे ,
“ऐसे आपका नाम मैं नही पूछ पाया “मैंने हल्के से कहा
“मोहनी “वो धीरे से बोली और मुस्कुराई
“ओह सच में अपने सबका दिल ही मोह लिया था,और ऐसे आप काम क्या करती है,फूल टाइम “
उसने मुस्कुराते हुए मुझे देखा,
“लगता है मैं आपको बहुत ही पसंद आ गई ,”वो खिलखिलाई जिससे मैं थोड़ा सा झेप गया जैसे किसी ने मेरी चोरी ही पकड़ ली हो ….
“मेरे फूल टाइम काम के बारे में ना ही जाने तो बेहतर है ..शायद आप यकीन ना करे “
“आप बताइये तो सही “
मैंने थोड़ा फोर्स किया
“अब रहने भी दीजिये ,मैं बहुत थक गई हु ,एक पैक और मिलेगा मुझे सोना है “
“क्यो नही “
मैंने हम दोनो के लिए नया पैक बनाया और पीकर वँहा से निकल गया ,मैं फिर से शबनम वाले कमरे में आकर सो गया ,इस बार शराब ने थोड़ा असर दिखाया और मेरी नींद लग गई …….
“भइया आप बहुत ही गंदे हो कोई काम समय पर नही करते “
मेरे घर आते ही पूर्वी मुझपर भड़क उठी,
“क्या हुआ मेरी जान “
अभी शाम होने को आया था और मेरी नींद दोपहर में खुली जब तक की सभी मेहमान और लडकिया जा चुकी थी ,शबनम भी मेरे लिए एक लेटर छोड़कर जा चुकी थी जिसमे लिखा था की होटल मत आना,यंहा की साफ सफाई करवा कर घर चले जाना ,मैं बाकी के समय साफ सफाई करवाने में ही निकाल दिया था ,पूरे हाथ पैरो में हैंगओवर वाला दर्द भरा हुआ था ,लेकिन जैसे तैसे मैं सभी काम निपटा कर घर आया ,और पूर्वी मेरे ऊपर चिल्ला पड़ी ..
“क्या हुआ आज मेरे कालेज जाना था आपको और आप इस समय आ रहे हो “
वो मुझे घूरने लगी जैसे की मैंने बहुत बड़ा पाप कर दिया हो ..
मैं तो भूल ही गया था …
“ओह तो निशा के साथ चली जाती “
“भइया हमारे प्रोफेसर ने हमारे पेरेंट्स को बुलाया है ,प्रोफेसर सभी के पेरेंट्स से मिल रही है ..”
“ओके ओके कल चले जाएंगे “
“हमम कल तो जाना ही है और अगर आपका कोई काम निकल आया ना तो मैं बताऊंगी आपको “
पूर्वी ने मुझे धमकाते हुए कहा जिससे मुझे थोड़ी सी हँसी आ गई …….
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