RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
रवि---- आज तुम मेरे साथ चलो शोरूम।
आरती--- शोरूम? मैं क्या करुँगी शोरुम,?
रवि--- अरे चलो तो सही,
आरती--- आज नही कल चलूंगी।
रवि--- जैसी तुम्हारी मर्जी।
फिर दोनों नीचे आ जाते है और डाइनिंग टेबल पर नास्ता करने लगते है, सोनल अभी उठी नही थी।
रवि नास्ता करके बाहर निकल जाता है, उसकी कोई कॉल आयी हुई थी,
इस बात से अनजान की सोनल उठ कर वही गार्डन में है,
हां विनोद, मैंने मोनिका से बात कर ली है, और वो तैयार है. तुम शोरूम के पीछे वाले फ्लैट में पहुँचो और मैं मोनिका को लेकर आता हूँ…….अरे आरती की चिंता मत करो, वो अंदर है.’ रवि विनोद (आरती के भाई) से बात कर रहे थे. सोनल गलती से उनकी बाते सुन ली थी, पर सोनल को ये समझ नहीं आ रहा था की पापा मोनिका को लेकर क्यूँ जा रहे हे. सोनल ने उनके पीछे जाने का तय किया.
रवि अंदर जाकर आरती को बोलकर कार ले कर निकलता है, उससे पहले ही सोनल बाहर जाकर ऑटो कर लेती है और कार का पीछा करती है,
रवि अगले मोड़ पर कार को रोकता है तो सोनल देखती है कि सर् को दुप्पटे से बिल्कुल ढके एक लड़की कार में सवार होती है
सोनल को कुछ गलत लगा, वैसे उसने कभी अपने पापा के बारे में गलत नहीं सोचा की वो गलत काम कर सकते है, सोनल अपने पापा जैसा ही अपना पति चाहती थी, काफी मासूम और सीधासाधा. वो चाहने लगी थी अपने पापा को,
रवि ने मोनिका को कार में पीछे बिठाया और फ्लैट के रस्ते की ओर चले गए, सोनल भी ऑटो में उनके पीछे पीछे चल पडी. वो कार में थे तो आसानी से पहुँच गए पर सोनल ऑटो से जा रही थी, सोनल पीछा तो नहीं कर सकती थी पर उसे रास्ता पता था. करीब आधे घंटे बाद सोनल वहां पर पहुँची, सोनल ने ऑटो वाले का किराया चुका कर फ्लैट की तरफ गयी। और फ्लैट के पास पहुची। फ्लैट का दरवाजा लॉक था अंदर से , सोनल को कोई रास्ता नही मिला तो सोनल बैक साइड पहुँचि, वहा बैक साइड में छोटी सी दीवार थी उसके कूदने के बाद एक और बैक डोर था। सोनल वो दीवार फांद कर अंदर गयी और डोर चेक किया । किस्मत से डोर ओपन था, सोनल धीरे से अंदर दाखिल हुईं,
फिर उसे अंदर से अजीब आवाज़ सुनाई दी, सोनल अंदर हाल में आ गयी, वैसे वैसे आवाज़ तेज़ होती गयी. उसे आसानी से पता चल गया की ये आवाज़ चुदवाने की है और धीरे धीरे उसने मोनिका की आवाज़ को पहचान लिया. एक मिनट के लिए सोनल रूक गयी, की कहीं वो गलत तो नहीं कर रही, अगर पापा को पता चल गया तो क्या होगा.
पर फिर सोचा की शायद विनोद मामा मोनिका को चोद रहे हो और पापा सिर्फ उसे छोड़ने आये हो तो..ये सोचकर सोनल फिर से दरवाजे की तरफ़ आगे चली. आगे चलते ही उसने डोर ओपन दिखा और पीछे हट गयी फिर उस ने इधर उधर देखा कि कैसे देखूं कि पापा को पता ना चले.
उसने दूसरी तरफ एक रोशन दान दिखा, सोनल वहा पहुची और देखा वहा कपड़ो की गठरियां पड़ी है, सोनल उनपर चढ़कर रोशनदान तक पहुच गयी। अब फिर सोनल ने ऊपर हो कर देखा तो मोनिका कुत्ते की स्टाइल में थी और रवि मोनिका को जमकर चोद रहे थे..रवि और निशा पूरे नंगे थे. सोनल ने कभी आपमे पापा को ऐसे नहीं देखा था.
सोनल अपने पापा को और पापा के लंड को देखकर हैरान हो गयी..रवि जबरदस्त दम लगाकर मोनिका को चोद रहे थे, मोनिका की जांघे लाल लाल हो गयी थी मतलब रवि उसे आधे घंटे से चोद रहे था. रवि ने उसके बालों को पकड़ के रक्खा था उसका सर भी पीछे खींचकर रक्खा था और वो कुतिया की तरह चुदवा रही थी. सोनल एक दम सुन्न हो गयी थी.
‘विनोद..तुम भाई अगली बार से मत आना, तुम कुछ करते नहीं हो और बस बैठ के देखते रहते हो..क्यूँ मोनिका.’ रवि ने मोनिका को धक्के मारते हुए कहा.
‘ह ह…ह ह्ह्ह्ह…हां साहब जी.’ मोनिका की जबान लडखडा रही थी, वो काफी थक गयी थी. रवि रूकने का नाम नहीं ले रहे था. रवि के पाँव के थपेड़ो की आवाज़, ऊपर से मोनिका की जबरदस्त चुदाई की आवाज़ सुनकर सोनल की चूत भी गीली हो गयी. पता ही नहीं चला कब सोनल का हाथ उसकी अपनी चूत पर चला गया.
सोनल उन दोनों को देखकर जीन्स के ऊपर से ही अपनी चूत मसलने लगी. मोनिका कुतिया की तरह झुकी हुई थी और उसने अपने दोनों हाथ मेज पर लगा कर रक्खे थे. रवि के लंड के धक्के इतने जोरदार थे कि उसकी छाती मेज से टकरा रही थी. सोनल ने देखा की मोनिका मेज को मुट्ठी में लेने की कोशिश कर रही थी, सोनल का अंदाज़ा सही था वो अब झाड़ने वाली थी.
और सोनल के मन में आया ही था की एकदम से वो ढीली हो गयी और उसकी चूत का पानी निकल गया और वो नीचे गिर गयी. रवि का लंड बहार आ गया.सोनल ने देखा सच में उसके पापा का लंड रामू से कम नहीं था. सोनल तो उसे देखते ही पागल हो गयी. और उसे ही देखती रही. फिर रवि ने मोनिका को उठाया और आराम से बिठाया.
मोनिका भी समझ गयी और अपने घुटनों पर बैठ कर रवि के लंड को हिलाने लगी. रवि ने झट से लंड उसके मूंह में डाल दिया और उसके मूंह को चोदने लगे..बेचारी मोनिका..सोनल उसकी हालत समझ रही थी वो काफी थक गयी थी. उधर विनोद मामा बस देखे जा रहे थे. फिर रवि ने अपने लंड को बहार निकला और अपने हाथो से लंड को हिलाने लगे और हट गए..अब सोनल उनके लंड को देख नहीं पा रही थी.
‘ओह्ह्ह..आआअह्ह्ह….बस इतनी सी आवाज़ निकली और उसके पापा के लंड से वीर्य छुट गया..’ सोनल अपने पापा के लंड को देखने के चक्कर में भूल गयी की वो गठरियों पर खडी थी और उसके हिलते ही गठरियां हिल गया और सोनल नीचे गिर गयी. सोनल सीधा गठरियों के साथ नीचे आ गयी. तीनो आवाज सुनकर चौंक गए और रवि ने एकदम से अपनी पेंट उठा ली. और बाहर आकर देखा तो सामने सोनल को पाया। सोनल भी शरमा गयी, सोनल को और कुछ नहीं सुझा तो वो वहां से चल दी. अब सोनल पापा का सामना नहीं कर सकती थी. पापा क्या कहेंगे..
सोनल पापा के डर से जल्दी से चले जा रही थी और इतने में सोनल ने कार के आने की आवाज़ सूनी और मुड़कर देखा. उसके पापा ही आ रहे थे, उन्होंने उसकी ओर देखा और सोनल ने शर्म से आँखे नीचे कर ली, उसे शर्म और डर दोनों लग रहा था. सोनल डर के मारे अपनी टीशर्ट को उंगलियों से खेलने लगी.
‘बैठो..घर अभी दूर है..’ रवि सोनल के पास आकर रुके और कहा. सोनल तो एक ही सेकंड में बैठ गयी. रवि कार चलाने लगा। सोनल एकदम सुन हो कर बैठी थी तभी रस्ते में उसे समझ आया कि मोनिका भी उसकी बगल में बैठी है। तब सोनल को कुछ हौसला हुआ कि मैंने कौनसा गुनाह किया है जो मैं डर रही हूँ, पापा को देखो गलत काम उन्होंने किया फिर भी बिना किसी शर्म और डर के कैसे चौधरी की तरह कहा कि बैठो…
और मोनिका मेरी बगल में बैठी है। सोनल फिर से पापा के मर्दाना होने पर फ़िदा हो गयी.
अब सोनल डर नहीं रही थी, सोनल को पता नहीं क्यो अपने पापा पर प्यार आ रहा था, उन्होंने जो किया वो गलत था, उनकी इज्जत के लिए घर की इज्जत के लिए. पर पता नहीं सोनल अपने पापा की ओर खिंच रही थी. सोनल ने बिना डर के अपने पापा के कंधे पर अपना हाथ रख दिया. जैसे बीवी अपने पति के कंधे पर हाथ रखती है ऐसे. बस अब सोनल के मन में चल रहा था कि किसी तरह अपने पापा के लंड को छूना है. क्या जालीम लंड है उसके पापा का.
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