RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
उस दिन फेरवेल मे दिमाग़ के बॅकग्राउंड मे बज रहे म्यूज़िक के दौरान मुझे अपने बारे मे एक और बात पता चली ,जो ये कि यदि मेरे दोस्त ख़ासकर के अरुण और सौरभ मेरे साथ ना हो तो मैं भी एक नॉर्मल लड़के की तरह एमोशनल हो सकता हूँ...क्यूंकी एसा मुझसे दूर भाग रही थी और मुझे मेरे दोस्तो के बिना वहाँ पार्टी मे बिल्कुल भी मज़ा नही आ रहा था....मेरे साथ राजश्री पांडे ज़रूर था, लेकिन उसके होने का कुच्छ खास असर मुझपर नही हुआ....
"अबे मैं निकलता हूँ...मुझे नींद आ रही है...."बहाना मारते हुए मैं बोला...
"लेकिन अरमान भाई...अभी तो लौन्डो की दारू पार्टी और लंगर डॅन्स बाकी है...इतनी जल्दी सोकर क्या करोगे और वैसे भी कल से कॉलेज थोड़े ही जाना है आपको...."
"अब कॉलेज नही जाना तो क्या मैं रात को सोना बंद कर दूं....तू साथ चलता है तो चल,मुझसे फालतू की बकवास मत कर...."
"आप जाओ, मैं आता हूँ थोड़ी देर मे..."
.
पांडे जी से विदा लेकर मैं कंट्री क्लब से बाहर जाने लगा लेकिन उस वक़्त मुझे क्या मालूम था कि आराधना के रूप मे एक धमाका कंट्री क्लब से बाहर जाने वाले रास्ते मे मेरा इंतज़ार कर रहा था....आराधना अकेले वहाँ खड़ी थी.शुरू मे तो उसपर मेरी नज़र नही पड़ी...लेकिन जब नज़र पड़ी तब तक पीछे हटने का रास्ता ही नही बचा...इसलिए मज़बूर होकर मुझे आराधना के पास जाना पड़ा....
"हाई...हाउ आर यू...."
"अरमान सर...आइ लव यू...प्लीज़ मेरे साथ...."
"रुक...प्लीज़ ऐसी बातें मत कर....वरना खम्खा दो-चार बातें सुन लेगी मुझसे.एक बात बता...कॉलेज के इतने सारे लड़को को छोड़ कर तुझे मैं एक अकेला ही मिला क्या , जाना अपना रास्ता नाप क्यूँ मेरा मूड खराब कर रही है और वैसे भी अब मैं इस कॉलेज मे दो-चार दिनो का मेहमान हूँ तो उसके बाद तो ये सब होता ही ना, जो कुच्छ दिन पहले मैने कर दिया....ज़रा सोच मैं कितना अच्छा हूँ जो तुझे लटका कर नही रखा...मेरी तरफ से फ्री छूट है तुझे,किसी भी लड़के को पकड़ ले...."
"इसका मतलब आपकी पहले से ही प्लॅनिंग थी कि जब तक कॉलेज मे रहोगे मेरे मज़े लुटोगे और फिर चले जाओगे..."
"और नही तो क्या....तूने क्या सोचा मैं तुझसे शादी करूँगा...अपने दिमाग़ का इलाज़ करवा और लाइफ मे आगे बढ़.वैसे भी डार्विन चाचा का एक सिद्धांत है कि 'इस दुनिया मे वही जीने के लायक है, जो सिचुयेशन के अकॉरडिंग खुद को ढाल ले...वरना तुझे जैसी लड़की की दुनिया तरह-तरह से लेगी...बी आ मर्द.गुड बाइ "
"लेकिन...सर..."रोते हुए आराधना इतना ही बोली...
"सॉरी बेब्स...मैं एमोशनल प्रूफ हूँ.इसलिए तुम चाहे अपनी आँखो से आँसू बहाओ या फिर अपनी दोनो आँखे ही निकाल कर मेरे सामने रख दो.मुझे कोई फ़र्क नही पड़ने वाला और आइन्दा मेरे सामने मत आना, वरना मैं क्या कर सकता हूँ ,ये अपने दूर के भाई...कल्लू से पुच्छ लेना..."आराधना के आँसुओ ने तो फिर भी मुझपर कोई असर नही किया...लेकिन जब वो रोने लगी तो मेरी फटी और मैं वहाँ से भागा.....
.
आंकरिंग करने के दौरान घंटो खड़े होने के कारण मैं बहुत थक गया था ,इसलिए हॉस्टिल की तरफ आते हुए मैने सीधा प्लान बनाया था कि अभी जाकर मस्त सोना है और सुबह एश को कॉल करके दो-चार लंबे-चौड़े डाइलॉग देना है....
"आ गया लवडे...कितना सेल्फिश है बे, अकेले-अकेले दारू पी ली और हमे पुछा तक नही...देख कैसे गला सुख रहा है मेरा और सौरभ तो प्यास से तड़प्ते-तड़प्ते भगवान को प्यार हो गया...."मुझे देख अरुण बोला...
अरुण इस वक़्त अपने बेड पर ऐसे बैठा था ,जैसे बाबा रामदेव सुबह-सुबह योगा करते वक़्त बैठते है....मैं चुप-चाप अंदर आया तो अरुण उपर छत की तरफ देखते हुए बोला....
"हे उपरवाले...सौरभ को नरक मे ही भेजना,बहुत बदमाश लौंडा है....उसे गरम तेल की कढ़ाई मे डालकर तलना और पकोडे बनाकर सबको खिला देना....अरमान ,चल पालती मारकर बैठ जा,योगा करते है..."
मुझे मालूम था कि इस वक़्त बंदा दारू पीकर टॅन है ,इसलिए इसकी किसी भी बात का विरोध करना यहाँ तक कि इससे बात भी करना मतलब पूरी रात उल्लू की तरह जागना था.इसलिए मैं अबकी बार भी कुच्छ नही बोला और चुप-चाप अपने बिस्तर पर लेट गया... नींद तो मुझे गान्ड फाड़ लगी थी, लेकिन मच्छरो ने सोना हराम कर रखा था.
"अरमान लंड...मुझे वो लॉडी आराधना मिली थी....साली पागला गयी है, बोल रही थी की....याद नही क्या बोल रही थी.लेकिन इतना ज़रूर याद है कि कुच्छ ख़तरनाक बोल रही थी,जिसे सुनकर मेरी और सौरभ की गान्ड फट गयी थी...."
"अरे कुच्छ नही लवडा...ऐसिच एमोशनल ब्लॅकमेल कर रही है...अपने आपको बहुत तुर्रमखाँ समझती है.बोलती है कि लवडा शादी करो...जैसे दुनिया की बाकी लौंडिया मर गयी है..."
"कर ले शादी... कर ले...मस्त गान्ड है. "
"इतनी ही पसंद है तो तू ही घुस जा उसके गान्ड मे...मुझे क्यूँ बोल रहा है.बीसी ने जीना हराम करके रखा है.हर कही टपक पड़ती है...तू देखना यदि अगली बार मुझे कही दिखी ना तो...तो....मैं सीधे उसके मु मे लंड दूँगा."
"मैने तो पहले ही कहा था बेटा की मत जाओ उसके करीब...लेकिन तुझे ही झंडा फ़ाहराने का बड़ा शौक था..."नींद से जागते हुए सौरभ बोला....
"तू तो सो रहा था ना बे..."
"लाड मेरा सो रहा था...अरुण चूतियापा कर रहा था ,इसलिए सोने का नाटक किया....ये अलुंड बोल रहा था कि चल आज रात भर ना सोकर योगा करते है...."
"सौरभ तू कुच्छ भी बोल ,लेकिन ये अरमान लंड है बड़ा घमंडी...साला दूसरे की कोई परवाह नही.मैं क्या बोलता हूँ,साले का खून करके थोड़ा पुन्य कमाते है..."
"बात तो सही है...ज़िंदगी मे घमंड करना ठीक नही है"
"यदि तुम्हारी ज़िंदगी मे घमंड करने लायक कुच्छ भी नही तो फिर तुम्हारी ज़िंदगी ठीक नही..."मैने कहा...
"तुम लोडू, मरने के बाद नरक मे ही जाओगे और यदि नरक जाने से बचना चाहते हो तो बाबा अरुण के साथ योगा का अभ्यास करो.बाबा अरुण तुम्हारे सारे पापों को ,जो तुमने अब तक किए है...उन्हे माफ़ कर देंगे और तुम्हे अपनी शरण मे लेकर तुम्हारी रोज गान्ड मारेंगे...आओ बालक अरमान...बाबा अरुण के लंड को प्रणाम करो..."
"ज़्यादा बोलेगा ना तो मैं पंखे का तार निकाल दूँगा,फिर गर्मी मे करना योगा....और लवडा नरक मे जाने की धमकी किसे दे रहा...मैं तो नरक मे ही जाउन्गा, भले मुझे स्वर्ग ही ऑफर क्यूँ ना हो..."
पंखे के तार निकाल देने की मेरी धमकी से और गान्ड-फाड़ गर्मी मे मच्छरो के साथ रात बिताने के डर ने अरुण का तो मुँह बंद कर दिया...लेकिन दूसरी तरफ सौरभ का मुँह अब भी खुला था.
.
"तो तू स्वर्ग नही जाना चाहता..."
"एक शर्त पर..."
"एक शर्त पर....बोल तो ऐसे रहा है ,जैसे बहुत बड़ा महापुरुष हो.वैसे शर्त क्या है..."
"शर्त...शर्त ये है कि मैं स्वर्ग तभी जाउन्गा जब मुझे वहाँ का राजा बनाएँगे और चोदने के लिए हर दिन नयी माल देंगे...वरना मैं नरक की राह पकड़ लूँगा...."
"और नरक मे राक्षस जब तेरी लेंगे ,तब क्या करेगा..."
"लंड...कुच्छ नही उखाड़ पाएँगे मेरा...जब मुझे तेल की गरम कढ़ाई मे डालेंगे तब मैं उसमे तैरुन्गा और तैर-तैर कर...तैर-तैर कर सूनामी ला दूँगा.जब कोई आग मे पेल के तपि सरिया मेरी तरफ करेगा तो मैं उस सरिया को मुँह मे ले लूँगा और ठंडा करके स्टीम जेनरेट करूँगा और फिर उस स्टीम से टर्बाइन+जेनरेटर कनेक्ट करके एलेक्ट्रिकल एनर्जी पैदा करूँगा और सालो को एलेक्ट्रिसिटी का ऐसा झटका दूँगा कि गान्ड से मूत और लंड से से गू निकलेगा....."
"चुप कर रे लवडा....कान से ब्लड निकल जाएगा यदि और कुच्छ कहा था...भैया आप महान ,आपकी ज़ुबान महान...मैं चला सोने..."
.
नरक-स्वर्ग को लेकर मैने सौरभ की जो फाडी,उसके बाद वो सीधा सोकर ही रहा.
दूसरा दिन मेरे लिए बहुत सी सर्प्राइज़ लेकर आया.मैं उन दिनो सपने मे भी नही सोच सकता था कि कोई मुझपर हमला कर सकता है या मेरे खिलाफ कोई प्लॅनिंग कर सकता है....फेरवेल की रात की अगली सुबह मुझे बिल्कुल भी पसंद नही आ रही थी...दिल किया कि दारू पी लूँ,लेकिन कल रात के मेरे इन्वेन्षन 'लीव दारू...लिव लाइफ ' के कारण मैं रुक गया और सिगरेट लेने के लिए हॉस्टिल के एक लड़के के साथ दुकान की तरफ निकल पड़ा....
"अरमान भाई...चलो ना एक जगह से होकर आते है..5-10 मिनिट लगेंगे बस..."
"कहाँ...पहले बोला होता तो गाड़ी लेकर आते...."उस लौन्डे को सॉफ मना करते हुए मैने दुकानदार से कहा"लवडे ,खराब सिगरेट दी ना तो चोदुन्गा यही पर...एक दम फ्रेश माल देना..."
"अरे बस यहीं...एक दोस्त से मिलकर आते है...हॉस्टिल के पीछे ,पास मे जो कॉलोनी है ना...वहाँ रहता है.."
"वहाँ तो बिल्कुल नही जाउन्गा....उस मोहल्ले की लड़किया,साली बुरी नज़र से मुझे देखती है...उपर से 15-20 मिनिट का रास्ता है..."
" अरे चलो ना अरमान भाई...आप चलोगे तो थोड़ा रोला रहेगा.आपके रहते हुए वहाँ की लड़किया मेरी तरफ भी एक-दो बार देख लेंगी..."
"कैसा गे आदमी है बे,...जबर्जस्ति चलने के लिए फोर्स कर रहा है..."
"अरे चलो ना अरमान भाई...5 मिनिट तो लगेगा बस...कितना पैसा हुआ यार..."
उस लौन्डे ने तुरंत सिगरेट के पैसे दिए और मुझे अपनी साथ उस कॉलोनी की तरफ ले जाने लगा,जहाँ उसका दोस्त रहता था....
"पूरा आँड कहाँ गया तू ,सुबह-सुबह...ये 5 मिनिट का रास्ता है...10 मिनिट ऑलरेडी हो चुके है और लवडा अभी तो सिर्फ़ आधा रास्ता पार हुआ है..."
"एक शॉर्टकट से ले चलता हूँ...जल्दी पहुच जाएँगे..."बोलकर वो लौंडा झाड़ियो के बीच मे से घुस गया और उसके पीछे-पीछे मैं भी घुस गया....लेकिन जब बाहर निकले तो सामने कोई कॉलोनी नही बल्कि हमारा खूनी ग्राउंड था...जहाँ 20-25 लड़के अपना चेहरा स्कार्फ से ढके हुए खड़े थे....शुरू मे तो मुझे समझ नही आया ,लेकिन वहाँ क्या हो रहा है और क्या होने वाला है ,ये मैं तुरंत समझ गया....
"मदर्चोद..."हॉस्टिल के जिस लौन्डे ने मुझे यहाँ तक लाया था ,उसके मुँह मे ज़ोर से एक मुक्का मारते हुए मैने कहा....
मेरा मुक्का सीधे उसके होंठ पर पड़ा, जिससे उसका होंठ तो फटा ही साथ मे खून की बौछार उसके मुँह से निकलने लगी.....
"बीसी ,मुझे पेलने का प्लान बना रहे थे तो कुच्छ अच्छा प्लान बनाते...ये भी कोई प्लान है....लवडा इससे अच्छा प्लान तो मैं तब बना लेता था...जब मैं प्लान की स्पेलिंग तक नही जानता था....हुह. बीसी एक सूपरहीरो को ऐसे चूतिए प्लान से मारोगे...."
"एक काम करता हूँ,पूरी ताक़त लगाकर भागता हूँ और यदि 5 मिनिट भी भागता रहा तो हॉस्टिल पहुच जाउन्गा....लेकिन इससे तो मेरी इज़्ज़त पर ठप्पा लग जाएगा.यदि मैने ऐसा किया तो इन कुत्तो और मुझमे क्या अंतर रह जाएगा....लेकिन लवडा मार खाने मे कौनसी इज़्ज़त बढ़ती है, उसमे तो और भी नाम खराब होगा..."
ऐन वक़्त पर मेरा दिमाग़ अपने ऐन से डाइवर्ट हो गया था क्यूंकी जहाँ मुझे खुद को बचाने के आइडियास सोचने चाहिए थे वहाँ मैं सोच रहा था कि भागने मे ज़्यादा इज़्ज़त रहेगी या फिर दो-चार को मारकर मार खाने मे ज़्यादा इज़्ज़त रहेगी.साला अजीब सिचुयेशन थी वहाँ पर...एक तरफ वो मुझे किस-किस तरह मारना चाहिए ये सोच रहे थे वही दूसरी तरफ मैं भाग जाउ या यही खड़ा रहूं ये सोच रहा था......
"अभी एग्ज़ॅम को 15 दिन बाकी है...तब तक तो ठीक ही हो जाउन्गा...फिर इनमे से हर एक को ज़िंदा यही पर गाढ दूँगा...तो फाइनली फिक्स हुआ कि किसी एक का स्कार्फ अपुन को लड़ाई के वक़्त निकाल कर उसे पहचान लेना है और फिर उससे यहाँ मौज़ूद एक-एक की आइडेंटिटी लेकर इन सबकी गान्ड मारनी है...."
ये सब सोचकर मैने उन सभी स्कार्फ बँधे हुए लड़को से कहा"मारो ना बे, क्या देख रहे हो...जल्दी मारो ठीक होने मे भी तो टाइम लगेगा ना...वरना फिर मैं तुम लोगो को ज़िंदा कैसे गाढ़ुंगा और एक बात मुझे मारते वक़्त याद रखना कि जो मुझे जितना मारेगा उसे मैं उतना रिटर्न भी करूँगा और बेटा,जो हॉस्टिल से है...वो तो अपनी खैर मनाए क्यूंकी हॉस्टिल के लौन्डे उन्हे ज़िंदा जला देंगे...पता नही क्या होगा तुम लोगो का...वैसे यहाँ आते वक़्त मैने उन्हे खबर कर दी थी और मेरी मॅतमॅटिक्स कहती है कि वो बस 5 मिनिट मे यहाँ आ जाएँगे...."
"इसके पास मोबाइल नही है, चोदु बना रहा है हमे...आते वक़्त ही मैने सब चेक कर लिया था..."हॉस्टिल का जो लौंडा मुझे यहाँ तक लाया था,अपना होंठ सहलाते-सहलाते खड़ा हुआ.....
"अबे तो ज़रूरी है क्या कि मैं मोबाइल से ही उन्हे खबर दूं...शक्तिमान नही देखा क्या, जिसमे शक्तिमान...गीता विश्वास से आँख बंद करके बात करता था....लेट मी ट्राइ वन मोर टाइम...वो क्या है ना कि कल दारू नही पी तो सिग्नल पकड़ नही रहा"आँखे बंद करके मैने ऐसे ही हॉस्टिल वाले लौन्डो को बुलाया....
"अरे मारो ना इसको...क्यूँ खड़े हो ऐसे..."एक लड़का स्कार्फ उतार कर मुझसे बोला
"तू तो कलेक्टर का लौंडा है ना...तू इन सबमे कब शामिल हो गया.....साले धोखेबाज़ो,..."
"कोई धोखा नही है और तूने ही उस दिन सबके सामने कहा था ना कि'मायने ये नही रखता कि तुम कैसे करते हो...मायने ये रखता है कि तुम क्या करते हो'...इसलिए अब हमने कैसे किया इसपर कोई ध्यान नही देगा बल्कि हमने तुझे बुरी तरह से मारा इसपर सब....."
"कंप्लीट युवर सेंटेन्स प्लीज़...."कलेक्टर के लौन्डे की बोलती अचानक बीच मे बंद होते हुए देख मैं बोला....
"ये सब कहाँ से आ गये...."गान्ड फटी मे एक और ने अपना स्कार्फ नीचे किया और वो लड़का महंत था....
"सला...कैसे दिन आ गये है मेरे..अब कोई भी...वैसे इनकी अचानक फट क्यूँ गयी..."उन सबको हक्का-बक्का देखकर मैने खुद से कहा और जिस तरफ देखकर वो सब अपना मुँह फाडे खड़े थे ,मैने उस तरफ देखा....
"ओये बीसी हॉस्टिल के लड़को को कैसे खबर हुई...कहीं सच मे तो मेरे अंदर शक्तिमान वाली पॉवर नही आ गयी और जो मैने थोड़ी देर पहले आँख बंद करके अपना डर कम करने के लिए कहा था,वो इन सबने सुन लिया हो....."
वो नज़ारा देखने लायक था, जब हॉस्टिल के सारे लड़के झाड़ियो से कूद-कूद कर ग्राउंड की तरफ दौड़ रहे थे...कयि तो वहाँ से भाग निकले ,लेकिन ज़्यादा दूर तक नही भाग पाए...क्यूंकी जिस तरफ वो भागे थे,उधर से भी हॉस्टिल के लड़के आ रहे थे.....
"शाबाश...अब इन लवडो को बताता हूँ कि मारते कैसे है...."
.
"तुझे पेला तो नही ,इन कुत्तो ने..."उपर से नीचे तक मुझे देखकर अरुण ने पुछा और फिर तुरंत ही सामने खड़े महंत को पकड़ कर मारने लगा....
"साला ,इतना बुरा तो मुझे भी नही लगा....इसे क्यूँ लग रहा है खैर,पहले इनको पेलता हूँ...."महंत को अरुण से छुड़ाकर मैने कहा"मेरा गॉगल लाया है बे..."
"कैसा बक्चोद आदमी है बे...हमलोग की गान्ड फटी मे थी कि तू मार ना खा जाए और...."
"रहने दे...ऐसे बोरिंग सीन मत क्रियेट कर अब..."अरुण को बीच मे ही रोक कर मैने राजश्री पांडे से कहा"जा बे भागकर पानी लेकर आ..."
"पानी...लेकिन क्यूँ..."
"इनका गला काटने से पहले इन सबको पानी पिला देता हूँ...ताकि गला आसानी से कटे...जा भागकर ले आ..."
"लेकिन मैं ही क्यूँ,...किसी और को बोलो "
"तू जाएगा या नही..."
"जब गर्दन ही कटनी है तो पानी क्यूँ पिलाना...मूत पिलाएँगे एमसी को..."
"जा ना ,इनाम दूँगा..."
"तू कही मत जा बे...यही रह."पांडे जी के बढ़ते कदम रोकते हुए सौरभ ने मुझसे कहा"और तू थोड़ा सीरीयस हो जा...मैने पहले भी कहा था और अब भी कह रहा हूँ..."
"सीरीयस हो जाउ...लवडा एग्ज़ॅम चल रहे है क्या..."
.
मेरा मन था कि मैं पहले इंडिविजुयली सब पर डाइलॉग्स मारू ,लेकिन सौरभ के विरोध और गुस्से ने मुझे ऐसा नही करने दिया और फिर हॉस्टिल के सभी लड़के मिलकर उन सबको मारने लगे...सिवाय कलेक्टर के लड़के को छोड़ कर....महंत,यशवंत का तो मैने सोच लिया था कि वो दोनो वहाँ होंगे, लेकिन मैं हैरान तब हुआ जब वहाँ मैने कालिया, वरुण और नौशाद को देखा......
"इसको छोड़...मैं देखता हूँ इसे"कालिया के बाल पकड़ते हुए मैने ज़ोर से उसका सर घुमाया"क्यूँ बे इन्सेस्ट लवर....तू भी. इसको सबसे ज़्यादा मारना..."
और जब एक और स्कार्फ हटा और मुझे वरुण दिखा तो मैं और चौका....
"हट साले ,फेल्यूर से तो मैं बात ही नही करता...इसके मुँह मे डंडा डालकर ,गान्ड से निकाल दो..."
फिर मैं नौशाद की तरफ बढ़ा...
"तू भी...बीसी ,तुम सब ये बताओ...कब से प्लान बना रहे थे मुझे मारने का...मुँह मे शरम भी नही है.तुम सबके...छोड़ना मत किसी को.*** चोद दो इनकी..."
हॉस्टिल के लगभग पूरे लड़के वहाँ ग्राउंड मे पहुच चुके थे और जो पहले नही पहुँचे थे वो धीरे-धीरे इंस्टल्लमेंट के रूप मे वहाँ आ रहे थे.जीतने लौन्डे मिलकर उन 30 लड़को की पिटाई कर रहे थे,उससे ज़्यादा वहाँ खड़े होकर उस सबका मज़ा ले रहे थे.कुच्छ वीडियो बना रहे थे तो कुच्छ चिल्ला-चिल्ला कर बता रहे थे कि कैसे मारे...कोई कहता कि ये फाड़ दो,कोई कहता वो फाड़ दो...कोई कहता यहाँ लंड दो तो कोई कहता वहाँ लंड दो....कोई कहता इनके उपर मूत देते है तो कोई कहता नंगा करके इन सबको घर भेजेंगे...कुल-मिलकर जितने लोग वहाँ थे,उतने टाइप के आइडियास मिल रहे थे....
.
"कलेक्टर के लौन्डे का क्या करना है..."मेरे पास आकर अरुण ने पुछा...
"करना क्या है...उसे भी मार,लवडा कहीं का तोपचंद है क्या...बल्कि उसे सबसे ज़्यादा मार..."
"कोई लड़का उसपर हाथ नही उठा रहा...सबको डर है की कलेक्टर कहीं उसकी बजा ना दे..."
मैने बहुत सोचा...पेल के सोचा कि उस कलेक्टर के लड़के को मारा जाए या यूँ ही जाने दिया जाए...एक आम आदमी कहेगा कि छोड़ दो लेकिन मुझ जैसा एक महान आदमी कहेगा कि चोद दो....वैसे मेरा दिमाग़ कलेक्टर के लड़को को देखकर मुझे कह रहा था कि वो डेंजर ज़ोन है और मुझे वहाँ एंट्री नही करनी चाहिए लेकिन उसको मैं ऐसे नही जाने दे सकता था...
"ला हॉकी स्टिक दे मुझे...."अरुण से मैने कहा...
"पागल है क्या...जाने दे उसे..."
"अबे मैं मारने नही जा रहा ,मैं तो बस ऐसिच डाइलॉग-बाज़ी करने जा रहा है..."
"सच..."
"तेरी कसम..."
अरुण से हॉकी स्टिक लेकर मैं कलेक्टर के लड़के के पास गया.उसकी हालत इस वक़्त बहुत ही नाज़ुक होनी चाहिए थी...लेकिन बीसी शान से ऐसे खड़ा था,जैसे वो अरमान हो और हॉस्टिल के लड़के मेरे गॅंग को धो रहे हो.
"क्यूँ पे भोसड़ी के...गान्ड फट गयी ना..."
"मैने तुझसे पहले भी कहा है कि मैं तुझसे नही डरता और अब तो और भी नही डरूँगा ,जब मुझे मालूम हो कि इनमे से एक भी बंदा मुझे हाथ तक नही लगाएगा..."
"तुझसे ऐसा किसने कहा..."
"मुझे मालूम है...मैने अक्सर अपने दोस्तो को ऐसे खड़े रहकर मार खाते हुए देखा है, लेकिन आज तक किसी ने छुआ नही..."
"मेरे पैर छु..."
"इतना बड़ा फट्टू नही हूँ मैं..."
"ओके...फिर.मुझे मत कहना कि मैने तुझे क्यूँ........मारा."एक थप्पड़ मारते हुए मैं बोला और फिर हॉकी स्टिक से हेड टू फुट उसकी मसाज करने लगा...
अभी मेरा मन भी नही भरा था की अरुण और बाकी लड़को ने मुझे पकड़ लिया.
"लवडे...बोला था,उसे हाथ मत लगाना...कैसा झान्ट है बे...अब गान्ड मराना अपनी..."
"अब जब इसे मार दिया है तो,जो होना है वो तो होगा ही ना...तो क्यूँ ना थोड़ा और अच्छे से मार लूँ.ताकि बाद मे मुझे तसल्ली तो रहे कि मेरी तरफ से भी कोई कमी नही हुई थी"
मैने जो कहा था वो उन सबका खून जलाने के लिए काफ़ी था...लेकिन वो मैने सही ही कहा था.इसलिए जिन लड़को ने मुझे पकड़ा था,उन्होने छोड़ दिया और अरुण गालियाँ बकता हुआ,वहाँ से चला गया...
"मायने ये नही रखता कि तुम कैसे करते हो, मायने ये रखता है कि तुम क्या करते हो....ये तुझे याद था ना, तो फिर तुझे वो भी याद होगा जो मैने इसके बाद कहा था कि'हमने हर उस चीज़ की कीमत चुकाई है...जो हमे मिला है' तो तू जानना चाहेगा कि ये सब मुझे किस कीमत मे मिला....अब जो भी मैं तेरे साथ करूँगा,वो तुझे ज़िंदगी भर ये अहसास दिलाएगा कि अपने बाप के दम पर कभी नही उड़ना चाहिए...."उसका पैर पकड़ कर चारो तरफ घसीटते हुए मैने कहा...
कलेक्टर के लड़को को घसीटते वक़्त मेरा जब भी मन करता मैं उसे रुक कर मारने लगता और जब मेरा मन भरा तब मैने उसे वैसे छोड़ा और हाथ झाड़ते हुए सबको वहाँ से चलने के लिए कहा......
मुझे छोड़ कर सब आपस मे बात कर रहे थे कि मुझे, कलेक्टर के लड़के को नही मारना चाहिए था.तभी राजश्री पांडे पीछे से दौड़ता हुआ आया और मुझसे बोला...
"अरुण का फोन है..."
"तू इतना फटी मे क्यूँ है,मेरे द्वारा झूठी कसम खाने से मर गया क्या अरुण...."
"आराधना ने स्यूयिसाइड करने की कोशिश की है..."
"धत्त तेरी...ज़िंदा तो है ना..."
"ज़िंदा है...अभी आधे घंटे पहले की खबर है ,जिसकी खबर अरुण भाई को वॉर्डन ने अभी हॉस्टिल जाने पर दी."
"अच्छा हुआ ,ज़िंदा हैं...ये लवडा स्यूयिसाइड करना आजकल का फॅशन बन गया है...अब तो उससे कभी बात तक नही करूँगा...अरुण को बोल,वॉर्डन से पुच्छे कि वो किस हॉस्पिटल मे है और वॉर्डन से पुछने के बाद बाइक लेकर ग्राउंड की तरफ आए..."
|