Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
08-18-2019, 01:59 PM,
#77
RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
एस.पी. का नामे सुनते ही उन लोगो के तेवर काफ़ी हद तक कम हो गया...वो सभी,जो गौतम के साथ आए थे,एक -दूसरे का मुँह तकने लगे...और मैं यही तो चाहता था कि एस.पी. का सपोर्ट अरुण पर है,ये सोचकर वो वहाँ से चले जाए और बात को भूल जाए.....
.
"मुझे इस पर यकीन नही,तुम लोग एक-एक रूम चेक करो और जहाँ भी वो लवडा का बाल दिखे...मार दो साले को...बीसी मेरी बहन से इश्क़ लड़ाता है..."

गौतम के ऐसा कहने पर उसके चम्चे हॉस्टिल के हर एक रूम को चेक करने लगे...अरुण को मैने फ्लोर के सबसे लास्ट रूम मे छुपने के लिए कहा था...इसलिए शुरू के कुच्छ कमरो को जब गौतम के चम्चो ने चेक किया तो उन्हे अरुण नही मिला....लेकिन जब वो फ्लोर के आख़िरी छोर की तरफ बढ़े तो मेरी साँसे अटकने लगी...क्यूंकी यदि उन्होने अरुण को हॉस्टिल मे देख लिया तो वो जान जाएँगे कि एस.पी. से ना तो मेरा कोई रीलेशन है और ना ही अरुण का...यदि ऐसा होता तो फिर वो ये भी जान जाते कि एस.पी. का सपोर्ट लेकर मैं उन्हे आज तक सिर्फ़ चूतिया ही बनाते आया हूँ....
.
"ओये, इसे रंडी खाना समझ रखा है क्या, जो हर रूम को खोल कर देख रहे हो...मैने बोला ना कि अरुण यहाँ नही है..."

"तू बीसी चुप रहा..."मेरा कॉलर पकड़ कर गौतम ने मुझे मेरे रूम के अंदर किया और बोला"तू क्या सोचता है कि मुझे मालूम नही तेरे कांड...फर्स्ट एअर के दो लौन्डो को तूने ही मारा था ये मुझे पता है और बहुत जल्द तेरा भी नंबर आने वाला है....बेटा ऐसा मारूँगा तुझे कि तेरी सारी हेकड़ी निकल जाएगा...एक हिजड़े की ज़िंदगी जीने पर मज़बूर कर दूँगा तुझे मैं...तेरा बाप भी तुझे देखकर हिजड़ा कहेगा और तालिया बजाएगा....मादरचोद तेरी मैं वो हालत करने वाला हूँ कि तुझ पर कोई पेशाब भी करने से पहले सौ बार सोचेगा...चल भाग मादरचोद..."मुझे ज़ोर से धक्का देते हुए गौतम ने कहा...जिसके बाद मैं सीधे अपने बेड के पास गिरा और मेरा सर ज़ोर से किसी चीज़ से टकराया...दर्द तो बहुत कर रहा था लेकिन मेरे अंदर उफन रहे ज्वालामुखी ने उस दर्द को लगभग शुन्य कर दिया...मैने बिस्तर के नीचे पड़ा लोहे का रोड निकाला और खड़ा होकर गौतम को आवाज़ दी...

"इधर देख बे रंडी की औलाद...पहले जाकर अपनी माँ से पुछ्ना कि कितनो का लंड लेकर तुझे पैदा किया है,फिर मुझसे बात करना"लोहे की रोड को मज़बूती से पकड़ते हुए मैने कहा और बिना कुच्छ सोचे-समझे अपनी पूरी ताक़त से वो रोड गौतम के सर मे दे मारा....
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गौतम के सर पर लोहे का रोड मैने इतनी तेज़ी से मारा था कि वो उसी वक़्त अपने होश खो बैठा ,उसके सरसे खून की धारा बहने लगी...मेरा प्रहार इतना तेज था कि गौतम के चेहरे का कोई भी अंग इस वक़्त नही दिख रहा था...दिख रहा था तो सिर्फ़ खून...सिर्फ़ और सिर्फ़ खून...तब तक हॉस्टिल के सारे लड़के भी मेरे रूम के सामने पहुच गये थे और गौतम के चम्चो को पकड़ कर धो रहे थे.... गौतम ज़मीन पर पट बेहोश पड़ा हुआ था,जिसे मैने रोड से ही सीधा किया और अपनी पूरी क्षमता से एक और रोड उसके पेट मे मारा...जिसके बाद खून सीधे उसके मुँह से निकल कर मेरे उपर पड़ा.......
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उस दिन हॉस्टिल मे बहुत बड़ा लफडा हुआ था...हम हॉस्टिल वालो ने गौतम और उसके सभी दोस्तो को बहुत मारा...उस समय गुस्से मे शायद मैं ये भूल चुका था कि लोहे की रोड से जिसका मैं सर फोड़ रहा हूँ,वो कोई आम लड़का नही है....गौतम के पेट मे रोड मारकर उसके मुँह से खून निकालते वक़्त मैं ये भूल चुका था कि गौतम का बाप एक बहुत बड़ा गुंडा है और वो इसका बदला मुझसे ज़रूर लेगा....

मैने अब तक के अपने ज़िंदगी के 19 साल मे आज सबसे बड़ी ग़लती कर दी है ,इसका अंदाज़ा मुझे तब हुआ , जब गौतम को बेहोशी की हालत मे आंब्युलेन्स के ज़रिए हॉस्पिटल ले जाया जा रहा था...मैं उसी वक़्त समझ गया था कि इस आक्षन का रिक्षन तो होगा और वो भी बहुत बहुत बहुत बुरा...मेरा गुस्सा जब से शांत हुआ था तभी से मेरे अंदर एक डर घर कर चुका था...वो ये था की गौतम का बाप अब मेरा क्या हाल करेगा...यदि ये कॉलेज की छोटी-मोटी लड़ाई होती तो शायद उसका बाप इसे इग्नोर भी कर देता लेकिन यहाँ उसके एकलौते बेटे का मैने सर फोड़ डाला था...मैं ख़ौफ्फ खा रहा था उस पल के लिए,जब गौतम का बाप अपने बेटे का खून से सना शरीर देखेगा...इस समय मेरे दिमाग़ ने भी अपना साइड एफेक्ट दिखाना शुरू कर दिया..इस समय जब मुझे मेरे दिमाग़ की सबसे ज़्यादा ज़रूरत थी तो वो मुझे धोका देकर आने वाले समय मे मेरा हाल क्या होने वाला है ,ये बता रहा था...मैने देखा कि गौतम के बाप ने मेरे सर पर ठीक उसी तरह से रोड मारा जैसा कि मैने गौतम के सर पर मारा था...
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"अरमान..."किसी ने मुझे पुकारा

"अरमान..."

"अबे अरमाआअन्णन्न्...."कोई मेरे कान के पास ज़ोर से चिल्लाया...

"क्या है बे बोसे ड्के "हॉस्टिल मे रहने वाले उस स्टूडेंट को देख कर मैने पुछा

"सीडार सर,तुझे अमर सर के रूम मे बुला रहे है...चल जल्दी.."

"सीडार भाई,इतनी जल्दी हॉस्टिल कैसे पहुचे...उन्हे तो मैने कॉल तक नही किया था..."

"तू खिड़की के पास ही खड़ा है तो क्या तूने सूरज को ढलते हुए नही देखा...बेटा बाहर नज़र मार ,रात हो चुकी है...अब चल जल्दी से,वॉर्डन भी वहाँ अमर सर के रूम मे मौज़ूद है..."

उसके कहने पर मैने बाहर देखा और इस वक़्त सच मे रात थी...मैने बौखलाते हुए अपनी घड़ी मे टाइम भी देखा तो रात के 7 बज रहे थे...यानी कि मैं घंटो से यही खिड़की के पास खड़ा हूँ,लेकिन मुझे ये नही मालूम चला कि रात कब हो गयी....

"चल..चलते है.."उस लड़के के साथ रूम से बाहर निकलते हुए मैने कहा...

रूम से बाहर आते वक़्त मेरी नज़र अपने आप ही वहाँ पड़ गयी,जहाँ कुच्छ घंटे पहले गौतम खून मे सना हुआ लेटा था...वहाँ खून के निशान अब भी थे और मेरे दिमाग़ ने आने वाले पल की भविष्यवाणी करते हुए मुझे वो सीन दिखाया जिसे देख कर मेरी रूह कांप गयी,...मैने देखा कि मैं खून से लथपथ कहीं पड़ा हुआ हूँ और जानवर मेरे शरीर को नोच-नोच कर खा रहे है....

"अरमान..क्या हुआ,.."मुझे होश मे लाते हुए उस लड़के ने हैरानी से मेरी तरफ देखा....

"कुच्छ नही...चल"
.
अमर सर के रूम के अंदर इस वक़्त लगभग सभी सोर्स वाले होस्टेलेर्स बैठे हुए थे...कुच्छ फोन पर किसी से बात कर रहे थे तो कुच्छ आपस मे आज हॉस्टिल मे हुए मार-पीट के बारे मे डिस्कशन कर रहे थे...हमारा हॉस्टिल वॉर्डन सब लड़को के सामने एक चेयर पर अपना सर पकड़ कर बैठा हुआ था....मेरे अंदर आते ही सब शांत हो गये,जो कुच्छ देर पहले किसी को कॉल पे कॉल किए जा रहे थे उन्होने मोबाइल नीचे कर लिया...जो लोग घंटो पहले हुई इस मार-पीट के बारे मे डिस्कशन कर रहे थे वो मुझे देख कर चुप हो गये और हॉस्टिल वॉर्डन ने बिना समय गवाए एक तमाचा मेरे गाल पर जड़ दिया...


"बहुत बड़ा गुंडा है तू...अब पता चलेगा तुझे की असलियत मे गुंडागिरी क्या होती है...तेरी वजह से मेरी नौकरी तो जाएगी ही,साथ मे तेरी जान भी जाएगी..."बोलकर वॉर्डन ने अपनी कुर्सी पकड़ ली और बैठ कर फिर से अपना सर पकड़ लिया....साला फट्टू

वैसे तो मैं वहाँ मौज़ूद सभी सीनियर्स,क्लासमेट और जूनियर्स को जानता था पर इस वक़्त मेरी आँखे सिर्फ़ और सिर्फ़ सीडार पर टिकी हुई थी...

"ये लोग जो कह रहे है क्या वो सच है...क्या तूने ही गौतम को मारा है..."सीडार ने पुछा

"हां..."

"तो अब क्या सोचा है...कैसे बचेगा इन सब से और मेरे ख़याल से तूने प्लान तो बनाया ही होगा कि गौतम को मारने के बाद तू उसके बाप से कैसे बचेगा..."

"मैं गौतम को नही मारना चाहता था,वो तो सडन्ली सब कुच्छ हो गया..."
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RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू - by sexstories - 08-18-2019, 01:59 PM

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