RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
शेरीन ना ज़्यादा मोटी थी और ना ही ज़्यादा पतली...लेकिन यदि उसका फेस और उसकी आदत ढंग की हो तो शायद हम उसे छोड़ भी देते....क्लास खाली जा रही थी और इंट्रोडक्षन का दौर आगे बढ़ते हुए अरुण तक आया....
"युवर टर्न...."अरुण की तरफ उंगली दिखती हुए शेरीन बोली....
अपने अरुण भाई ताव मे आ गये और खड़े होकर बोले कि जिसको भी मेरे बारे मे जानना है वो दबी मे आकर मुझसे मिल ले....
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"व्हाट..."नाक सिकोडती हुए शेरीन बोली,...
"हवेली मे मिलना फिर बताउन्गा तुझे ,व्हाट...."
"ये तो बहुत डेरिंग है साला..."इस वक़्त मेरी दोनो आँखे दो तरफ देख रही थी, मैं कभी शेरीन का चेहरा देखता तो कभी अरुण का और मुझे ना जाने क्या सूझा मैं अरुण के कान मे धीरे से बोला...
"तेरे लिए पर्फेक्ट माल है..."
"ज़िंदगी भर मूठ मार लूँगा, लेकिन इसे नही चोदुन्गा...."
अरुण तो शेरीन को धमकी देकर चुप हो गया, लेकिन अब अगला नंबर मेरा था ,उस वक़्त मुझे भी खड़े होकर अरुण की तरह बोल देना चाहिए था कि"जिसको भी मेरे बारे मे जानना है वो हवेली मे आकर मिले,...."
लेकिन मुझमे उस वक़्त उतनी हिम्मत नही थी, सबके सामने जाने से दिल घबरा रहा था,लेकिन फिर भी मैं उठा और जैसे -जैसे मेरे कदम आगे बढ़े, मैं अंदर ही अंदर काँपने लगा....
"गुडमॉर्निंग , फ्रेंड्स... आइ'म अरमान..."एक मरी सी आवाज़ मेरे मुँह से निकली...जिसे सामने वाले बेंच पर बैठे स्टूडेंट्स ही सुन पाए होंगे.....
"प्लीज़ स्पीक लाउड्ली...."शेरीन फिर बोली....
उस वक़्त शेरीन का फेस देखकर मन कर रहा था कि अपना जूता उतारकर सीधे उसके मुँह पे दे मारू,...और उसी वक़्त सिविल सब्जेक्ट वाली मॅम अंदर घुसी और घुसते ही मुझे पर गोली दाग दी....
"यहाँ क्या कर रहे हो खड़े होकर...."
"व...व...वो वो कुछ नही, बस अपना इंट्रोडक्षन दे रहा था और कुछ नही...."
"जाओ, अपनी जगह पर जाकर बैठो..."
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"देख बे वो बाजीराव सिंघम पूरे कॉरिडर मे घूम रहा है..." अपनी कॉपी मे लिखकर अरुण ने बताया...
"अबे फॉर्मल ड्रेस तो मैने नही पहनी है...साला फिर लफडा करेगा"
"एक प्लान है...."सामने बोर्ड पर जो कुछ लिखा हुआ था उसे उतारते हुए अरुण बोला"रिसेस मे यदि कॉलेज के बाहर चलें तो बचा जा सकता है, और रिसेस जैसे ही ख़तम होगा वापस आ जाएँगे...."
"सॉलिड आइडिया है...."
इसी दौरान सिविल वाली मॅम बोर्ड पर कुछ लिखने के लिए मूडी, और उसकी बड़ी-बड़ी गान्ड हमारे सामने थी....वैसे तो सिविल वाली मॅम की एज 45+ रही होगी और उन्हे सामने से देखकर कोई ग़लत ख़यालात अपने मन मे ना लाए, लेकिन पीछे से यदि कोई उन्हे देखे तो फिर........
"ओये, साले इसको तो चोद दे"मेरी नज़र पूरी तरह से सिविल वाली मॅम के गान्ड पर जमी हुई थी....
"क्या हुआ..."मैं ऐसे रिएक्ट करने लगा जैसे मैने कुछ किया ही ना हो , लेकिन अरुण मुझसे ज़्यादा कमीना था
"अबे इसे क्यूँ घूर रहा है, इसे तो सब लोग मम्मी बोलते है...."
"मम्मी "
"नवीन बोल रहा था कि ये बहुत प्यार से पढ़ती है...मतलब कि एक क्वेस्चन को चाहे जितने बार भी पुछ लो, हमेशा शांत ही रहती है...प्रोफाइल. है ये यहाँ लेकिन इस बात का इसे बिल्कुल भी घमंड नही है..."
उस पूरे क्लास मे मैने और अरुण ने फुल2 मस्ती की , सिविल वाली मॅम ने हमे काई बार बात करते हुए और हँसते हुए भी देखा, लेकिन वो हर बार इग्नोर कर देती....सिविल वाली मॅम सच मे मम्मी थी
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पिछले कुछ दिनो की तरह मैं आज भी रिसेस मे एश के क्लास मे घुसा इस आस मे कि शायद वो लेट आई होगी, लेकिन जवाब एक बार फिर ना मे सर हिलाकर अरुण के दोस्त ने दिया....उसके बाद मैं और अरुण बाइक स्टॅंड पर आए, मैने नवीन की बाइक की चाबी उससे माँग ली थी, बाइक स्टॅंड पर जहाँ एक तरफ अरुण ,नवीन की बाइक निकाल रहा था वही मैं दूसरी तरफ उस जगह को देख रहा था,जब कुछ दिन पहले मैने एश को पहली बार देखा था....उसकी कार आज वहाँ नही खड़ी थी और ना ही एश उस दिन की तरह वहाँ थी,लेकिन फिर भी ना जाने क्यूँ मुझे मोहब्बत सी हो गयी थी उस जगह से, मैं उस तरफ बढ़ ही रहा था कि अरुण ने हॉर्न मारा....
"ओये इधर पेशाब मत कर, बाहर कर लेना...."
"अबे मैं...."आगे क्या बोलू कुछ समझ नही आया इसलिए मैं इतना बोलकर चुपचाप बाइक मे बैठ गया....
"दो प्लेट समोसा देना काका..."कॉलेज के मेन बिल्डिंग से 2 कि.मी. दूर कॉलेज का मेन गेट था और उसी के आस-पास बनी दुकानो मे से एक दुकान पर बैठ कर मैने दो प्लेट समोसे का ऑर्डर दिया....
"एक प्लेट बना के देना...मतलब नमकीन, सलाद, तीखी-मीठी चटनी सब डाल देना....और हाँ थोड़ा दही भी डाल देना..."अरुण ने अपनी फरमाइश झड़ी, जिसे सुनकर मैने कहा...
"जब इतना सब कुछ डलवा रहा है तो थोड़ा ज़मीन की मिट्टी भी डलवा लियो..."
"वो तेरे लिए छोड़ी है...."
"थॅंक्स..."
पेट पूजा करने के बाद अरुण ने अपने जेब से 10 का नोट निकालकर टेबल पर ऐसे फैंका जैसे ताश खेलने वाला हुकुम का इक्का फैंकता है.....
"मैं आज भी फेके हुए पैसे नही उठाता हाइईई...."
"ठीक है..."उस 10 के नोट को उठाते हुए अरुण ने कहा"तू ही दे दे मेरा बिल..."
"नही बे मैं तो ऐसे ही अमिताभ बच्चन का डाइलॉग मार रहा था...."और मैने उसके हाथ से 10 का नोट छीन लिया.....
रिसेस मे जब कुछ देर ही रह गयी थी तब मैं और अरुण क्लास की तरफ पहुचे, हम दोनो उस वक़्त खुद को चालाक समझ कर बहुत खुश हो रहे थे कि रिसेस मे होने वाली रॅगिंग से हम दोनो बच गये, लेकिन हमारी चालाकी उस वक़्त दम तोड़ गयी जब बाइक स्टॅंड पर सीनियर्स ने हमे पकड़ लिया.....
"अरमान & अरुण...."सीनियर्स के पुच्छने पर मैने हम दोनो का नाम बताया.....
"तेरा क्या नाम है..."
"अरमान...."
अभी मैने अपना नाम ही बताया था कि हॉस्टिल वाला वो सीनियर वहाँ आ धमका जिसने कल से मुझे परेशान कर रखा था, उसने पहले अपने दोस्तो से हाथ मिलाया और फिर मुझे देखकर अपने दोस्तो से बोला...
"और पहलवान क्या हाल चाल है..."
"सब बढ़िया...."
मेरा इतना कहना था कि उसने कस कर एक थप्पड़ मुझे जड़ दिया, और उसके बाकी दोस्त हँसने लगे.....
"कितनी बार समझाया कि आइ कॉंटॅक्ट मत कर...लेकिन तेरे गान्ड मे बात घुसती ही नही...."
खून का घूट पीकर मैने अपनी आँखे नीचे की, और जब सारे सीनियर्स ने मुझे घेर लिया तो मैं समझ गया कि मेरे साथ कुछ बुरा होने वाला है कुछ बहुत ही बुरा....जिसकी मैने कल्पना तक नही की थी..........
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हमारे भारत देश के संविधान के किसी धारा के किसी अनुच्छेद मे ये सॉफ कहा गया है रॅगिंग अल्लाउ नही है पर वहाँ बिके स्टॅंड पर सब कुछ ग़लत हो रहा था.....मुझसे जाने क्या दुश्मनी थी कि वो हॉस्टिल वाला सीनियर हाथ धो के मेरे पीछे पड़ा हुआ था और उस वक़्त मैं वहाँ बिल्कुल अकेला था....कुछ देर पहले अरुण ने बीच बचाव करने की कोशिश की थी,लेकिन जब अरुण की रोक टोक से सीनियर ज़्यादा परेशान हो गये थे तो उन्होने एक थप्पड़ उसके गाल पर रसीद कर उसे वहाँ से चलता किया और मुझे अपनी बाइक पर बैठा कर वहाँ से दूर कॉलेज ग्राउंड पर ले आए.....
"बाइक से उतरेगा बीसी ,या उतार कर फेकू..."
उस वक़्त मुझे लगा कि काश मेरे पास कोई सूपर पॉवर या कुछ ऐसा होना चाहिए था जिससे मैं इनकी बॅंड बज़ा सकूँ....लेकिन मैं एक नॉर्मल स्टूडेंट था जिसने फर्स्ट अटेंप्ट मे ही इतना शानदार कॉलेज पाया था.......
"मुझे यहाँ क्यूँ लाए हो सर..."बाइक से उतर कर मैं बोला....मेरे सवाल करने से वो और भी भड़क जाएँगे ये मैं जानता था, लेकिन वहाँ चुप खड़ा रह भी तो नही सकता था....इसलिए मैने उनसे मुझे वहाँ लाने का रीज़न पुछा और जैसे कि मेरा अनुमान था मुझे जवाब मे एक थप्पड़ मिला और साथ ही साथ मेरे पीठ पर एक लात और नतीज़ा ये हुआ कि मैं सीधे ग्राउंड पर बिखर पड़ा.....
"ऐसा तो सबके साथ होता होगा..."ये सोचते हुए मैं उठा, और अपने चेहरे की धूल सॉफ करने लगा..
ग्राउंड कॉलेज से थोड़ी दूर मे था और जब कॉलेज लगा हो तो उधर एक्का-दुक्का ही आते थे, लेकिन उस दिन जब मैं अपने चेहरे पर हाथ फिरा कर धूल सॉफ कर रहा था तो मुझे दो-तीन बाइक की आवाज़ सुनाई दी जो समय बीतने के साथ बढ़ती गयी और फिर वो बाइक ग्राउंड मे आकर खड़ी हो गयी, उन बाइक्स पर लड़किया थी और वो वही चुड़ैल थी जो अक्सर कॉलेज के पीछे वाले गेट पर खड़ी होकर गालियाँ बकती थी.....
"7 साल से इंजीनियरिंग. करने वाले उस गधे को भी बुला लो बे, बस उसी की कमी है...."ये मैने खुद से कहा....एक नॉर्मल पढ़ने वाला स्टूडेंट जब ऐसी सिचुयेशन मे फँसता है तो वो अक्सर घबराया हुआ होता है और कुछ का मूत तक निकल जाता है,लेकिन मैं थोड़ा अजीब बिहेवियर कर रहा था और अंदर ही अंदर कॉमेडी करे जा रहा था......
"ये तो वही कॅंटीन वाला है.."एक और बाइक आकर वहाँ खड़ी हो गयी और उस बाइक पर वही 7 साल से इंजीनियरिंग. करने वाला रावण सवार था.....वरुण बाइक से उतरा तो दूसरे सीनियर ने उसे एक सिगरेट दी और सर कहकर उसे विश भी किया.......
"गुड आफ्टरनून सर..."इरादा तो नही था लेकिन फिर भी मैं वरुण से बोला, क्या पता साला खुश हो जाए और मुझे बचा ले....
"यहाँ क्यूँ बुलाया छोटे..."उसी हॉस्टिल वाले सीनियर से वरुण ने पुछा ,जो मुझसे ना जाने किस जनम का बदला ले रहा था.....
"ये वही लड़का है सर, जो बहुत उचक रहा था...आज पकड़ मे आया है...."
"इधर आ..."वरुण ने अपनी दो उंगलियो से मुझे करीब आने का इशारा किया...
"नेम क्या है..."
"अरमान.....फर्स्ट एअर....ब्रांच-मेकॅनिकल....."मैने सब कुछ एक बार मे ही बता दिया क्यूंकी मुझे मालूम था कि उसका अगला सवाल यही होगा....
"ये तो बड़ा स्मार्ट बंदा है छोटे...."
"कुछ नही सर, आप देखो अभी इसकी स्मार्टनेस निकालता हूँ...."फिर उस छोटू ने मुझे वही बैठने के लिए कहा....
"अप...."जब मैं बैठा तब उसने कहा...
मैं खड़ा हो गया तो उसने फिर डाउन बोला....साली पूरी इज़्ज़त की लगी पड़ी थी, वो सब सीनियर लड़किया अपना पेट पकड़-पकड़ कर ठहाके लगा रही थी और इधर उठक बैठक करके मेरी साँसे फहूल रही थी.....
"सबसे बड़ा चूतिया है ये....मैने आज तक इससे बड़ा घोनचू नही देखा..."विभा ने मुझे देखते हुए कहा,
मेरा पूरा शरीर उस वक़्त पसीने से लथपथ था, पाँव दर्द का रहा था....और इसी बीच वो सिचुयेशन आई जब मैं केवल बैठ कर रह गया....दोबारा उठने की हिम्मत ही नही बची थी....
"अबे उठ.....,"वरुण ने विभा का हाथ पकड़ कर उसे अपनी तरफ खींचा और अपने जूते से वहाँ धूल को मेरे चेहरे पर उड़ाता हुआ बोला....
"अब....हिम्मत......नही है.."ज़ोर-ज़ोर से साँस लेते हुए मैने जवाब दिया और एक नज़ारा देखा कि वरुण और विभा के होंठ एक दूसरे से जुड़े हुए थे.....
"देखो सर, ये नही उठ रहा..."
"अबे उठ..."वरुण ताव से बोला"उठ जा वरना नंगा करके दौड़ाउंगा...."
"हाथ लगा के देख तेरी माँ चोद दूँगा..."ताव-ताव मे मैने बोल दिया ,लेकिन उसके अगले पल जब मुझे ख़याल आया कि मैने क्या बोला है तो मैं कुछ देर के लिए शुन्य हो गया और समझ गया कि मेरी ज़िंदगी का सबसे बुरा दिन आज आने वाला है.....
"बेल्ट निकाल, बीसी को इसकी औकात दिखाता हू..."विभा को दूर करके वरुण मेरे पास आया और अपने बड़े-बड़े मज़बूत हाथो से मेरे जबड़ो को पकड़कर दबाते हुए अपने दोस्तो से बोला"अबे बेल्ट दो..."
"सर, छोड़ो उसे....मर जाएगा ये..."
"मरने दे "
"अरे सर छोड़ो उसे..."बाकी सीनियर्स ने वरुण को मुझसे दूर किया और फिर मेरे पास आए...
"चल पुश अप कर..."
"आइ कॅन'ट..."
"तेरा बाप भी करेगा ,साले एमसी"वरुण की आवाज़ आई,
उनलोगो ने मालूम नही क्या प्लान बनाया था कि सभी ने मुझे घेर लिया और फिर पुश अप करने के लिए कहने लगे.....
"एक बात अपनी गान्ड मे ठूंस ले ,यदि तू ज़रा भी रुका तो वही खींच कर एक लात सब मारेंगे...चल अब शुरू हो जा...."
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