RE: Parivaar Mai Chudai घर के रसीले आम मेरे नाम
इसी तरह दिन बीत जाते हैं और रश्मि की एग्ज़ॅम के लास्ट दिन रश्मि कोमल के साथ गार्डन में बैठी रहती है और उसके मोबाइल पर राज का फोन आता है.)
राज- रश्मि आज मुझे थोड़ा अर्जेंट वर्क आ गया है तो में एक घंटे बाद आउन्गा, अगर तुम चाहो तो रिक्शा पकड़ कर घर आ जाओ.
रश्मि- नही भैया आप एक घंटे बाद आ जाओ, में तब तक कोमल के साथ गार्डन में बैठ कर आपका वेट करती हूँ.
राज- अच्छा ठीक है में जल्दी आने की कोशिश करूँगा.
रश्मि- ओके भैया!
कोमल- (मुस्कुराती हुई..) क्या कह रहे थे तेरे भैया?
रश्मि- उनको थोड़ा टाइम लगने वाला है आने में.
कोमल- चल अच्छा है! तब तक हम यही बैठ कर गप्पे मारते हैं.
रश्मि- यार! आज से छुट्टिया शुरू हो गई और अब तेरा क्या प्लान है कहाँ छुट्टिया मनाने जा रही है या फिर यहीं रहेगी?
कोमल- अरे में कहाँ जाउन्गि मुझे तो यही रहना है पर तेरा अपने भैया के साथ जाने का प्रोग्राम फिट हुआ कि नही?
रश्मि- अब देखती हूँ! आज भैया से बात करूँगी.
कोमल- अच्छा ये बता तुझे वो फोटो कैसे लगे?
रश्मि- बहुत ही मस्त थे लेकिन जब से मेने वह सब देखा है मेरी चूत मुझे रात-रात भर सोने नही देती है उसमे एक मीठा सा दर्द बना ही रहता है.
कोमल- अरे तो अपने भैया से अपनी चूत की थोड़ी बहुत मालिश करवा लेती रानी.
रश्मि- (अपना मूह बना कर..) मेरा भैया मुझे तो ढंग से छूता नही मेरी चूत क्या छुएगा.
कोमल- मेरी जान! तूने कोशिश ही नही की होगी नही तो मर्द तो औरत की चूत छुना क्या उसे चाट भी जाते हैं.
रश्मि- (कोमल को देख कर..) हे! ये चाटने चटवाने की बात मत कर कोमल, मुझसे अपनी फूली हुई चूत वैसे भी संभाली नही जा रही है, और तू है बस मेरा पानी बहाने पर लगी हुई है.
कोमल- अच्छा रश्मि एक बात मुझे सच-सच बता.
रश्मि- क्या?
कोमल- अगर तेरे भैया तुझे चोदना चाहे तो तू उनसे अपनी चूत मरवाएगी कि नही?
रश्मि- अरे कामिनी तूने मुझे वह फोटो दिखा के इतना पागल कर दिया है कि में खड़े-खड़े अपने भैया का लंड लेने के लिए तैयार हूँ, पर मेरी किस्मत इतनी जोरदार कहाँ है. ना जाने कब तक मेरी चूत मुझे तड़पाती रहेगी.
कोमल- रश्मि तू बहुत सेक्सी है तुझे देख कर तो सच में तेरे भैया का लंड दिन भर खड़ा रहता होगा.
रश्मि- अरे, खड़ा रहने भर से क्या होता है? जब मेरी चूत में घुस कर उसे फाड़ दे तब ना कुछ राहत मिलेगी.
कोमल- रश्मि तेरे भैया का लंड सच में बहुत मोटा होगा, क्या तू सह लेगी अपने भैया का लंड?
रश्मि- बात तो ऐसी कर रही है जैसे मेरे भैया आज ही मुझे चोदने वाले हों, ख्यालो की दुनिया से निकल और कुछ सही आइडिया दे नही तो अपना मूह बंद करके चुप चाप बैठ जब देखो बस सपने दिखाने के काम करती है.
कोमल- रश्मि तू तो ऐसी बात करती है जैसे मुझे बड़ा भारी एक्सपिरिन्स हो लौन्डो को फसाने का, लेकिन हाँ तेरे जैसा गबरू जवान भाई मेरा होता तो में तो अब तक उससे कई बार अपनी चूत फडवा चुकी होती.
रश्मि- बड़ी आई चूत फदवाने वाली, दूर से सब को ऐसा ही लगता है. जब मेरा भैया सामने आएगा तो बिना उसके लंड डाले ही तेरी गान्ड फॅट जाएगी.
कोमल- पर तू कोशिश तो कर सकती है ना..
रश्मि- वो कैसे?
कोमल- तू अपने भैया से ज़्यादा से ज़्यादा चिपकने की कोशिश करा कर जब तक वह तेरे गदराए बदन को छुएगा नही उसका ध्यान तेरी ओर कैसे जाएगा?
रश्मि- और कहीं भैया ने मुझे खीच कर एक झपट टिका दिया तो?
कोमल- अरे अब इस तरह डर-डर कर जिएगी तू अपने भैया का क्या कुत्ते का लंड भी नसीब नही होगा और ऐसी ही दिन रात आग में जलती रहेगी.
रश्मि- तेरी चूत में खुजली नही होती क्या, तू क्यों नही अपनी चूत मारने की बात करती है?
कोमल- अरे अब कोई मुझे चोदने के लिए आगे नही आता है तो क्या करूँ? मोहल्ले वालो के सामने नंगी जाकर खड़ी हो जाउ क्या? अगर तुझमे हिम्मत है तो अपने भैया को कह दे कि एक बार वह अपने मोटे लंड से मेरी चूत को कस कर चोद दे.
रश्मि- (अपना मूह बना कर..) बड़ी आई मेरे भैया का लंड लेने वाली, खबरदार जो मेरे भैया की तरफ आँख उठा कर भी
देखा तो में तेरी जान ले लूँगी.
कोमल- (मुस्कुराकर) ओफफफफफ्फ़ हो जलन! इतनी ज़्यादा जलन! तेरे भैया अगर मुझे चोद भी देंगे तो तेरा क्या बिगड़ जाएगा?
रश्मि- मेरे भैया ऐसे हर किसी लड़की को थोड़ी चोदेन्गे वो तो सिर्फ़ अपनी बीबी या फिर....
कोमल- (मुस्कुराकर) या फिर तुझे चोदेगे यही ना?
रश्मि- (अपनी आँखे निकाल कर कोमल को देखती हुई..) मेरा भाई है. मुझे चोदे या कुछ भी करे तुझे उससे क्या?
कोमल- अच्छा-अच्छा तेरा भाई तेरा है और किसी का नही पर अगर में तेरे भैया की बीबी होती तब भी क्या तू मुझसे ऐसे ही जलती?
रश्मि- बड़ी आई मेरे भैया की बीबी बनने वाली, अपना मूह देखा है कभी आईने में?
कोमल- (रश्मि की बात सुन कर थोड़ा मुँह बना कर..) क्या में इतनी बुरी लगती हूँ?
रश्मि- (कोमल के सीरीयस चेहरे को देख कर..) नही यार में तो मज़ाक कर रही हूँ! तू तो बुरा मान गई.
कोमल- नही रश्मि में तेरी बात का कभी बुरा नही मानती हूँ, मेरी लाइफ में तेरे सिवा कोई मेरा हमदर्द और हमराज़ नही है. तू मेरे लिए क्या है यह तू नही जानती है.
रश्मि- (मुस्कुराकर) चल अब ज़्यादा नौटंकी मत कर और आगे बोल क्या कह रही थी कि तू मेरे भैया की बीबी होती तो में तुझसे जलती कि नही, यही ना?
कोमल- हां!
रश्मि- अगर तू मेरे भैया की बीबी होती तो फिर पता नही में अपने भैया से दूर ही रहती वो भी तेरी खुशी के लिए.
कोमल- और अगर में तेरे भैया को यह कह देती कि तुम्हारी बहन तुमसे अपनी चूत मराना चाहती है तो फिर..?
रश्मि- (कुछ सोच कर..) पहले ये बता कि अगर तू मेरी भाभी होती तो मुझे अपने भैया से चुदवाने में मदद करती कि नही?
कोमल- (मुस्कुराकर) क्यों नही? ज़रूर करती, आख़िर पहले तू मेरी सहेली है बाद में मेरी ननद बनती ना.
रश्मि- (मुस्कुराकर) याद रखना अपनी इस बात को संयोग का कुच्छ कहा नही जा सकता है. यह पोज़िबल तो नही है कि तू मेरी भाभी बनेगी लेकिन यह असंभव भी नही है. कहीं तू मेरी भाभी बन कर आ गई तो याद रखना पहला हक़ मेरे भैया पर मेरा ही होगा. समझी!
कोमल- (मुस्कुराकर रश्मि के दूध को दबाते हुए..) अरे मेरी रानी! तेरे लिए में अपना पति क्या अपनी जान भी दे सकती हूँ. मौका लगे तो कोमल को तू आजमा कर देख लेना.
(दोनो की बाते चल ही रही थी कि राज का फोन आ जाता है और फिर रश्मि और कोमल गार्डन के बाहर निकल जाती है और सामने राज खड़ा रहता है.)
कोमल- हेलो राज भैया!
राज- हे कोमल कैसी हो तुम?
कोमल- बस भैया फाइन!
राज- तो आज तुम लोगो का एग्ज़ॅम ख़तम हुआ!
कोमल- (मुस्कुराकर) हां भैया! एग्ज़ॅम ख़तम और छुट्टिया शुरू..
राज- चलो अच्छा है अब कुछ समय आराम से छुट्टिया बीताओ, में भी रश्मि को लेकर एक हफ्ते के लिए कश्मीर जा रहा हूँ. इस बार हम वही घूम कर आएँगे. (रश्मि राज की बात सुन कर खुशी से झूम उठती है और कोमल को बाइ करके अपने गदराए चुतड़ों को उचका कर बाइक पर चढ़ जाती है और राज उसको लेकर घर की ओर चल देता है.)
रश्मि- भैया! आज आइस क्रीम नही खिलाओगे क्या?
राज- क्यों नही पर आइस क्रीम के पहले चल तुझे पानिपुरी खिलाता हूँ. तुझे पसंद है ना?
रश्मि- बहुत.
(राज अपनी बाइक को पार्क करके रश्मि का हाथ पकड़ कर पानिपुरी के ठेले की ओर चल देता है और फिर वहाँ दोनो पानिपुरी खाते है और फिर आइस क्रीम खाते हुए एक दूसरे को देख कर मुस्कुराते हैं.)
रश्मि- भैया! हम कब निकल रहे है?
राज- कल!
रश्मि- (खुशी से उछलती हुई..) सच!!!!
राज- हां! पर में सोच रहा था कि मम्मी को भी साथ ले चलें क्या?
रश्मि- (राज की बात सुन कर अपना मूह बनाते हुवे) मुझे नही मालूम.
राज- (रश्मि के चेहरे के भाव को पढ़ कर) पर पता नही मम्मी जाना चाहेगी कि नही.
रश्मि- अरे भैया मम्मी को कहाँ ले जाओगे वह वैसे भी कहीं जाने के नाम पर आलस करने लगती है.
राज- (मुस्कुराता हुआ..) क्यों? तेरा मन नही है क्या मम्मी को ले जाने का?
रश्मि- (अपनी नज़रे चुराते हुवे..) मुझे क्या करना है आपकी मर्ज़ी जिसे चाहो ले जाओ.
राज- (मुस्कुराकर) अच्छा! तेरा मन नही है तो नही ले जाते हैं.
रश्मि- (अंदर ही अंदर खुश होती हुई, उपरी नाटक दिखा कर..) नही मेने कोई मना नही किया है, बाकी आपकी जैसी मर्ज़ी नही ले जाना है तो मत ले जाइए.
राज- (उसके गाल को खिचते हुवे..) तू मम्मी से क्या कह रही थी?
रश्मि- (राज को देखती हुई..) क्या कह रही थी?
राज- यही कि मम्मी पिछ्ले जानम में लगता है तुम मेरी सास थी, और में तुम्हारी बहू.
रश्मि- (मुस्कुराकर) वो तो में ऐसे ही मज़ाक कर रही थी.
राज- (मुस्कुराकर) वैसे इस जनम में भी तू मम्मी की बहू जैसी हरकते ही कर रही है.
(रश्मि अपने भैया की बात को समझ जाती है और अपनी नज़रे इधर उधर मटकाती हुई मुस्कुराने लगती है और राज उसके नज़ो-नखरे वाले अंदाज को देख कर मस्त होता रहता है और उसके कदम अपनी बहन को अपनी बाँहो में लेने के लिए बहकने लगते हैं. वह रश्मि के हुस्न का दीवाना हो जाता है और रश्मि के नशीले योवन की मस्ती को पीने के लिए तड़पने लगता है. जब वह रश्मि के खूबसूरत चेहरे को अपने मूह से चूमने भर की कल्पना करता है तो उसका लंड खड़ा हो जाता है और वह सोचता है… रश्मि मे गजब की कशिश है जब इसका खूबसूरत रूप ही मुझे पागल कर देता है तो इसके मखमली मुलायम बदन को अपनी बाँहो में लेकर भरते समय मेरा क्या होगा? यह तो किसी अप्सरा से भी कही ज़्यादा खूबसूरत है और पता नही मुझे इसका चेहरा इतना अच्छा क्यों लगता है? मुझे अपनी लाइफ में कुछ नही चाहिए मुझे बस रश्मि चाहिए. बस रश्मि.
रश्मि- (राज को हाथ लगा कर हिलाते हुए..) क्या हुआ भैया? कहाँ खो गये?
राज- (मुस्कुराता हुआ..) कुछ नही बस ऐसे ही कुछ याद आ गया था.
(रश्मि राज के चेहरे को गौर से देखती है और उसकी नज़रे पढ़ने की कोशिश करती है लेकिन तभी राज रश्मि की आँखो में देखता है और एक पल के लिए दोनो की आँखे एक दूसरे से मिल जाती है और दोनो की आँखो से एक दूसरे के लिए चाहत भरी ख्वाहिशे निकालती रहती है.)
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