RE: Incest Kahani माँ बेटी की मज़बूरी
सुशीला इतनी जोर से चिल्लाई कि पूरा कमरा गूँज उठा। लेकिन हमें तो अपने मजे से मतलब था. मेरा लंड सुशीला की गांड में घुस चुका था मानसी चौंककर देखने लगी. वह समझ नहीं पाई कि उसकी मां क्यों चीख रही है।
लेकिन अब तो सुशीला को हम लोग किसी रंडी की तरह से चोद रहे थे, रंडी की गांड में भी दो लंड एक साथ नहीं घुस सकता लेकिन मैंने सुशीला की गांड में दो दो लंड घुसा दिये थे। उसकी गांड से खून बहने लगा था लेकिन वह बहुत गर्म हो रही थी इतना कुछ होने के बाद भी वह अपने गांड को हिला रही थी।
मैं समझ गया कि यह कुतिया कितनी गर्म है. फिर मैंने दीपक को बोला- अपना लंड इसकी चूत में घुसा।
दीपक ने अपना लंड सुशीला की गांड से निकाल कर उसकी चूत में घुसा दिया. फिर मैंने सुशीला की चूत में भी अपना लंड घुसाया. हम दोनों का लंड जब एक साथ उसकी चूत में पूरा घुसता तो सुशीला चिल्लाने लगती.
लेकिन मानना पड़ेगा कि वह बहुत गर्म थी साली। गांड में दो दो लंड पूरा पूरा घुस गए लेकिन एक बार भी बेहोश नहीं हुई.
फिर हम दोनों ने उसे जी भर के चोदा और फिर अपना वीर्य दोनों कुतियों के मुंह में गिराया जिसे दोनों चूस चूसकर पी गई।
इसके बाद दीपक चला गया, उसे अस्पताल जाना था और फिर मैंने सुशीला और मानसी को तैयार होने को कहा।
हम लोग तैयार होकर अस्पताल गए। जहाँ वादे के मुताबिक दीपक ने मानसी का पेट साफ़ कर दिया और दवा वगैरह दे दी। फिर हम लोग कमरे में आ गए जहाँ मानसी को 24 घंटे आराम करना था।
अब कुछ दिनों तक वो नहीं चुद सकती थी इसलिए मैंने सारा ध्यान सुशीला पर लगाया क्योंकि सुशीला अगर पटी रहेगी तो गाँव में भी मुझे मज़े दिला सकती थी अपने भी और अपनी बेटी के भी! इसलिए रात को मैंने सुशीला को अपनी बीवी की तरह से प्यार किया और उसे जी भर के संतुष्ट किया और अपनी गलती की माफ़ी भी मांग ली।
अब वो मेरी दीवानी हो गई थी।
फिर दूसरे दिन को मैंने सुशीला को शहर घुमाया और उसकी पसंद के कपड़े भी दिलाये, उस पर मैंने दिल खोलकर खर्च किया। मानसी के लिए भी कपड़े लाया और उससे भी माफी मांगी।
उसने मुझे माफ़ कर दिया।
आगे मैंने उसे किसी भी लड़के से दूर रहने को कहा।
अब मानसी भी कुछ ठीक हो चुकी थी इसलिए हम लोग शाम की बस से गाँव आ गए।
सुशीला ने पंडितजी से बोलकर जल्दी ही मानसी की शादी करा दी क्योंकि वह जान गई थी की मानसी की शादी नहीं हुई तो वो गलत रास्ते पर जा सकती है।
बाद में भी मैंने कई बार सुशीला को चोदा जब पंडितजी गाँव से बाहर गए होते थे।
समाप्त
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