Indian Porn Kahani वक्त ने बदले रिश्ते
08-12-2019, 01:35 PM,
RE: Indian Porn Kahani वक्त ने बदले रिश्ते
जवान जिस्म और चूत की ये आग एक औरत को रात की तेन्हाई में कैसे और कितना तंग करती है. ये बात शाज़िया बहुत अच्छी तरह जान चुकी थी.

“अपनी अम्मी पर गुस्सा होने से पहले,तुम वो वक्त याद करो शाज़िया, जब तुम्हें अपनी तलाक़ के बाद एक जवान लंड की शदीद तलब हो रही थी, उस टाइम नीलोफर के साथ साथ अगर तुम्हारी सग़ी अम्मी तुम्हारी हेल्प ना करतीं,तो तुम्हारे अपने ही सगे भाई का इतना मोटा और सख़्त लंड कभी नसीब ना होता” शाज़िया के जेहन में ये ख्याल आया. तो शाज़िया को अपनी अम्मी के मुतलक अपनी सोचो पर खुद से शरम आने लगी.

“अभी तो मेरा हमाल ठहरे एक महीना भी नही हुआ और फुद्दि के बगैर ज़ाहिद भाई की हालत खराब होने लगी है,अगर ये ही हालत रही और मेरा बच्चा होने तक ज़ाहिद भाई ने बाहर किसी दूसरी औरत से अपने ताल्लुक़ात कायम कर लिए तो फिररर्र्र्र्र्ररर?” शाज़िया चूँकि अपनी ज़िंदगी में एक दफ़ा तलाक़ का लेबल अपने माथे पर लगवा चुकी थी.

इसीलिए अब दुबारा एक मोटे और मज़बूत लंड से दूर होने का तसव्वुर भी शाज़िया के लिए मोहाल था. इसी लिए शाज़िया इस बात को सोच कर ही कांप गई.

“अगर में अपनी जवानी की आग के हाथों मजबूर हो कर अपनी जवानी अपने ही भाई को सोन्प सकती हूँ, तो फिर ये ही काम अगर मेरी अम्मी अपने सगे बेटे से कर ले तो इस में हरज ही क्या है,वैसे भी चूत तो चूत होती है, चाहे वो बहन की चूत हो या अम्मी की,और लंड तो लंड ही होता है,चाहे वो सगे भाई का हो या सगे जवान बेटे का” शाज़िया अपने भाई से शादी के बाद ज़ाहिद से एक पल की जुदाई भी बर्दाश्त नही कर सकती थी.

और अब ये अपने भाई ज़ाहिद से जुदाई का ख़ौफ़ ही था. जिस ने शाज़िया को अब अपनी ही सग़ी माँ को अपने ही भाई/शोहर से शेयर करने पर आमादा कर लिया था.

शाज़िया के दिल और मन ने ज्यों ही इस ख्याल ने जनम लिया. तो इस ख्याल को अपने जहाँ में लाते ही शाज़िया की मोटी फुद्दि नीचे से गरम होने लगी.

“हाईईईईईईईई अगर मेरा भाई मेरी फुद्दि में अपना लंड डाल कर मुझे अपनी बीवी का दर्जा दे सकता है, तो फिर वो अम्मी को चोद कर उन्हे मेरी सौतन भी बना सकता है” अपनी ही सग़ी अम्मी को अपनी सोतन बनाने का ख्याल दिल में आते ही शाज़िया की चूत इतनी गरम हुई. के बिना हाथ लगाए शाज़िया की चूत ने अपना पानी छोड़ दिया.

ज्यों ही शाज़िया की चूत ने अपनी पानी छोड़ा. तो शाज़िया को यूँ लगा जैसे अपने भाई ज़ाहिद के लिए उस का दिल में भरा हुआ गुस्सा . और अपनी अम्मी रज़िया बीबी के लिए उस के दिल में जनम लेने वाली नफ़रत और जलन उस की चूत के पानी के साथ बह कर उस के जिस्म से बाहर निकल गई हो.

आज अपनी चूत को छुए बगैर ही अपनी फुद्दि के पानी को यूँ रिलीस करने का ये तजुर्बा इतना अच्छा था. कि शाज़िया फॉरन अपने आप को पुरसकून महसूस करने लगी. जिस की वजह से वो चन्द लम्हों में ही मीठी नींद सो गई.

दूसरे दिन जब शाज़िया सो कर उठी तो वो अपने आप को बहुत हल्का फूलका महसूस कर रही थी. मगर इस के साथ साथ शाज़िया को अभी तक ये समझ नही आ रहा थी. कि वो रात अपने ज़हन में आने वाले ख्याल को अमली जामा कैसे और कब पहना सके गी.

नीद से फ्री होने के बाद शाज़िया कुछ देर बिस्तर पर पड़ी ये ही बात सोचती रही. जब शाज़िया के जहाँ में कोई आइडिया ना आया. तो उस ने उठ कर सब से पहले नाश्ता करने का सोच लिया.

नाश्ते से फारिग होने के बाद शाज़िया ने सोचा कि क्यों ना आज वो अपने,ज़ाहिद भाई और अम्मी के कपड़े धो ले.

शाज़िया ने पहले अपने और अपने भाई के कपड़े इकट्ठे किए और उन को उठा कर बास्केट में रखा. और फिर वो अपनी अम्मी के कमरे में आ कर अपनी अम्मी रज़िया बीबी के गंदे कपड़ों को उठा उठा कर गंदे कपड़ों की टोकरी में डालने लगी.

जब शाज़िया अपनी अम्मी के एक एक कपड़े को टोकरी में रख रही थी.



तो उसे अपनी अम्मी का देसी स्टाइल का एक सफेद(वाइट) ब्रेज़र नज़र आया.जो कि काफ़ी दफ़ा इस्तेमाल होने की वजह से अब काफ़ी पुराना हो चुका था.

“एक तो अम्मी की समझ नही आती,ना जाने क्यों वो अपने लिए नये अंडर गारमेंट्स खड्रीदना पसंद नही करतीं” अपनी अम्मी का ये पुराना ब्रेज़ियर देख कर शाज़िया ने सोचा.

“मेने आज बाज़ार तो जाना ही है,इसीलिए में खुद आज अपनी अम्मी के लिए कुछ नये ब्रेज़र्स और पॅंटीस खदीद लूँ गी” शाज़िया ने अपनी अम्मी के उस पुराने ब्रेज़ियर को ढोने की बजाय उठा कर ट्राश की बास्केट में फैंकते हुए सोचा.और उस के बाद वो बाकी के कपड़े ढोने में मसरूफ़ हो गई.

शाम को जब ज़ाहिद घर वापिस आया तो शाज़िया अपने भाई ज़ाहिद को साथ ले कर शॉपिंग करने निकल पड़ी.

ज़ाहिद अपनी बहन शाज़िया को ले कर रावलपिंडी के सदर बाज़ार में आया. और उस ने एक बहुत बड़े शॉपिंग स्टोर के सामने अपनी मोटर साइकल पार्क कर दी.

मोटर साइकल को लॉक करने के बाद दोनो बहन भाई एक साथ उस शॉपिंग स्टोर के अंदर चले गे.

“अब बताओ क्या लेना है मेरी जान ने” स्टोर में एंटर होते ही ज़ाहिद ने अपनी बहन शाज़िया से सरगोशी की.

“भाई मुझे कुछ नये अंडर गारमेंट्स और चन्द और चीज़े लेनी हैं” शाज़िया ने आहिस्ता से अपने भाई की बात का जवाब दिया.

ज़ाहिद ने स्टोर में काम करने वाले एक आदमी से लॅडीस सेक्षन का पूछा. और फिर अपनी बहन को साथ ले कर स्टोर की उपर वाली मंज़ल पर बने हुए लॅडीस सेक्षन में चला आया.
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