RE: Rishton Mai Chudai गन्ने की मिठास
गन्ने की मिठास--35
गतान्क से आगे......................
संगीता मेरे सीने से बुरी तरह चिपक कर मेरे लंड को दबा रही थी और मैने मोका देख कर अपना हाथ उसकी पॅंटी के अंदर डाल कर उसकी चूत की फांको के भीतर अपनी उंगली से जैसे ही सहलाया संगीता एक दम से मेरे हाथ को पकड़ कर अपनी चूत मे दबाते हुए कहने लगी,
संगीता- भैया आह मत करो आह बहुत अच्छा लग रहा है प्लीज़ भैया आह सीईईई आहह
राज- संगीता एक बार देख तो सही अपने भैया का लंड, देख कितना मोटा और मस्त है और फिर मैने संगीता के होंठो को चूमते हुए उसके मूह को अपने लंड की और कर दिया और संगीता ने धीरे से अपनी आँखे खोल कर मेरे लंड को देखा और फिर से अपनी आँखे बंद कर के मेरे लंड को खूब कस कर भींच दिया जैसे वह मेरे लंड को निचोड़ देना चाहती हो,
मुझसे अब सहा नही जा रहा था और मैने संगीता को उसका जीन्स बिछा कर उसे लेटा दिया और खड़ा होकर अपना पेंट उतारने लगा संगीता अपने दोनो हाथो से अपनी आँखे च्छुपाए हुए लेटी हुई थी और मैं जब पूरा नंगा हो गया तब मैने संगीता को आवाज़ दी और संगीता ने जैसे ही मुझे पूरा नंगा खड़ा देखा उसने मुस्कुरकर अपनी आँखे फिर से अपने हाथ से च्छूपा ली,
मैं संगीता के पेरो के बीच बैठ गया और उसकी चूत को जैसे ही अपने हाथ से सहलाया संगीता ने अपनी दोनो जाँघो को बुरी तरह कस लिया और अपना हाथ आँखो से थोड़ा सा हटा कर मुझे देखने लगी, मैने मुस्कुराते हुए उसकी गुदाज जाँघो को सहलाते हुए धीरे से अलग करने की कोशिश की और संगीता ने खुद ही अपनी जाँघो को पूरा खोल दिया मैने उसकी पॅंटी पकड़ कर एक दम से खींच कर उसकी टाँगो से अलग कर दिया और संगीता के पूरे नंगे बदन को ललचाई नज़रो से देखने लगा,
कुच्छ देर बाद मैने संगीता की जाँघो को उपर उठा कर उसके दूध की ओर मोड़ दिया और फिर उसकी फूली चूत की फांको को अपनी जीभ से सहलाते हुए अलग करने की कोशिश करने लगा तब संगीता ने एक दम से अपनी चूत उठा कर मेरे मूह से लगा दिया और मैं उसकी गुलाबी रसीली बुर को खूब ज़ोर से अपनी जीभ निकाल कर चाटने लगा,
ओह भैया सीई सीयी आह आह ओह भैया मैं मर जाउन्गि प्लीज़ मत करो आह आह ओह सीईईईई आह
मैं संगीता की चूत की खुश्बू और उसकी चूत का रस दोनो का मज़ा लेता हुआ उसकी बुर को खूब दबोच दबोच कर चूसने लगा और संगीता बुरी तरह तड़पने लगी, मैने अपनी टाँगो को संगीता के मूह की ओर करके उसकी चूत को चाटने लगा तभी संगीता ने भी मेरे लंड को कस कर पकड़ लिया और मेरे लंड को सहलाते हुए मेरे आंड्को को अपने मूह से चूमते हुए सहलाने लगी, मैं उसकी चूत और गंद के छेद तक अपनी जीभ फेर फेर कर उसकी चूत चाट रहा था और संगीता ने मेरे लंड के टोपे को खोल कर चाटना शुरू कर दिया कभी कभी वह मेरे लंड को मूह मे भर कर अपनी जीभ लंड के चारो ओर घुमाने लगती तब मैं भी उसकी चूत के छेद को अपनी जीभ से दबा दबा कर उसका रस चूसने लगता,
संगीता कभी लंड मूह से बाहर निकालती कभी उसे फिर मूह मे लेकर चूसने लगती, मैं भी उसकी चूत को कभी दन्तो से काटने लगता कभी उसकी चूत मे जीभ डालने लगता और कभी उसकी चूत के तने हुए दाने को अपने होंठो से पकड़ कर चूसने लगता,
संगीता की गंद अब ज़ोर ज़ोर से हिलने लगी थी और वह पूरी ताक़त लगा लगा कर अपनी चूत को मेरे मूह से रगड़ने लगी थी, मैं उसकी चूत के दाने को चूस्ता तो संगीता अपनी चूत उठा कर मुझे अपनी चूत का छेद चटाने लगती और जब मैं उसकी चूत का छेद चाटने लगता तब वह अपनी चूत उठा कर मुझे उसका दाना चटाने की कोशिश करती,
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