RE: Rishton Mai Chudai गन्ने की मिठास
सुधिया- नंगी पड़ी पड़ी हाफ़ रही थी और मैने अपने लंड को धोती मे वापस डाल लिया था, कुच्छ देर बाद सुधिया
को होश आया और वह भी एक दम से उठ कर बैठ गई, सुधिया मुझसे नज़र नही मिला रही थी और मैं उसकी ओर ही
देख रहा था,
राज- मैने सुधिया के गालो को सहलाते हुए कहा, क्या हुआ बेटी थक गई क्या,
सुधिया- मुस्कुराते हुए, नही बाबाजी मैं ठीक हू,
राज- बेटी तुम्हारा बेटा रामू यहा खेतो मे कब तक आता है,
सुधिया- बाबाजी वह तो अभी बहुत देर से आएगा,
सुधिया की बातो मे और भी चुदवाने की झलक नज़र आ रही थी, मैने उससे कहा बेटी क्या तुम्हे मेरे साथ
संभोग करने मे बहुत मज़ा आया है
सुधिया- मुस्कुराकर अपनी नज़रे नीचे कर लेती है
राज- मैने सुधिया की मोटी जाँघो को सहलाते हुए पूच्छा, बोलो बेटी अब तुम हमसे ना शरमाओ, और हमे
बताओ
सुधिया- हाँ बाबाजी आपका लंड बहुत मोटा है मुझे बहुत मज़ा आया
राज- बेटी अब तुम कहो तो हम उस दूसरे आदमी को अपनी शक्ति से यहाँ बुला लेते है और फिर तुम्हे उससे और मुझसे
एक साथ चुदना होगा, क्या तुम इसके लिए तैयार हो,
सुधिया- शरमाते हुए मुस्कुरकर मुझे देखती है और कहती है, बाबाजी आप जैसा कहेगे अब मैं वैसा ही
करूँगी,
राज- ठीक है बेटी अब तुम अपनी आँखे बंद कर लो और फिर से उसी तरह बैठ जाओ, हम अभी अपनी शक्ति से उस आदमी
को यहाँ बुला लेते है जो तुम्हारा यह राज गुप्त रखेगा, फिर मैने कुच्छ देर अपनी आँखे बंद करके ध्यान
लगाया और फिर अपनी आँखे खोल कर सुधिया की ओर देखा जो कि आँखे बंद किए हुए बैठी थी,
राज- बेटी हमने अपनी शक्ति से यह मालूम कर लिया है कि वह आदमी भी तुम्हे काफ़ी दिनो से चोदना चाहता है
मेरी बात सुन कर सुधिया ने तुरंत आँखे खोली और कहने लगी कौन है बाबाजी वह
राज- बेटी वह कोई और नही बल्कि तुम्हारा देवेर हरिया है,
सुधिया- अपनी आँखे फाडे मुझे देखती हुई, क्या हरिया मुझे चोदना चाहता है,
राज- हाँ बेटी हमने अपनी शक्ति से सब देख लिया है और हरिया ही एक ऐसा आदमी है जो इस पूरे गाँव मे सबसे
ज़्यादा तुम्हे चोदने के लिए तड़प्ता है, अब बताओ बेटी क्या तुम हरिया से अपनी चूत मर्वओगि,
सुधिया- लेकिन बाबाजी यह कैसे होगा कही उसने किसी को कह दिया तो और फिर उसके सामने मुझे शरम भी आएगी,
राज- नही बेटी मैं देख रहा हू वह तुम्हे बहुत चाहता है और वह तुम्हारे बारे मे कभी किसी को नही कहेगा
और रही बात शर्म की तो तुम अपनी आँखे बंद कर लो मैं उसे बस कुच्छ ही समय मे पूरा नंगा तुम्हारे सामने
खड़ा कर दूँगा, बोलो अब तैयार हो ना,
सुधिया- अपने सूखे होंठ गीला करती हुई, ठीक है बाबाजी जैसी आपकी आग्या,
सुधिया फिर से आँखे बंद करके बैठ जाती है और मैं उसका मस्त भोसड़ा देखते हुए हरिया को खड़ा होकर
इधर उधर देखने लगता हू, जब मुझे हरिया नज़र नही आता है तब मैं सुधिया को यह कह कर खेत से बाहर
आ जाता हू कि मैं अभी इस लोटे मे जल लेकर आता हू, सुधिया कहती है बाबाजी हमारी झोपड़ी के पास के पाइप से पानी
भर लीजिएगा,
मैं जब वहाँ से बाहर आकर इधर उधर देखता हू तब मुझे दूर से हरिया आता हुआ नज़र आता है और मेरी जान
मे जान आती है, हरिया का मूह देखने लायक था और वह निराश लग रहा था,
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