RE: Rishton Mai Chudai गन्ने की मिठास
गन्ने की मिठास--25
गतान्क से आगे......................
सुधिया- हाँ बाबा जी मैं यही चुदी थी अपने बेटे से,
मैं सुधिया की चूत और बोबे एक साथ खूब दबोच दबोच कर सहलाते हुए अब बिल्कुल गंदी ज़ुबान मे बाते करने
लगा था और सुधिया अपनी आँखे बंद किए हुए मुझसे अपनी चूत और बोबे दब्वा रही थी और बिना किसी झिझक
के मेरे सभी सवालो का बिल्कुल सही जवाब दे रही थी, आज मैं उसके जीवन के किसी भी रहस्य को जान सकता था,
राज- मैने सुधिया के मोटे मोटे बोबो को कस कर दबाते हुए उसकी चूत की फांको को खुरेदते हुए पुछा, बेटी
तुम्हे यह सब अच्छा तो लग रहा है ना,
सुधिया- सीईईईईईईईईईई ओह, हाँ बाबा जी बहुत अच्छा लग रहा है, आपके हाथो मे जादू है ऐसा मज़ा पहले कभी
नही मिला आ आ सीईईईईईईईई ओह बाबा जी ऐसे ही मेरी चूत को सहलाते रहिए आह आह सीईईईईईई ओह बाबाजी,
सुधिया पूरी तरह मस्ताने लगी थी और खूब ज़ोर ज़ोर से बिना किसी डर के सीसीयाने लगी थी, मैं भी पूरी मस्ती के
साथ उसके मोटे मोटे बोबे खूब दबोच दबोच कर मसल रहा था और उसकी फूली चूत की गहराई मे अपनी उंगलिया
चला रहा था,
राज- बेटी एक बात बताओ, उस दिन तुमने यहाँ से किसी दूसरे मर्द का लंड भी देखा था ना,
सुधिया- हाँ बाबा जी
राज- तो उसका लंड तुम्हे ज़्यादा मोटा लगा या अपने बेटे रामू का,
सुधिया- बाबा जी लंड तो दोनो के तगड़े थे लेकिन हरिया के लंड का सूपड़ा बहुत फूला हुआ था, जब उसका लंड
उसकी बेटी चंदा की चूत मे घुसता तो उसकी चूत पूरे सुपाडे के आकार मे फैल जाती और एक बड़ा सा छल्ला बन
जाता था,
राज- तो बेटी क्या तुम्हे उस आदमी का लंड लेने की इच्छा होने लगी थी,
सुधिया- सीईईईईईईईईई आह, हाँ बाबाजी मन तो कर रहा था कि जाकर उसके मोटे लंड से अपनी चूत मरवा लू लेकिन मेरे
पास मेरा बेटा रामू खुद बैठ कर मेरी चूत सहला रहा था और मैं उसके मोटे लंड को खूब कस कर दबोच
रही थी,
राज- बेटी एक बात बताओ, क्या तुम्हारा मन उन दोनो के लंड से भी मोटे और लंबे लंड से चुदने का मन करता है
सुधिया- आह हाँ बाबा जी मेरा मन खूब मोटे मोटे लंड से चुदने का करता है,
राज- बेटी क्या तुमने कभी उस आदमी और अपने बेटे के लंड से भी ज़्यादा मोटा लंड देखा है,
सुधिया- बहुत पहले कभी देखा था बाबाजी लेकिन अब तो शकल भी याद नही कि मोटे मोटे लंड कैसे होते है,
राज- अच्छा बेटी अब तुम्हारे बदन के पिछे के हिस्से मे जल लगा कर उसे शुद्ध करना है इसलिए तुम यहाँ
पीठ के बल लेट जाओ, सुधिया ने मेरी बात सुनते ही कहा बाबाजी क्या मैं आँखे खोल लू, तब मैने कहा बस बेटी
तुम्हारे पिछे के हिस्से मे जल लगा दू उसके बाद तुम आँखे खोल सकती हो, सुधिया मेरी बात सुन कर पेट के बल
अपने घाघरे को बिच्छा कर लेट गई,
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