RE: Kamvasna कलियुग की सीता
ज़हीर मेरी मम्मी की तरफ बढ़ा और मम्मी के गालो पर ज़ोर की पप्पी ले ली….मम्मी के गाल शर्म से लाल हो गये तो ज़हीर मम्मी की चूतड़ पर चिकोटी काट कर बोला मुझे बच्चा मत समझो सावित्री आंटी,चोदुन्गा तो दिन मे तारे दिखने लगेंगे और फिर ज़हीर भी मम्मी पर चढ़ गया..रात भर मैं और मम्मी बदल बदल के बशीर,ज़हीर और अब्दुल ख़ान से चुदते रहे और मेरा भाई तेल लेकर खड़ा चूत के घूंघुरुओं की आवाज़ सुनता रहा….
सुबह मैं और मम्मी नाहकार चाय पी रहे थे कि बशीर और अब्दुल ख़ान पीछे से आए और साड़ी उठाकर हमारी चूत मे लंड घुसा दिए और कहा.. चाय बाद मे . रॅंडियो,पहले चुद तो लो..फिर दोनो हमे बेड पर ला के पटक के डॉग्गी पोज़िशन मे कर दिया..मैने देखा बशीर ख़ान मम्मी की गान्ड मार रहे थे और मम्मी उनका लंड अपनी गान्ड मे ऐसे ले रही थी जैसे आदत हो….अचानक मैने भी महसूस किया कि अब्दुल ख़ान ने मेरी आस होल पर अपना लंड रखा है…मैं सिहर गयी और चीखी नहियीईईईईईईईईईईईईईईईई,अब्दुल ने मेरी चूतड़ पर तमाचा रसीद कर दिया साली,तेरी चूत अब ढीली हो गयी है,पहले जितना मज़ा नही आता..और फिर मैं चीखती रही और अब्दुल ख़ान मेरी गान्ड मारते रहे…फिर बशीर और अब्दुल दोनो झाड़ गये..
अब्दुल ख़ान ने मेरे गालो पे पप्पी लेते हुए कहा सीता डार्लिंग….विदेश से मेरे कुछ दोस्त आ रहे हैं,सेख हैं,उनके हाथ मे मेरा कांट्रॅक्ट है….उन्हे खुश कर दो डार्लिंग…तुम्हे नही कहता लेकिन वो रंडी नही चोदना चाहते ..मेरे मन मे आया कह दूं मैं भी तो रंडी बन गयी हूँ,फिर सोचा बोलूँगी तो ये मेरी चूत फाड़ देंगे…मैं अभी सोच ही रही थी कि बशीर ख़ान की आवाज़ कानो मे टकराई,क्या सावित्री डार्लिंग,क्या रखा है डॉक्टरिंग करने मे…..क्लिनिक मे ही रंडीखाना खोल लो या फिर घर मे,ज़्यादा इनकम होगा,मैं भेजूँगा कस्टमर तुम्हारे पास, बहुत सारे ख़ान लोग तुम्हारी चूत पर फिदा हैं.
और सच मे उस दिन से मेरी और मेरी मम्मी की हालत खराब रहने लगी….अब्दुल,बशीर चाचा और ज़हीर जिसका जब दिल चाहे आकर हमारे उपर चढ़ जाता….अब्दुल से चुदने के बाद मैं शेखों के लंड की शौकीन तो हो गयी थी लेकिन कभी मैने ये नही चाहा था कि इतने लंड मिले,मैं घुट घुट कर जी रही थी….बर्दास्त की हद तब पार गयी जब वो हमे अपने दोस्तों के पास भी भेजने लगे….शेखों के ऐसे अज़ीब अज़ीब शौक भी थे कि मेरी ज़ान निकल जाती…मम्मी तो कम ही परेशान थी क्योकि मुझ जैसी ज़वान लड़की के होते हुए कोई मम्मी को चोदना क्यों चाहता…खामियाज़ा मुझे भुगतना पड़ता था..
मेरी हालत देखकर मम्मी ने मुझे वहाँ से दूर कही दूसरे सहर मे चले जाने के लिए कहा…बाकी उनको वो संभाल लेगी….फिर एक दिन मौका देखकर मम्मी ने मुझे कुछ पैसे दिए और ट्रेन मे रवाना कर दिया फ़ैज़ाबाद के लिए…उनके किसी दोस्त हबीब पठान की कंपनी थी वहाँ जिसमे जॉब के लिए सिफारिश कर दी थी उन्होने.
एक पिंजरे से आज़ाद होकर मैं चल पड़ी फिर से एक अंज़ान सफ़र पर…स्टेशन से उतर कर मैं सीधे हबीब चाचा के ऑफीस पहुँची….मुझसे मिलकर उन्हे बहुत खुशी हुई….वो 40 के लपेटे के शक्स थे लेकिन इस उम्र मे भी बॉडी मेनटेन की हुई….देखने से ही लगता था कि उन्हे रोज जिम जाने की आदत थी…लंबा तगड़ा कसरती बदन और इतने सिंपल की ऑफीस मे भी पठान सूट मे ही थे…उन्होने मुझे अपनी पर्सनल सीक्रेटरी अपायंट कर लिया था…..लेकिन मेरे हैरत की सीमा ना रही जब उन्होने अपने मातहत को बुलाया मुझे काम समझने को….वो मातहत कोई और नही,मेरे पतिदेव थे….
मुझसे मिलकर वो बिलख पड़े,’’सीता….कहाँ चली गयी थी तुम???तुम्हारे पीछे मेरा क्या हाल हुआ,पता है तुम्हे??
मैं:’’क्या हुआ राज??’’
पतिदेव:’’तुम्हारे जाने के बाद मैं पागल हो गया था…..नौकरी भी सिन्सियर्ली नही करता था….बॉस ने मुझे निकाल दिया….मुझे कही नौकरी नही मिल रही थी,ऐसे मे हबीब भाई ने मुझे सहारा दिया.’’
मुझे पतिदेव पर तराश आ रहा था….कुछ भी हो वो अब्दुल की तरह हैवान नही थे…मुझसे बेइंतहा प्यार करते थे,ये अलग बात है कि उनका प्यार बाहर ही झाड़ जाता था.
मुझे सोचते हुए देखकर पतिदेव बोल पड़े,’’अब चलो घर चलो…अब मुझे छोड़ के मत जाना.’’
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