RE: Maa Sex Kahani माँ-बेटा:-एक सच्ची घटना
मन कर रहा है इस वक़्त में उनके पास रहकर, उनको बाँहों में लेके, अपना शरीर के साथ मिलाके, उनकी जिस प्यार भरी सुन्दर नाज़ुक आँखों से आंसू आ रहा है, उसको चुमते रहु, और उन आंसू को में पी जाऊ इस शपथ के साथ की में कभी उन आँखों से एक बून्द भी आंसू अने नहीं दूँगा. मैं धीरे से बोलना चाहा और मेरी ग़लती के लिए माफ़ी माँगना चाहा . सो की वह इस भावना प्रक्षेपण से बाहर आजाए. पर में यहाँ एक बाधा फेस करने लगा. हमेशा उनको माँ कहके पुकारता था अब इन परिस्थिति में क्या और कैसे बुलाना है, यह सोच के भी कुछ फैसला नहीं कर पा रहा हुँ. पति अगर पत्नी को नाम से बुलाये तो स्वभाबिक है. पर यहाँ पत्नी उमर में भी बडी और रेस्पेक्ट से भी. इस लिए उनको नाम से बुलाना थोड़ा उनकंफर्टबले लगा. जब उस तरफ थोड़ा शांत हुआ, में कुछ न पुकार के धीरे से उनको बोल
" मुझे माफ़ कर दो"
वह समझ गयी की में समझ गया उस तरफ क्या हो रहा है. सो वह खुद को सम्भाला. और आवाज़ में थोडी हसि मिलाके प्यार से कहि
" क्यों?"
मैं चुप था उनके मन की भवनाओ को समझने की कोशिश किया. फिर अपनई ग़लती को सुधरने का प्रॉमिस करते हुए कहा
" मैं और कभी नहीं रुलाउंगा"
मा इस बार थोडी हास पडी. और एक परम तृप्ति के साथ कहा
" बुद्धु....ऐसे आंसू बार बार बहाने के लिए कोई भी लड़की खुद को सौभाग्यशाली महसुस करती है. मैं आज इतने दिन बाद खुद को एक सौभाग्यषाली मेहसुस कर रही हुं...क्यों की....."
मैं फिसफिसाके कहा
"क्य?"
वह फिस्फीसके कपकपाती हुई मीठी स्वर में बोली
" मुझे ...मुझे आप जैसा पति मिल रहा है"
येह सुनके मेरा दिल तेज धड़क ने लगा. अब तोह यह लग रहा है कि, उनसे ज़ादा में भाग्यवान हुँ. वह हमारे होनेवाले नये रिश्ते को अभी से इस तरह अपना लिया और उनकी दिल का दरवाजा मेरे लिए पूरा खोल दिया. उनकी आखरि बात मेरे मन में एक घंटी जैसा बार बार बजने लगा. मैं खुश होकर एक चीज़ जो मेरे कान में खटक गया, वही कह दिया उन्होंने सब ठीक कहा है पर एक मिस्टेक करदि. वह मुझे ग़लती से 'आप' कह दी. जब उनको बताया , तोह उंनका कहना है की वह ग़लती से नही, जान बूझ के जो कहना सही है, वहि बोली है. इस बारे में उनके साथ बात चित होने लगा और उनकी बात मुझे समझ आया. आखिर में मुझे एक साफ़ तस्वीर नज़र आया. वह अंदर से और बाहर से पूरी तरह भारतीय नारी है. नाना नानी भी उनका परवरिश वैसे ही किया है. उनके पास, पति उमर में बड़ा हो या छोटा, पति पति होता है, रिश्ते में बड़ा होता है. सो वह अपना पति को आप कहके ही बुलाना पसंद करेगि. ऐसे हम धीरे धीरे अपने दिल का दरवाजा एक दूसारी के लिए खोल दीए. एक दूसरे को जानने लगए. उस रात बहुत सारी बातों बातों में हमे वक़्त का पता ही नहीं चला. और हम सुबह ४ बजे तक बात करते रहे. जब में सोने गया, तब मुझ में बस वह छायी हुई थी. अब में उनको मेरी बीवी के रूप में हर तरीकेसे पाने की चाहत में डुबा हुआ हुँ. और हा...में उनको आज बार बार बोलने के लिए सोचा, फिर भी यह नहीं बोल पाया की में कब से, और कैसे उनको चाहते आ रहा हुँ. पता नहीं आखिर यह बात उनको कभी बता पाऊंगा या नही.
|