RE: Desi Sex Kahani निदा के कारनामे
वो मेरी तरफ देखकर बोला- “हाँ बीबी जी, तुम्हारा क्या मसला है...”
मैंने अपनी चोट का बतलाया।
फिर वो मेरे छोटे भाई से पूछने लगा तो मैंने कहा की- “ये तो मेरे साथ है.”
उसने कहा- “अच्छा...” और फिर दुकान के ग्लास दरवाजे पर वकफी का बोर्ड लगाकर, दरवाजे को चिटखनी लगा दी। वापिस हमारी तरफ आते हुये बोला- “तुम पट्टी करवाकर उस छोटे दरवाजे से निकल जाना...” उसने एक दरवाजे की तरफ इशारा करते हुये कहा। मुझे उसने ड्रेसिंग रूम में आने को कहा। मेरे छोटी भाई ने मुझे सहारा देकर ड्रेसिंग रूम में लाकर ड्रेसिंग बेड पर बिठा दिया तो पहलवान ने मेरे भाई को बाहर जाकर बैठने को कहा। वो तो बच्चा था, वो फौरन उस कमरे से निकलकर बाहर चला गया।
तब पहलवान मेरे करीब आया और कहने लगा- “बीबी तुम्हारे घुटने पर चोट आई है। इसकी मालिश करनी होगी, फिर पट्टी भी करने होगी। अपने घुटने को कैसे नंगा करना चाहोगी। मैं तुम्हारी शलवार का पायंचा फाड़ हूँ...”
मुझे उस बूढ़ी औरत की बात याद आ गई और झट से बोली- “नहीं नहीं, फिर मैं बाजार से गुजरकर कैसे जाऊँगी। मैं तो तमाशा बन जाऊँगी...”
हन ये बात तो है, चलो फिर अपनी शलवार को नीचे की तरफ करो...”
एक गैर आदमी के सामने, मैंने अपनी चूतड़ थोड़ी सी ऊपर उठाकर अपनी शलवार का इलास्टिक नीचे की तरफ कर दिया। तब पहलवान ने मेरी शलवार को पकड़कर मेरे घुटने से भी काफी नीचे कर दिया, और हल्का हल्का हाथ फेरते हुये, मेरे घुटने की हड्डी को चेक करने लगा।
कुछ देर बाद बोला- “बीबी शुकर करो तुम्हारे घुटने की हड्डी तो महफूज है। मगर इसपर दबाव काफी पड़ा था, इसलिये मालिश करते हुये तुम्हें दर्द तो काफी होगा, मगर ये सिर्फ 1-2 मिनट के लिए होगा। अगर मैंने हड्डी को इसकी सही जगह पर अड्जस्ट ना किया, और वैसे ही पट्टी बाँध दी, तो दर्द तो तुम्हारा 1-2 दिन बाद । खतम हो जाएगा, मगर तुम सारी जिंदगी लंगड़ा कर ही चला करोगी। इसलिये तुम्हें पहले से कह रहा हूँ, की दर्द को बर्दाश्त कर लेना, ज्यादा चीखने चिल्लानी की जरूरत नहीं है...”
उसकी बातें सुनकर तो मेरी और भी जान निकल गई थी। मैं सारी जिंदगी लंगड़ी बनकर नहीं रहना चाहती थी, इसलिए अपना दिल मजबूत करते कहा- “नहीं आप जैसा बेहतर समझते हों वो करें, मैं दर्द बर्दाश्त करने की पूरी
कोशिश करूँगी।
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