Kamukta Kahani अहसान
07-30-2019, 01:16 PM,
#25
RE: Kamukta Kahani अहसान
अपडेट-23


फिर हम तीनो खामोश हो गये ऑर चुप-चाप खाना खाने लगे. तभी मुझे कुछ रेंगता हुआ अपने लंड पर चढ़ता महसूस हुआ मेरी फॉरन नज़र नीचे चली गई तो एक गोरा सा पैर मुझे अपने लंड पर पड़ा हुआ महसूस हुआ जो मेरे लंड को दबा रहा था मेरी नज़र फॉरन उपर को गई तो फ़िज़ा खाना खा रही थी ऑर साथ मे मुझे देखकर मुस्कुरा रही थी. मैं समझ गया कि ये पैर फ़िज़ा का ही है जो मेरी ही हरकत मुझ पर दोहरा रही है. कुछ देर बाद मुझे उसका दूसरे पर भी अपने उपर महसूस हुआ अब वो दोनो पैर से मेरे लंड को रगड़ रही थी ऑर दबा रही थी. मुझे मज़ा भी आ रहा था ऑर दर्द भी हो रहा था क्योंकि हीना काफ़ी देर लंड पर गान्ड रखकर बैठी रही थी अब फ़िज़ा भी लंड को दबा रही थी इसलिए मैने उसके दोनो पैर वहाँ से हटा दिए ऑर उसकी तरफ देखकर नही मे सिर हिलाया. उसको लगा शायद मैं अब तक रात को उसके ना आने की वजह से नाराज़ हूँ इसलिए उसने फिर से अपने एक कान पर हाथ लगाए ऑर मिन्नत भरी नज़रों से मुझे देखा जिसका मैने बिना कोई जवाब दिए नज़रें खाने की प्लेट पर कर ली ऑर खाना खाने लगा. थोड़ी देर हम ऐसे ही खाना खा रहे थे कि फ़िज़ा ने चमच नीचे गिरा दिया...

फ़िज़ा : नीर मेरा चमच गिर गया ज़रा उठाके देना
मैं : अच्छा रूको देता हूँ.

मैं जैसे ही नीचे झुका मुझे फ़िज़ा का हाथ नज़र आया जो उसने अपनी गोद मे रखा हुआ था उसने मेरे नीचे झुकते ही कमीज़ को एक तरफ किया ऑर अपनी दोनो टांगे चौड़ी कर ली ऑर मुझे उंगली से पास बुलाने लगी मैं जैसे ही पास गया तो उसने मेरे बालो को पकड़ लिया ऑर मेरा मुँह अपनी चूत पर दबा दिया ऑर अपनी दोनो टांगे बंद कर ली. उसकी चूत की खुश्बू मुझे मेरी सांसो मे जाती महसूस हुई ऑर मैं मदहोश होने लगा मेरा लंड एक बार फिर से सिर उठाने लगा लेकिन तभी उसने मेरा मुँह हटा दिया ऑर मेरे बाल छोड़ दिए. मैने उसका गिराया हुआ चमच उठाया ओर वापिस उपर आके बैठ गया.

मैं : ये लो तुम्हारा चम्मच

फ़िज़ा : मिल गया था ना (मुस्कुराते हुए आँख मार कर)

मैं : हमम्म

मैं वापिस खाना खाने मे लग गया तभी फ़िज़ा ने फिर से मेरे आधे खड़े लंड पर अपने दोनो पैर रख दिए ऑर पैरो से मेरे लंड को पकड़ लिया ऑर उपर नीचे करने लगी ये मज़ा मेरे लिए एक दम नया था इसलिए मेरा लंड उसके इस तरह करने से एक दम खड़ा हो गया जिससे फ़िज़ा अपने पैरो की मदद से बार-बार उपर नीचे कर रही थी. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था इसलिए मैं मुस्कुरा कर फ़िज़ा को देख रहा था साथ मे खाना खा रहा था इस पूरे अमल मे हम तीनो खामोश थे तभी नाज़ी बोली...

नाज़ी : भाभी मैं सोच रही थी क्यो ना मेरा कमरा हम नीर को दे-दें वैसे भी मैं तो आपके पास सोती हूँ रात को.

फ़िज़ा : (एक दम अपने पैर मेरे लंड से हटाते हुए) हम्म ठीक है... तुमको कोई ऐतराज़ तो नही (मेरी तरफ सवालिया नज़रों से देखते हुए)

मैं : नही जैसा आप दोनो ठीक समझो मुझे तो सोना है कही भी सो जाउन्गा मेरे लिए तो ये कोठरी भी अच्छी थी. (मुस्कुराते हुए)

फ़िज़ा : ठीक है कल फिर जब तुम खेत चले जाओगे तो मैं तुम्हारे लिए नाज़ी वाला कमरा तेयार कर दूँगी.

नाज़ी : मैं अभी कर देती हूँ ना खाना खाने के बाद वैसे भी मेरे पास काम ही क्या है.

फ़िज़ा : नही अभी बहुत रात हो गई है कल मैं तुम्हारे पिछे से सब कर दूँगी.

नाज़ी : ठीक है जैसे आपकी मर्ज़ी. (मुस्कुराते हुए)

उसके बाद हम तीनो ने अपना खाना ख़तम किया ऑर फ़िज़ा ने भी कोई हरकत नही की मेरे साथ शायद वो नाज़ी के एक दम बोलने से डर गई थी. खाने के बाद मैं बाबा के पास चला गया ऑर उसके पैर दबाने लगा ऑर नाज़ी ऑर फ़िज़ा रसोई मे अपना बाकी काम ख़तम करने लग गई. थोड़ी देर बाद नाज़ी कमरे मे आ गई मेरा बिस्तर करने के लिए तब तक बाबा भी सो चुके थे ऑर मैने भी कमरे से बाहर निकलने की सोची आज मेरा लंड मुझे काफ़ी परेशान कर रहा था इसलिए मैने सोचा क्यो ना जब तक नाज़ी मेरा बिस्तर करती है थोड़े से फ़िज़ा के साथ मज़े लिए जाए इसलिए वहाँ से मैं जाने लगा तो नाज़ी ने मुझे रोक लिया....

नाज़ी : कहाँ जा रहे हो

मैं : ऐसे ही कहीं नही ज़रा बाहर टहलने जा रहा था

नाज़ी : मेरे पास ही बैठो ना बाते करते हैं

मैं : हमम्म ठीक है (मैं फ़िज़ा के पास जाना चाहता था लेकिन नाज़ी ने मुझे वही बिठा लिया इसलिए मैं बाहर नही जा सका.)

नाज़ी : जानते हो तुम बहुत अच्छे हो सबके बारे मे सोचते हो.

मैं : तुम भी बहुत अच्छी हो....

नाज़ी : अच्छा जी मुझे तो पता ही नही था. (हँसते हुए)

मैं : तुमको बुरा तो नही लगा आज (मैं खेत मे चूमने के बारे मे पूछ रहा था)

नाज़ी : (ना मे सिर हिलाते हुए) उउउहहुउ....

मैं : फिर से कर लूँ (हँसते हुए)

नाज़ी : थप्पड़ खाना है...(मुस्कुराते हुए)

मैं : (हाँ मे सिर हिलाते हुए) हमम्म

नाज़ी : (सिर हिलाके पास आने का इशारा करते हुए)

मैं नाज़ी के सामने जाके खड़ा हो गया ऑर उसका एक हाथ खुद ही पकड़ कर अपने गाल पर मारने लगा जिसे नाज़ी ने दूसरे हाथ से पकड़ लिया ऑर ना मे सिर हिलाया फिर मेरा मुँह एक हाथ से पकड़कर मेरी गाल को चूम लिया लेकिन बहुत हल्के से.

नाज़ी : अब खुश...

मैं : मज़ा नही आया (अपने गाल को सहला कर ना मे सिर हिलाते हुए)

नाज़ी : बाकी कल... ठीक है (मुस्कुराते हुए)

मैं : और आज का क्या....

नाज़ी : आज का हो चुका है अगर याद हो तो... (मुस्कुराते हुए) चलो अब बाहर जाओ मुझे काम करने दो कब्से तंग कर रहे हो.

मैं : तुमने ही कहा था मेरे पास बैठो बातें करते हैं.

नाज़ी : तो मैने बात करने का बोला था वो सब नही..... गंदे (मुँह बनाते हुए)


ऐसे ही हँसता हुआ मैं बाहर आया ऑर सीधा फ़िज़ा के पास चला गया जो बर्तन धो रही थी. मैं चुपके से पिछे से गया ऑर उसको पिछे से पकड़ लिया जिससे वो एक दम डर गई ऑर हाथ मे पकड़ी हुई थाली ज़मीन पर गिरा दी. तभी नाज़ी की आवाज़ आई...

नाज़ी : (कमरे मे से ही आवाज़ लगाके ) क्या हुआ भाभी...

फ़िज़ा : (चिल्लाती हुई) कुछ नही नाज़ी एक मोटा सा चूहा चढ़ गया था मुझपर ( मेरे गाल पकड़ते हुए) मैं डर गई तो थाली गिर गई हाथ से.

नाज़ी : अच्छा....

फ़िज़ा : (धीमी आवाज़ मे) ये कोई तरीका है किसी को प्यार करने का डरा दिया मुझे.

मैं : (हँसते हुए) ठीक है अगली बार आवाज़ लगाता हुआ आउन्गा कि फ़िज़ा मैं आ रहा हूँ.

फ़िज़ा : जी नही ढिंढोरा पीटने को तो नही कहा मैने बस ऐसे अचानक ना पकड़ा करो मैं डर जाती हूँ.

मैने तमाम बात-चीत के दौरान फ़िज़ा को पिछे से पकड़ा हुआ था ऑर वो साथ-साथ बर्तन धो रही थी साथ मे मुझसे बातें भी कर रही थी.

मैं : जान कल आई नही तुम सारी रात मैं तुम्हारा इंतज़ार करता था (रोने जैसी शक़ल बनाके)

फ़िज़ा : हाए....(मेरी गाल को चूमते हुए) मेरी जान मेरा इंतज़ार कर रहे थे. मैने तो सुना था बहुत मज़े से सोए रात को. (हँसते हुए)

मैं : मज़ाक ना करो यार बताओ क्यो नही आई

फ़िज़ा : मैं क्या करती रात को नाज़ी सोने का नाम ही नही ले रही थी कैसे आती... आधी रात को इसको नहाना याद आ गया... जानते हो सारी रात मैं बस इसके सोने का ही इंतज़ार करती रही.

मैं : खैर जाने दो कोई बात नही.

फ़िज़ा : अच्छा सुनो मैने हमारे मिलने के बारे मे कुछ सोचा है.

मैं : क्या सोचा है.

फ़िज़ा : मेरी एक सहेली है फ़ातिमा नाम की उसकी सास ये नींद की दवाई खाती है (मुझे एक दवाई का पत्ता दिखाते हुए)

मैं : तो इस दवाई का हम क्या करेंगे.

फ़िज़ा : रात को मैं एक गोली नाज़ी को दूध मे मिलाके सुला दूँगी फिर वो सुबह से पहले नही उठेगी ऑर हम रात भर मज़े करेंगे (मुस्कुरकर मेरी गाल चूमते हुए)

मैं : कुछ गड़-बॅड तो नही होगी

फ़िज़ा : कुछ नही होगा फिकर मत करो मैने अपनी सहेली से सब पूछ लिया है.

मैं : क्या पूछा अपनी सहेली से ऑर क्या कहा तुम्हारी सहेली ने?

फ़िज़ा : उसकी सास ये दवाई इसलिए खाती है क्योंकि उसको नींद ना आने की बीमारी है ऑर मैने ये बोलकर ये दवाई ली है कि हमारे बाबा को भी नींद बहुत कम आती है तो उसने खुद ही मुझे ये पत्ता दे दिया ऑर कहा कि जब बाबा को नींद ना आए तो उनको 1 गोली दूध के साथ दे देना वो सो जाएँगे आराम से.

मैं : तुम्हारी सहेली को हम पर शक़ तो नही हुआ?

फ़िज़ा : (ना मे सिर हिलाते हुए) तुम अपनी फ़िज़ा को इतनी पागल समझते हो

मैं : अच्छा ठीक है जैसा तुम ठीक समझो (फ़िज़ा का गाल चूमते हुए)

फ़िज़ा : चलो अब तुम बाहर जाओ नाज़ी आने वाली होगी हम रात को मिलेंगे ठीक है

मैं : अच्छा जाता हूँ (जाते हुए फ़िज़ा के दोनो मम्मों को दबाते हुए)

फ़िज़ा : (दर्द से) सस्स्स्सस्स रात को आना फिर बताउन्गी (हँसते हुए)

मैं रसोई से बाहर निकल गया ऑर वापिस अपने कमरे मे आ गया नाज़ी अभी तक मेरे कमरे मे ही थी ऑर अलमारी से मेरे कपड़े निकाल रही थी...

मैं : ये क्या कर रही हो नाज़ी

नाज़ी : कुछ नही....तुमको कल मेरे वाला कमरा देना है तो तुम्हारे कपड़े मेरे कमरे मे रखने जा रही हूँ.

मैं : अच्छा...लेकिन ये काम तो फ़िज़ा भी कर सकती थी.

नाज़ी : हर काम भाभी को बोलते हो अगर कोई काम मैं कर दूँगी तो क्या हो जाएगा.

मैं : तुमसे तो बहस करना ही बेकार है जो दिल मे आए वो करो बस्स्स्स

नाज़ी : हमम्म जब जीत नही सकते तो लड़ते क्यो हो. (मुस्कुराते हुए)

मैं : अच्छा अब जल्दी-जल्दी ये सब ख़तम करो फिर मुझे सोना है बहुत थक गया हूँ इसलिए नींद आ रही है

नाज़ी : अच्छा मैं बस जा रही हूँ तुम सो जाओ आराम से.

थोड़ी देर मे नाज़ी मेरे सारे कपड़े लेके चली गई ऑर मैं बिस्तर पर लेटा फ़िज़ा का इंतज़ार करने लगा साथ ही दिन भर जो कुछ हुआ उसके बारे मे सोचकर मुस्कुरा रहा था. मेरा दिमाग़ कभी नाज़ी के बारे मे सोच रहा था कभी फ़िज़ा के बारे मे तो कभी हीना के बारे मे क्योंकि ये तीनो ही मेरी जिंदगी मे एक अजीब सी खुशी लेके आई थी तीनो ही अपनी-अपनी जगह पर कमाल-धमाल थी खूबसूरती मे कोई किसी से कम नही थी. इन्ही तीनो के बारे मे सोचते हुए जाने कब मैं सच मे सो गया मुझे पता ही नही चला.

मुझे लेटे हुए काफ़ी देर हो गई थी ऑर मुझे पता नही चला कि कितनी देर से मैं सो रहा था लेकिन अचानक किसी के गाल थप-थपाने से मेरी आँख खुल गई अंधेरा होने की वजह से मैं देख नही पा रहा था कि ये कौन है तभी मुझे एक मीठी सी आवाज़ आई...

फ़िज़ा : जान सो गये थे क्या

मैं : हाँ आँख लग गई थी शायद नाज़ी सो गई क्या

फ़िज़ा : हाँ आज तो सुला ही दिया उसको... मुझे लग ही रहा था तुम सो गये होगे क्योंकि मैं कितनी देर से खड़ी तुमको बाहर से बुलाने की कोशिश कर रही थी लेकिन तुम कोई जवाब ही नही दे रहे थे... खैर जाने दो ये बताओ नींद आई है क्या?

मैं : नही अब तो मैं जाग गया हूँ...तुम खड़ी क्यो हो बैठो ना

फ़िज़ा : उऊहहुउ मैं बैठने नही आई चलो बाहर कहीं बाबा भी ना जाग जाए.

मैं : रुक जाओ पहले अपनी जान को गले तो लगा लून (फ़िज़ा की बाजू पकड़कर ज़ोर से अपनी तरफ खींचा जिससे वो मेरे उपर धडाम से गिर गई)

फ़िज़ा : ऑह्हूनो जान मैं मना तो नही कर रही हूँ...लेकिन यहाँ नही बाहर चलो ना...(मेरी गाल को सहलाते हुए)

मैं : अच्छा चलो....


हम दोनो एक दूसरे का हाथ पकड़कर बाहर आ गये लेकिन फिर फ़िज़ा ने कमरे से बाहर आके मुझे हाथ से रुकने का इशारा किया ऑर वापिस कमरे मे अंदर चली गई ऑर बाबा के बिस्तर के पास खड़ी होके उनको देखने लगी शायद वो ये तसल्ली कर रही थी कि बाबा सोए या नही फिर वो मुझे लेके अपने कमरे की तरफ गई ऑर मुझे बाहर खड़ा करके अंदर चली गई ऑर नाज़ी जो उसके ही बेड पर सोई हुई थी उसको अच्छे से देखकर आई फिर वापिस आके अपने कमरे को बाहर से बंद किया ऑर कुण्डी लगा दी ऑर मेरी तरफ पलटकर मुस्कुराने लगी साथ ही अपनी दोनो बाजू हवा मे उठा दी. मैने भी आगे बढ़कर उसको अपने गले से लगा लिया ऑर हमेशा की तरह उसको गले से लगाकर सीधा खड़ा हो गया जिससे उसके पैर हवा मे झूल गये उसने भी अपनी दोनो बाजू मेरे गले हार की तरह डाल रखी थी ऑर मेरी गर्दन पर लटकी सी हुई थी मैने उसको उसकी कमर से पकड़ रखा था ऑर हम ऐसे ही चल भी रहे थे ऑर एक दूसरे के गाल भी चूम रहे थे. पहले मैने उससे हमारे खाना खाने वाली टेबल पर बिठा दिया वो अब भी मुझे वैसे ही पकड़ी हुई थी ऑर बार-बार मेरे दोनो गालो को चूम रही थी.
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Kamukta Kahani अहसान - by sexstories - 07-30-2019, 12:53 PM
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