RE: Bahu ki Chudai बहुरानी की प्रेम कहानी
योनि नहीं, कोई दूसरा नाम बताओ इसका, तभी घुसाऊँगा लंड!’ मैंने उसे और तंग किया फिर उसके भगांकुर को होंठों में लेकर चुभलाने लगा।‘उफ्फ पापा जी, आप और कितना बेशर्म बनाओगे मुझे आज… लो मेरी चूत में पेल दो अपना लंड और चोदो मुझे जल्दी से!’ बहूरानी अपनी चूत मेरे मुंह पर मारती हुई बेसब्री से बोली।चूत के रस से मेरी नाक, मुंह भीग गया।
बहूरानी अब अच्छे से अपने पे आ गई थी, लड़की जब पूरी गर्म हो जाए, अपने पे आ जाए तो फिर वो चूत में लंड लेने के लिए कुछ भी कर सकती है।
‘अदिति बेटा, थोड़ा सब्र और कर, बस एक बार लंड चूस दे मेरा अच्छे से, फिर तेरी मस्त चुदाई करता हूँ।’ मैंने उसकी चूची मरोड़ते हुए कहा।उसके न कहने का तो प्रश्न ही नहीं था अब… मैं उठ कर पालथी मार के बैठ गया, मेरा लंड अब मेरी गोद में 90 डिग्री पर खड़ा था।बहू रानी ने झट से लंड की चमड़ी चार पांच ऊपर नीचे की फिर झुक कर लंड को मुंह में भर लिया और कल ही की तरह चूम चूम कर चाट चाट कर चूसने लगी।
बहूरानी के मेहंदी रचे गोरे गोरे हाथों में मेरा काला कलूटा लंड कितना मस्त दिख रहा था, देखने में ही मज़ा आ गया।
बहूरानी कभी मेरी और देख देख के सुपारा चाटती कभी मेरे टट्टे सहलाती। मेरे ऊपर झुकने से उसकी नंगी गोरी पीठ मेरे सामने थी जिस पर उसके रेशमी काले काले बाल बिखरे हुए थे।
मैंने उसकी पीठ को झुक कर चूम लिया और हाथ नीचे ले जा कर उसके कूल्हों पर थपकी दे दे कर सहलाने लगा।इस तरह मेरे झुकने से मेरा लंड उसके गले तक जा पहुंचा और वो गूं गूं करने लगी जैसे उसकी सांस अटक रही हो।
मैं फिर सीधा बैठ गया तो बहूरानी ने लंड मुंह से बाहर निकाल लिया लेकिन उसकी लार के तार अभी भी मेरे लंड से जुड़े हुए थे और उसका मुखरस उसके होंठों के किनारों से बह रहा था।उसने फिरसे लंड मुंह में ले लिया और मैंने उसका सर अपने लंड पर दबा दिया और नीचे से उसका मुंह चोदने लगा। ऐसे एक दो मिनट ही चोद पाया मैं उसका मुंह कि वो हट गई।
‘बस, पापाजी. सांस फूल गई मेरी. अब नहीं चूसूंगी; इसे अब जल्दी से घुसा दो मेरी चूत में!’ वो तड़प कर बोली।मैंने भी वक्त की नजाकत को समझते हुए उसकी गांड के नीचे एक मोटा सा तकिया लगा दिया जिससे उसकी चूत अच्छे से उभर गई।
बहू रानी की चूत में पुनः लंड
तकिया लगाने से बहूरानी की कमर का नीचे का हिस्सा एक दर्शनीय रूप ले चुका था, अदिति ने अपनी घुटने ऊपर मोड़ लिए थे जिससे उसकी जांघे वी शेप में हो गईं और नीचे उसकी चूत की दरार अब पूरी तरह से खुली हुई नज़र आ रही थी और उसकी चूत का छेद साफ़ साफ़ दिखने लगा था जो कि उत्तेजना वश धड़क सा रहा था।उसके कोई दो अंगुल नीचे उसकी गांड का छिद्र अपनी विशिष्ट सिलवटें लिए अलग ही छटा बिखेर रहा था।
एक बार मन तो ललचा गया कि पहले गांड में ही पेल दूं लंड को लेकिन मैंने इस तमन्ना को अगले राउंड के लिए सेव कर लिया।लंड पेलने से पहले मैंने बहूरानी के मम्मों को एक बार और चूसा, गालों को काटा और फिर नीचे उतर कर चूत को अच्छे से चाटा।
‘अब आ भी जाओ पापा जी, समा जाओ मुझमें… और मत सताओ मुझे, अब नहीं रहा जाता ले लो मेरी कल की तरह!’ अदिति बहुत ही कामुक और अधीर स्वर में बोली।‘ये लो अदिति बेटा!’ मैं बोला और लंड को उसकी चूत के मुहाने पर लगा दिया और फिर वहीं घिसने लगा।
‘पापा जी, जरा आराम से डालना, बहुत मोटा है आपका! दया करना अपनी बहू पे!’ अदिति ने जैसे विनती की मुझसे!‘अदिति बेटा, थोड़ा हिम्मत से काम लेना, अब मोटे को मैं दुबला पतला नहीं कर सकता, जैसा भी है कल की तरह चूत अपने आप संभाल लेगी इसे!’‘जी, पापा जी!’
‘और अब इधर देख, मेरी आँख से आँख मिलाती रहना और चुदती रहना!’‘ठीक है अब आ भी जाओ जल्दी!’ वो बोली और मेरी आँखों में अपनी आँखें डाल दीं।मैंने लंड को उसकी चूत के मुहाने पर रखा और प्यार से धकेल दिया उसकी चूत में।
चूत बहुत ही चिकनी और रसीली हो गई थी, इस कारण सुपारा निर्विरोध घुस गया बहूरानी की बुर में! उसके मुंह पर थोड़ी पीड़ा होने जैसे भाव आये लेकिन वो मेरे आँखों में झांकती रही।
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