Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
07-20-2019, 10:02 PM,
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सुनील के मन में जाने क्या था, शायद वो इस रात को सवी के लिए कभी ना भूलने वाली एक सौगात बनाना चाहता था, रस्मो रिवाज़ की उसे कोई चिंता नही थी, वो दकिया नूसी हरकतें जो अक्सर सुहागरात में होती है उसका तो वैसे भी दोनो के लिए कोई माइने नही रहा था.

ना तो सवी पहली बार सुहागरात मना रही थी और ना ही सुनील. ये रात तो बस सुहाग रात का नक़ाब ओढ़े दो रूहों के मिलन की रात थी, ये रात प्यार करनेवाली उन आत्माओं को एक साथ अतम्सात करनेवाली रात थी, जो जिस्म से परे अपने ही आलोकिक रूप में इस रात का मज़ा लेंगी, जिस्म तो बस एक ज़रिया था इनके लिए.

सुनील की जब सांस संभली तो उसने सवी को गोद में उठा लिया और सवी ने अपनी बाँहें उसके गले में डाल दी सवी सोच रही थी कि वो अब बिस्तर पे ले जाएगा, पर सुनील के दिमाग़ में कुछ और ही खुराफात थी. उसने सवी को गोद में उठाए हुए शॅंपेन की बॉटल उठा ली और बाहर ले गया जहाँ पूल के पास पूल के गद्दे पड़े थे जिनपे टवल बिछे हुए थे.

पूल में पैर लटकाए सुनील सवी को गोद में लिए हुए वहीं बैठ गया. सवी कस के उसके साथ चिपक गयी कि कहीं पूल में ही ना गिर जाए.

सुनील ने तब शॅंपेन की बॉटल खोली जिसकी तेज आवाज़ अंदर दूसरे कमरे में करवटें बदलती रूबी तक भी चली गयी और वो बिस्तर पे पैर पताकने लगी, है काश इस वक़्त वो सुनील की बाँहों में होती, उसे कुछ खुद पे ही गुस्सा आनने लगा था, क्यूँ उसने सुनील को माना किया, अगर साथ होती तो आज वो भी अपने पिया के प्यार की बरसात में नहा रही होती, मुश्किल से उसने खुद को समझाया और आँखें बंद कर अपनी आने वाली रात के बारे में सोचने लगी.

यहाँ सुनील ने शॅंपेन की बॉटल सवी के होंठों से लगा दी जिसने छोटा सा घूँट ले लिया, तब सुनील ने एक लंबा घूँट भरा और कुछ निगल के अपने होंठ सवी के होंठों से लगा उसके मुँह में शॅंपेन उडेल दी.

शॅंपेन दोनो के मुँह में इधर से उधर होने लगी जैसे तलाश कर रही हो कुछ और दोनो की ज़ुबान एक दूसरे से मिल शॅंपेन के चटकारे लेती हुई जिस्मों के ताप को बढ़ाने लगी, जिस्मों के चारों तरफ चाय इनके जिस्मो से तपती हुई चाँदनी जब समुद्र के जल को छूती तो तड़प के वो उछल के इनके जिस्मों के करीब होने का प्रयास करता, कहते हैं कि नशा नशे को काटता है, पर यहाँ तो नशे को ही नशा चढ़ने लग गया, दोनो के मुँह में घूमती शॅंपेन घबरा गयी, खुद उसे इतना नशा चढ़ गया इनके प्रेम रस का जो दोनो की ज़ुबान बे बदसूर निकल रहा था कि बेचारी शॅंपेन पनाह माँगते हुए इनके उदर का रास्ता ढूँडने लगी और जब दोनो के उदर में समाई तो चैन की सांस लेते हुए बोली, दुबारा इनके पल्ले मत डालना.

बॉटल कब खाली हुई पता ना चला और दोनो के जिस्म से कपड़े उतरते चले गये, कुदरत भी इनकी रासलीला देख मस्ती में आ गयी, बदल गड़गड़ाने लगे और धीमी धीमी फुहार बरसने लगी, पानी की बूंदे इनको जिस्मो पे गिरती और फिसल जाती पर दोनो सब कुछ भूल एक दूसरे में खो चुके थे, सवी के लिए ये अहसास बिकुल नया था वो सुनील की बाँहों में यूँ सिमट रही थी जैसे हर नयी नवेली दुल्हन अपने दूल्हे की बाँहों में सिमट ती है.

सुनील के होंठ सवी के जिस्म के कोने कोने को छूने लगे और उन होंठों से निकल तो हुई गरम भाप सवी की उमंगों को उकसाने लगी, सवी सुनील को खुद पे खींचने लगी जैसे अभी इसी वक़्त उसका जिस्म और आत्मा सुनील में विलीन हो जाएँगे. ये रात वाकई में सवी की जिंदगी की वो रात साबित हो रही थी, जिसे वो ता उम्र ना भूलनेवाली थी.

वहीं गद्दे पे लिटा सुनील सवी के उन्नत उरोजो पे झुक गया और और जब सवी के निपल को अपने ज़ुबान से छुआ तो तड़प के सवी ने उसको अपने उरोज़ पे दबा डाला जैसे पूरा उरोज़ उसके मुँह में देना चाहती हो, जिस्म में काम तरंगें अपना खेल खेलने लगी और सवी का जिस्म उसके काबू से बाहर होने लगा, कामउत्तेजना ने दिमाग़ और दिल के संतुलन को नष्ट कर डाला, इस वक़्त कोई भी उन्हें देखता तो यही कहता काम और रति अपने वास्तविक रूप में आ चुके हैं, दो जिस्म दो सर्प की तरहा एक दूसरे से लिपट चुके थे.



अहह उम्म्म्ममम उफफफफफफफ्फ़ सवी की सिसकियाँ फ़िज़ाओं में घुलने लगी, जिसके असर से हवा भी तेज चलने लगी और बदल छाटने लगे, चाँद को अपना मनमोहक दीदार मिलने लगा , चाँदनी भी लरजने लगी, और सुनील कभी उसके एक निपल को चूस्ता तो कभी दूसरे को, जब सवी के निपल को अपने दाँतों में सुनील दबाता तो उस मीठे दर्द के अहसास से सवी की अंतरात्मा तक विभोर हो जाती. यही फरक होता है जब दो जिस्म प्यार करते हैं क्यूंकी ये अहसास वासना के मिलन से नही मिलता.

सुनील ने ज़ोर ज़ोर से सवी के उरोज़ को मसलना शुरू कर दिया, सवी अपनी टाँगें पटकती हुई उसे अपने उपर दबाने लगी, ये सिलसिला कुछ देर यूँ ही चलता रहा और सवी की चूत कुलबुलाती हुई लंड को पुकारने लगी, उसके जिस्म के पोर पोर में अनगिनत तरंगें लहराने लगी.

हर शादी शुदा जोड़ा सुहाग रात मनाता है, किसी को कुछ अनुभव होता है तो किसी को कुछ, अगर सोनल को ये पता चला कि सवी की सुहागरात प्रकृति की गोद में खुले आसमान के नीचे हुई, जाने उसपे क्या गुज़रेगी. इधर सुनील, सवी के दिलोदिमाग से उसके अतीत की सब कड़वी यादें अपने प्यार की फ़ुआर से निकाल फेंक रहा था. इतनी देर में तो विश्वामित्र भी डाँवाडोल हो जाता जितना समय सुनील खुद पे संयम रखते हुए सवी की नस नस में प्यार की अनमोल तरंगों को आजीवन के लिए समाहित कर रहा था.


'ओह सुनील ! कहाँ थे अब तक, मेरी रूह तक तुम्हारी गुलाम हो गयी आज तो' सवी इतना प्यार झेल ना पाई उसकी आँखों से आँसू टपकने लगे, जिस्म में उठ रही तरंगें उसे परेशान किए जा रही थी, ये अहसास तो उसे सागर के साथ भी ना मिला था. कैसे पाला था सूमी और सागर ने सुनील को, ये क्या क्या उसके अंदर समाहित कर दिया, औरत बस एक जिस्म नही होती, ये अहसास सवी को आज हो रहा था, संभोग क्रीड़ा में प्यार कितना सर्वोपरि होता है ये आज उसे समझ में आ रहा था. अगर सूमी ने उसे इस प्यार के रास्ते पे ना डाला होता तो आजीवन एक खोखली जिंदगी जी जिंदगी के असली रंग से पूर्णतया वंचित रह जाती, प्यार देने का नाम है लेने का नही, प्यार के सही माइने सवी की राग राग में समाते जा रहे थे.

'प्यार प्यार होता है सवी, इसमे कोई किसी का गुलाम नही होता, प्यार को बस प्यार ही समझो तो उसका रंग और निखार जाता है, इस दूर तक फैले समुद्रा की गहराई से भी ज़्यादा गहरा प्यार होता है, जिस्म तो बस एक ज़रिया बन के रह जाते हैं उस प्यार के कुछ अंश को भोगने के लिए, उसे समझने के लिए. प्यार रूह की गहराई से निकलता है, बिल्कुल उसी तरहा जैसे आत्मा का विनाश नही हो सकता प्यार का भी विनाश नही हो सकता, वो बस दब जाता है कहीं खो जाता है, उसे पहचानना पड़ता है, क्यूंकी वही तो उस बनानेवाले का असली रूप है.'

'मुझे अब कभी छोड़ना मत, मर जाउन्गि मैं, जिंदगी भर बस इसी प्यार को तरसती रही और मिली बस वासना.'

'छोड़ने के लिए तो शादी नही की पगली, भूल जा सब और खो जा प्यार में, पहचान उसे, रंग जा उसके रंग में, फिर कभी किसी दर्द का कोई अहसास नही होगा, क्यूंकी प्यार जलन,क्रोध सब से दूर रखता है, जो प्यार का हो गया, वो दर्द से मुक्त हो जाता है'

पल को सवी सोचने लगी क्या खा के पैदा किया था सूमी ने सुनील को, क्या परवरिश में इतनी शक्ति होती है जो खून के असर को भी ख़तम कर देती है, कहीं से भी तो कोई लक्षण ऐसा नही सुनील में जो ये बताता हो कि उसके अंदर समर का अंश है.
Reply


Messages In This Thread
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी - by sexstories - 07-20-2019, 10:02 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,458,617 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 539,640 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,214,962 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 918,757 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,628,630 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,060,840 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,916,775 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,944,189 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,988,202 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 280,843 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 1 Guest(s)