Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
07-20-2019, 10:00 PM,
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सुनेल ने किसी तरहा खुद को और मिनी को कार से बाहर निकाला. कार की पेट्रोल टंकी लीक कर रही थी. सुनेल फिर कार में घुसा और प्रोफ का बॅग निकाल ने की कोशिश करने लगा.

जैसे ही सुनेल प्रोफ़ेसर का बॅग निकाल कार से कुछ दूर ही हुआ था कि कार में धमाके के साथ आग लग गयी और सुनेल उड़ता हुआ दूर जा गिरा और गिरते ही बेहोश हो गया.

तभी वहाँ ज़ोर की आँधी सी चली और और उस आँधी में सवी गायब हो गयी.

अब एक तरफ सुनेल लहू लुहान बेहोश पड़ा था और दूसरी तरफ मिनी. प्रोफ़ेसर की लाश तो कार के साथ ही जल गयी.

रात धीरे धीरे सरक्ति रही और सुबह हो गयी.

सुनेल का बहुत खून बह चुका था.

करीब सुबह के 6 बजे कुछ लोग पास के गाँव से उधर को निकले जो दिशा मैदान की तरफ जाते थे उनकी नज़र सुनेल पे पड़ी और कुछ दूर बेहोश पड़ी मिनी पे भी, सब उनकी तरफ लपके, और जाँचने पे पता चला दोनो में जान बाकी थी. गाँव वाले दोनो को उठा गाँव ले गये और गाँव के वैद्य को बुला लिया.

वाइड ने दोनो की मरहम पट्टी तो कर दी, पर खून बहने की वजह से सुनेल को हॉस्पिटल ले जाना ज़रूरी था.

उस गाँव में एक ही आदमी था जिसके पास बाइक थी, वो अपनी बाइक से शहर की तरफ चल पड़ा और कोई घंटे बाद आंब्युलेन्स ले कर पहुँचा और सुनेल और मिनी को हॉस्पिटल में भरती करवा दिया.

गाँव वाले परेशान थे कि ये दोनो कॉन हैं और इनके परिवार तक खबर कैसे पहुँचाई जाए.

कुदर्तन सुनेल का मोबाइल उसकी जेब में ही था जो डॉक्टर्स के हाथ लगा और डॉक्टर्स ने विजय को फोन कर डाला क्यूंकी वो मुंबई का नंबर था.

विजय खबर मिलते ही हॉस्पिटल की तरफ भागा और वहाँ पहुँच उसने जो हालत सुनेल की देखी तो हिल गया पर खुद को संभाल कर उसने सुनेल और मिनी को उसी वक़्त एक बड़े हॉस्पिटल में शिफ्ट करवा दिया.

काफ़ी सोचने के बाद विजय ने सुनील को फोन कर डाला.

विजय की जब कॉल आई सुनील को उस वक़्त वो बस रूबी को साथ ले सोनल और सूमी के पास पहुँचा ही था. कॉल सुनते वक़्त सुनील की पेशानी पे जो चिंता की रेखाएँ उभरी वो देख तीनो -सूमी/सोनल और रूबी परेशान हो गयी, तीनो के दिल किसी आशंका की वजह से ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगे. सुनील के माथे पे पसीना तक झलकने लगा और सोनल वो देख बिस्तर से एक दम उठ के बैठ गयी, जबकि डॉक्टर्स ने उसे एक दम बिस्तर पे लेटे रहने को कहा था.

सुनील के मुँह से जब ये निकला कि वो इसी वक़्त मुंबई के लिए निकल रहा है तो सूमी खुद को ना रोक पाई, बातों से उसे लग गया था कि सुनील विजय से बात कर रहा है.

रूबी को कुछ अंदेशा हो गया कि सवी आदि के साथ कुछ बुरा हुआ है, उसका चेहरा सख़्त होता चला गया.

रूबी : दीदी जाने दो इनको, मैं हूँ ना यहाँ आप लोगो की सेवा के लिए, इन्हें इनका काम करने दो.

सूमी : विजय जी क्या बात हुई है ये सुनील को .....

विजय : सुमन जी घबराने की कोई बात नही सुनील ऐसे ही परेशान हो रहा है, मैं हूँ ना, उसे यहाँ आने की कोई ज़रूरत नही.

सूमी : पर हुआ क्या है....

विजय : बाद में आपसे बात करता हूँ अभी ज़रा सुनील को फोन दो.

सूमी : आप कुछ छुपा रहे हैं, प्लीज़ मुझे सब कुछ सच सच बताइए.

सुनील का पारा टूट गया वो लगभग चिल्ला पड़ा.

सुनील : सुमन मुझे फोन दो, सवी की जान ख़तरे में है, मुझे जाना होगा

सुनील ने सूमी के हाथ से फोन खींच लिया - विजय जी मैं आ रहा हूँ ये बताइए प्रोफ़ेसर अंकिल कैसे हैं.

अब विजय चक्कर खा गया.

विजय : मुझे तो बस सुनेल और मिनी मिले घायल आक्सिडेंट से

सुनील : ओह! यानी सवी भी नही मिली

विजय : क्याआआ?

सुनील : हां वो भी साथ थी, मैं आ रहा हूँ वहीं पहुँच के सारी बात करूँगा, फोन पे नही हो सकती आप पोलीस से उस इलाक़े की छान बीन करवाइए जहाँ आप को सुनेल और मिनी मिले.

विजय : मैं देखता हूँ लगाता हूँ अपनी पूरी फोर्स उनको ढूँडने में.

सुनील : ठीक है मैं शाम तक पहुँच जाउन्गा.




प्यार का कोई भी रूप क्यूँ ना हो वो इम्तिहान लेने से बाज नही आता - आज फिर इम्तिहान की घड़ी आ गयी थी - एक ऐसा इम्तिहान जो अगर सफल ना हो पाया तो शायद रिश्तों में कड़वाहट ले आए - एक इम्तिहान सोनल दे रही थी अपने प्यार को जिंदगी की ख़तरनाक जंग में भेज के एक इम्तिहान सूमी दे रही थी - एक माँ होने के नाते अपने सुनेल की सलामती के लिए, एक बीवी होने के नाते अपने खाविंद को मोत के मुँह में भेज के, एक इम्तिहान रूबी दे रही थी - पर कॉन सा - अपने प्यार को भेजने का - अपनी माँ उर्फ अपनी सौत की सलामती का और सबसे बड़ा इम्तिहान तो वो बच्चे दे रहे थे जो अभी तक अपने पिता को पहचानने के काबिल भी नही हुए थे.

रिश्ता कोई भी हो उसे कोई भी नाम दे दो इस वक़्त वो बस इम्तिहान दे रहा था. और सुनील इन सभी इम्तिहानो का केन्द्र बिंदु था जिसकी सफलता और असफलता पे आगे की जिंदगी का रुख़ मुनस्सर था.

सूमी : जाइए जीत के लोटिए हमारा प्यार तुम्हारी रक्षा करेगा.

रूबी : आप इनकी चिंता मत करना मैं इन्हें कोई तकलीफ़ नही होने दूँगी बस जल्दी फ़तेह हाँसिल कर के लोटिए.

सब की आँखें नम थी. सुनील ने जी कड़ा कर सबको प्यार किया और निकल पड़ा अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी जंग लड़ने.

यहाँ विजय को प्रोफ़ेसर. और सवी का कोई सुराग नही मिल रहा था. पोलीस भी घटना स्थल पे जाँच पे लगी हुई थी. कोई सोच भी नही पा रहा था कि प्रोफ़ेसर तो कार में ही जल गया था.

विजय जली हुई कार को बड़े ध्यान से देख रहा था. ड्राइविंग सीट के पास उसे कुछ ऐसा महसूस हुआ कि किसी की खोपड़ी के कुछ टुकड़े हैं. विजय ने पोलीस के सुप्रिडेंट को जो उसके साथ आया था उसे उस जगह का इशारा किया - एसपी. ने फोर्सेनिक टीम जो साथ आई थी उन्हें कहा और इस बात की पुष्टि हो गयी कि वो टुकड़े किसी की खोपड़ी के थे ...विजय का दिल दहल उठा किसके - प्रोफ़ेसर. या सवी.

शाम तक सुनील मुंबई पहुँच चुका था और सीधा विजय के बताए हॉस्पिटल गया जहाँ सुनेल और मिनी दोनो आइसीयू में थे.

सुनील के वहाँ पहुँचते ही सुनेल के जिस्म में कुछ हरक़त हुई, लेकिन फिर वो उसी अवस्था में हो गया. डॉक्टर्स हैरान थे कि जब उसमे चेतना लोटने लगी तो फिर यकायक वो फिर उसी अवस्था में कैसे पहुँच गया. असल में ये एक इशारा था सुनेल का सुनील के लिए कि वो उसके और करीब आए जिसे सुनील समझ ना पाया और आइसीयू की खिड़की के बाहर खड़ा भरे मन से दोनो को देखता रहा.

सुनील ने विजय को फोन किया और बताया कि वो हॉस्पिटल पहुँच चुका है. विजय ने उसे वहीं रुकने को बोला और कुछ देर में आने का कहा.

सुनील सुनेल को ही देख रहा था अचानक सुनेल की आँख खुली - दोनो भाइयों की आँखें चार हुई - सुनील फट से आइसीयू के अंदर भागा और जैसे ही उसने सुनेल का हाथ अपने हाथ में लिया उसके जिस्म में एक भूचाल शुरू हो गया .....सुनील की काया रूप बदलने लगी चेहरे पे एक तेज आ गया और सुनेल का जिस्म एक दम शीतल पड़ गया जैसे किसी योगी ने योग समाधी ले ली हो.

सुनील फट से सुनेल से अलग हुआ पर अब तक जो होना था वो हो चुका था. सुनेल की आत्मा सुनील के अंदर समा चुकी थी - दोनो में युद्ध सा चल रहा था और सुनील के चेहरे का रंग पल पल बदल रहा था आइसीयू में माजूद सारा स्टाफ हैरान था कि हो क्या रहा है सुनील की हालत देख कोई उसके नज़दीक जाने का साहस ना कर रहा था पर अंत में सुनेल विजयी हुआ और उसने सुनील के जिस्म से उसकी आत्मा को बाहर निकाल फेंका जिसके पास और कोई चारा नही था कि वो सुनेल के जिस्म में आश्रय ले.

जैसे ही सुनील की आत्मा ने सुनील के जिस्म को छोड़ा दो लोगो के दिल को बहुत पीड़ा हुई - सूमी और सोनल, दोनो के जिस्म पसीने पसीने हो गये दिल की धड़कन बढ़ गयी सुनील के साथ किसी अनिष्ट की सूचना उनकी आत्मा को मिल चुकी थी और दोनो एक दूसरे को देख जैसे कोई फ़ैसला लेने चाहती थी.

सूमी : नही सुनेल ये नही कर सकता, क्या मक़सद है उसका वो इस तरहा आत्माओं की अदला बदली नही कर सकता.

रूबी : ये ये क्या कह रही हो आप.

सोनल : हां रूबी सुनील की आत्मा का संदेशा हम तक पहुँच गया है, पता नही इस सबके पीछे सुनेल का मक़सद क्या है - लेकिन मैं ऐसा नही होने दूँगी अगर सुनेल ये सोचता है कि आत्माओं की अदला बदली कर वो हमें पा सकता है तो ये उसकी बहुत बड़ी भूल है वो सब कुछ खो देगा और नितांत अकेला रह जाएगा जैसे पहले था. सुनेल मेरे लिए एक भाई है और कोई दूसरा रूप नही ले सकता है, उसकी आत्मा कितने भी चोले बदल ले वो मेरे निकट नही आ सकता जल के भस्म हो जाएगा.

इस वक़्त सोनल एक घायल नागिन की तरहा फुफ्कार रही थी.
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