Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
07-20-2019, 09:27 PM,
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सुबह सोनल की नींद सबसे पहले खुली ....और उसने जब देखा कि तीनो नग्न एक दूसरे से चिपके पड़े हैं तो बहुत शर्म आई उसे ....आख़िर नारी लज्जा सर उठा ही लेती है....धीरे से उठ के वो बाथरूम में जा कर फ्रेश हुई ...सब के लिए कॉफी बनाई बेड की साइड टेबल पे रख वो सुनील के चेहरे पे झुक गयी ....उसके होंठों पे अपनी ज़ुबान फेर उसे चूमते हुए बोली ...गुड मॉर्निंग डार्लिंग ....उम्म्म सुनील उठा सोनल को अच्छी तरहा किस किया फिर उसने सूमी को चूम कर उठाया और बाथरूम में घुस गया फ्रेश होने.

जब तक सुनील फ्रेश हुआ सुमन भी फ्रेश हो गयी ...फिर तीनो ने एक साथ कॉफी पी ....सुमन तयार होने लगी और सुनील बाहर आ लहरों और एक दम सॉफ समुद्रि पानी को देखने लगा ...दिल मचल गया उसका ...टी-शर्ट उतार फेंकी और शॉर्ट में सीडीयों के पास जा कर खड़ा हो गया....सोनल वहीं बाहर रखी कुर्सी पे बैठ सूमी का इंतेज़ार करने लगी ...



और सुनील पानी में जा कर तैरने लगा सुनील को तैरते देख...सूमी को गुस्सा चढ़ा ...पहले क्यूँ नही बोला ...ऐसे ही तयार हुई ...सोनल को खींच अंदर भागी और बिकिनी पहन बाहर आई ....सोनल कुछ देर वहीं बैठी और उसने सूमी को जाने को कहा ....सूमी भी पानी में उतर गयी ..उसने बंग्लॉ के खंबे के साथ बँधा एक फ्लोटर खोल लिया और उसपे बैठ मस्ती करने लगी ....सुनील तैरता हुआ उसके पास पहुँचा और उसे पानी में खींच लिया ...सूमी उसके चुंगल से निकल फ्लोटर की दूसरी तरफ जा उसे छेड़ने लगी ......पर ज़्यादा देर खुद को अलग ना कर सकी और दोनो का स्मूच शुरू हो गया ....उपर बैठी सोनल दोनो को मस्ती करते देख हंस रही थी ..



सुनील और सुमन समुद्र में मस्ती कर रहे थे ....सोनल अंदर चली गयी और इंटरकम पे ब्रेकफास्ट का ऑर्डर दे कर बाहर आ गयी ...सूमी को आधा घंटा हो गया था ....इतने लंबे स्मूच के बाद उसकी साँस फूलने लगी थी .....वो अलग हो सीडी पे बैठ गयी ...सुनील ने फ्लोटर फिर खंबे से बाँध दिया और सोनल को इशारा किया ...जो इशारा पाते ही पानी में कूद गयी ...और दोनो अपने हनिमून की याद को ताज़ा करने लगे



कुछ देर बाद इनका ब्रेकफास्ट आ गया ...और तीनो मस्ती में उपर बनी बाल्कनी में बैठ गरमागरम ब्रेकफास्ट का मज़ा लेने लगे .....

सुनील.....सोनल यार ...हमारी बड़ी बेगम ने अगले साल के लिए भी मालदीव फिक्स कर रखा है फॉर हॉलिडे.....कॅन'ट गो एनी व्हेयर एल्स ...

सोनल...क्यूँ क्यूँ..

सुनील....यार सबको ढिंढोरा पीट दिया है कि इनका हब्बी इन्हें मालदीव में मिला ...जो उसका फॅवुरेट हॉलिडे डेस्टिनेशन है ....तो फिर कहीं और कैसे जा सकते हैं..

सूमी ...क्यूँ बूरी जगह है क्या ये ....

सुनील...बुरी ...यार ये तो हब है हनिमूनर्स का .........वैसे राजेश के साथ अच्छा नही हुआ ...कहाँ टहीटी और कहाँ मालदीव्स ......

सूमी ......अच्छा नही हुआ ....ये बोलो कि जिंदगी बन गयी .......हमारी गुड़िया कैसे दौड़ के उसके पास चली गयी .......

सुनील....ह्म्म्म बात तो है ...क्या को-इन्सिडेन्स हुआ ना ...हम भी यहाँ...वो भी यहाँ ......और बिछड़े मिल गये....

सोनल...एक बात का दुख है ....वो पहले क्यूँ नही बोली .......इतने दिन दोनो को दूर तो ना रहना पड़ता ....

सूमी .....उसके दिल की हालत सोच, वो हमे अपना समझ के भी अपना नही समझती थी ....वो खुद को एक बोझ समझती थी ....कोई लड़की कभी ये बातें खुल के नही बोलेगी .......क्यूंकी वो डरती थी कि हमे बुरा लगेगा अगर कभी उसने अपने ज़ज्बात सामने रख दिए ....वो एक खुद्दार माँ की बेटी है ...वो संस्कार तो उसमें आएँगे ही.

सुनील की आँखों से आँसू टपक पड़े .....मतलब मेरे प्यार में कुछ कमी रह गयी ..........

सोनल जो एक लड़की होते हुए सूमी की बात अच्छी तरहा समझ गयी थी ...बोली .....एक बात बताओ ....सारी जिंदगी तुम एक बाप के प्यार को तरसते रहे ...और अचानक दुनिया के सब रिश्ते ...भाई-बहन-भाबी-माँ सब एक साथ उठ के सामने आ जाएँ क्यूंकी तुम्हारी माँ तुम्हारे साथ नही रही वो...तुम्हारे बाप को इल्तीज़ा कर गयी अब तो ज़िम्मेदारी संभाल लो .....वो लड़की क्या सोचेगी...मैं खुद को उसकी जगह रख लूँ तो शायद मैं तो जी भी ना पाऊ ....पर जितना प्यार और जितना भरोसा वो आप पे करती है ...वो पूरे परिवार में किसी से नही...

सुनील......खैर ...उस उपरवाले का करम है जो आज राजेश और कविता मिल गये ...मेरे सर से बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी उतर गयी....

सोनल.......हज़ूर कहाँ हैं आप ......बहन की ज़िम्मेदारी तो ता-उम्र रहती है ...जब तक जिस्म में साँस रहती है ...ये ज़िम्मेदारी साथ साथ चलती है ....जब दिल से बहन माना है उसे ....तो दिल से सभी ज़िम्मेदारियों का पालन कीजिए ...........

सूमी......सोनल ठीक कह रही है जान....चाहे कवि की शादी हो जाए ...चाहे रूबी की शादी हो जाए ....दोनो अपने घर में सुखी रहें.....पर हमारी ज़िम्मेदारी हमारी आखरी साँस तक रहती है .......

रूबी की नींद जब खुली ...तो देखा मिनी दूसरे बिस्तर पे आराम से सो रही थी ...आज विजय ने इनका प्रोग्राम बनाया हुआ था आइलॅंड हॉपिंग टूर का मोटर बोट से ...जिसके बारे में रूबी सोच सोच के रोमांचित हो रही थी ...फिर उसके जहाँ में आरती की वो बातें आने लगी जो कल उसने कही थी.....जिंदगी भर कविया का साथ बना रहेगा अगर वो विमल से शादी के लिए मान जाती है क्यूंकी राजेश और विमल बचपन के ऐसे दोस्त हैं जो कभी नही जुदा होनेवाले...और दोनो बहनें हर दम एक दूसरे के पास रहेंगी ...आरती ने विमल और उसके खानदान की तारीफों के पुल बाँध दिए ...और रूबी से कहा कि अच्छी तरहा ठंडे दिमाग़ से सोच ले ...वो हां करेगी तभी आरती सुमन और सुनील से बात करेगी ....

रूबी की आँखों में विमल का चेहरा और उसकी पर्सनॅलिटी घूमने लगी जैसा उसने उसे कविता की शादी में देखा था.......लेकिन मन जो सुनील की छवि बनी हुई थी उसे वो बाहर नही निकल पा रही थी और वो ये भी अच्छी तरहा जानती थी कि ये अंगूर खट्टे हैं...सुनील उसे कभी नही अपनाएगा...वो इंसान ही अलग किसम का है ...रूबी जिंदगी के जिस दौर से गुजर रही थी ....उसने खुद को लड़कों से काट लिया था ....कभी सोचती की बिल्कुल शादी नही करेगी ...कभी सोचती कि एक दिन तो सुनील अपना लेगा ...और कभी जब गहराई से सोचती तो सॉफ सॉफ दिखता कि सुनील का सपना सिर्फ़ एक सपना ही रह जाएगा....

कविता की जब शादी हुई तो दिल में सेकड़ों अरमांन मचल उठे ...लेकिन अपने अतीत उसे चैन नही लेने देता...

मिनी जब उठी तो देखा रूबी बहुत ही गहरी सोच में डूबी हुई है .........

मिनी ....क्या सोच रही है रूबी ....विमल के बारे में.......

रूबी ....हां भाभी ...कुछ समझ नही आ रहा ...

मिनी ....मेरी एक बात मानेगी गुड़िया .......पहले तो मुझे ये भाभी कहना छोड़ दे ...दीदी ही बुलाया कर ...मुझे नही अच्छा लगता कोई मुझे भाभी कह कर बुलाए ....(कहते हुए मिनी की आँखें नम हो चुकी थी...)

रूबी कुछ पल हैरानी से मिनी को देखती रही .......दीदी ..जो मेरे साथ हुआ उसके बाद एक डर सा दिल में बैठ गया है ...मैं किसी और को चाहती हूँ..और ये भी जानती हूँ कि वो मुझे कभी नही मिलेगा ....मेरी कुछ समझ में नही आता कि मैं क्या करूँ.....

मिनी ....वक़्त ले ...जिंदगी के ये फ़ैसले पल में नही किए जाते ...वैसे अगर ध्यान से सोचे तो लड़का अच्छा है ...सबसे बड़ी बात राजेश का दोस्त और कविता का साथ ....कुछ ग़लत होने का तो सवाल ही नही उठता .......बाकी तेरी मर्ज़ी ..कोई ज़बरदस्ती थोड़े ही है ....और दिल करे तो एक बार सोनल या सुनील से बात कर लेना ....लेकिन हम लोगो की बस राय होगी ...असल फ़ैसला तो तूने लेना है ....तू क्या चाहती है ...अगर दिल का कोई तार छिडता हो ..विमल को देखने के बाद तो कोई बुराई नही आगे बढ़ने में ...और ये अरेंज्ड मॅरेज होगी ...तो जब आरती जी ने बात उठाई है तो सोच वो ज़िम्मेदारी भी तो ले रही हैं तेरी खुशी की ...आख़िर तू उनकी बहू की बहन है .....चल ब्रेकफास्ट के लिए चलते हैं ..अंकल तो वहाँ पहुँच ही गये होंगे.

दोनो रेस्टोरेंट की तरफ चली जाती हैं.

ब्रेकफास्ट के बाद विजय और आरती दोनो को आइलॅंड हॉपिंग टूर पे ले गये ....रूबी तो ख़यालों में ही उलझी हुई थी ...वो इस टूर का मज़ा नही ले पा रही थी ......आरती और विजय सब नोट कर रहे थे.........

आरती ....रूबी .....मेरे लिए तुम और कवि पहले हो...राजेश बाद में.....और इतना मत सोचो अभी....ये फ़ैसले एक दिन के नही होते ...तस्सल्ली से आराम से हर पहलू पे गौर किया जाता है ......आज घूमने आए हैं तो बस घूमेंगे बेटी ..यूँ अपने आप को जिंदगी जीने से मत रोको

दूर फैले हुए समुद्र को वो अपने फ्लॅट से देख रही थी ........और जैसे समुद्र की सतह पे घना विशाल वीरानपन होता है ऐसा ही वीरानपन था उसकी जिंदगी में .....

बहारों मेरा जीवन भी सवारों
बहारों मेरा जीवन भी सवारों
कोई आए कही से
कोई आए कही से यू पुकारो
बहारों मेरा जीवन भी सवारों
बहारों..

तुम्ही से दिल ने सीखा है तड़पाना
तुम्ही से दिल ने सीखा है तड़पाना
तुम्ही को दोष दूँगी
तुम्ही को दोष दूँगी
तुम्ही को दोष दूँगी ए नज़ारों
बहारों मेरा जीवन भी सवारों
बहारों..

रचाओ कोई कजरा लाओ गजरा
रचाओ कोई कजरा लाओ गजरा
लचकती डालियो से तुम
लचकती डालियो से तुम, फूल वारों
बहारों मेरा जीवन भी सवारों
बहारों..

लगाओ मेरे इन हाथो में मेहेन्दि
ऱगाओ मेरे इन हाथो में मेहेन्दि
सजाओ माँग मेरी
सजाओ माँग मेरी, याद की धारों
बहारों मेरा जीवन भी सवारों
बहारों..

ये कॉन था ...किस का था इंतेज़ार उसे .....कितने साल बीत गये ....जब से पढ़ाई ख़तम हुई ...वो बस इंतेज़ार ही करती रही ...कि आज उसके मम्मी पापा उसके लिए खुश खबरी लाएँगे ...पर नही ...हर बार उनके लटके चेहरे को देख ....उसका दिल चीत्कार कर उठता ......और अब तो उसका प्यार उसके ही दिल में दफ़न रह गया था....वो अब कभी नही आएगा ....ये बहारें ...ये फिजाये...सब बेमानी हो कर रह गयी थी .......उसने कभी सोचा ही ना था ...कि यूँ उसके प्यार को ठोकर लगा दी जाएगी ...बचपन से दोनो साथ बड़े हुए ..खेले कुदे ...बचपन से ही वो उसके दिल में जगह बना बैठा था ...पर इतनी हिम्मत ना हुई कि उसे अपने दिल की बात कह सके .....रास्ता चुना जो सही भी था ...एक दिन हिम्मत कर माँ को सब बता दिया था ...उसकी चाय्स पे माँ भी बहुत खुश हुई थी और जानने के बाद पापा भी ...लेकिन जब वो उसके रिश्ते की बात ले कर वहाँ गये ...तो खाली हाथ ही लोटे ...उनकी दोस्ती भी कुछ ना कर पाई .......आज वो किसी और का हो चुका है .....क्या प्यार इतना निष्ठुर होता है ...उसकी आँखों से आँसू टपक पड़े .....उसकी नज़रें बेड के किनारे रखे फोटो फ्रेम पर गयी ......क्यूँ चले गये मुझ से इतनी दूर ...वो फोटो से बात करते हुए ज़ोर से रोने लगी ......
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RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी - by sexstories - 07-20-2019, 09:27 PM

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