Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
07-20-2019, 09:25 PM,
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सब अपने कमरे में चले गये ....सोनल ने हॉल से ड्रिंक उठा ली और कमरे में ले गयी ......सुनील के लिए हल्का सा पेग बनाया और बाथरूम में घुस गयी.....

सोनल जब बाथरूम से बाहर निकली तो सुनील उसे देखता रह गया .............लहराती बलखाती हुई वो सुनील की तरफ बढ़ी और किसी पॉर्न स्टार की तरहा हाथों में पड़े दस्ताने धीरे धीरे सरका सरका के उतार कर एक एक कर सुनील के उपर फेंकती रही.....

उसके आधे उरोज़ लाइनाये से बाहर छलक रहे थे .........काले रंग की लाइनाये में सोनल आग का धधकता हुआ शोला लग रही थी ....जो दूर बलखाती हुई सुनील को जला और तडपा रही थी....

सुनील ने फट से अपना पेग ख़तम किया और सोनल को पकड़ने भागा...सोनल छिटक के दूर हो गयी और हँसने लगी ...जंगली शेरनी को पकड़ोगे....चलो पकड़ के दिखाओ...

सुनील उसके पीछे लपकता और ऐन वक़्त पे सोनल उसके हाथ आते आते रह जाती और दूर भाग लेती....

यहाँ पॅक्डम पॅक्डायी का खेल चल रहा था और दूसरे कमरे में मिनी अपनी डाइयरी खोल एक तस्वीर देख रही थी .......इस तस्वीर में वो और सुनील थे.......

मिनी ...तस्वीर को देखते हुए ....क्यूँ कर रहे हो ऐसा मेरे साथ ....मैने तो सोचा था कि जिंदगी में कभी नही मिलोगे जब तुम अचानक गायब हो गये थे....यहाँ अचानक तुमसे मुलाकात हुई तो तुम तो ऐसे कर रहो हो जैसे हम कभी मिले ही नही ....अपना नाम भी लिखना तुमने बदल दिया है ......पहले तुम सुनेल लिखते थे अब सुनील लिखते हो ...क्या है ये सब.....उस दिन मैं तुम से झूठ पे झूठ बोलती रही ...और तुमने एक बार भी प्रतिकार नही किया ...क्यूँ? आख़िर तुम ऐसा क्यूँ कर रहे हो...अपनी बहन और माँ से शादी कर ली इसलिए या कोई और वजह है....तुम आराम से मान गये कि मेरे भाई ने मेरा रेप किया था........मत करो ऐसा मेरे साथ प्लीज़ मैं और बर्दाश्त नही कर सकती .....मिनी की आँखों से आँसू टपक पड़े और वो अपनी यादों के झारोंखों में चली गयी.......

सुमन...रूबी और कविता के बीच लेटी हुई थी ....

कविता...मैं आपको भाभी बोलूं या मम्मी.....

सुमन...जो तेरा दिल करे ....चाहे भाभी बोल या मम्मी ..रहेगी तू मेरी प्यारी सी गुड़िया है....

कविता ....माँ के बाद जो प्यार आपने दिया वो कोई माँ ही दे सकती है..मैं आपको मम्मी ही बोलूँगी ...

सुमन ने उसे गले लगा लिया ....मेरी बच्ची ...और उसके चेहरे पे चुंबनो की बरसात कर दी.....

कविता ...मम्मी ...ये क्यूँ हुआ मेरे साथ .....ना मैं उन्हें भूल सकती हूँ और ना ही उन्हें अपना सकती हूँ.......मेरा दिल गवारा नही करता कि मैं अपने ही भाई की पत्नी बनू.......

सुमन....ये सब किस्मत के खेल होते हैं.....कुछ बातें अपने हाथ में नही होती ..उन्हें वक़्त पे छोड़ देना चाहिए......मानती हूँ..भाई बहन के बीच ऐसा रिश्ता नही होना चाहिए ...पर कई बार हालत ऐसे हो जाते हैं कि ऐसे रिश्ते बन जाते हैं....अपने भाई सुनील और भाभी सोनल का ही किस्सा लेले........किसने सोचा था ...कि सोनल सुनील को प्यार करने लगेगी वो भी इतना कि सुनील उसकी हर साँस में समा गया .....सुनील ने तब भी इस रिश्ते को अपनाने के लिए सोनल को इनकार कर दिया था...बहुत लड़ता था वो अपनी मर्यादा से ...फिर भी सोनल का प्यार एक दिन जीत ही गया और दोनो आज पति पत्नी हैं...कितने खुश हैं दोनो .....ये रिश्ते प्यार के रिश्ते होते हैं......हमेशा अपने दिल की सुनना ...अगर तुम्हारा दिल कहे के तुम अपनी जिंदगी राजेश के साथ बिताना चाहती हो ...तभी हाँ करना वरना नही ....किसी की भावनाओं में आ कर ऐसे रिश्ते कबुल नही किए जाते ...और ऐसे ही नही ...शादी वो बंधन होता है ...जो या तो दिल के रास्ते से शुरू होती है ...या फिर मा बाप के बताए रास्ते से.....कई बार होनी अपना खेल खेल जाती है ....यही तुम्हारे और राजेश के साथ हुआ....अगर पहले पता होता ...तो क्या सुनील ऐसा होने देता नही कभी नही ....पर अब दो रास्ते हैं...या तो तुम दोनो का तलाक़ करवा दिया जाए ताकि दोनो इस बंधन से आज़ाद हो जाओ ...या ....अगर तुम्हारा दिल मानता है इस रिश्ते को ...तो खुशी खुशी राजेश के साथ अपनी जिंदगी बिताओ...वो तो अपने दिल की बात कह गया था...अब फ़ैसला तुमने लेना है..क्यूंकी ये तुम्हारी जिंदगी का सवाल है.....

कविता बस सुमन को देखती रही........

सुमन....जल्द बाज़ी में कोई फ़ैसला मत लेलेना ...जिसपर आगे जा कर पछताओ ...टेक युवर टाइम डार्लिंग...टेक युवर टाइम.......और खुद को इतना परेशान भी मत किया करो ...छोड़ दो वक़्त पे...वो खुद तुम्हें सही समय पे सही रास्ता दिखा देगा....अब अपना सारा ध्यान अपनी पढ़ाई पे लगा दो.....

कविता सुमन से चिपक के सो गयी ....और सोचते सोचते सुमन की भी आँख लग गयी...

दूसरे कमरे में सुनील और सोनल की पॅक्डम पॅक्डायी चल रही थी और सुनील के हाथ सोनल की लाइनाये में फस गये जब सोनल ने फिर भागने की कोशिश करी तो चााआअरर्ररर कर के फटती चली गयी.....काफ़ी मेंहगी थी ....सोनल फट से रुक गयी और सुनील ने उसे पकड़ लिया ......

सोनल...ये क्या बात हुई ........फाड़ के रख दी ...इतनी मेंहगी थी......

सुनील...तो क्या हुआ और ले लेना .....ये चक्कर क्या है ...घर में टेन्षन इतनी ...कल सूमी मेरे पीछे पड़ गयी और आज तुम...

सोनल....एक तुम ही तो हो जिसके दम पे ये घर चलता है ...जिसने हम सबको संभाल के रखा हुआ है ...क्या हमे दुख नही कविता के लिए ...है बहुत है ...और एक औरत ही दूसरी औरत को अच्छी तरहा समझ सकती है...पर हम तुम्हें दुखी नही रख सकते .....हम यही चाहते हैं तुम जिंदगी खुल के जियो ताकि हर दुख और हर विपदा को मुँह तोड़ जवाब दे सको ...ये तुम तभी कर पाओगे ...जब तुम्हारा चित शांत होगा और खुश होगा ...इसीलिए मैने और दीदी ने ये सोचा था ...की तुम्हारी हर रात को रंगीन रखा जाए ...ताकि तुम दिमागी रूप से हमेशा फ्रेश रहो... अब बात को डाइवर्ट मत करना.....देखो ना मेरा जिस्म कितना जल रहा है...

सोनल....सुनील से चिपक गयी और अपने मदिरा के प्याले उसके होंठों से सटा दिए...

रात भर सोनल ...सुनील को अपनी अदाएँ दिखाती रही और दोनो एक दूसरे में खोते रहे....सुबह तक सोनल के जिस्म का पोर पोर दुख रहा था.....पर चेहरे पे सकुन था...एक संतुष्टि बही मुस्कान थी....

कविता भी कल की सुमन की बातों से तोड़ा संभाल चुकी थी...सही वक़्त पे सुनील/सोनल/रूबी और कविता कॉलेज चले गये ....

और फिर से घर में पढ़ाई का महॉल बन गया ....सुमन रोज भगवान से प्रार्थना करती कि अब कोई और अड़चन जिंदगी में ना आए और सब की पढ़ाई सुचारू रूप से चलती रहे........

एक हफ़्ता बीत गया.......


सुनील सबको एक रेस्टोरेंट में डिन्नर करने ले गया ...ताकि थोड़ा बदलाव हो...ये लोग रेस्टोरेंट में खाना खा रहे थे .....बिल्कुल इनके पीछे की टेबल पे दो लड़के बैठे हुए थे .....ये और कोई नही राजेश और विमल थे ...लेकिन इन लोगो को आपस का पता नही था......एक बिल्कुल एक दूसरे के पीछे बैठे हुए थे....

सुनील को आवाज़ें कुछ जानी पह चानी लग रही थी..........हुआ यूँ था कि देल्ही के ऑफीस को देखने के लिए राजेश एक हफ्ते के लिए देल्ही आया था आज ...और विमल ज़बरदस्ती साथ चला आया था..

विमल...यार तुझे हो क्या गया है...कुछ बताता भी नही ...शाम होती नही ...और दारू चालू.....नशेड़ी बनना है क्या...भाभी को जब पता चलेगा तब देखना क्या हालत करेगी तेरी...

(विमल को नही पता था कि दोनो के बीच क्या हुआ है...वो तो यही समझता था कि कविता अपना एमबीबीएस का कोर्स पूरा करने देल्ही आई हुई है ...)

राजेश ....नशा शराब में होता तो नाचती बॉटल......भुतनी के तू यहाँ मेरा साथ देने आया है या लेक्चर झाड़ने ....

विमल....ठीक है बच्चू ...कल भाभी को सब बताता हूँ........

(कविता ने राजेश की आवाज़ पहचान ली थी .....खाते खाते उसका हाथ रुक गया)

राजेश......कोई मिलना विल्ना नही ...समझा ..ज़्यादा नौटंकी करेगा तो अभी वापस पार्सल कर दूँगा मुंबई ....

विमल....बात क्या है ....तू देल्ही आ कर भी भाभी से नही मिलेगा .......

राजेश ....हां नही मिलूँगा अब ज़्यादा दिमाग़ मत चाट .....

विमल......आधी बॉटल डकार चुका है बस कर ....कहीं भाभी से कोई झगड़ा तो नही हो गया.......

राजेश ....तेरे ना कान के नीचे एक दूँगा तब तू अपनी बकबक बंद करेगा....

विमल....दे ले भाई अगर तुझे इसमे तसल्ली मिलती है तो ...तेरा दोस्त हूँ ग़लत रास्ते पे जाने से तो रोकुंगा ही...

राजेश.....साले तूने सुबह सुबह मैंडक तो नही खा लिया ....टर टर ...बंद ही नही हो रही तेरी...

विमल चुप हो गया ...और चेहरा नीचे झुकाए सोचने लगा ...आख़िर क्या हो गया है इसे.........

कविता का सारा ध्यान ....राजेश पे जा चुका था...वो भूल ही गयी थी कि सब खाना खाने आए हुए हैं...सबकी बातें हो रही थी आपस में पर सबने आवाज़ बहुत धीमी रखी हुई थी...बस कविता एक दम चुप हो गयी थी..खो गयी थी कहीं....

सुनील....क्या हुआ कवि कहाँ खो गयी .......( सुनील कुछ ज़ोर से बोला था ...)

कविता..अँ आं कुछ नही भाई ........और खाना खाने लगी अन्मने मन से.....

राजेश ने सुनील और कवि की आवाज़ पहचान ली .......दिल ज़ोर से धड़कने लगा ...उसे अपना वादा याद आ गया कविता से जो उसने किया था....

राजेश.....यार यहाँ का ए/सी साला काम नही कर रहा ...चल उठ कहीं और चलते हैं.......तू बिल दे का फटाफट ....मैं बाहर वेट कर रहा हूँ......

विमल....अबे ये ड्रिंक तो ख़तम...

राजेश ...चल ना..... ( और उठ के एक दम बाहर निकल गया ....उसने एक नज़र भी मूड के नही देखा कि कविता कहाँ बैठी हुई है ...)

कविता की नज़रें...उसका पीछा करती रही ...सभी कविता को देख रहे थे पर कोई कुछ ना बोला....

विमल ...ये साले को हो क्या गया है ....झल्लाता हुआ उठा और उसकी नज़र कविता और सारे परिवार पे पड़ गयी ....एक पल कविता को देखा और दूसरे पल बाहर जाते राजेश को.....

फटाफट भागा...बिल पे किया और डोर से बाहर .....

विमल...अरे भाभी तो अंदर है पूरी फॅमिली के साथ...

राजेश...चुप चाप चल ......

विमल..पर...

राजेश...कहा ना चुप चाप चल........और राजेश विमल को किसी दूसरे बार में ले गया......

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