Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
07-20-2019, 09:23 PM,
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
राजेश फिर उस से अलग हुआ ….कविता के गाउन को खींचने लगा तो कविता ने अपनी गान्ड उपर उठा ली उसकी मदद करने के लिए और पल भर में गाउन और ब्रा बिस्तर के कोने में पड़े थे …….कविता शरमा के बिस्तर पे ओंधी गिर पड़ी और राजेश ने अपनी बनियान उतार फेंकी ……..
इस वक़्त कविता के जिस्म पे सिर्फ़ एक पैंटी रह गयी थी ….राजेश बिस्तर से उतरा और अपना पाजामा उतार सिर्फ़ अंडरवेअर में रह गया और बिस्तर पे बेड कविता की पीठ को चूमने लगा …..
झनझणा गयी कविता …..अहह सिसकते हुए अपने चेहरे को तकिये पे दबाने लगी ……
उसकी पीठ को चूमते हुए …..राजेश जब सरकता हुआ उसकी कमर तक पहुँच तो तो कविता ने बिस्तर को मुठियों में जाकड़ लिया.

तभी कमरे के दरवाजे पे ठक ठक होने लगी ………..दोनो फट से अलग हुए ….कविता तो गाउन पहन कर बाथरूम में घुस गयी …..

राजेश ने अपने कपड़े पहने फटाफट और दरवाजा खोला ….सामने आरती खड़ी रो रही थी…….

‘क्या हुआ माँ…….’

‘बेटा तेरे पापा…….को हार्ट अटॅक हुआ है …जल्दी कुछ कर ……..’ घबराहट में आरती ने आंब्युलेन्स के लिए फोन भी नही किया था….राजेश भागता है अपने डॅड के कमरे में जो इस वक़्त अपनी छाती दबाए दर्द से तड़प रहा था ……….उसका पूरा जिस्म पसीने से लथपथ था …..

राजेश विजय को अपनी बाँहों में उठाता है और बाहर अपनी कार में उसे लिटा कर हॉस्पिटल की तरफ तेज़ी से निकल पड़ता है ….आरती साथ नही जा पाती क्यूंकी घर में बहू अकेली रह जाती …….

बाथरूम में खड़ी कविता ने सब सुन लिया था......घबरा गयी वो जाने क्या क्या उसके मन में आने लगा .....आज ही वो इस घर में आई और आज ही उसके ससुर को हार्ट अटॅक हुआ ...कहीं कुछ बुरा ना होज़ाये ...तो क्या इसका इल्ज़ाम उसपे लगेगा .....

बाथरूम से बाहर निकल वो अपना सलवार सूट पहन लेती है और गाड़ी देखती है ....आधी रात हो चुकी थी .....दिल कर रहा था सोनल से बात करे पर इस वक़्त मुनासिब नही था....वो हाल में चली गयी जहाँ आरती बैठी आँसू बहा रही थी....

कवि ...आरती के गले लगते हुए ...कुछ नही होगा पापा को माँ .....कुछ नही होगा ....भगवान इतना निष्ठुर नही है जो मेरे सर से पापा का साया उठा ले ...कुछ नही होगा उन्हें.....

तभी राजेश का फोन आता है ........विजय आइसीयू में अड्मिट हो गया था...इस वक़्त उसकी हालत अटेबल थी ...पर डॉक्टर्स ने 24 घंटे आइसीयू में अब्ज़र्वेशन पर रखा था जो कि ज़रूरी था.......

राजेश से फोन पे बात कर आरती की जान में जान आती है .......और वो सोचने लगती है ...आज शाम को जब विजय की बात सुनील से हुई थी ..तब से वो बहुत परेशान था....ऐसी क्या बात हुई थी दोनो के बीच......वो इस बात का कोई जिक्र कविता से नही करती......


जब से विजय ने सुनील से कविता के पिता का नाम पूछा था ....तब से उसके अंदर एक तुफ्फान उठ गया था....अंजाने में उस से एक गुनाह हो गया था........काश ये बात वो राजेश और कविता की शादी से पहले पूछ लेता ....लेकिन कहते हैं ना होनी हो कर रही है ....आइसीयू में बिस्तर पे लेटे उसके सामने वो पल आ गये जब उसे आरती से शादी करने का फ़ैसला लिया था............आरती बंगलोर में एमबीबीएस कर रही थी ....जब वहाँ के एक डॉक्टर ने नशे की हालत में आरती का रेप कर डाला था और उसी रात वो गायब भी हो गया था.....उस रेप का आरती पे इतना गहरा असर हुआ था कि वो कोमा में चली गयी थी ..........और उसी दौरान उसके पेट में एक बच्चा जनम लेने लगा था......कोमा की हालत में आरती का अबॉर्षन नही किया जा सकता था...बच्चा उसके पेट में पलता रहा और जब आरती कोमा से बाहर आई तो 6 महीने गुजर चुके थे....

होश में आने के बाद जब आरती को पता चला कि वो नाजाएज बच्चे की माँ बनने वाली है तो उसने ख़ुदकुशी करने की कोशिश करी ...पर सही वक़्त पे विजय ने उसे बचा लिया .......बड़ी मुश्किल से उसने आरती को संभाला ....और उसने वो कदम उठाया जो उसके लिए भी आसान नही था...वो आरती से बहुत प्यार करता था........उसके लिए अपनी जान तक दे सकता था.......विजय ने अपनी गर्ल फ्रेंड को छोड़ दिया और आरती से शादी कर ली .....आरती और कोई नही उसकी छोटी बहन थी ....आरती के रेप की खबर और उसके नाजाएज बच्चे के बारे में जान उसके माँ बाप दोनो ही ये गम संभाल ना सके और एक एक कर इस दुनिया से रुखसत हो गये....

विजय आरती को मुंबई ले आया और एक नये सिरे से जिंदगी शुरू की ..........बच्चा होने के बाद आरती ने बच्चे को मारने की कोशिश करी पर विजय ने ऐसा नही होने दिया और उसने आरती के दिल में बच्चे के लिए प्यार पैदा किया क्यूंकी अब वो उस बच्चे का पिता था........डेलिवरी के वक़्त आरती को कॉंप्लिकेशन हो गयी थी जिसकी वजह से वो दुबारा माँ नही बन सकती थी .....

विजय नही जानता था कि वो रेपिस्ट भी मुंबई आ चुका है और एक बहुत बड़ा डॉक्टर बन चुका है .....यूँ कहिए कि उस रेपिस्ट के दिन बचे थे इसलिए कभी भी विजय और आरती का उस रेपिस्ट से सामना नही हुआ .......

वो रेपिस्ट और कोई नही था ........समर था.........

इसलिए जब विजय को इस बात का पता चला कि कविता का बाप समर है ...वो सह नही पाया ....अंजाने में उसने भाई और बहन की शादी करवा दी थी .........
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