Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
07-19-2019, 12:54 PM,
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
अब सोनल भी ज़िद पकड़ के बैठ गयी थी. और सूमी परेशान हो गयी थी कि क्या करे. पता नही क्या सोचा उसने .. कपड़े बदले और सुनील को ढूँडने निकल पड़ी - दो ही जगह हो सकती थी जहाँ वो मिलता - या तो बार - या फिर बीच.

सुनील को ढूंढते हुए सूमी …. बीच पे पहुँची वो एक जगह बैठा बस समुन्द्र की उफनती हुई लहरों को देख रहा था.

सूमी उसके पास जाके बैठ गयी और उसके कंधे पे सर रख दिया.
‘क्यूँ इतनी ज़िद कर रहे हो’

‘मैं या तुम’

‘समझते क्यूँ नही …. उसे वक़्त दो … उसे तुम्हारी ज़यादा ज़रूरत है .. और अभी तक तुमने उसके साथ…’

‘यार मुझे एक बात समझ नही आती कि अभी तो हमारी (सोनल के साथ) जिंदगी शुरू ही हुई है – तो क्या सेक्स इतना इंपॉर्टेंट हो गया – अभी ना एक दूसरे को अच्छी तरहा समझे हैं तो फिर इतनी जल्दी भी क्या है’

‘दो बिल्कुल अजनबी होते तो तुम्हारी बात मान लेती …. कि इतनी जल्दी भी क्या है …. पर क्या तुम दोनो अजनबी हो …. नही ….अच्छी तरहा एक दूसरे को जानते और समझते हो … बस जिंदगी में दोनो की भूमिका बदल गयी है… ज़रा सोचो कितने साल से वो तुम्हें दिल में बसाए बैठी है … अब तुम उसे मिल कर भी ना मिलो तो कैसा लगेगा उसे……लड़की कभी मुँह से नही बोलेगी – उसके दिल की हालत समझो’

‘ सब समझता हूँ --- और वो भी समझती है …… देख लिया तुम्हें अकेले छोड़ने का नतीजा … अब कभी नही तुम्हें अकेले रहने दूँगा ……. बस मुझे और कुछ नही सुनना’

‘ओह माँ – कैसा जिद्दी मेरे पल्ले पड़ गया …. अरे हो गयी एक रात परेशान तो इसका मतलब ये तो नही तुम बस मेरी ही चिंता करो … अब वो भी तुम्हारी बीवी है उसे भी तो उसका हक़ दो’

‘मैं कब मना कर रहा हूँ… कि उसे उसका हक़ नही मिलेगा … लेकिन आज तो तुम्हें किसी भी कीमत पे अकेला नही छोड़ूँगा …. अब तुम जो मर्ज़ी समझो …..’

‘उफफफ्फ़ …. अच्छा ठीक है … आज मैं तुम्हारी बात मान लेती हूँ… कल तुम मेरी बात मानो गे ‘

‘कल की कल देखेंगे ….’

‘क्या चाहते हो मुझे रोना आजाए …. मेरी वजह से … मेरी गुड़िया को तरसना पड़ रहा है’

‘तुम्हारी वजह से उसे वो मिला जो कभी नही मिलता …. अब बस …. फिर तुम अगर पेन्सिव मूड में गयी तो सोच लो … मैं आगे क्या करूँगा…’

‘तुम्हारा हनिमून अधूरा रह गया था … उसका भी अभी अधूरा है … अब मुझ पे चोस दो मुझे कैसे क्या करना है … अब कोई बात नही सुनूँगा …… चलो वो परेशान हो रही होगी.’

सूमी बस उसे देखती रह गयी और चुप चाप साथ चल पड़ी… उसकी आँखों में आँसू थे… इतना प्यार…उससे संभाले नही सम्भल रहा था.


एक औरत और एक बीवी तो खुश थी , पर एक माँ को तकलीफ़ होने लग गयी थी. आज दूसरी रात थी दोनो की, और आज की रात भी खाली जानेवाली थी …. क्या ये ठीक हो रहा था सोनल के साथ, क्या उसे वो करना चाहिए जो एक माँ तो कभी कर नही सकती , एक बीवी भी नही कर सकती, पर एक औरत शायद कर डाले…..सूमी अपने ही ख़यालों में सुनील के पीछे पीछे चल पड़ी.

जब दोनो कमरे में पहुँचे तो सोनल सुनील के गले लग गयी …. उसका रोना निकल गया था…. इतना नाराज़ क्यूँ हो जाते हो……

‘आए रोना नही बिल्कुल भी … ये तेरी दीदी मेरा दिमाग़ खराब कर देती है…… ‘

सूमी चुप चाप खड़ी रह गयी …. अब बोले भी तो क्या बोले…

‘ बीवियों ये वाइन बॉटल्स और ग्लासस अंदर बेड रूम में ले चलो, वहीं बैठेंगे… मैं चेंज कर के आता हूँ और सूमी तुम भी चेंज कर लो.

दोनो ने सारा समान फिर सोनल के बेडरूम में रखा .... जब सोनल अंदर घुसी तो हैरान रह गयी ... कमरा फिर सुहाग रात की तरहा सज़ा हुआ था... और ये कारस्तानी सूमी की थी -- दोनो को बीच पे छोड़ वो इसी काम में लगी हुई थी.. सुनील के कपड़े तो सूमी के रूम में ही थे.

'ये...ये...'

'हां तुम बेवकूफ़ दोनो मेरी बात ही कहाँ मानते हो'

सोनल .... सूमी के गले लग गयी .....लव यू मोम .... पर आज हम तीनो इस बिस्तर का मज़ा लेंगे.

अब सूमी के हैरान होने की बारी थी ..... सोनल ने जो बोला उसका मतलब क्या है... क्या वही जो वो सोच के आ रही थी... ये कुछ और.... उसके मुँह से कुछ नही निकला.....

'चल मेरे कमरे में चल, आज मेरी नाइट ड्रेस तू ही पसंद कर और तेरी मैं करूँगी'

दोनो सूमी के कमरे में चली गयी ..... सुनील के बाथरूम से निकलने का इंतेज़ार करने लगी.

सुनील बाथरूम से निकला तो दोनो वहीं बैठी हुई थी.

‘मैं ड्रिंक्स बना रहा हूँ …… जल्दी आओ तुम दोनो’

कह कर सुनील दूसरे बेडरूम में चला गया.

अंदर पहुँचते ही उसे भी झटका लगा ….

‘वाह सूमी … वाह .. ये सिर्फ़ तू ही कर सकती थी… चाहे रिश्ते बदल जाएँ… एक माँ कभी नही भूलती… कि चाहे वो बीवी और सौतन बन गयी हो… है तो वो एक माँ ही ‘ सुनील की आँखें छलक पड़ी…… उसे अब कुछ ऐसा करना था कि सूमी का मान भी रह जाए … उसके अंदर जो सोनल के लिए इच्छा छुपी हुई है वो पूरी हो जाए… पर क्या ये ठीक रहेगा ….. दोनो के साथ … एक ही कमरा… एक ही बिस्तर…नही नही -- ये क्या सोचने लग गया मैं.... ये सूमी किसी दिन मेरे दिमाग़ की वाट लगा देगी' अपने लिए एक ड्रिंक बना कर बाल्कनी में जा के खड़ा हो गया.

सूमी : चल तू ये साड़ी पहन… अपने वॉर्डरोब से एक साड़ी निकालती है … जिसे पहन सोनल फिर से दुल्हन के लिबास में आ जाती – सिवाय उपरी साजो सज्जा के – जिसकी अभी कोई ज़रूरत भी नही थी … क्यूंकी मेहन्दी अभी फ्रेश ही थी, माथे पे सजी छोटी छोटी बिंदया अब भी चमक रही थी…. बस थोड़ी ज्यूयलरी , लीप ग्लॉस और फेस पॉडर की ज़रूरत थी.

सोनल ने भी सूमी के लिए एक बहुत अच्छी ट्रॅन्स्परेंट साड़ी चुनी.

आधा घंटा लग गया दोनो को … इस वक़्त उन्हें कोई देखता तो ये कहता वह क्या बहनें हैं दोनो ही माल हैं माल .

और सच पूछो तो उर्वशी और मेनका भी दोनो को देख सड़ जाती…. और आपस में होड़ लगाने लगती इनकी जगह लेने के लिए – और बेचारे ईन्द्र का कॉंपिटेशन हो जाता सुनील से.

दिल दोनो के धड़क रहे थे कि सुनील का क्या रियेक्शन होगा… इतनी देर लगने पे कहीं फिर से ना गुस्से में आ जाए.

सूमी अब भी सोच रही थी कि सोनल …. क्या कहना चाहती थी जब उसने कहा … अब तीनो इस बिस्तर का मज़ा लेंगे.

सोनल सोच रही थी कि एक बार वो इनके साथ मस्त हो जाएँ तो चुप चाप कमरे से बाहर निकल जाएगी – शायद ऐसा ही कुछ सूमी सोच रही थी कि एक बार सुनील – सोनल के साथ मस्त हो जाए तो चुप चाप कमरे से बाहर निकल जाएगी और दोनो को एकांत दे देगी.

दोनो जब कमरे में पहुँची तो सुनील को बाल्कनी में खड़ा सोचो में गुम पाया … दोनो का ही दिल रो उठा .. उन दोनो की वजह से ही तो वो इस हालत में था … किस को कितना ध्यान दे और कब .. दोनो के हनिमून अधूरे उसको चिड़ा रहे थे … और वो फ़ैसला नही ले पा रहा था.. क्यूंकी दोनो ही उसको बहुत अज़ीज़ थे.

अब उसको संभालना एक का काम नही रह गया था और ये बात दोनो ही समझ रही थी. दोनो ने एक दूसरे की आँखों में देखा … आँखों ही आँखों में बातें हुई और दोनो के कदम एक साथ सुनील की तरफ बढ़ चली.
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