Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
07-19-2019, 12:48 PM,
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
शाम के 6 बज रहे थे जब सूमी और सोनल होटेल में स्थित ब्यूटी पार्लर में पहुँचे – जहाँ सोनल का ब्राइडल मेकप होना था – सूमी ने कुछ खास इन्स्ट्रक्षन्स दिए थे और वेटिंग एरिया में बैठ कर वेट करने लगी.

बैठे बैठे वो अतीत में चली गयी एक हफ़्ता पहले की वो शाम वो अपने आप से लड़ के थक चुकी थी 6 दिन हो गये थे जब उसके हाथ सोनल की डाइयरी लग गयी थी. इन 6 दिनो में वो कितनी बार मरी ये वो ही जानती थी थी. आज का सारा दिन उसे सुनील को समझाने में लग गया.

‘सुनील तुम से एक बहुत ज़रूरी बात करनी है’

‘हां बोलो जान’

‘तुम जानते थे सोनल तुमसे प्यार करती है और तुम्हारे साथ जिंदगी बिताना चाहती है’

‘हां … जानता था.. और उसे बार बार यही समझाता था – कि ये ग़लत है – उसे इस दिशा में नही सोचना चाहिए …. बहुत कोशिश करी मैने … पर वो टस से मस नही हो रही थी… मैने उसे पल पल मरते देखा है … पर मेरा दिल उसे किसी और रूप में देखना गवारा नही करता … क्या करता मैं…. फिर वही लड़ाई कब से लड़ रहा हूँ … वही लड़ाई …. जो पहले लड़ी थी … जब तुम्हें अपनी जिंदगीं में शामिल किया था… ज़रा सोचो … कैसे मैं माँ और बेटी दोनो का सुहाग बन सकता हूँ… ये नामुमकिन है … अब तुम्हें पता चल गया है… तूतुम ही उसे समझाओ’

‘ ये डाइयरी पढ़ो …. फिर कुछ फ़ैसला करना ‘ सूमी ने सुनील को सोनल की डाइयरी देदि
डाइयरी पढ़ते पढ़ते सुनील की आँखों से आँसू निकलने लगे --- कैसे कोई किसी से इतना प्यार कर सकता है…. कितना दर्द भर गया था सोनल की जिंदगी में …. कैसे एक बहन अपने ही भाई को अपना शोहर बनाने का सपना देख सकती है …. सोनल ने अपने दिल का एक एक जख्म उस डाइयरी में लिखा हुआ था – ‘ मर भी तो नही सकती …. ऐसे तो मैं उससे जुदा हो जाउन्गि …. जी भी नही सकती ….. अब वो मोम का हो चुका है…. वाह री मेरी किस्मेत …. मेरे प्यार पे डाका डाला तो मेरी ही माँ ने…. मुझे मर्यादा की दुहाई देने वाला ….. माँ का ही शौहर बन गया…. मुझ में क्या कमी थी… माँ में उसने औरत को देख लिया… मुझ में एक लड़की उसे नही नज़र आई… जो अपनी रूह की गहराइयों से उसे प्यार करती है …. जीती है तो उसके लिए और मरेगी भी तो सिर्फ़ उसके लिए … मेरा हीरो … मेरी जान.. मुझ से छिन गयी…. अब कभी मैं उसे पा नही पाउन्गि… बस तड़पना ही मेरी नियती है’

‘सुनील… इतना तो मैं भी तुझे प्यार नही करती थी जब हम बंधन में बँधे थे…… ये तो प्यार का सागर है पगले … जिसे तू ठुकराता आया है… मैं जानती हूँ… मैने खुद को कैसे समझाया है… मुझे कोई प्राब्लम नही अगर वो मेरी सौतन बनने को तयार हो जाती है…. दे दे उसे उसका प्यार …. बचा ले उसे…. उसे कुछ हो गया तो क्या तू जी पाएगा… क्या मैं जी पाउन्गि…. अब देर मत कर’

‘उफफफ्फ़ मेरे साथ ही क्यूँ… पहले माँ को पत्नी बनाया और अब बहन को भी…..नर्क भी नसीब नही होगा…’

‘जो प्यार करते हैं .. वो नर्क नही जाते … वो अमर हो जाते हैं…. तूने मुझ से वादा किया था याद है… देख वो लड़की मिल गयी … जो तेरी जिंदगी को महका के रखेगी… तुझे इतना प्यार देगी .. के मेरा प्यार भी फीका पड़ जाएगा … अपना ले उसे… डाल दे उसे मेरी झोली में… बहुत सहेज के रखूँगी तेरी बीवी को … अपनी प्यारी सी सौतन को’

दिन गुजर गया सूमी – सुनील को समझाती रही… शाम को जब सोनल हॉस्पिटल से आई … थकि हुई – टूटी हुई.. चेहरे पे उदासी के सागर… आँखें जैसे पथरा गयी थी… एक जिंदा लाश बन गयी थी वो… चुप चाप अपने कमरे में चली गयी.

सूमी से रहा नही गया… उसके पीछे चल पड़ी और कमरे में पहुँच उसके पास बैठ गयी…. उसके चेहरे को अपने हाथों में थाम उसकी आँखों में बसे दर्द के सागर को देख रो पड़ी…. ‘पगली मुझे कहा क्यूँ नही तू सुनील से इस कदर प्यार करती है…. आख़िर माँ हूँ तेरी……बस मेरी रानी … मेरी गुड़िया… अब और नही…मेरी सौतन बनेगी’

‘मोम…….’ सोनल सूमी से लिपट ज़ोर ज़ोर से रोने लगी.

‘ना मेरी गुड़िया ना … बहुत रो चुकी अब तो तेरे हँसने के दिन आ गये… हो सके तो मुझे माफ़ कर देना… तेरे दर्द को देख नही पाई…. मेरी गुड़िया तड़प रही थी और मैं अंजान रही… मुझे माफ़ कर दे मेरी बच्ची… बोल बनेगी ना मेरी सौतन’

‘हां माँ हां’ दोनो जाने कितनी देर एक दूसरे से लिपटी रोती रही.

मुश्किल से सूमी ने खुद को संभाला और उसे भी चुप कराया – अपने हाथों से उसे पानी पिलाया.

‘भेज रही हूँ तेरे प्यार को तेरे पास’ ये कह सूमी कमरे से बाहर निकल गयी और सुनील के पास जा के खड़ी हो गयी … जो बैठा आँसू बहा रहा था. मर्यादा ने उसके साथ क्या क्या खेल नही खेले – जिन्हे सबसे ज़यादा प्यार करता था… उन्हें दर्द देता रहा.. पहले सूमी को दिया था अब सोनल को दे रहा था.

‘जा वो तेरा इंतेज़ार कर रही है’

भीगी आँखों से सुनील सूमी को देखने लगा.

‘अब जाओ ना मेरी सौतन का सारा दुख दूर कर दो.. भर दो उसकी झोली खुशियों से … बहुत तड़प चुकी वो… जाओ अब देर मत करो’

डगमगाते कदमो से सुनील सोनल के कमरे में पहुँचा.

‘दी…..’

सोनल ने कोई जवाब नही दिया.

सुनील उसके करीब चला गया – उसके सामने जा के खड़ा हो कर उसके चेहरे को अपने हाथों में थाम – उसकी भीगी आँखों में आँखें डालते हुए बोला.
‘माफ़ कर दो मुझे… बहुत दुख दिए तुमको…. मेरी बीवी बनोगी’

सोनल का बरसों से रुका हुआ बाँध टूट गया… तड़प के सुनील से लिपट गयी और बिलख बिलख के रोने लगी – तड़प्ते हुए सुनील के जिस्म को नोचने लगी उसके चेहरे पे चुंबनो की बरसात करने लगी.

कैसी अजीब शाम थी – ये --- एक सौतन ने एक सौतन को कबूल किया… एक माँ ने भाई-बहन के रिश्ते को स्वीकार कर लिया…. एक भाई और एक बहन –एक दूसरे के हो गये……. कैसी अजीब शाम थी ये.

सूमी की आँखें भर आई … अपना सर झटक वो आज में लॉट आई… अब तो बस .. खुशियाँ ही खुशियाँ हैं… क्यूँ याद करें.. उन दर्द भरे लम्हों को….

आज की शाम भी कितनी अजीब है – एक सौतन दूसरी सौतन की सुहागरात की तैयारी कर रही है… एक मीठी सी मुस्कान आ गयी सूमी के चेहरे पे.

सोनल तयार हो चुकी थी --- दुल्हन के लिबास में किसी अप्सरा से कम नही लग रही थी --- कोई भी उसे इस वक़्त देख लेता तो फिदा हो जाता. सिल्क का हरा ल़हेंगा और चोली जिसपे सोने के सितारे और तार से नक्काशी करी हुई थी उसकी सुंदरता को चार चाँद लगा रहे थे. गले में दमकता हुआ सोने का हार कानो में लंबे झूलते हुए झुमके …. कमान की तरहा तराशि हुई भवें….. आँखों में काजल …… होंठों पे चमकती हुई लिप ग्लॉस ……. ये तय था कि सुनील को आज जिंदगी का सबसे बड़ा झटका लगने वाला था.

सूमी – सोनल को हनिमून सुइट में ले गयी ---- और बेडरूम में ले जा कर उसे बिस्तर पे बिठा दिया – फिर कुछ देर उस से बातें करती रही – रात क्या होनेवाला था – उसे समझाती रही – कैसे उसने क्या करना था …….. और एक पेट्रोलियम जेल्ली की ट्यूब उसे दे दी ….. उसका काम जब सूमी ने सोनल को समझाया तो मारे शर्म के वो सांस लेना तक भूल गयी.

महकते हुए फूलों से पूरा कमरा और बिस्तर सज़ा हुआ था.
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